July 16, 2025
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धर्म संसार / शौर्यपथ / मुख्‍यत: काल भैरव और बटुक भैरव की पूजा का प्रचलन है। श्रीलिंगपुराण 52 भैरवों का जिक्र मिलता है। मुख्य रूप से आठ भैरव माने गए हैं- 1.असितांग भैरव, 2. रुद्र या रूरू भैरव, 3. चण्ड भैरव, 4. क्रोध भैरव, 5. उन्मत्त भैरव, 6. कपाली भैरव, 7. भीषण भैरव और 8. संहार भैरव। आदि शंकराचार्य ने भी 'प्रपञ्च-सार तंत्र' में अष्ट-भैरवों के नाम लिखे हैं। तंत्र शास्त्र में भी इनका उल्लेख मिलता है। इसके अलावा सप्तविंशति रहस्य में 7 भैरवों के नाम हैं। इसी ग्रंथ में दस वीर-भैरवों का उल्लेख भी मिलता है। इसी में तीन बटुक-भैरवों का उल्लेख है। रुद्रायमल तंत्र में 64 भैरवों के नामों का उल्लेख है। आओ जानते हैं भगवान उन्मत्त भैरव की संक्षिप्त जानकारी।
उन्मत्त भैरव :1. उन्मत्त भैरवनाथ का शरीर पीले रंग का है तथा वे घोड़े पर सवारी करते हैं। उनकी पत्नी वराही हैं और इन भैरव की दिशा पश्चिम है। इसका खास मंदिर तमिलनाडु के विजहिनाथर में है। यह भैरव शांत स्वभाव के हैं।
2. इनका मंत्र है ॐ भं भं श्री उन्मताये नम:। बिना माला के सवा घंटे मंत्र जाप करें।
3. इनकी पूजा, प्रार्थना या अर्चना करने से व्यक्ति के अंदर के सभी तरह के नकारात्मक विचार या भाव तिरोहित हो जाते हैं और वह सुखी एवं शांतिपूर्वक जीवन यापन करता है।
4. इनकी पूजा करने से नौकरी, प्रमोशन, धन आदि की प्राप्ति होती है और साथ ही घर परिवार में प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होता है।
5. लहसुन, प्याज आदि त्यागकर शुद्ध सात्विक रूप से इनकी आराधना करने से ये जल्दी प्रसन्न होते हैं।
6. वाराणसी से में सभी भैरव के मंदिर बने हुए हैं। उन्मत्त भैरव का मंदिर पंचक्रोशी मार्ग के देवरा गांव में स्थित है।

आस्था /शौर्यपथ / कुछ लोगों पर अचानक कोई संकट आ जाता है तो कुछ लोग सालों से संकटों का सामना कर रहे हैं। मान जाता है कि संकटों का कारण पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती और ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव होते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सभी कुछ अच्छा है लेकिन यदि आपका घर दक्षिण मुखी है तो आप जिंदगी भर परेशान रहेंगे।
यह भी माना जाता है कि उपरोक्त कारणों के कारण व्यक्ति के घर में गृह कलह, आर्थिक संकट, वैवाहिक संकट और दुख बना रहता है। इसी कारण व्यक्ति को कोर्ट कचहरी या दवाखाने के चक्कर काटते रहना पड़ते हैं या अन्य किसी प्रकार का संकट खड़ा होता है। हालांकि कुछ विद्वान यह भी कहते हैं कि सब कर्मों का लेखा जोखा है अर्थात कर्म सुधार लो तो सब कुछ सुधरने लगता है। अब हम आपके कर्म तो सुधार नहीं सकते, लेकिन यहां लाल किताब के अनुसार कुछ सावधानी और उपाय जरूर बता सकते हैं।
सावधानियां, हिदायत या उपाय :
1. किसी भी प्रकार का व्यसन और नशा न करें। करते हों तो त्याग दें।
2. ब्याज, जुए या सट्टे का कार्य करते हो तो त्याग दें।
3. मंगल, शनि, गुरु, तेरस, चौदस, अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन पवित्र बने रहें।
4. दादी, सास, मां, बहन, बेटी, पत्नी, मौसी, साली और बुआ से संबंध अच्‍छे रखें।
5. दादा, पिता, ससुर, भाई, काका, मामा, भांजे, साले, बहनोई, भतीजे और भाई से संबंध अच्‍छे रखें।
6. मांस और तामसिक भोजन को त्याग दें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
7. दान देने या लेने से पहले अपनी कुंडली किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को दिखाएं।
8. घर को वास्तु अनुसार बनाएं और उसके आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें। किस ग्रह के पेड़-पौधे लगे हैं उसकी जांच करे।
9. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करें। उपाय करने से पहले अपनी कुंडली का अच्छे से विश्लेषण कर लें।
10. सभी तरह के तांत्रिक अनुष्ठान और रात्रि के घोर कर्मों से दूर रहें। प्रतिदिन मंदिर जाते रहें।
12. बाथरूम और शौचालय अलग अलग हों और उन्हें साफ सुथरा रखें। सीढ़ियों को भी साफ सुथरा रखें।
13. झूठ ना बोलें और किसी का अहित ना करें। कथनी और करनी में समान रहें।
14. सेहतमंद बने रहने के लिए उत्तम भोजन करें और ग्रह अनुसार ही भोजन का चयन करें।
15. अंधे, दिव्यांग, विधवा, सफाइकर्मी, गरीब, अबला, कन्या आदि की मदद करते रहें।

लाइफस्टाइल / शौर्यपथ /बिजी लाइफस्टाइल के चलते आज हर व्यक्ति की सोने और जागने की दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। एक अच्छी नींद व्यक्ति के दिमाग को तरोताजा करने के लिए और शरीर के दूसरे अंगों को आराम देने के लिए बहुत जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ पर्याप्त नींद ही नहीं, बल्कि समय पर नींद लेना और सही समय पर उठना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं क्या हैं सोने और जागने के सही नियम और फायदे- नुकसान।

जल्दी उठने के फायदे-
-सुबह जल्दी उठने से अतिरिक्त ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है, जो दिन भर ऊर्जावान बनाये रखने और खुशनुमा एहसास से भरने में सहायक है।
-जल्दी उठने का एक बड़ा फायदा यह है, कि आपके पास समय काफी होता है, और दिनभर में ज्यादा से ज्यादा चीजें कर सकते हैं। आप खुरद के लिए बेहतर समय निकाल सकते हैं।
-सुबह जल्दी उठने से व्यक्ति फिट और मानसिक रूप से शांत और एकाग्र रहता है।
-सुबह जल्दी उठकर ली गई धूप हड्डी व जोड़ों के दर्द में राहत देती है।
-सुबह का वातावरण और ऑक्सीजन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं।

एक शोध में पता चला है कि जो लोग देर तक सोते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव आ जाता है। जो लोग स्वाभाविक तौर पर देर से उठते हैं, उनके मस्तिष्क में एक खास तत्व सबसे खराब स्थिति में होता है। विशेष रूप से दिमाग के उस हिस्से में, जहां से अवसाद और दुख के भाव पैदा होते हैं। इसी कारण देर से उठने वालों को अवसाद और तनाव अधिक होता है। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, जो लोग देर तक सोते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव तो आता ही है साथ ही उनके हार्मोन पर भी बुरा असर पड़ता है।

देर से सोकर उठने के नुकसान-
-देर से सोकर उठने से शरीर अपनी अनियमित दिनचर्या को झेलने के लिए तैयार नहीं होता और बहुत सी बीमारियों की चपेट में आ जाता है।
- देर से सोकर उठने से व्यक्ति कोई वर्कआउट नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से उसकी कैलोरी बर्न नहीं होती और व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है।
-वजन अनियमित रूप से बढ़ने लगता है।
-हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं।
-दिमाग में एंडोर्फिन स्रावित नहीं होने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
-धीरे-धीरे डिप्रेशन घेर लेता है।
-दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है ।
-अधिक देर तक सोने से दिमाग पर भी असर पड़ता है और याददाश्त कमजोर होने लगती है।

अच्छी नींद के फायदे-
-पाचन तंत्र सुचारू रहता है।
-शरीर का वजन संतुलित रहता है।
-तन और मन खुशमिजाज रहते हैं।
-एकाग्रता बढ़ती है।
-मन चिंतामुक्त रहता है।
-सिर दर्द से राहत मिलती है ।
-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
-शरीर का वजन संतुलित रहता है और आप तरोताजा महसूस करते हैं।

नींद से जुड़े नियम-
-रात्रि के प्रथम प्रहर में सोना सबसे अच्छा माना गया है।

-सोते समय व्यक्ति का सिर दक्षिण या पूर्व की दिशा में होना चाहिए।
-शवासन में सोएं, करवट लेना हो तो अधिकतर दाईं करवट लें। बहुत आवश्यक हो तो ही बाईं करवट लेकर सोएं।
-सोने के तीन से चार घंटे पहले भोजन कर लें।
-सोने से पहले रोजाना पांच-दस मिनट का ध्यान करने सोना चाहिए।

सुबह उठने के नियम-
-व्यक्ति को हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए। सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पूर्व का समय ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है।
-दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता।

शौर्यपथ / सोशल मीडिया प्लेटफार्म अब बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर अपने एप में नया फीचर जोड़ने जा रहा है। इसे विशेष तौर पर छोटे बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया है। इसके तहत कम उम्र के बच्चे अपना इंस्टाग्राम अकाउंट नहीं बना पाएंगे। इसके साथ ही अनजान वयस्क उपयोगकर्ताओं के बच्चों से संपर्क पर भी लगाम लग सकेगी।
इन कम उम्र के इंस्टाग्राम उपयोगकर्ताओं का पता लगाने के लिए इंस्टाग्राम कृत्रिम बुद्धिमता Üआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस्तेमाल करेगी। इसकी मदद से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं के साइनअप करते ही कंपनी को पता चल जाएगा।
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपना अकाउंट बनाते समय अपनी उम्र को लेकर अक्सर झूठ बोलते हैं, खासकर कम उम्र के बच्चे ऐसा ज्यादा करते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए हम एक कदम आगे बढ़ा रहे हैं और एक नया फीचर रोलआउट करने जा रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीक के इस्तेमाल से तैयार की जा रही इस नई तकनीक की मदद से इसे रोका जाएगा। इसके अलावा कंपनी के नये फीचर से अनजान वयस्कों को 18 साल से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को मैसेज भेजने से भी रोका जा सकेगा। नया फीचर वयस्कों को सजेस्ट यूजर्स में कम उम्र के बच्चों के अकाउंट दिखाने पर प्रतिबंध लगाने का काम करेगा।

आस्था /शौर्यपथ / कई बार किसी को नजर लग जाती है तो उसकी नजर उतारते हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि हम पर किसी ने कुछ कर दिया है तो उसके लिए सामान्य से उपाय प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। हालांकि ऐसा कुछ होता नहीं है कि कोई किसी के लिए कुछ कर देता हो। परंतु फिर भी शंका समाधान हेतु यहां कुछ उपाय बताएं जा रहे हैं, जिसे किसी ज्योतिष के जानकार से पूछकर ही करें।
1. रविवार : रविवार को बर्फी से उतारा करके बर्फी गाय को खिला दें।
2. सोमवार : सोमवार के भी बर्फी के टुकडे से उतारा करके गाय को खिला दें।
3. मंगलवार : मंगल को मोतीचूर के लड्डू से उतारा करके उसे कुत्ते खिला दें।
4. बुधवार : बुधवार को इमरती या मोतीचूर के लड्डू से उतारा करके उसे कुत्ते खिला दें।
5. गुरुवार : बृहस्पतिवार को पांच मिठाइयां एक दोने में रखकर उतारा करके उसमें धूपबत्ती और छोटी इलायची रखकर पीपल के पेड़ की जड़ में पश्चिम दिशा में रखें।
6. शुक्रवार : शुक्रवार को शाम के समय मोतीचूर के लड्डृ से ही उतारा करके उसे कुत्ते को खिला दें।
7. शनिवार : शनिवार को इमरती और मोतीचूर के लड्डू से उतार करके काले कुत्ते को खिला दें।
वैसे यदि आप हनुमान चालीसा पढ़ते हैं तो आप पर किसी भी चीज़ का असर नहीं होता है और ना ही आपको किसी भी प्रकार का उतारा करने की आवश्‍यकता है।

आस्था /शौर्यपथ /माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। आओ जानते हैं महाकाली क्या है और क्या है उनका मंत्र।
1. महाकाली: महामाया, वैष्णवी, नारसिंही, वाराही, ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, इत्यादि अष्ट-शक्तियां, भेदों से युक्त-धारा, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा इत्यादि सब नदियां महाकाली का स्वरुप हैं।

2. महाकाली की उपासना अमोघ मानी गई है। जब सब विद्याएं असफल हो जाती है तो महाकाली की उपासना की जाती है।

3. भगवती की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली जिनके काले और डरावने रूप की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। यह एकमात्र ऐसी शक्ति है जिनसे स्वयं काल भी भय खाता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है कि संपूर्ण संसार की शक्तियां मिलकर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आकर लेट गए थे।

4. मां प्रकृतिस्वरूपा हैं। बंगाल और असम में महाकाली की विशेष पूजा होती है। वास्तव में आदिशक्ति मां दुर्गा के विविध रूपों का वर्णन मार्कंडेय पुराण में वर्णित है। महासरस्वती, महाकाली और महालक्ष्मी रूपों में मां दुर्गा का विस्तार है।

5. महाकाली को दुर्गा का अवतार कहा गया है और धरती पर इनके अवतरित होने से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

6. महाकाली का साबर मंत्र :
ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई।
7. श्री काली स्तुति
काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते ।।

सेहत /शौर्यपथ / काले रंग के अंगूर स्वाद में तो मीठे होते ही हैं, सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं होते हैं। अंगूर में मौजूद ग्लूकोज, मैग्नीशियम और साइट्रिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व व्यक्ति को कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं। काले अंगूर का नियमित सेवन न सिर्फ आपके मोटापे को कम करने में बल्कि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं भी दूर करने में मदद कर सकता है। आइए जानते हैं काले अंगूर का सेवन करने के ऐसे ही कुछ अनगिनत फायदों के बारे में।
वजन घटाने में करता है मदद-
काले अंगूर का सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। मोटापा कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों तो काले अंगूर का सेवन जरूर करना चाहिए। यह खून में कोलेस्ट्रॉल निर्माण को रोककर मोटापे जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचाता है।
याददाश्त करता है बेहतर-
काले अंगूर का सेवन करने से व्यक्ति की एकाग्रता और याददाश्त भी बढ़ती है। इतना ही नहीं काले अंगूर खाने से दिमागी गतिविधियां ठीक होकर माइग्रेन जैसी बीमारी से भी निजात मिल सकती है।
डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद-
काले अंगूरों का सेवन करने से डायबिटीज को ठीक करने में भी मदद मिल सकती है। काले अंगूरों में रेसवार्टल नाम का पदार्थ मौजूद होता है जो खून में इंसुलिन का स्तर बढ़ाकर शरीर में शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में मदद करता है।
बालों के लिए सेहतमंद-
बालों से जुड़ी कोई भी समस्या है तो आप काले अंगूर का सेवन करें। इसमें पाए जाने वाला विटामिन ई बालों की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। काले अंगूर में मौजूद विटामिन ई बालों से जुड़ी परेशानियां जैसे-रूसी, बालों का गिरना या सफेद होना ठीक करता है। इसका सेवन करने से स्कैल्प को मजबूती मिलती है और बाल घने, मुलायम और मजबूत बनते हैं।
इंफेक्शन से रखें दूर-
काले अंगूर में मौजूद रेसवेरॉटल बैक्टीरिया और फंगस को मारने में मदद करता है, जो शरीर में पहुंचकर किसी भी तरह का इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं। ये पोलिया और हर्प्स जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। काले अंगूरों में वायरस से लड़ने की भी क्षमता होती है। ये फेफड़ों में नमी बढ़ा कर अस्थमा भी ठीक कर सकता है।
Disclaimer- इस आलेख में दी गई जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।

व्रत त्यौहार / शौर्यपथ / फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक होली दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस बार 22 मार्च 2021 से 28 मार्च 2021 तक होलाष्टक रहेगा। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा और इसके बाद अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी।
होलाष्टक 2021 में वर्जित कार्य : विवाह करना, वाहन खरीदना, घर खरीदना, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, कोई नया कार्य प्रारंभ करना एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
क्या करना चाहिए : होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है।इस दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है।
होलाष्टक के प्रारंभ होने वाले दिन एक स्थान पर दो डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें से एक डंडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डंडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद इन डंडों को गंगाजल से शुद्ध करके के बाद इन डंडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है और अंत में होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है।
होलाष्टक की पौराणिक कथा
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक होली दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। इस बार 22 मार्च 2021 से 28 मार्च 2021 तक होलाष्टक रहेगा। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा और इसके बाद अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी। आओ जानते हैं होलाष्‍टक की पौराणिक कथा।
होलाष्टक के संबंध में 2 कथाएं प्रचलित है। पहली कथा भक्त प्रहलाद से जुड़ी है और दूसरी कथा कामदेव से।

1. पहली कथा के अनुसार भक्त प्रहलाद को उसके पिता ने हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की भक्ति को भंग करने और उनका ध्यान अपनी और करने के लिए लगातार 8 दिनों तक उन्हें तमाम तरह की यातनाएं और कष्ट दिए थे। इसलिए कहा जाता है कि, होलाष्टक के इन 8 दिनों में किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। यह 8 दिन वहीं होलाष्टक के दिन है। होलिका दहन के बाद ही जब प्रहलाद जीवित बच जाता है तो उसकी जान बच जाने की खुशी में ही दूसरे दिन रंगों की होली मनाई जाती है।
2. दूसरी कथा के अनुसार देवताओं के कहने पर शिवजी की तपस्या भंग करने के कारण जब कामदेव को शिवजी अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर देते हैं तब कामदेव की पत्नि शिवजी से उन्हें पुनर्जीवित करने की प्रार्थना करती है। रति की भक्ति को देखकर शिवजी इस दिन कामदेव को दूसरा जन्म में उन्हें फिर से रति मिलन का वचन दे देते हैं। कामदेव बाद में श्रीकृष्ण के यहां प्रद्युम्न रूप में जन्म लेते हैं।

सेहत /शौर्यपथ / अक्सर हम ऑफिस का काम करने और अपने टारगेट को पूरा करने के लिए घंटों तक एक ही जगह पर सिस्टम के सामने बैठे रह जाते हैं। पर काम को पूरा करने के चक्कर में हम अपने शरीर का ध्यान रखना भूल जाते हैं। एक जगह पर लागातार घंटों तक एक ही पोजिशन में बैठने के कारण हमारे वजन में बढ़ने के साथ-साथ हम कई तरह के बिमारियों ले भी घिर जाते हैं।
एक जगह बैठ कर काम करने से शरीर का वजन बढ़ सकता है। इसलिए, नियमित अंतराल पर बॉडी पॉश्चर बदलते रहें। शारीरिक क्रियाकलाप जरूर करें। इससे रक्त संचार तेज होगा और अधिक मात्रा में शरीर से हानिकारक पदार्थ फिल्टर होकर पसीना और मूत्र मार्ग से बाहर निकलेंगे। इस मौसम में पर्याप्त गर्म कपड़ा पहन कर घर से निकलें। सुबह में धूप निकलने के बाद 20-30 मिनट योग और प्राणायाम करें। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज ठंड में विशेष सावधानी बरतें।
शरीर की ताकत के अनुसार व्यायाम करें। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। ब्लड सर्कुलेशन सही रहने से हार्ट ब्लॉकेज का जोखिम कम होता है। व्यायाम करने के बाद शरीर को धीरे-धीरे मलें। इससे कार्य करने की क्षमता, स्थिरता और पाचन शक्ति बढ़ती है। वात व पित्त रोगी, अधिक बीमार, छोटे बालक, ज्यादा वृद्ध, भूखे और प्यासे व्यक्ति व्यायाम न करें। यदि आप थके हों, तो व्यायाम से परहेज करें। इससे वात और पित्त में वृद्धि होती है।
भोजन साधारण, संतुलित मात्रा में और उचित समय पर करें। भोजन की मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की पाचन शक्ति पर निर्भर करती है। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे- चावल, जौ का दलिया, खिचड़ी आदि पचने में हल्के माने जाते हैं। इन हल्के पदार्थों में वात और अग्नि तत्व की अधिकता होती है। अतः ये पदार्थ भूख को बढ़ाते हैं, जिससे पाचन क्रिया सुचारु रहती है। भोजन करते वक्त वार्तालाप करना, चलते हुए भोजन करना आयुर्वेद के अनुसार निषिद्ध माना गया है। भोजन करते वक्त मन शांत एवं शरीर स्थिर हो।

सेहत / शौर्यपथ / कोरोना काल में खुद को फिट रखने के लिए अधिकतर लोग साइकिल चलाना पसंद कर रहे है और फिटनेस के लिए इसे अपनी रूटीन में शामिल कर रहे है। वैसे भी फिट और एक्टिव रहने के लिए साइकिल चलाना बेस्ट माना जाता है। यदि नियमित रूप से साइकिल चलाई जाएं तो इससे बॉडी की पूरी एक्सरसाइज होती है। और टोन्ड और परफेक्ट फिगर पा सकते है। लेकिन साइकिल चलाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। वरना सेहत से जुड़ी अन्य समस्या हो सकती हैं।
कुछ लोगों की आदत होती है, कि वे बार-बार पानी पीते है, ये बिलकुल अच्छी बात है लेकिन साइकिल चलाते समय अधिक मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि साइकिल चलाते वक्त अधिक मात्रा में पानी पीया जाएं तो इससे मतली की समस्या होने लगती है। वहीं ज्यादा पानी पीने से बार-बार पेशाब आएगी। जिससे पेट में दर्द भी हो सकता है।
इसलिए साइकिल चलाते वक्त पानी न पीएं।
साइकिल चलाना फिट रहने के लिए एक बेस्ट विकल्प है। इसलिए साइकिल चलाते वक्त फास्ट फूड या फिर जंक फूड से दूरी रखना ही बेहतर होता है, क्योंकि अनहेल्दी खाने से शरीर में फेट बढ़ता है। इससे आप सुस्त महसूस करेंगे।
साइकिल चलाने से पहले स्ट्रेचिंग न करें। वैसे आमतौर पर वर्कआउट से पहले स्टेचिंग की सलाह दी जाती है। लेकिन साइकिल चलाने से पहले स्ट्रेचिंग न करें। इससे मांसपेशियां कमजोर हो सकती है और उनमें खिंचाव आ सकता है। यदि आप स्टेचिंग करना चाहते है तो कम से कम
आधे घंटे पहले करें।
कई बार ऐसा होता है कि हम साइकिल राइड को मजेदार बनाने के लिए स्टंट करना शुरू कर देते हैं। इससे एक्सीडेंट होने की संभावना अधिक रहती है।

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