
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
57 लाख रूपये जमा नही करने पर लिया गया यह निर्णय, कुर्की के लिए दल का किया गठन
भिलाई / शौर्यपथ / बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल, डॉ एमके खंडूजा बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल जूनवानी भिलाई पर बकाया राशि की वसूली की कार्यवाही कुर्की के माध्यम से किया जाएगा, इसके लिए भवन/भूमि के स्वामी से संपर्क कर राशि की वसूली हेतु 1 दिन पूर्व अवगत करा दिया जाएगा! यदि फिर भी राशि जमा नहीं की जाती है तो बकाया राशि की वसूली कुर्की के माध्यम से की जाएगी जिसके लिए 30 जून 2020 का दिन कुर्की के लिए नियत किया गया है!
गौरतलब है कि बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल एमके खंडूजा को वर्ष 2014-15 से 2018-2019 तक की बकाया राशि रुपये 5770252.00 के लिए 20 जून 2019 एवं 30 नवंबर 2019 को छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 173 एवं 174 के अंतर्गत समय सीमा में बकाया राशि जमा करने नोटिस दिया गया था! पूर्ण विवरण के अनुसार नगर पालिक निगम, 1956 की धारा 174 के अंतर्गत दिए गए नोटिस के अनुसार संपत्ति कर वर्ष 2014-15 से 2018-19 की राशि 4371119, शिक्षाकर वर्ष 2014-15 से 2018-19 की राशि 437112, समेकितकर वर्ष 2014-15 से 2018-19 की राशि 3000, अधिभार वर्ष 2014-15 से 2018-19 की राशि 866021, शास्ति अधिरोपित 3000 तथा ठोस अपशिष्ट उपयोगकर्ता शुल्क 90000 कुल योग 5770252 की राशि को जमा करने के लिए बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल एमके खंडूजा अपोलो हॉस्पिटल जूनवानी भिलाई को नोटिस दिया गया था!
श्री रघुवंशी द्वारा कुर्की दल में जोन आयुक्त सुनील अग्रहरी जोन क्रमांक 1, सहायक अभियंता सुनील दुबे जोन 1, पीसी सार्वा जनसंपर्क अधिकारी, अरविंद शर्मा उप अभियंता, विनोद चंद्राकर सहायक राजस्व अधिकारी, सुनील नेमाडे सर्वेयर, सत्यनारायण कौशिक राजस्व निरीक्षक, ईमान सिंह कन्नौजे, रामेश्वर चंद्राकर एवं संतोष जोशी को सम्मिलित किया गया है! गठित दल के अधिकारी 30 जून मंगलवार को जोन क्रमांक 1 के कार्यालय मे 10:30 बजे उपस्थित होकर कुर्की/वसूली की कार्यवाही के लिए निकलेंगे! जोन 1 के अधिकारी कुर्की की कार्यवाही के दौरान पर्याप्त मात्रा में सुपुर्दगीनामा पत्रक, कुर्क पत्रक एवं सील मोहर, स्टेशनरी सामग्री साथ में रखेंगे! कुर्की के कार्यवाही के दौरान स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड ब्रांच भिलाई के कर्मचारी भी उपस्थित रहेंगे! बता दें कि कुछ राशि ही बीएसआर अपोलो अस्पताल जुनवानी के द्वारा जमा की गई है और शेष राशि के लिए समय मांगा गया था जिसकी मियाद समाप्त होने के बाद निगम के राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा कई दफा राशि जमा करने के लिए संपर्क किया गया ! अभी भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा पूर्ण राशि जमा नहीं की गई है जिस पर सख्त कदम उठाते हुए कुर्की का दिन नियत करते हुए दल का गठन आयुक्त श्री रघुवंशी द्वारा किया गया है!
दुर्ग / शौर्यपथ / बॉलीवुड एक्टर बिहारी ब्वाय सुशांत सिंह राजपूत द्वारा आत्महत्या कर लने से उनके फैन्स को बहुत बड़ा झटका लगा है। एक्टर सुशांत द्वारा इस प्रकार का कदम उठाने के बाद बालीवुड के कई नामचीन लोगों के निशाने पर आ गये है। और उनके द्वारा आत्महत्या नही कर कर साजिश के तहत हत्या करना करार दे रहे है और बॉलीवुड में कुछ नामचीन फिल्मकारों द्वारा नये एक्टरों और अच्छे प्रतिभावान कलाकारों को प्रताडि़त करने की बात कहा जा रहा है। बॉलीवुड में चल रहे इस प्रकार के गेम के कारण उद्धेलित फिल्म डायरेक्टर संजीव त्रिगुणायत और निर्माता रजनीश कश्यप
सुशांत पर एक बॉयोपिक हैंग मिस्ट्री फिल्म बनाने जा रहे है। सुशांत की मौत के रहस्यों से पर्दा उठाएगी। इसके लिए निर्माता रजनीश कश्यप और निर्देशक संजीव त्रिगुणायत ने सुशांत सिंह का रोल करने के लिए कम समय में फिल्मी लाईन में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले हिरो मंजीत सिंह को अनुबंधित किया है।
उल्लेखनीय है कि मंजीत सिंह ने अपना फिल्मी कैरियर 2014 में एल्बम के माध्यम से शुरू किये थे। और एक फिल्म भी उन्होंने स्वंय बनाया उसके बाद 2015 में मंजीत सिंह ने भोजपूरी फिल्म
दिल ले गईल ललकी ओढनिया वाली और हिन्दी फिल्म गरीबी में सेकंड लीड करने के अलावा वे अब तक एक दर्जन हिन्दी, भोजपूरी और पंजाबी फिल्मों में अभिनय कर चुके है। इसके अलावा मंजीत पांच टीवी सीरीयल सहित इस वेब सीरीज के दौर मेंं पांच वेबसीरीज के अलावा करीब तीन सौ एल्बमों कें बतौर हिरो अभिनय कर अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके है।
मंजीत सिंह का कहना है कि सुशांत सिंह के आत्महत्या करने के कारण बॉलीवुड के एक बहुत बड़े तबका के साथ ही मैं भी नाराज हूं लेकिन थोड़ा खुश भी हूं कि सुशांत सिंह का किरदार फिल्म हैंग मिस्ट्री में करने के लिए मुझे चुना गया है। यह फि़ल्म सुशांत सिंह राजपूत की मौत के अनछुए रहस्यों से पर्दा हटाएगी। मैं इस फि़ल्म में सुशांत सिंह का किरदार निभा रहा हूँ।
हिन्दी फिल्म हैंग मिस्ट्री में सुशांत सिंह का रोल करने वाले मंजीत सिंह ने बताया कि मुझको सुशांत सिंह के आकस्मिक जाने का दु:ख है। इसके लिए मैंने किसी भी तरह के अपवाद की परवाह किये बग़ैर इस फि़ल्म को करना स्वीकार किया। हालांकि कई लोगों द्वारा उन्हें यह फिल्म करने से रोका जा रहा है, उसके बावजूद भी मैं इसमें मुख्य भूमिका निभाने के लिए तैयार हूं। मंजीत सिंह ने कहा कि फिर आयेगा छिछोरा और लोगों के बीच छा जायेगा। इसके लिए वे फिल्म के डायेक्टर संजीव त्रिगुणायत और गॉड गिफ्ट जैसे फिल्म सहित इस फिल्म के निर्माता रजनीश कश्यप का दिल से आभारी हूं। अभी में मैं सुशांत सिंह का रोल करने के लिए अपनी तैयारी पुरी कर दिया हंू ताकि मैं उनके किरदार के साथ न्याय कर सकूं।
मोदी सरकार पहले कोरोना रोकने में असफल अब कोरोना नियंत्रित करने डीजल पेट्रोल पर जनता से जबरदस्ती पैसा वसूल रही है
पहले महंगाई डायन थी अब भाजपा गठबंधन सरकार में पार्टनर है
डीजल पेट्रोल पर जबर्दस्ती दीनदयाल टैक्स ले रही है मोदी सरकार
पेट्रोल डीजल की दामों में बढोत्तरी और बढ़ती महंगाई भाजपा प्रायोजित-कांग्रेस
किसान सम्मान निधि और जनधन खाता में 5सौ रुपया जमा कराकर घर घर से 1हजार महीना वसूले रही है मोदी सरकार-कांग्रेस
मोदी सरकार को आपदा ने 35 रुपया लीटर में पेट्रोल डीजल बेचने का दिया अवसर लेकिन मुनाफाखोरी आड़े आ गई
रायपुर / शौर्यपथ / डीजल पेट्रोल के दामों में 21वे दिन हुई वृद्धि को कांग्रेस ने मोदी भाजपा सरकार प्रायोजित करार दिया प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी भाजपा की सरकार डीजल पेट्रोल पर दीनदयाल टैक्स लगाकर देश में डीजल पेट्रोल उपभोग करने वाले अंतिम उपभोक्ता के जेब से जबरदस्ती पैसा निकाल रही है। बेवजह डीजल पेट्रोल मैं टैक्स लगाकर कोरोना महामारी संकट में आर्थिक मानसिक शारीरिक रोजगार की समस्या से जूझ रही जनता के ऊपर महंगाई का वज्रप्रहार कर रही है। आपदा ने मोदी भाजपा को चुनावी भाषणों में जनता को दिखायेंगे 30रु-35रु लीटर में पेट्रोल डीजल मिलने के सपने को पूरा करने का अवसर दिया, लेकिन मोदी के व्यापारी गुण ने उन्हें आपदा में भी मुनाफाखोरी करने प्रेरित किया।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार किसान सम्मान निधि और जनधन खाता में 5सौ रुपया महीना जमा कराकर डीजल पेट्रोल के जरिए आम जनता के जेब से जबरदस्ती ₹1000 महीना वसूल रही है डीजल के दाम में वृद्धि का असर किसानों के खेत जुताई पर सामानों के परिवहन पर दवाइयों सब्जियों फल फ्रूट कपड़ा खाद्य तेल सीमेंट रेती गिट्टी पर भी दिख रहा है आलू प्याज दाल के दाम बढ़ने लगे हैं। देश में बड़ी पेट्रोल डीजल की कीमत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार नहीं बल्कि देश की नरेंद्र मोदी की सरकार जिम्मेदार हैं मोदी सरकार के मनमानी और मुनाफाखोरी की लालसा ने आम जनता के ऊपर महंगाई का बोझ को बढ़ाने का काम किया है यूपीए सरकार में महंगाई को डायन बताने वाली भाजपा मोदी सरकार के दौरान बढ़ती महंगाई को डायन नहीं मानती बल्कि महंगाई डायन अब भाजपा गठबंधन सरकार में पाटर्नर है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी भाजपा की सरकार आपदा में अवसर तलाशने में माहिर है अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत अभी $39 प्रति बैरल है यानी कि 1 लीटर क्रूड ऑयल की कीमत ₹18 भारतीय मुद्रा में है।जबकि यूपीए सरकार के समय 2014 में क्रूड ऑयल की कीमत $137 प्रति बैरल था यानी कि लगभग 60 से ₹62 प्रति लीटर क्रूड ऑयल की कीमत थी।2014 में देश में पेट्रोल डीजल के दाम 72 से ₹73 प्रति लीटर थे। जबकि अभी क्रूड आयल की कीमत 18रु प्रति लीटर लगभग के अनुसार देश में पेट्रोलियम डीजल आम जनता को 30 से ₹35 लीटर में मिलना चाहिए था।
शौर्यपथ लेख ( डॉ. सिद्धार्थ शर्मा की कलम से ...) / पतंजलि कोरोनिल किसी भी दवा को कंपनी अपने हिसाब से नही ला सकती। अगर ला पाती तो लाखों दवाइयां आज मार्किट में होती। कंपनी खुद ही ट्रायल करे खुद ही अप्रूवल दे ये तो वही बात हो गई कि खुद बच्चे एग्जाम में बैठे और खुद को ही अंक दे दे। आयुर्वेद में आयुष मंत्रालय सर्टिफिकेट देता है पर कोरोनिल का कभी ट्रायल हुआ ही नही। जो ट्रायल हुआ वो एक private ट्रायल था जो बहुत ही कम लोगों के बीच हुआ बिना किसी सरकारी दखल के। उसी आधार पर पतंजलि ने खुद को सफल घोषित कर दिया।
लेकिन 80% कोरोना केसेस तो लक्षणविहीन होते हैं और अपने आप बिना दवा के ठीक हो जाते हैं। 20% में गंभीर लक्षण आते हैं और इसी श्रेणी से 2% लोग मरते भी हैं। दिक्कत ये है कि पतंजलि ने जल्दबाजी दिखाई और बिना सरकारी trial और अप्रूवल के इसे कोरोना की दवा बताकर बाजार में उतारने लगी। अब आयुर्वेद के नाम का सहारा लेकर भारत सरकार पर दबाव बनाना चाहती है कि भारत आयुर्वेद को हमेशा प्रमोट करता है। बिल्कुल करता है पर उसके नियम उसके चरण तो पूरा करते? अब तक तीन दवाओं को अप्रूवल मिला,तीनो ने अपना trail पूरा किया। फिर पतंजलि की कोरोनिल को बिना ट्रायल permision सिर्फ इसलिए दे दिया जाए क्योकि हमको अपनी पीठ ठोकनी है? अब जब सरकार ने प्रचार पर यह कहकर बैन लगाया कि इसे कोरोना की दवा कहकर मत बेचो तो सभी देशभक्तों को आयुर्वेद,स्वदेश और मेक इन इंडिया पर प्रहार लग रहा। कुछ विशेषज्ञ तो बस डॉक्यूमेंट की प्रॉब्लम बताने लगे। लेकिन सच तो ये है कि इस दवा का सरकारी विधिवत trial अब तक हुआ ही नही है तो बिना जांच के इसे कोरोना की दवा सिर्फ इसलिए बता देना क्योकि ये स्वदेशी उत्पाद है भारत का नाम विश्व में खराब कर सकता है। आज तक किस कंपनी पर केस हुआ कि दवा खाने के बाद भी मरीज मरा?शर्तिया इलाज शब्द क्यो बैन हुआ? कोई इलाज बीमारी शत प्रतिशत ठीक करने का दावा नही कर सकता ये नियम है। पेशेंट की मृत्यु के लिए dr, हॉस्पिटल या दवा को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता। लापरवाही की स्थिति में उसकी जांच के अलग तरीके है। परिणाम के आधार पर अच्छा बुरा इलाज होता ही नही। बिना इलाज 80% ठीक हो जाते है केवल 2% की मृत्यु होती है इसलिए ऐसे तो दवा बनाने वालों की भीड़ लग जायेगी जो 98% सक्सेस का दावा करेंगे।
ये कहना कि ये शरीर को नुकसान नही पहुचायेगी ये भी बात गलत है। असल मे कोई चीज नुकसान पहुचाती ही नही। ये तो हमारे शरीर की इम्युनिटी है जो एंटीजन मानकर कभी भी शरीर के खुद के अंगों को नष्ट कर देता है। माँ का शरीर बच्चे को खत्म कर देता है बाहरी मानकर (erythrobalstosis fetalis). तो एलर्जी किसी भी चीज की हो सकती है। दूध की भी। लैक्टोस intolerance। इसलिए आयुर्वेद से साइड इफ़ेक्ट नही होता वाली बात सरासर गलत है।एक कहावत है कि बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए काम बिगाड़ो आपनो जग मा होत हँसाये।
पतंजलि ने इतनी हड़बड़ी दिखाई की बिना सरकारी ट्रायल के दवा लॉन्च कर दी। जब विरोध हुआ तो कहने लगे लॉन्च किए है प्रचार नही किया? बाबा बैठकर उसका 100% सक्सेस उसका रेट उसकी खाने की विधि सब बता रहे फिर कहते हैं प्रचार नही किया?
अभी जो 3 दवा को मान्यता मिली,तीनो ने ट्रायल पास किया। अमेरिका ने वैक्सीन बनाई वो जनवरी में आएगी क्या इतना धैर्य पतंजलि में नही था??कुछ कह रहे कि इलाज न भी हो पाए पर नुकसान भी नही होगा। अरे क्या 550 रुपये में मुंगबड़ा खरीदे हो? कंपनी स्वदेशी और आयुर्वेद के नाम पर कमा कमा कर अमीर होती जाएगी और गरीब आदमी बिना कमाए पिसता जाएगा
शौर्यपथ लेख ( डॉ. सिद्धार्थ शर्मा ) /बाबा रामदेव द्वारा कोरोना के उपचार के दावे के साथ एक आयुर्वेदिक दवा बाजार में उछाल दी गयी. उस दवा के बाजार में आते ही रामदेव के समर्थकों और विरोधियों ने उस दवा के विरोध और समर्थन में गजब हंगामा और हुड़दंग शुरू कर दिया है. दवा के पक्ष और विपक्ष में हो रहा यह हंगामा किसी अंधेर नगरी का आभास करा रहा है.
विरोधियों की बात बाद में पहले बात समर्थकों के हंगामे और हुड़दंग की... इस बार यही वर्ग ज्यादा दोषी दिख रहा है.
ध्यान रहे कि एक अमेरिकी कम्पनी ने 6 जून तक कोरोना के उपचार की वैक्सीन की 20 लाख खुराक बना कर रख ली है और वैक्सीन का उत्पादन युद्ध स्तर पर रात दिन लगातार किया जा रहा है. लेकिन अमेरिका में अब तक हो चुकी एक लाख से अधिक मौतों के बावजूद वह वैक्सीन बाजार में नहीं उतारी गयी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कम्पनी की उस वैक्सीन का त्रिस्तरीय परीक्षण पूर्णतया सफल रहा है किन्तु वैक्सीन का अन्तिम परीक्षण अभी चल रहा है. यह प्रक्रिया सम्भवतः अगस्त/सितम्बर के अन्त में पूर्ण होगी. क्योंकि कम्पनी अपनी वैक्सीन की सफ़लता के प्रति पूर्णतया आश्वस्त है इसलिए उसने भारी आर्थिक जोखिम उठा कर उस वैक्सीन का उत्पादन कर के स्टॉक जमा करना प्रारम्भ कर दिया है. क्योंकि वैक्सीन उत्पादन की प्रक्रिया बहुत जटिल और धीमी होती है इसलिए कम्पनी ने यह आर्थिक जोखिम उठाया है. अगर अपने अन्तिम परीक्षण में वह वैक्सीन सफल हुई तो उसी दिन से वह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी और यदि अन्तिम परीक्षण में वह वैक्सीन सफल नहीं हुई तो सारा तैयार स्टॉक नष्ट कर दिया जाएगा. यह होती है एक सभ्य शिक्षित जागरूक समाज की सोच.
अब बात बाबा रामदेव की... ज्ञात रहे कि आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने और बेंचने का धंधा बाबा रामदेव द्वारा पिछले लगभग डेढ़ दशक से किया जा रहा है. अतः हमको आपको, किसी आम आदमी को भले ही ज्ञात नहीं हो लेकिन बाबा रामदेव को यह भलीभांति ज्ञात है कि किसी भी रोग के उपचार की दवा को बाजार में उतारने से पहले कुछ परीक्षणों की औपचारिकताओं की पूर्ति करना अनिवार्य है. अतः इस बार उन औपचारिकताओं की पूर्ति के बिना बाबा रामदेव अपनी दवा लेकर बाजार में क्यों कूद गए.? ध्यान रहे कि केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने बाबा रामदेव की दवा के गुण-दोष, गुणवत्ता पर कोई टिप्पणी नहीं की है इसके बजाय उन औपचारिकताओं की पूर्ति नहीं किए जाने पर अपनी आपत्तियां दर्ज करायी हैं. आयुष मंत्रालय की वह आपत्तियां शत प्रतिशत सही हैं. उन आपत्तियों को बाबा रामदेव भी नकार नहीं पा रहे हैं. उन आपत्तियों का तार्किक तथ्यात्मक उत्तर देने के बजाय बातों के बताशे फोड़ रहे हैं. ध्यान रहे कि देश में आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली वैद्यनाथ डाबर, ऊंझा ,झंडू सरीखी बहुत पुरानी और बहुत बड़ी लगभग दर्जन भर कम्पनियां हैं. इन. कम्पनियों की एक साख है देश में. मंझोले और छोटे स्तर की हज़ारों आयुर्वेदिक कम्पनियां भी देश में हैं. एकबार बाबा रामदेव को उन अनिवार्य परीक्षणों की औपचारिकताओं की पूर्ति से छूट देने का अर्थ उन सभी कम्पनियों को ऐसा करने की खुली छूट दे देना होगा. इससे जो अराजकता फैलेगी वह बहुत भयानक होगी.
रही बात स्वदेशी की तो यह याद रखिए कि कोरोना के उपचार के लिए जिस ग्लेनमार्क कम्पनी की दवा सामने आयी है वो ग्लेनमार्क शत प्रतिशत भारतीय कम्पनी ही है, जो आज दुनिया के कई देशों में व्यापार कर रही है.
अतः बाबा रामदेव की दवा के पक्ष में लाठी भांज रहे समर्थक यह ध्यान रखें कि परीक्षण की औपचारिकताओं की पूर्ति के बिना दवा को बाजार में उतार देना बहुत घातक होगा. जो लोग यह तर्क दे रहे हैं कि वो दवा कोई ज़हर नहीं है तो वो यह भी समझ लें कि दवा पर विश्वास कर 15 दिन खाने वाले व्यक्ति पर यदि दवा प्रभाव नहीं डालेगी तो तब तक बहुत देर हो चुकेगी. अतः परीक्षण की औपचारिकताएं अत्यन्त आवश्यक हैं. या फिर बाबा रामदेव वह दावा वापस लें कि यह कोरोना की दवा है उसके पश्चात उसे बेचे. देश को ऐसी अंधेर नगरी ना बनाये जहां ना खाता ना बही... जो रामदेव कहे वही सही.
दवा का विरोध कर रहा वर्ग वो है जिसे भारतीय संस्कृति सभ्यता की कोख से उपजी किसी भी विद्या और विधा से ही घृणा है. उसकी यह घृणा इतनी पाशविक हो चुकी है कि उस वर्ग को अब किसी दवा का भी विरोध करने में कोई हिचक नहीं है. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. इससे पूर्व अतीत में भी बाबा रामदेव की दवाओं और यहां तक कि योग विद्या का तीव्र विरोध भी यह वर्ग करता रहा है. अतः इसबार भी उसका विरोध उसकी पाशविक प्रवृति और प्रकृति के ही अनुरूप है.
व्यंग लेख ( डॉ. सिद्धार्थ शर्मा - दुर्ग ) / एक दिन #बादशाह दरबार लगाकर शिकार की कहानी सुना रहे थे, जोश में आकर बोले :- एकबार तो ऐसा हुआ मैंने आधे किलोमीटर दूर से निशाना लगाकर जो एक हिरन को तीर मारा तो तीर सनसनाता हुआ हिरन की बाईं आंख में लगकर दाएं कान से होता हुआ पिछले पैर के दाएं खुर में जा लगा..!
#जनता ने कोई दाद नहीं दी, वो इस बात पर यकीन करने को तैयार ही नहीं थे..!
?इधर बादशाह भी समझ गया कि मैंने ज़रूरत से ज़्यादा लम्बी छोड़ दी,और अपने #रफूगर की तरफ देखने लगा..!
#रफूगर उठा और कहने लगा:- हज़रात, मैं इस वाक़ये का चश्मदीद गवाह हूँ, दरसल बादशाह सलामत एक पहाड़ी के ऊपर खड़े थे, हिरन काफी नीचे था, हवा भी मुआफ़िक चल रही थी वरना तीर आधा किलोमीटर कहाँ जाता है..?
?जहां तक बात है 'आंख' , 'कान' और 'खुर' की है, तो अर्ज़ करदूँ, जिस वक्त तीर लगा था, उस वक़्त हिरन दाएं खुर से दायाँ कान खुजला रहा था, इतना सुनते ही जनता जनार्दन ने दाद के लिए तालियां बजाना शुरू कर दीं..!
?अगले दिन रफूगर बोरिया बिस्तरा उठाकर जाने लगा, तो बादशाह ने परेशान होकर पूछा कहाँ चले..!
रफूगर बोला:- बादशाह सलामत, मैं छोटी मोटी तुरपाई कर लेता हूँ, शामियाना सिलवाना हो तो #भारतीय_गोदी मीडिया को रख लीजिए..!! ( डॉ. सिदार्थ शर्मा के फेसबुक पेज से ..)
धमतरी ब्यूरो /शौर्य पथ
बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू शहीद 2 दिसंबर 2019 से रेजिमेंट में थे पोस्टेड
भारत और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प में भारत के एक अफसर और दो सैनिक शहीद हुए हैं. इनमें 16 बिहार रेजिमेंट के जांबाज अफसर कर्नल बी संतोष बाबू भी शामिल हैं. बी संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट में 2 दिसंबर 2019 से पोस्टेड थे.
बता दें, लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए. 70 के दशक के बाद पहली बार एलएसी पर भारतीय जवानों की शहादत हुई है.
सूत्रों की मानें तो सीमा विवाद को लेकर जब बॉर्डर पर कमांडरों की बैठक हुई तो उसमें तय हुआ कि PP14-15-17 पर चीन LAC के उस ओर जाएगा, लेकिन चीनी सैनिकों ने इसे मानने से इनकार कर दिया. भारत की ओर से बार-बार चीन को समझाया गया, लेकिन चीन ने इस दौरान हमला कर दिया. सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर पत्थरबाजी की. लोहे के नाल, कीलें लगी लठ से भारत की सेना पर हमला किया. जो अफसर इस मामले को लीड कर रहे थे, उन्हें पथराव-झड़प में काफी गहरी चोटें आई हैं.
ये भी पढ़ें: LAC पर हिंसक झड़प, भारत के 20 जांबाज शहीद, 45 चीनी सैनिक भी ढेर
इस घटना के बाद चीनी विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान सामने आया है. बीजिंग ने उलटे भारत पर घुसपैठ करने का आरोप लगाया है. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बीजिंग का आरोप है कि भारतीय सैनिकों ने बॉर्डर क्रॉस करके चीनी सैनिकों पर हमला किया था. चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत ऐसी स्थिति में एकतरफा कार्रवाई न करे.
पूरे देश ने लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद जवानो को श्रद्धांजलि दी सही जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक संदेश में कहा कि शहीद जवानों द्वारा किए गए अंतिम बलिदान के लिए बहादुर दिलों को सलाम करते हैं, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में शहादत प्राप्त की. शहीदों के परिवारों के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.
खेल / शौर्यपथ / वेस्टइंडीज के खिलाफ 8 जुलाई से शुरू होने वाली तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए इंग्लैंड के सिलेक्टर्स टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों के सिलेक्शन को लेकर दुविधा में पड़ गए हैं। सिलेक्टर एड स्मिथ, जेम्स टेलर और कोच क्रिस सिल्वरवुड पहले टेस्ट के लिए टॉप ऑर्डर को लेकर रॉरी बर्न्स, डोम सिबली, जो डेनली और जैक क्राउली के नामों पर विचार कर सकते हैं। बर्न्स ने पिछले करीब 18 महीनों के दौरान दो शतकों के साथ शानदार प्रदर्शन कर टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज के रूप में अपनी दावेदारी मजबूत की है।
दक्षिण अफ्रीका दौरे में लगी चोट से बर्न्स पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं और ऐसा माना जा रहा है कि वो सलामी बल्लेबाज के रूप में इंग्लैंड की ओर से पारी की शुरुआत करेंगे। वहीं दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगातार तीन टेस्ट जीतने में क्राउली, सिबली और डेनली ने इंग्लिश टीम की ओर से शानदार प्रदर्शन किया था। सिबली ने उस सीरीज में अपने करियर का पहला शतक जमाया था। इंग्लैंड का टॉप ऑर्डर इस समय उतना मजबूत नहीं है, जितना कि पहले था। एंड्रयू स्ट्रॉस और फिर उसके बाद जॉनाथन ट्रॉट के संन्यास लेने के बाद इंग्लैंड की टीम में सलामी बल्लेबाज की कमी खलती रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सिबली और बर्न्स सलामी जोड़ी के रूप में इंग्लिश पारी की शुरुआत कर सकते हैं, जबकि क्राउली या डेनली तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी कर टीम के बैटिंग ऑर्डर को मजबूती दे सकते हैं। क्राउली ने टीम में खुद के सिलेक्शन की संभावना को लेकर कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अभी तक कोई फैसला लिया गया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले कुछ सप्ताह में प्रैक्टिस मैच में बेहतर प्रदर्शन कर मैं अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकता हूं।'