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दुर्ग / शौर्यपथ / स्व. मोतीलाल जी वोरा वो एक नाम ही नहीं एक ऐसी शख्सियत है जिनको किसी पहचान की ज़रूरत नहीं आजीवन अविवादित रहे स्व. मोतीलाल जी वोरा के समाधी स्थल निर्माण में जिस तरह शासन के नियमो की अनदेखी हो रही उससे दुर्ग शहर की जनता में चर्चा का विषय है , खुल कर तो कोई नहीं कह रहा किन्तु अधिकाश लोगो का मत है कि जिस तरह निगम की शहरी सरकार के मुखिया और पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियो द्वारा चुप चाप निर्माण कराया जा रहा है परदे के पीछे उससे जनता को ये तो अहसास हो गया कि शहरी सरकार सिर्फ अपने स्व हित का विचार कर रही .
स्व. मोतीलाल जी वोरा अपने जीवन काल में किसी के मोहताज़ नहीं रहे किसी विवाद से उनका नाता नहीं रहा वही स्थिति वर्तमान समय में दुर्ग विधायक और मोतीलाल जी वोरा के पुत्र अरुण वोरा के साथ है . भरे पुरे धनाड्य परिवार से है और अपने बाबूजी के चहेते ऐसे में निगम प्रशासन के अधिकारियों और चाटुकारों द्वारा यु समाधी स्थल निर्माण जिसकी अनुमति न तो शासन से मिली और ना ही निगम से कोई मद प्राप्त हुआ बिना अनुमति के निर्माणाधीन कार्य से शहर विधायक की छवि भी पुरे शहर में धूमिल हो रही है और आम जनता इसे सत्ता की ताकत का खेल समझ रही है . वही निगम के जिम्मेदार इंजिनियर चापलूसी की पराकाष्ठ को पार करते हुए अपने हित के लिए विधायक को खुश करने में लगे है किन्तु इन सबका असर ये हो रहा है कि प्रदेश ही नहीं देश की राजनीती में एक निर्मल छवि के रूप में पहचान बनाने वाले दुर्ग के सबसे सम्मानित नेता स्व. मोतीलाल जी वोरा का नाम अनचाहे रूप से सामने आ रहा है शायद ये स्वयं उनके पुत्रो अरविन्द वोरा , अरुण वोरा और उनके पोतो तथा दुर्ग के कम समय में सबसे ज्यादा प्रसिद्धि पाने वाले संदीप वोरा और सुमित वोरा को भी ये अच्छा नहीं लगेगा कि उनके परिवार के आदरणीय की समाधी स्थल बिना अनुमति के दान की जमीन पर बने .
अज कोई गरीब या आम जनता नाली के उपर एक फीट भी निर्माण कर लेती है या फिर बिना अनुमति भवन ( खुद की जमीन पर ) बनाने का कार्य शुरू कर देती है , या एक दो घंटे के लिए सडक के किनारे कोई प्रदर्शनी लगा लेती है तब नेता , जनप्रतिनिधि ज्ञान देना शुरू कर देते है , अधिकारी पुरे लाव लश्कर सहित तोड़फोड़ के लिए पहुँच जाते है किन्तु यहाँ मुक्तिधाम में निर्माणाधीन समाधि स्थल में निगम का टेंकर पानी सप्लाई कर रहा है निगम के इंजिनियर देख रेख कर रहे और एक ठेकेदार बिना किसी अनुमति के शासकीय भूमि वो भी मुक्तिधान की जहा लोग जाने के लिए मरते है ऐसी जगह पर निर्माण कार्य कर रहा है और शहर के विधायक मौन है , महापौर बाकलीवाल मौन है , पीडब्ल्यूडी प्रभारी मौन है , जिला प्रशासन मौन है आखिर क्या सत्ता की ताकत के आगे सब नत मस्तक है और नियम कानून सिर्फ आम जनता के लिए है क्या यही विचार को लेकर शहर के विधायक जगह जगह हमर दुर्ग लिखवा रहे है क्या दुर्ग शहर पर आम जनता का अधिकार नहीं है क्या हर जनप्रतिनिधि अपने सत्ता के ताकत से आम जनता के लिए बने स्थानों पर कब्ज़ा करते रहेगा भविष्य में क्योकि आज तो शुरुवात है , सत्ता बदलती है सत्ता का केंद्र बिंदु बदलता है और परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है . क्या जिला प्रशासन ऐसे अवैध निर्माण पर जिम्मेदार ठेकेदार के उपर कार्यवाही करेगा ? अगर नहीं कर सकता तो समाधी स्थल को विधिवत मान्यता देने का कार्य करे ताकि दुर्ग की शान कहे जाने वाले राजनीती के भीष्म पितामह स्व. मोतीलाल जी वोरा के नाम पर कोई दाग ना लगे ....
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