August 06, 2025
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गोड़ वंश की देवी महामाया मन्दिर आस्था का बड़ा केंद्र, दर्शन से होती ही मनोकामनाओ की पूर्ति

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नवागढ़ / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ पर्यटन के मानचित्र पर एक प्रमुख नाम नवागढ़ स्थित माँ महामाया शारदा मन्दिर का है।जिससे नवागढ़ सहित क्षेत्रभर की आस्थाएँ जुड़ी हुई है। प्राचीन काल में गोड राजा नरवर साय द्वारा स्थापित माँ महामाया का मंदिर धीरे-धीरे तीर्थ का रूप ले रहा है।शारदीय एवं चैत्र नवरात्र में हजारों की संख्या में लोग दर्शन को जुटते है।माँ महामाया मन्दिर में परंपरा अनुसार प्रथम व प्रमुख ज्योत नगर के जमीदार परिवार के द्वारा जलाया जाता है। इस बार भी विकास धर दीवान ने आचार्य श्रीकांत शर्मा के मंत्रोचार द्वारा विधि विधान पूर्वक पूजन कर जलाया। ज्योति प्रज्ज्वलन के समय श्याम बिहारी श्रीवास्तव, जितेंद्र नाथ योगी, रामनाथ योगी सहित श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।
  जानकारों के अनुसार माँ महामाया मन्दिर की स्थापना नवागढ़ गोड वंश के राजा नरवरसाय ने किया था,जिनके नाम पर पूर्व में नवागढ़ को नरवरगढ़ के रूप में जाना जाता था। इतिहास के जानकार बताते है कि राजा नरवर साय शक्ति के उपासक थे, उन्होंने अपने किले के भीतर मां महामार्इ की मूर्ति स्थापित कर एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया था, जो आज उनके धार्मिक आस्था के रूप में हमारे ग्राम का मुख्य शक्ति आराधना केन्द्र है ।
शारदा मन्दिर का निर्माण भी ऐतिहासिक घटना
  सऩ 1973-74 में यहाँ एक विशाल टिला (टापू) था । शारदीय नवरात्रि का समय था,कि एक भक्त विष्णु प्रसाद मिश्रा के अंदर मां शारदा की शक्ति आती थी। तब दिनांक क्वार सुदी एकादशी,तारीख 13 जनवरी 1973 को वे अभी जहाँ माँ शारदा की मूर्ति विराजमान है, वहाँ  पर बैठ गए। तब ग्रामवासी सलाह मशविरा कर  चंदा वसूली कर रुपए इकट्ठा करके आपसी सहयोग से मंदिर का निर्माण किये। आज मां शारदा का मंदिर आस्था और उपासना का केन्द्र है । दोनों पर्वो में भक्तों द्वारा ज्योति प्रज्वलित की जाती है ।
 ऐसा कहा जाता है जिस स्थान पर मां शारदा का मंदिर बना है, मूर्ति विराजमान है वहां लगभग समान्य धरातल से 200 फीट का उंचा टीला था, वह टीला राजा नरवरसाय का मार्ग दर्शक था ।उस टीले के उपर कहा जाता है 200 फीट उची सीढ़ीनुमा एक चबुतरा था । विशेष परिस्थितियों में उस चबुतरे में चढ़कर राजा चारों दिशाओं में 15 मील की दूरी तक के देख सकते थे । जहां राजा के विशेष सैनिक बैठ कर पहरा देते हुए रक्षा करते थें इस प्रकार से उक्त टीला किले की रक्षा के लिए बना हुआ था।
पर्यटन विभाग से हुआ काम
  महामाया एवं शारदा मन्दिर परिसर को नवागढ़ मंदिर पर्यटन समिति के अध्यक्ष विकास धर दीवान ने लगातार प्रयास करके इस प्राचीन मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित कराया गया। जिसके पश्चात मंदिर को भव्यता देने के लिए 3 करोड़ की लागत से मन्दिर का नया स्वरूप मिला है।वर्तमान में नए विशाल डोम, गार्डन, तालाब सौंदर्यीकरण इसकी सुंदरता को बड़ा रहे है।
चैत्र नवरात्र महोत्सव व महाआरती का आयोजन प्रमुख
  उक्त पर्यटन स्थल की देखभाल के बीड़ा श्री शमी गणेश महामाया शारदा पर्यटन समिति ने उठाया है। समिति के तत्वावधान में प्रतिवर्ष तीन दिवसीय चैत्र नवरात्र महोत्सव का आयोजन होता है। वही पिछले वर्ष पर्यटन समिति अध्यक्ष विकास दीवान के नेतृत्व में शारदीय नवरात्र में अष्टमी को मन्दिर के सामने मानाबंद तालाब में महाआरतीव गंगाआरती  को देखने पूरे प्रदेश से लोग जुटते है।
 महिषासुर वध को देखने हजारो की संख्या आते है लोग
महामाया मन्दिर के सामने मनाबन तालाब के किनारे पुराने समय से प्रत्येक वर्ष महिषासुर वध का कार्यक्रम होता है।जहाँ माँ काली की झांकी निकलती है जो महामाया मन्दिर होते हुए मानाबन तालाब के किनारे काली मां औऱ महिषासुर के बीच द्वंद यद्ध होता है।जिसे देखने तालाब के चारो कई हजार से भी ज्यादा संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहते है।

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