
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
- 91 प्रतिशत स्कोर हासिल किया दुर्ग ने, सभी मानदंडों में अग्रणी
- शानदार मेडिकल मैनेजमेंट के बूते मिली सफलता
- नियमित रूप से मेडिकल सुपरविजन के मामले में अग्रणी रहने से मिली शानदार सफलता
दुर्ग / शौर्यपथ / होम आइसोलेशन के दुर्ग माडल ने इस सप्ताह हेल्थ डिपार्टमेंट के फीडबैक सर्वे में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। फीडबैक सर्वे में 91 प्रतिशत स्कोर दुर्ग जिले को प्राप्त हुआ है। 85 प्रतिशत से अधिक स्कोर फीडबैक के लिए शानदार माना जाता है, यहां स्कोर छह प्रतिशत अधिक होने के कारण दुर्ग का होम आइसोलेशन माडल काफी बेहतर तरीके से काम करता प्रतीत हो रहा है। फीडबैक की रैंकिंग में मेडिकल सुपरविजन के संबंध में 452 लोगों से थर्ड पार्टी ने फालोअप लिया। सभी पैरामीटर में दुर्ग जिले की रैंकिंग बहुत अच्छी रही। उल्लेखनीय है कि यहां होम आइसोलेशन मैनेजमेंट के अंतर्गत लगभग 8000 मरीज थे। इन सभी के मेडिकल पैरामीटर देखना और उसके मुताबिक इनकी दवाइयां एवं ट्रीटमेंट का फालोअप करना, काउंसिलिंग करना और जरूरी पड़ने पर इन्हें बिल्कुल समय गंवाये रिफर करना बड़ा काम था। होम आइसोलेशन कंट्रोल रूप में मेडिकल टीम की प्रभारी डाॅ. रश्मि भुरे एवं उनके छह सहयोगी मेडिकल अधिकारियों ने लगातार स्थितियों पर नजर रखी।
इसका बहुत अच्छा नतीजा सामने आया और रिकवरी रेट शानदार रही। कोविड कंट्रोल बिल्कुल अलग किस्म का कार्य था। इसके लिए जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों, आयुर्वेद अधिकारियों, स्टाफ नर्स की ट्रेनिंग बेहद जरूरी थी। डाॅ. रश्मि भुरे ने यह ट्रेनिंग कराई, साथ ही जटिल केस के संबंध में रिफर करने तुरंत निर्णय लिया। अलग-अलग तरह की मेडिकल हिस्ट्री के संबंध में भी मरीजों से काउंसिलिंग की और इसके मुताबिक होम बेस्ड केयर किया गया। इससे रिकवरी की दर तेजी से बढ़ गई।
यह हैं छह एएमओ जिन्होंने कड़ी मेहनत कर बढ़ाई रिकवरी दर- होम बेस्ड केयर में लगभग आठ हजार पेशेंट रहे। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का केयर करना आसान नहीं था। इसके लिए छह एएमओ अर्थात सहायक स्वास्थ्य अधिकारी लगाए गए और इनके साथ 20 जूनियर डॉक्टर और 30 नर्सिंग स्टाफ अटैच किया गया। सभी एएमओ ने 24 घंटे दिन और रात होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की देखभाल की।
रिसाली में डाॅ. जागृति चंद्राकर ने संभाला मोर्चा- रिसाली में मोर्चा डाॅ. जागृति चंद्राकर ने संभाला। यूँ तो उनका आफिशियल टाइम आठ घंटे का होता है लेकिन यह इमरजेंसी का वक्त था। रात-रात को पेशेंट फोन करते थें, डाॅ. जागृति ने बताया कि हमेशा एलर्ट रहना पड़ता है इस वजह से काफी सारे मरीजों से अटैचमेंट हो गया, बाद में उनकी दुआ मिली तो बहुत अच्छा लगा।
दुर्ग में डाॅ. रिजवान की जिम्मेदारी- डाॅ. रिजवान ने दुर्ग की कमाल संभाली। दुर्ग में काफी ज्यादा पेशेंट थे। अपनी टीम के माध्यम से डाॅ. रिजवान लगे रहे। डाॅ. रिजवान ने बताया कि कोविड के समय कभी-कभी मरीज मनोवैज्ञानिक रूप से पैनिक मोड में आ जाते हैं। हमने इलाज के साथ काउंसिलिंग की, इससे मरीजों को काफी लाभ मिला।
डाॅ. सोनिया किशीकर ने कहा दवाओं की नियमितता पर सबसे ज्यादा फोकस- भिलाई को तीन हिस्सों में बांटा गया था। भिलाई लेफ्ट का काम डाॅ. सोनिया के जिम्मे आया। डाॅ. सोनिया ने बताया कि मैं हमेशा पूछती कि आपने दवा खा ली। किस समय खाई, लिखकर नोट करें, रैपर दिखायें। फिर कहतीं कि आक्सीजन लेवल बताएं। यह कारगर रहा। अगर फीडबैक सर्वे में देखें तो 99 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे समय पर दवा खाते थे।
डाॅ. राजपूत ने कहा, फोकस सिक्स मिनट वाक पर- डाॅ. सतीश राजपूत ने भिलाई 3, खुर्सीपार, चरौदा और कुम्हारी की जिम्मेदारी देखी। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने आक्सीजन लेवल पर फोकस किया। हमने सबसे कहा था कि सिक्स मिनट वाक का टेस्ट करें। यदि आक्सीजन लेवल तीन प्रतिशत से ज्यादा डाउन होता है तो यह सही नहीं है। इस तरह आरंभ से ही कोविड की गंभीरता के संबंध में मरीज जागरूक हो गए जिसका अच्छा लाभ मिला।
ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी चुनौती संभाली डाॅ. रामस्वरूप मरकाम ने- ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों की जिम्मेदारी काफी बड़ी थी क्योंकि इसमें रिस्पांस टाइम का काफी महत्व था। कोविड हास्पिटल तक लाने में समय लगता है। ऐसे में बहुत जरूरी होता है कि काफी पहले मरीज की गंभीरता पर नजर रखें। डॉ. मरकाम ने ऐसे मरीजों की सूची तैयार कर ली और लगातार इनके आक्सीजन स्टेटस की मानिटरिंग करते रहे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के भी मरीजों की रिकवरी काफी रही।
डाॅ. सुशीला बंजारे ने काउंसिलिंग पर दिया जोर- डाॅ. सुशीला बंजारे ने भिलाई राइट की जिम्मेदारी संभाली। यहां काफी संख्या में मरीज थे। उन्होंने दिन रात मरीजों की काउंसलिंग की। रिफरल केस में समन्वय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और काफी अच्छा काम किया। उन्होंने बताया कि काउंसिलिंग का पार्ट अच्छा होने से काफी समस्याएं हल हो जाती हैं। वो संभाला और स्थिति बेहतर होती गई।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.