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दुर्ग / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के भिलाई में 6 साल पूर्व हुए हाई प्रोफाइल अभिषेक मिश्रा हत्याकांड पर कोर्ट का फैसला आ गया है। सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने ऑनलाईन फैसला सुनाते हुए महिला आरोपी किस्मी जैन को जहां बरी कर दिया है, वहीं किस्मी जैन के पति विकास जैन एवं उनके चाचा अजीत सिंह को अंतिम सांस तक उम्र कैद की सजा सुनाया है। सीनियर वकील राजकुमार तिवारी ने बताया कि न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव ने अपने फैसले में कहा है कि परिस्थितिजन्य प्रकरण है और किम्सी के खिलाफ परिस्थितियां प्रमाणित नहीं हुई हैं। आरोपी विकास जैन और अजीत सिंह को जीवन की अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई है। दोनों आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया है।
ज्ञातव्य हो कि नवंबर 2015 में दीपावली के समय शंंकराचार्य इंजीयिरिंग कॉलेज के चेयरमेन शिक्षाविद आई पी मिश्रा के पुत्र अभिषेक मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। हत्या के पूर्व 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था। उस समय पूरे प्रदेश में खलबली मच गई थी। इस केस को सुलझाने में पुलिस को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था क्योंकि आरोपियों ने बड़े ही शातिराना तरीके से वारदात को अंजाम दिया था।
अपहरण के 45 वें दिन पुलिस को अभिषेक मिश्रा केस की गुत्थी सुलझाने में सफलता मिली। अपहरण की घटना के करीब 45 दिन बाद आरोपी विकास जैन के चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी-गली लाश बरामद हुई। आरोपियों ने हत्या के बाद लाश को दफना कर उसके ऊपर फूल गोभी उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लॉकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी। इस मामले में अभिषेक के कॉलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर किम्सी जैन, उसके पति विकास जैन और उसके चाचा अजीत सिंह को गिरफ्तार किया था।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2015 में अभिषेक मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था। किडनैपिंग की खबर ने तब पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी थी। पुलिस ने भी इसे सुलझाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। यही वजह थी कि पूरे देश के करीब एक करोड़ मोबाइल फोन की डिटेल खंगालने के बाद पुलिस की निगाह भिलाई में रहने वाले सेक्टर-10 निवासी विकास जैन के ऊपर टिक गई थी।
जाने क्यों की गई थी अभिषेक की हत्या?
पुलिस की जांच थ्योरी में आया था कि आरोपी किम्सी जैन, अभिषेक मिश्रा के कालेज में काम करती थी। इसी दौरान दोनों करीब आए थे। साल 2013 में किम्सी ने विकास जैन से शादी कर ली और कालेज की नौकरी छोड़ दी। लेकिन अभिषेक चाहता था कि उनका रिश्ता कायम रहे। वह लगातार किम्सी पर इसके लिए दबाव डाल रहा था। परेशान किम्सी ने पूरी बात अपने पति विकास को बताई। पति के मन में बदला लेने की भावना आ गई। इसके बाद किम्सी, उसका पति विकास और किम्सी के चाचा अजीत सिंह ने हत्या की साजिश रची थी। अभिषेक मिश्रा को किम्सी ने चौहान टाउन स्थित घर पर 9 नवंबर 2015 बुलाया। घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक के बीच विवाद हुआ। पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से रॉड से वार किया, जिससे वह वहीं कमरे में गिर गया। फिर अभिषेक को किम्सी के चाचा अजीत सिंह ने भिलाई के स्मृति नगर ले जाकर पहले से किए गए 6 फीट गहरे गड्ढे में ले जाकर दफना दिया था। चाचा वहां पहले से किराए पर रहता था।
करीब 45 दिन बाद मिली थी लाश
एक तरफ पुलिस कॉल डिटेल को आधार बनाकर जांच शुरू कर चुकी थी, वहीं दूसरी ओर किडनैपिग की घटना के करीब 45 दिन बाद किम्सी के चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी-गली लाश बरामद हुई। किम्सी के पति विकास ने अपने चाचा ससुर अजीत सिंह के साथ मिलकर बेहद ही शातिराना अंदाज में लाश को दफना कर ऊपर फूल गोभी की सब्जियां उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लॉकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी। लाश का डीएनएन टेस्ट भी कराया गया था। मामले में अभिषेक के कॉलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर किम्सी जैन, उसके चाचा अजीत और पति विकास जैन को गिरफ्तार किया गया था। तीनों की गिरफ्तारी के बाद लगातार इस मामले की जांच की गई और जांच पूरी होने के बाद दुर्ग न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई। करीब साढ़े 5 साल (2016) से ये मामला दुर्ग जिला न्यायालय में चल रहा था।
सजा के बाद आरोपी विकास जैन ने क्या कहा देखिये केवल शौर्यपथ लाइव पर
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