September 30, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

    एमसीबी / शौर्यपथ / मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के पोड़ीडीह स्थित पी.एम. श्री एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में आदिसेवा पर्व एवं स्वच्छता पखवाड़े का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री एवं विधायक श्री श्याम बिहारी जयसवाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
   कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्री जयसवाल ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरक डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया, जिसने विद्यार्थियों और उपस्थित लोगों को राष्ट्र सेवा और समाज सुधार की दिशा में प्रेरित किया। बच्चों द्वारा निर्मित ड्रोन का प्रदर्शन कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा, जिसे मंत्री ने स्वयं उड़ाकर बच्चों की प्रतिभा और नवाचार की सराहना की।
   अपने उद्बोधन में मंत्री जयसवाल ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, गरीबों को चावल 1 रुपये प्रति किलो दर से उपलब्ध कराने, विशेष जनजातीय योजनाओं, कोरोना वैक्सीन निर्माण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने जैसी उपलब्धियों का उल्लेख किया। इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों और साइबर अपराध एवं ऑनलाइन धोखाधड़ी से सतर्क रहने की अपील भी की।
  मंत्री जयसवाल ने विद्यालय को डिजिटल बोर्ड, इंटरेक्टिव पैनल और साउंड सिस्टम की सौगात देने की घोषणा की, जिससे बच्चों की शिक्षा में आधुनिक तकनीक का समावेश होगा। कार्यक्रम में महापौर श्री राम नरेश राय, जिला अध्यक्ष श्रीमती चंपा देवी पावले, आशीष मजुमदार, धर्मेंद्र पटवा, रामेश्वर पांडेय, सहायक आयुक्त, विद्यालय प्राचार्य और मंडल संयोजक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। बच्चों की सक्रिय भागीदारी ने आदिसेवा पर्व और स्वच्छता पखवाड़े को यादगार बनाया।
सामुदायिक श्रमदान का आयोजन
 “स्वच्छता ही सेवा” अभियान के अंतर्गत धार्मिक, पर्यटन और सामुदायिक स्थलों पर भी स्वच्छता श्रमदान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सिद्ध बाबा धाम पर जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों की उपस्थिति में सामुदायिक स्वच्छता श्रमदान आयोजित किया गया।
  उपस्थित जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने श्रद्धा और सेवा भाव के साथ परिसर को स्वच्छ किया और पर्यटन स्थलों पर सिंगल यूज प्लास्टिक न प्रयोग करने की शपथ ली। वक्ताओं ने कहा कि स्वच्छता केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़ी है। गंदगी से बीमारियों का खतरा बढ़ता है, जबकि स्वच्छ वातावरण से स्वस्थ और सशक्त समाज का निर्माण संभव होता है।
   सामुदायिक श्रमदान में नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिमा यादव, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र पटवा, सरपंच सोनू सिंह, ग्राम पंचायत चनवारीडांड के सदस्य, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) लिंगराज सिदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी वैशाली सिंह और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में घोषणा की गई कि 23 सितंबर को जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल अमृतधारा में जिला स्तरीय स्वच्छता श्रमदान आयोजित किया जाएगा, जिसमें पूरे जिले के जनप्रतिनिधि और नागरिक शामिल होकर स्वच्छता संदेश को आगे बढ़ाएंगे।

रायपुर/शौर्यपथ /
  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कल 23 सितम्बर को राजधानी रायपुर और धमतरी जिले के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे। उनका यह प्रवास जहां आस्था के प्रतीक मंदिर दर्शन से आरंभ होगा, वहीं विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास के साथ जनकल्याण की नई गाथा भी लिखेगा।

राजधानी रायपुर से होगी यात्रा की शुरुआत
  मुख्यमंत्री सुबह 10:30 बजे सिविल लाइन स्थित निवास से प्रस्थान करेंगे। सबसे पहले वे काली माता मंदिर, आकाशवाणी चौक में दर्शन करेंगे। इसके बाद डोंगरगढ़ दर्शनों हेतु बसों को हरी झंडी दिखाकर श्रद्धालुओं को रवाना करेंगे।

धमतरी में ‘महती सदन’ का होगा शुभारंभ
  रायपुर से पुलिस ग्राउंड हेलीपैड से हवाई मार्ग द्वारा वे धमतरी पहुंचेंगे। 11:30 बजे ग्राम भैंसगांव (मगरलोड) के समीप करेली बड़ी में महती सदन का भव्य शुभारंभ करेंगे। इसी दौरान विशेष कार्यक्रम ‘एक मां के नाम’ में भी शामिल होंगे।

विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास
  करेली बड़ी मंडी परिसर में 12:05 बजे से 1:30 बजे तक मुख्यमंत्री शिक्षा विभाग से जुड़े अनेक कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर क्षेत्रीय जनता और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विकास की नई योजनाओं की सौगात दी जाएगी।

वापसी रायपुर में
 कार्यक्रमों के उपरांत मुख्यमंत्री 2:00 बजे हेलिपैड टिनई स्टेडियम से रायपुर लौटेंगे और 2:30 बजे मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर अपने दौरे का समापन करेंगे।

विशेष महत्व
  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह दौरा नवरात्र पर्व की पावन बेला में आस्था, संस्कृति और विकास को एक साथ जोड़ने वाला साबित होगा। मंदिर दर्शन से लेकर शिक्षा और सामाजिक कल्याण योजनाओं तक, उनका यह कार्यक्रम प्रदेशवासियों को विश्वास और प्रगति की नई दिशा प्रदान करेगा।

   शौर्यपथ लेख / भारत में स्वच्छता की चर्चा जब भी होती है, तो केवल कचरा या गंदगी की सफाई ही नहीं बल्कि शौचालयों की उपलब्धता और उनका नियमित उपयोग भी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आती है। लंबे समय तक खुले में शौच की समस्या देश की छवि और स्वास्थ्य दोनों के लिए बाधा बनी रही। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का आह्वान किया, तब इस समस्या को दूर करने की दिशा में व्यापक प्रयास शुरू हुए। घर-घर शौचालय बनने लगे, शहरों और कस्बों में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ और धीरे-धीरे समाज में यह संदेश घर करने लगा कि स्वच्छता केवल सरकार का कार्य नहीं बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए क्लीन टॉयलेट अभियान की शुरुआत हुई, जिसकी थीम है – “स्वच्छ शौचालय हमारी जिम्मेदारी।” इस अभियान का मकसद केवल शौचालय बनाना नहीं, बल्कि उन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और उपयोगी बनाए रखना है। क्योंकि यह बार-बार देखा गया कि शौचालय बन जाने के बाद भी उनका रखरखाव न होने से लोग उन्हें छोड़कर फिर खुले में शौच करने लगते थे। इसलिए इस अभियान ने ध्यान केंद्रित किया नागरिकों की सक्रिय भागीदारी, सफाई मित्रों और स्थानीय निकायों के सहयोग तथा सामुदायिक जिम्मेदारी पर।
इंदौर: स्वच्छता की राजधानी और नई पहल
देश का सबसे स्वच्छ शहर कहलाने वाला इंदौर क्लीन टॉयलेट अभियान का भी अग्रणी उदाहरण है। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर नगर निगम ने “शौचालय सुपर स्पॉट कैंपेन” आयोजित किया। इस अनोखे अभियान में नागरिकों को प्रोत्साहित किया गया कि वे सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करें और वहां पर अपनी उपस्थिति को तस्वीर के माध्यम से दर्ज करें। नतीजा यह हुआ कि शहर के सात सौ से अधिक शौचालयों पर एक लाख से ज्यादा लोगों ने जाकर सेल्फी ली और उसे ऑनलाइन अपलोड किया। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है बल्कि यह दर्शाता है कि इंदौर के नागरिक स्वच्छता को गर्व और जिम्मेदारी दोनों मानते हैं।
खास बात यह रही कि अभियान की शुरुआत के केवल तीन घंटे के भीतर ही तीस हजार से अधिक तस्वीरें अपलोड हो चुकी थीं। सुबह पांच बजे से आठ बजे तक का यह दृश्य बताता है कि नागरिक कितनी तत्परता और जागरूकता के साथ इसमें भाग ले रहे थे। इंदौर का यह प्रयोग न केवल पूरे देश के लिए प्रेरणा है बल्कि यह संदेश भी देता है कि यदि जनता प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
बिलासपुर: बबलू महतो और परिवार की मिसाल
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के अशोक नगर इलाके की कहानी बताती है कि बदलाव के लिए बड़े साधनों की नहीं बल्कि छोटे प्रयासों की आवश्यकता होती है। नगर निगम ने बबलू महतो को एक सार्वजनिक सुविधा केंद्र की देखभाल की जिम्मेदारी दी। यह स्थान पहले असामाजिक तत्वों का अड्डा माना जाता था। लोग वहां जाने से डरते थे और शौचालय लगभग बेकार पड़ा था।
लेकिन बबलू महतो ने अपने परिवार के सहयोग से इस स्थान का कायाकल्प कर दिया। उन्होंने न केवल शौचालय और स्नानघर की नियमित सफाई सुनिश्चित की बल्कि आसपास का वातावरण भी पूरी तरह बदल डाला। धीरे-धीरे यह स्थान लोगों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ सार्वजनिक स्थल बन गया। उनकी पत्नी अनीता और पूरा परिवार इस जिम्मेदारी को निभाने में बराबर का योगदान देता है। आज यह सुविधा केंद्र इलाके के लोगों के लिए वरदान बन चुका है। यह उदाहरण हमें यह सिखाता है कि यदि जिम्मेदारी का भाव हो तो कोई भी व्यक्ति समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।
कोरबा: प्रभास शाही का योगदान
कोरबा जिले के प्रभास शाही ने अपनी सतत मेहनत और सेवा से स्वच्छता अभियान को एक नया आयाम दिया। वे पिछले दस वर्षों से शहर के नए बस स्टैंड और अन्य इलाकों में बने तेईस सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल कर रहे हैं। उनकी सोच केवल सफाई तक सीमित नहीं रही। उन्होंने इन शौचालयों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया।
महिलाओं और बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर, इंसीनेरेटर और बेबी फीडिंग रूम जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। यह सब बिना किसी बड़े प्रचार-प्रसार के हुआ, लेकिन इसका असर पूरे शहर पर पड़ा। प्रभास शाही की मेहनत का ही परिणाम है कि कोरबा शहर खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हुआ और ODF++ का दर्जा प्राप्त कर सका। यह उपलब्धि बताती है कि व्यक्तिगत प्रयास भी सामूहिक सफलता में बदल सकते हैं।
स्वच्छता और गरिमा का संबंध
क्लीन टॉयलेट अभियान केवल सफाई का सवाल नहीं है, यह स्वास्थ्य और गरिमा दोनों से जुड़ा हुआ है। खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय का होना उनकी गरिमा और आत्मसम्मान का सवाल है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लंबे समय तक महिलाओं को अंधेरे में खुले में शौच करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता था बल्कि सुरक्षा की समस्या भी बनी रहती थी।
आज जब सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का जाल बिछाया गया है, तो जिम्मेदारी यह बनती है कि उनकी स्वच्छता और उपयोगिता बनी रहे। यदि वे गंदे या अनुपयोगी होंगे तो लोग फिर से पुराने तरीकों की ओर लौट सकते हैं। इसलिए क्लीन टॉयलेट अभियान का संदेश यह है कि निर्माण के साथ-साथ रखरखाव भी उतना ही जरूरी है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि इस अभियान की सफलता के बावजूद कई चुनौतियाँ सामने हैं। कई शहरों में शौचालय तो बन जाते हैं लेकिन उनका नियमित रखरखाव नहीं हो पाता। पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएँ न होने से उनका उपयोग कठिन हो जाता है। कई बार नागरिक भी लापरवाही बरतते हैं और शौचालयों को गंदा छोड़ देते हैं।
इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब नागरिक, प्रशासन और सफाई मित्र मिलकर काम करें। एक ओर स्थानीय निकाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि शौचालयों की सफाई और मरम्मत नियमित रूप से हो, वहीं नागरिकों को भी इन्हें अपनी संपत्ति मानकर संभालना होगा। जागरूकता अभियानों, जन सहभागिता और तकनीक के उपयोग से इस दिशा में और सुधार किया जा सकता है।
जनभागीदारी का महत्व
क्लीन टॉयलेट अभियान की सबसे बड़ी ताकत है जनभागीदारी। जब लोग इसमें जुड़ते हैं तो यह केवल सरकारी योजना नहीं बल्कि एक आंदोलन बन जाता है। इंदौर, बिलासपुर और कोरबा जैसे उदाहरण यही साबित करते हैं। इंदौर में नागरिकों का उत्साह, बबलू महतो और प्रभास शाही जैसे व्यक्तियों की निष्ठा और प्रशासन का सहयोग मिलकर इसे सफल बनाता है। यही कारण है कि यह अभियान अब पूरे देश में तेजी से फैल रहा है।
भविष्य की दिशा
स्वच्छता केवल आज की जरूरत नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सेहत और सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है। स्मार्ट सिटी, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास जैसे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है कि हम स्वच्छता को अपनी संस्कृति और आदत का हिस्सा बनाएं। क्लीन टॉयलेट अभियान हमें यही सिखाता है कि यदि हर नागरिक इसे अपना कर्तव्य माने तो शहर ही नहीं पूरा देश साफ और स्वस्थ हो सकता है।
यह अभियान धीरे-धीरे लोगों की सोच बदल रहा है। अब लोग शौचालयों को केवल जरूरत नहीं बल्कि अपनी गरिमा और सम्मान से जुड़ा मानने लगे हैं। यह बदलाव ही इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
क्लीन टॉयलेट अभियान हमें यह संदेश देता है कि स्वच्छ शौचालय केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। जब लोग इसे अपनी आदत बना लेंगे तो न केवल बीमारियाँ कम होंगी बल्कि समाज भी अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक बनेगा। इंदौर की जनता, बिलासपुर के बबलू महतो और कोरबा के प्रभास शाही जैसे उदाहरण हमें प्रेरित करते हैं कि अगर इच्छा और प्रतिबद्धता हो तो बदलाव लाना कठिन नहीं।
आज जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाएँ और यह साबित करें कि स्वच्छ भारत का सपना केवल एक योजना नहीं बल्कि हमारी साझा जिम्मेदारी और राष्ट्रीय संकल्प है।
लेख : पत्र सूचना कार्यालय की ओर से जारी

बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन आज से शुरू
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दंतेवाड़ा से की पंजीयन की शुरूआत
दंतेवाड़ा में विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ देने की घोषणा की

रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर संभाग में आगामी अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले बस्तर ओलंपिक के लिए आज से पंजीयन प्रारंभ हो गया। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज दंतेवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में इसकी औपचारिक शुरूआत की। बस्तर ओलंपिक के दौरान आयोजित होने वाले खेलों में भाग लेने के लिए खिलाड़ी 20 अक्टूबर तक अपना पंजीयन करा सकते हैं। बस्तर ओलंपिक का विकासखंड स्तर पर आयोजन 25 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक, जिला स्तरीय आयोजन 5 नवम्बर से 15 नवम्बर तक तथा संभाग स्तरीय आयोजन 24 नवम्बर से 30 नवम्बर तक किया जाएगा। वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री श्री केदार कश्यप और विधायक श्री चैतराम अटामी भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए।
   उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन की शुरूआत करते हुए कहा कि पिछले वर्ष आयोजित बस्तर ओलंपिक से बस्तर की दशा और दिशा बदली है। आने वाले समय में बस्तर विश्व के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा। यहां की प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी चमक बिखेरेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले बस्तर ओलंपिक में एक लाख 62 हजार खिलाड़ियों ने अपना पंजीयन कराया था। इस वर्ष दो लाख खिलाड़ियों के पंजीयन का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी बस्तर ओलंपिक की प्रशंसा की थी। इस आयोजन को पूरे देश में लोकप्रिय बनाना है। बस्तर के हर गांव के हर बच्चे और युवा की भागीदारी इसमें सुनिश्चित करना है। श्री साव ने कार्यक्रम में दंतेवाड़ा जिले में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए पांच करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
  वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि नवरात्रि के पावन अवसर पर आज बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन का शुभारंभ किया जा रहा है। बस्तर अनेक मामलों में समृद्ध है, चाहे वह खेल हो, संस्कृति हो या अन्य कोई क्षेत्र... बस्तर ने हमेशा अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। बस्तर अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के कारण विशेष महत्व रखता है, जिन्हें हमारे पूर्वज आदिकाल से निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। बस्तर ओलंपिक से इन प्रतिभाओं को पहचान और प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में बस्तर ओलंपिक में भाग लेने की अपील की।
  विधायक चैतराम अटामी और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव यशवंत कुमार ने भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया। राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती ओजस्वी मंडावी, दंतेवाड़ा जिला पंचायत के अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी, उपाध्यक्ष अरविन्द कुंजाम, दंतेवाड़ा नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती पायल गुप्ता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग की संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डीआईजी कमलोचन कश्यप, पुलिस अधीक्षक गौरव राय, जिला पंचायत के सीईओ जयंत नाहटा और डीएफओ सागर जाधव सहित अनेक जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।

नारायणपुर के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता : दो इनामी नक्सली ढेर
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों की ओर से चलाए गए सफल अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक उपलब्धि है।
  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 2 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए हैं। दोनों पर 40-40 लाख रुपये का इनाम घोषित था।  मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता केवल नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक पड़ाव ही नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, सुरक्षा और विकास की प्रक्रिया को और भी गति प्रदान करती है।
  मुख्यमंत्री ने इस अभियान में शामिल सुरक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी बहादुरी और समर्पण से ही प्रदेश आज शांति और विकास की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
  मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विज़न और माननीय केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में नक्सलवाद का अंत अब पहले से कहीं अधिक निकट और निश्चित होता दिखाई दे रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त भारत का संकल्प अवश्य साकार होगा।

   दुर्ग / शौर्यपथ /  क्वांर नवरात्र पर्व पर दुर्ग की धार्मिक नगरी ने एक बार फिर परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखा। गंजपारा स्थित श्री सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर की माता (छोटी बहन) और पुरानी गंजमंडी गंजपारा की माता (बड़ी बहन) का विगत 48 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पंडाल स्थापना से पूर्व नगर भ्रमण के दौरान एक स्थान पर ऐतिहासिक मिलन हुआ।

यह परंपरा बुजुर्गों द्वारा स्थापित मानी जाती है। मान्यता है कि जब तक दोनों बहनें एक-दूसरे को नहीं देख लेतीं, तब तक उनकी प्रतिमा को पंडाल में विराजमान करना संभव नहीं होता। समिति के सुजल ईशान मोनू शर्मा ने बताया कि कई बार ऐसा प्रमाण मिला है कि जब दोनों प्रतिमाओं का आमना-सामना नहीं होता, तब दर्जनों लोगों द्वारा प्रयास करने पर भी प्रतिमा वाहन से उतारी नहीं जा सकी। लेकिन मिलन होते ही सहजता से स्थापना संभव हुई।

ऐतिहासिक स्वागत और भक्तों की भीड़

इस वर्ष दोनों माताओं का मिलन सत्तीचौरा में हुआ। समिति द्वारा ऐतिहासिक स्वागत किया गया—फूलों एवं रंगों की वर्षा के बीच आरती उतारी गई। वातावरण में भक्ति, उल्लास और नृत्य-गान की छटा फैल गई। शहर और दूरदराज़ से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस अनूठे मिलन का प्रत्यक्ष दर्शन किया।

सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर का नवरात्र कार्यक्रम

  • 22 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक प्रतिदिन प्रातः 9 बजे भक्तों द्वारा माता जी का अभिषेक।

  • प्रतिदिन दोपहर 12 बजे 108 कन्याओं का पूजन एवं कन्या भोज

  • आकर्षक झांकियां: बरहा ज्योतिर्लिंग दर्शन और शिव वाटिका दर्श

  • 27 सितम्बर (पंचमी): 108 दीपों से महाआरती।

  • 30 सितम्बर (अष्टमी): माता जी को 56 भोग अर्पित।

  • 1 अक्टूबर (नवमी): 371 ज्योतियों के साथ ज्योत विसर्जन।

  • 2 अक्टूबर (दशमी): प्रदेश का सबसे बड़ा कन्या भोज।

  • 3 अक्टूबर: मूर्ति विसर्जन शोभायात्रा।

परंपरा का संदेश

यह मिलन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और एकता का प्रतीक है। दुर्ग की इस परंपरा ने नवरात्र पर्व को और भी विशिष्ट बना दिया है।


   दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र के गंजपारा इलाके में शनिवार को एक बड़ा हादसा टल गया। चार मंजिला जर्जर भवन को डिस्मेंटल करने का कार्य पूरी तरह नियम विरुद्ध और बिना उचित अनुमति के किया गया। मकान मालिक और ठेकेदार की लापरवाही से आसपास के बाशिंदों की जान पर बन आई। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन जिस तरह सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई, वह शहरी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
  मिली जानकारी के अनुसार, इस भवन को 2023 में पूर्व मालिक ने जर्जर घोषित कर अनुमति ली थी, लेकिन उसने भवन को न तोड़ा और बाद में बेच दिया। नए मालिक ने निगम से न तो कोई ताज़ा अनुमति ली और न ही सुरक्षा संसाधन लगाए। इसके बावजूद तोड़फोड़ का काम धड़ल्ले से जारी रहा।

सुरक्षा नियमों की खुली धज्जियां
भवन गिराने के लिए नियम स्पष्ट हैं—
निगम से अनुमति आवश्यक होती है।भवन तोड़ने से पहले आसपास की बस्तियों को नोटिस दिया जाता है।सुरक्षा घेरा (barricading), धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव और मलबा प्रबंधन अनिवार्य है।प्रशिक्षित मज़दूर और सुरक्षा उपकरण का होना ज़रूरी है।
  परंतु गंजपारा में इनमें से एक भी प्रावधान का पालन नहीं हुआ। मौके पर न कोई सुरक्षा घेरा, न धूल नियंत्रण, न ही आसपास के लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखा गया।

महापौर का सख्त रुख – FIR के निर्देश
  मामले पर महापौर अलका बाघमार ने सख्त नाराज़गी जताते हुए कहा कि ठेकेदार और भवन मालिक पर FIR दर्ज होनी चाहिए। उन्होंने कोतवाली थाना प्रभारी को कार्रवाई के निर्देश भी दिए।

पर्दे के पीछे सौदेबाज़ी की चर्चा
  शहर में चर्चा है कि लाखो रुपए खर्च कर मामला दबाने की कोशिश हुई है। यही वजह है कि FIR दर्ज होने की बजाय दूसरे दिन भी डिस्मेंटल का कार्य जारी रहा। यदि यह सच है तो यह न केवल भ्रष्टाचार बल्कि आम नागरिकों की जान के साथ खिलवाड़ है।

कटाक्ष : क्या नियम सिर्फ गरीबों के लिए हैं?
  प्रश्न यह है कि जब छोटे दुकानदार, ठेले वाले या गरीब बस्तियों के मकान पर ज़रा सी ग़लती होती है तो निगम और पुलिस तत्काल कार्रवाई में जुट जाती है। वहीं, गंजपारा जैसे बीच शहर में चार मंजिला भवन को बिना अनुमति और सुरक्षा के गिराया जाता है, तो कार्रवाई क्यों ढीली पड़ जाती है?
क्या प्रशासन धनबल के आगे झुक जाता है?
अब निगाह निगम प्रशासन प्रमुख सुमित अग्रवाल की तरफ : अपने सख्त रवैये एवं नियमो का पालन करने के लिए पहचाने जाने वाले आयुक्त की तरफ आम जनता की निगाहे है कि क्या आयुक्त सुमीत अग्रवाल बिना अनुमति के जर्जर भवन को तोड़ने के लिए वर्तमान मालिक एवं नियम विरुद्ध कार्य करने वाले ठेकेदार के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही करते है या फिर मौन रहते है वही बड़ा सवाल यह है कि क्या चंद पैसे की लालच में क्षेत्रवासी इतने बड़े जोखिम के बावजूद भी मामले को सुलझाने औए अवैधानिक कार्य करने वाले जर्जर भवन के मालिक और ठेकेदार के मामले में मौन रहेंगे ?
निष्कर्ष : गंजपारा का यह मामला सिर्फ एक भवन तोड़ने की कहानी नहीं है, बल्कि यह इस बात का आईना है कि शहर में नियमों और सुरक्षा प्रावधानों का पालन कितना खोखला है। अब देखना यह है कि महापौर के निर्देशों के बाद सचमुच FIR दर्ज होती है या फिर यह मामला भी पर्दे के पीछे सौदेबाज़ी की भेंट चढ़कर दबा दिया जाता है।

‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच और परामर्श
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में जब बस्तर के दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने की बात होती है तो सबसे पहले दुर्गम जंगलों और उफनती इंद्रावती नदी का ख्याल आता है। बरसात के मौसम में दुर्गम गाँवों तक पहुँचना बेहद जोखिमपूर्ण माना जाता है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रदेश का प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए लोगों की जान बचाने की प्राथमिकता के साथ कार्य कर रहा है।
  नक्सल प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ अब आमजन तक पहुँच रहा है। यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन का परिणाम है, जिसने बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है।
  स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया और आयुक्त-सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम में प्रदेशव्यापी “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान ने बीजापुर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की है। बीते शनिवार को स्वास्थ्य दल ने स्वयं नाव चलाकर उफनती इंद्रावती नदी पार की और अबूझमाड़ से लगे ग्राम कोंडे में शिविर लगाया। इस शिविर में कुल 132 मरीजों की जांच की गई, जिनमें मलेरिया, सर्दी-खाँसी और त्वचा रोग से पीड़ित रोगी प्रमुख रहे। विशेष रूप से 10 गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और परामर्श प्रदान किया गया। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत महिलाओं को पोषण, एनीमिया से बचाव और सुरक्षित मातृत्व संबंधी विस्तृत जानकारी भी दी गई।
   बीजापुर जिले में बीते तीन दिनों के दौरान अभियान की गति उल्लेखनीय रही है। इस अवधि में हजारों लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें उच्च रक्तचाप के 3,177 मामले सामने आए। इसके अतिरिक्त, महिलाओं में मुख, स्तन और सर्वाइकल कैंसर की 2,823 स्क्रीनिंग की गई तथा उन्हें आवश्यक परामर्श उपलब्ध कराया गया। साथ ही 314 गर्भवती महिलाओं को जांच, टीकाकरण और परामर्श का लाभ मिला। अभियान के अंतर्गत दूरस्थ अंचलों में आयोजित शिविरों के माध्यम से अब तक 1,200 से अधिक लोगों की टीबी स्क्रीनिंग और 800 से अधिक व्यक्तियों की सिकल सेल जांच भी की जा चुकी है।
  ये आँकड़े केवल संख्याएँ नहीं, बल्कि उस संकल्प का प्रमाण हैं जिसके तहत प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बीजापुर जिले के दूरस्थ और दुर्गम अंचलों में भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बाधित न हो। यही कारण है कि स्वास्थ्य कर्मी नदी, पहाड़ और जंगल पार करके महिलाओं और बच्चों तक जीवन रक्षक सेवाएँ पहुँचा रहे हैं। प्रदेश सरकार का यह प्रयास इस विचार को सशक्त करता है कि “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है।” इसी दिशा में स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतर पहुँच इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।
  बस्तर संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे ये सुधार न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को ऊँचा उठा रहे हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित कर रहे हैं कि सुशासन और समर्पित प्रयासों से सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है।

पूरे साल देशवासियों को 2.5 लाख करोड़ की बचत, त्योहार पर हर वर्ग को राहत

नई दिल्ली /एजेंसी /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार रात राष्ट्र के नाम ऐतिहासिक संबोधन में घोषणा की कि 22 सितंबर से देशभर में ‘GST बचत उत्सव’ आरंभ हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने जीएसटी ढांचे को और सरल, सुगम और नागरिक हितैषी बनाया है। इससे हर परिवार को पूरे साल करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी।”

दो GST स्लैब, सस्ता हुआ अधिकांश सामान
सरकार ने जीएसटी दरों में बड़े बदलाव करते हुए अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब—5% और 18%—रखे हैं। इससे पहले के 12% और 28% स्लैब को समाप्त कर दिया गया है। अधिकांश रोजमर्रा के सामान, जिन पर पहले 12% लगता था, अब 5% की श्रेणी में आएंगे। पुराने 28% स्लैब वाले वस्त्रों और सामानों में से 90% उत्पाद अब 18% श्रेणी में स्थानांतरित होंगे। केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद जैसे तंबाकू आदि ही अब अधिकतम 40% टैक्स स्लैब में रहेंगे।

करोड़ों परिवारों को सीधा फायदा—हर वर्ग की जेब में राहत
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी में किए गए इन सुधारों से गरीब, मध्यम वर्ग, किसान, युवा, व्यापारी, महिलाएं—हर वर्ग लाभान्वित होगा। त्योहारों के इस मौसम में खरीदारी और खर्च करना ज्यादा आसान होगा, जिससे हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी।

व्यापारी और उद्योगों के लिए खुशखबरी
कारोबारियों, छोटे उद्यमों, एमएसएमई को दोहरा लाभ—कम टैक्स और ज्यादा बिक्री—मिलने जा रही है। कई ऑटो, एफएमसीजी कंपनियों ने तुरंत कीमतें कम करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने कहा, "अब लघु उद्योगों की प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी; जिससे नौकरियां भी सृजित होंगी।"

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सबका साथ
प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकों से स्वदेशी वस्त्रों, उत्पादों और तकनीक के इस्तेमाल का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, “नागरिक देवो भवः, अपने देशवासियों की आर्थिक समृद्धि ही भारत का उत्थान है।”

निवेश, विकास और एकता का नया रास्ता
सरकार को विश्वास है कि इन जीएसटी सुधारों से भारत का आर्थिक ढांचा और सरल बनेगा, निवेश बढ़ेगा और हर राज्य को एक मंच पर बराबरी का मौका मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में त्योहार के इस शुभारंभ को ‘नये भारत’ की दिशा में ऐतिहासिक तपस्या बताया और पूरे देश को बधाई दी।

  दुर्ग / शौर्यपथ / असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक बोरकर के नेतृत्व में आज राजीव भवन दुर्ग में प्रदेश स्तरीय श्रमिक सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज का स्वागत सैकड़ों कार्यकर्ताओं की बाइक रैली के माध्यम से किया गया। कलेक्ट्रेट परिसर में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर, पंथी नृत्य व राउत नाचा के पारंपरिक स्वागत के बाद डॉ. उदित राज का राजीव भवन में भव्य अभिनंदन किया गया।
  कार्यक्रम में विशेष रूप से सभी नेताओं को संविधान की मूल प्रति भेंट कर सम्मानित किया गया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व विधायक अरुण वोरा, दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष राकेश ठाकुर, गिरीश देवांगन, सन्नी सुशील अग्रवाल सहित अनेक वरिष्ठ कांग्रेसजन उपस्थित रहे।
  अपने संबोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में गरीब मजदूरों और कामगारों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भूपेश सरकार ने मजदूरों के लिए लगभग 500 करोड़ की योजनाओं का ऐलान किया था, किंतु भाजपा की डबल इंजन सरकार ने जनता को उसका लाभ नहीं मिलने दिया।
  पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सम्मेलन में कहा कि "साय सरकार की नियत में खोट है, इसी कारण आज छत्तीसगढ़ की जनता त्रस्त है। बेरोजगारी भत्ता बंद, बिजली बिलों में वृद्धि, किसानों को खाद-बीज की समस्या और मनरेगा में अव्यवस्था — यह सब भाजपा सरकार की वादाखिलाफी को दर्शाता है।"
  इस अवसर पर पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर,पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल , मोहम्मद असलम, शिव सिंह ठाकुर, मुकेश चंद्राकर, शशि सिन्हा, आर.एन. वर्मा, प्रेमलता साहू, अल्ताफ अहमद, आदित्य नारंग, मोहित वालदे, अंकुर बोरकर, संजय कोहले, राजकुमार पाली, सुशील भारद्वाज, चैतन्य बंछोर, सतीश रजक, निकिता मिलिंद, अमृता ठाकुर, हेमा साहू सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे।

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