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जांजगीर-चांपा / शौर्यपथ / जगदीश प्रसाद खरे के जीवन में यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं कि ‘‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख होने से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है’’। यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में काम करने वाले दिव्यांग जगदीश खरे अपनी जिंदगी को बेहतर जीना का तरीका सीख चुके हैं और दूसरों को भी सिखा रहे हैं। वे पिछले कई सालों से अपने ग्राम पंचायत साजापाली के विकास में योगदान दे रहे हैं। यही कारण है कि वे दिव्यांग होने के बाद भी किसी पर निर्भर नहीं है बल्कि मनरेगा में काम करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण बेहतर तरीके से कर रहे हैं।
श्री जगदीश प्रसाद खरे जांजगीर-चांपा जिले की जनपद पंचायत अकलतरा के ग्राम पंचायत साजापाली के रहने वाले हैं। बकौल श्री जगदीश बताते हैं कि जब वे बहुत छोटे थे तो उनके एक पैर में पोलियो हो गया, परिवार के सामने यह बड़ी समस्या आ गई कि भविष्य में उनकी जिंदगी का गुजारा कैसे होगा। मगर जगदीश की सोच तो कुछ अलग ही थी, वे कहते हैं कि उन्होंने इस कमी को कभी किसी के सामने प्रदर्शित नहीं होने दिया बल्कि अपनी इस कमी को शक्ति बनाकर आगे बढ़ने का प्रयास किया। इसी दौरान पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा में दिव्यांगों के लिए भी काम मिलता है तो बस फिर आवेदन देकर जॉब कार्ड बनवाया। जॉब कार्ड बनने के बाद लगातार मनरेगा में काम किया तो आत्मविश्वास बढ़ गया। जगदीश की पत्नी श्रीमती बीरस बाई खरे भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर मनरेगा में काम करती हैं और चार बच्चों के साथ अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उनका कहना है कि मनरेगा से गांवों में विकास के साथ लोगों को रोजगार भी मिल रहा है, जिससे गांवों में खुशहाली आ रही है। कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी के बीच मनरेगा ही था जिसने ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराया।
मनरेगा से गांव के विकास में दिया योगदान
महात्मा गांधी नरेगा में दिव्यांग श्री जगदीश योजना प्रारंभ से ही सतत रूप से काम कर रहे हैं। ग्राम रोजगार सहायक सुश्री मंजुला खूंटे ने बताया कि श्री जगदीश योजना प्रारंभ से मनरेगा के सामुदायिक, हितग्राही मूलक कार्यों में काम किए हैं, और उनका दिव्यांग हरा वाला विशेष जॉब कार्ड बनाया गया है। वर्ष 2018-19 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत अपने मकान को बनाने का जिम्मा उठाया। जिसमें मनरेगा से 90 दिवस का रोजगार उनके परिवार को प्राप्त हुआ। इसी तरह वर्ष 2019-20 में तेंदुवाही तालाब गहरीकरण एवं पचरी निर्माण, नया कुकरबूढ़ा तालाब गहरीकरण में काम करते हुए दिव्यांग जगदीश एवं उनकी पत्नी ने 64 दिन का रोजगार प्राप्त किया। वहीं वर्ष 2020-21 में वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान उन्होंने बंजरिया तालाब गहरीकरण एवं पचरी निर्माण, धनुहार पारा से श्मशान घाट की ओर मिट्टी सड़क में काम करते हुए 70 दिवस का रोजगार प्राप्त किया।
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