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दुर्ग । शौर्यपथ । अवैध भूमि पर कब्जे के नित नए मामले उजागर होते है जो विवाद का कारण बनते है इसमे जितना दोष अवैध कब्जा करने वालो का होता है उतना ही दोष क्षेत्र के निगम की कार्यप्रणाली का भी है । दुर्ग निगम में अवैध कब्जेधारियों के हौसले बुलंदी पर है कारण अधिकारियों की लापरवाही का है । एक तरफ तो आयुक्त अपील करते है कि ऐसी किसी तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही की जाएगी वही दूसरी तरफ जानकारी होने के बाद भी निगम प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मौन रहते है जिससे ये तो स्पष्ट है कि निगम की अपील पूरी तरह दिखावा मात्र है । ऐसे कई मामले है जिनकी जानकारी विभाग को है किंतु कार्यवाही के नाम पर शून्य । निगम अधिकारी इतने लापरवाह है कि शासन के आदेशों को भी लगता है रद्दी की टोकरी पर डाल देते है । शौर्यपथ समाचार पत्र द्वारा ऐसे कई अवैध निर्माण की सूचना के बार अधिकारियों को दी गई किन्तु आश्वासन के अलावा अधिकारी कुछ नही करते और ऐसे ही कारणों से अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद पर है चाहे मामला आदर्श नगर में नाले की जमीन पर घर बनाने का हो या सड़क के ऊपर से एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग तक रोपवे बनाने वाले गंगोत्री हॉस्पिटल का हो या sdm दुर्ग के आदेश पर शासन की जमीन को सुरक्षित करने के लिए घेरा बनाने का हो ऐसे कई मामलों की जानकारी के बाद भी निगम के भवन अधिकारियों द्वारा लापरवाही पूर्वक कार्य दो पक्षो के विवाद का कारण बनता जा रहा है । ऐसे ही एक मामला हाल ही में आया है जिसमे करोड़ो की जमीन पर अवैधानिक रूप से निर्माण कार्य प्रगति पर है और निगम प्रशासन मौन है । मामला है बाफना मंगलम से लगी हुई जमीन का करोड़ो की इस जमीन पर जिसका प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद भी रसूखदारों द्वारा क्रय किया गया और अब फैसला एक पक्ष ऋषिकेश गुप्ता के पक्ष में आ गया । किन्तु सारी जानकारी के बाद भी कौड़ियों के दाम खरीदने वाले रसूखदारों द्वारा कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए निगम के नियमो की धज्जी उड़ाते हुए निर्माण चालू कर दिया गया जिस तेजी से निर्माण कार्य हो रहा ऐसा प्रतीत होता है कि माह दो माह में बिल्डिंग खड़ी हो जायेगी । इस मामले में ऋषिकेश गुप्ता द्वारा निर्माण करने वालो को , पटवारी को व सम्बंधित विभाग को सूचना व शिकायत की गई किन्तु कोई भी शासन के आदेश कोर्ट के फैसले को गंभीरता से नही ले रहा । दुर्ग निगम क्षेत्र में होने के कारण बिना अनुमति निर्माण पर कार्यवाही की जिम्मेदारी निगम प्रशासन की बनती है किंतु निगम प्रशासन भी मौन है ऐसे में भविष्य में इस जमीन के मालिक और अवैध निर्माण करने वालो के बीच कोई विवाद हो तो कौन इसका जिम्मेदार होगा जब शक्तियां प्राप्त प्रशासन मौन है तो कैसे कह सकते है कि दुर्ग में सुशासन है । जब अवैध रूप से निर्माण करने वाले खुले आम शासन के सामने बेख़ौफ़ निर्माण कर रहे है तो कैसे कहा जा सकता है कि शासन कार्य के प्रति जिम्मेदार है अधिकारी कार्य के प्रति गंभीर है ये हाल उस जिला मुख्यालय का है जहां प्रदेज़ह के मुख्यमंत्री का , गृह मंत्री का , पीएचई मंत्री का निवास है प्रदेश के हाई प्रोफाइल जिले में ये हाल है तो सोंचिये दुरस्त इलाके का क्या हाल होगा । शेषण के इस धृतराष्ट्र रूपी रवैये से अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद है और पीड़ितों की परेशानी दुगनी हो गई । क्या दुर्ग निगम आयुक्त मामले को संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करेंगे या फिर मौन रहेंगे क्योकि गुप्ता द्वारा सम्पूर्ण जानकारी और शिकायत निगम प्रशासन में कर दी गई है अब देखना यह है कि निगम किस ओर अपना रुख रखता है पीड़ित की ओर या अवैध निर्माण करने वालो की तरफ ?
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