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रायपुर / शौर्यपथ /
मुख्यमंत्री साय ने आज चंद्रग्रहण से पूर्व परंपरानुसार अपने निवास परिसर में गौमाता को रोटी और गुड़ खिलाकर प्रदेश की सुख-समृद्धि, शांति और जनकल्याण की मंगलकामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय परंपरा में गौ-सेवा का विशेष महत्व है। गाय को गुड़ खिलाने से ग्रहण के अनिष्ट प्रभाव कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गौ-सेवा से आत्मिक संतोष
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा—
"गौ-सेवा से मुझे आत्मिक संतोष और नई ऊर्जा का अनुभव होता है। यह सेवा न केवल हमारी संस्कृति की पहचान है, बल्कि जनमानस में शांति और सौहार्द का संदेश भी देती है।"
उन्होंने आगे कहा कि गौ-सेवा करने से व्यक्ति के जीवन में सच्ची शांति, संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।
परंपरा और विश्वास का संगम
चंद्रग्रहण जैसे खगोलीय अवसरों पर रोटी और गुड़ अर्पित करने की परंपरा लोकआस्था और विश्वास से जुड़ी है। मुख्यमंत्री ने इस परंपरा का निर्वहन करते हुए प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामनाएं कीं और समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में सबके सहयोग का आह्वान किया।
विशेष विश्लेषण : गौ-सेवा और चंद्रग्रहण परंपरा
संस्कृति और आस्था का दृष्टिकोण
भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्थान प्राप्त है। धार्मिक मान्यता है कि चंद्रग्रहण या सूर्यग्रहण के समय गौमाता को रोटी और गुड़ खिलाने से ग्रहण के अनिष्ट प्रभाव कम होते हैं। यह परंपरा पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति से जुड़ी मानी जाती है।
विज्ञान और स्वास्थ्य का दृष्टिकोण
गुड़ को पचाना आसान होता है और यह प्राकृतिक शुगर व आयरन का स्रोत है, जो पशुओं और मनुष्यों दोनों के लिए लाभकारी है। ग्रहण काल में पारंपरिक रूप से उपवास और सात्विक आहार की परंपरा रही है। इसका वैज्ञानिक कारण यह माना जाता है कि ग्रहण के समय वातावरण में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि तेज हो जाती है, जिससे भारी या दूषित भोजन से परहेज किया जाता है। गौ-सेवा से मनुष्य में करुणा, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है, जो मानसिक संतुलन और सामाजिक सद्भाव को प्रोत्साहित करती है।
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