
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
सुकमा। शौर्यपथ ।
छिंदगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत पुसपाल की 13 वर्षीय छात्रा नीतू बघेल ने स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेकर क्षय रोग के पल्मोनरी व एक्सट्रा पल्मोनरी (लिम्फनोड) बीमारी को मात देकर नर्स बनने का सपना को पुरा करने की उम्मीद में जुट गई है। स्वस्थ होने के बाद नीतू के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान और सपनों को पूरा करने के लिए आंखों में स्कूल जाने की आतुरता भी दिखीं। इस वर्ष नीतू ने 12वीं कक्षा में विज्ञान संकाय से परीक्षा दी है। भाई फूलचंद ने नीतू के बीमार अवस्था में मदद करके टीबी के जंजीर से मुक्त कराया। निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ लेकर रोग से मुक्त हुई नीतू ने खुशी जाहिर करते हुए शासन प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
शासन प्रशासन द्वारा किये जा रहे सतत प्रयास और जागरूकता के विकास का परिणाम है कि आमजन बीमारियों के प्रति जागरूक होकर पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार विस्तार करके राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को योजनाओं का लाभ प्रदान करने सहित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार कटिबद्ध है।
नीतू बघेल के भैया फूलचंद ने बताया कि नीतू बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार है, तीन भाई और दो बहनों में नीतू सबसे छोटी है। टीबी रोग से पिताजी के देहांत के 3-4 साल बाद नीतू को चेचक, खुजली, खांसी की बीमारी होने लगी, उस समय वह 13 वर्ष की थी, इस बीमारी से निजात पाने के लिए उन्होंने घरेलू नुस्खे, देशी दवाई, सिराह गुनिया का भी सहारा लिया। बीमारी के बढ़ते संक्रमण से नीतू के शारीरिक वजन में कमी, कमजोरी सहित कई स्वास्थ्यगत परेशानियों होने लगी। कृषक व्यवसाय से संबंध रखने वाले फूलचंद ने आर्थिक परेशानियों को दरकिनार करके 8वीं कक्षा में अध्ययनरत नीतू के पढ़ाई के प्रति जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति को देखकर पुसपाल स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक के परामर्श पर जिला अस्पताल में इलाज करवाने लाये। जहां नीतू को टीबी के पल्मोनरी एक्सट्रा पल्मोनरी(लिम्फनोड) बीमारी की पहचान हुई। जिला टीबी व एचआईवी समन्वयक श्री जयनारायण सिंह ने नीतू को दवा प्रदान कर 8 महीने तक नियमित सेवन करने की सलाह दी गई। साथ ही रोग से उभरने के लिए प्रति माह फूड बॉकेट भी प्रदान की गई।
फेफड़ों की टीबी में खांसी, बुखार, बलगम से खून आना, वजन में अचानक कमी होना सामान्य लक्षण है। बीमारी के दूसरे प्रकार में लिम्फनोड टीबी आती हैं जिसमें मरीज के पेट, गले या फेफड़े में गांठ पड़ जाती है। लिम्फनोड टीबी में बुखार, वजन कम होना और भूख कम लगना जैसे के लक्षण नजर आते हैं। इसमें सामान्य तौर पर खांसी या बलगम की शिकायत नहीं होती है, जिससे टीबी का आसानी से पता नहीं चलता। इसमें मरीज को 6 या 12 महीने का ट्रीटमेंट दिया जाता है। जो मरीज ट्रीटमेंट अधूरा या छोड़ छोड़ कर इलाज लेने से यह एमडीआर टीबी का होने खतरा होता है जिसका इलाज लम्बा और कठिन होता है। खानपान में विशेष ध्यान देना टीबी के ट्रीटमेंट का अहम हिस्सा है। लिम्फनोड टीबी मामले में कई बार गांठ के आकार बड़े होकर फट जाते है। लिम्फनोड ट्यूबरक्लोसिस में एफ एन ए सी से ही सटीक जांच की जा सकती है। कुछ मामलों में उपचार के लिए सर्जरी की सहायता लेनी पड़ती है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.