August 03, 2025
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समाचार सार

*प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 20वीं किश्त की राशि जारी*

*प्रदेश के 25.47 लाख से अधिक किसानों के खातों में 553 करोड़ 34 लाख रुपये का हुआ अंतरण*

*राज्य के अन्नदाताओं को अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत मिली 9 हजार 700 करोड़ रुपये की राशि*

*छत्तीसगढ़ के 2.34 लाख वन पट्टाधारी और 32,500 विशेष पिछड़ी जनजाति के किसानों को भी मिल रहा है योजना का लाभ*

 

रायपुर / शौर्यपथ/ सावन के पवित्र महीने में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से देशभर के 9.7 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं किश्त के रूप में 20500 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय राजधानी रायपुर स्थित उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के सभागार से प्रदेश के किसानों के साथ वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वृहद किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 2019 से अब तक देशभर के किसानों को 3.75 लाख करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके खातों में भेजी जा चुकी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए निरंतर काम कर रही है और पीएम किसान निधि इसका सशक्त उदाहरण है। श्री मोदी ने कहा कि कृषि विकास में पिछड़े जिलों के लिए ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना’ की शुरुआत की गई है और इसके लिए 24 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सिंचाई योजनाओं पर भी सरकार बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है ताकि खेतों तक पानी पहुंच सके और उत्पादन में वृद्धि हो। प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को राहत देने के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ संचालित है, जो उन्हें संकट से उबारने का कार्य करती है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि 1.5 करोड़ से अधिक महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं और 3 करोड़ के लक्ष्य में से आधा काम हमने पूरा कर लिया है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को पवित्र श्रावण मास की शुभकामनाएं देते हुए भगवान महादेव से छत्तीसगढ़ के सतत् कल्याण, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से छत्तीसगढ़ के लगभग 25 लाख से अधिक किसानों को 553 करोड़ 34 लाख रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है।

मुख्यमंत्री साय ने प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अन्नदाताओं को आर्थिक संबल देकर उनके परिश्रम का सम्मान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार “मोदी की गारंटी” के अनुरूप किसानों की उन्नति के लिए निरंतर समर्पित भाव से कार्य कर रही है। हमने किसानों से जो वादा किया था, उसे पूरा किया है। आज छत्तीसगढ़ में किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की कीमत दी जा रही है, जो उनकी आय को और सुदृढ़ कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के दस दिनों के भीतर ही 3716 करोड़ रुपये की 2 वर्ष की बकाया बोनस राशि का भुगतान कर हमने किसानों के भरोसे को और मजबूत किया। पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में ‘किसान क्रेडिट कार्ड योजना’ की शुरुआत हुई, जिसने खेती-किसानी को लाभकारी व्यवसाय में परिवर्तित कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले किसान भारी ब्याज दरों पर उधार लेकर खेती करते थे, लेकिन आज केसीसी (KCC) के माध्यम से शून्य ब्याज दर पर ऋण मिल रहा है, जिससे खेती-किसानी और आसान हो गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाने के लिए तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और हम बोधघाट परियोजना, महानदी और इंद्रावती नदी को जोड़ने जैसी योजनाओं के माध्यम से बस्तर को सिंचित और समृद्ध क्षेत्र बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। श्री साय ने कहा कि दलहन-तिलहन फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए 10 हजार रुपये की सहायता राशि का प्रावधान किया गया है। साथ ही, भूमिहीन कृषि मजदूरों को भी 10 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार खेती ही नहीं, बल्कि मत्स्यपालन, दुग्ध उत्पादन और पशुपालन जैसे सहायक कृषि कार्यों को भी सशक्त करने में जुटी है। ‘दुधारू पशु वितरण योजना’ को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के 6 जिलों से प्रारंभ किया गया है, जिसे नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इससे दूध का उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को उसकी उचित कीमत मिलेगी।

श्री साय ने कहा कि मिलेट्स (श्री अन्न) जैसे पौष्टिक अनाजों का उत्पादन, कोदो, कुटकी और रागी जैसी पारंपरिक फसलों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों को बाजार में बेहतर दाम दिलाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार निरंतर किसानों को इस योजना के तहत राशि सीधे उनके खाते में हस्तांतरित कर रही है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गांव-गांव में पक्की सड़कें बन गई हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अब किसानों को बिना ब्याज के अल्पकालिक ऋण उपलब्ध हो रहा है। हमारी सरकार ने अनेक योजनाएं धरातल पर लाकर किसानों की बेहतरी के लिए कार्य किया है।

कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि आज इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 25.47 लाख से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से 20वीं किश्त की राशि 553 करोड़ 34 लाख रुपये अंतरित की गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार जय-जवान, जय-किसान, जय-विज्ञान और जय-अनुसंधान की परिकल्पना के साथ आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों का उपयोग कर खेती-किसानी को नई दिशा दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वृहद रूप से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ चलाया गया। इस अभियान में कृषि वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक लाख से अधिक किसानों से मुलाकात कर खेती-किसानी के तरीकों और उनके फायदों की जानकारी दी।

कार्यक्रम में हितग्राहियों को कृषि उपकरणों एवं योजनाओं के तहत अनुदान राशि के चेक प्रदान किए गए।

कार्यक्रम में विधायकगण सर्वश्री सुनील सोनी, पुरंदर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब, इंद्रकुमार साहू, रायपुर संभाग के आयुक्त महादेव कावरे, छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लि. के प्रबंध संचालक श्री अजय अग्रवाल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.आर. सक्सेना सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

बिलासपुर, 2 अगस्त 2025 | छत्तीसगढ़ के शैक्षणिक परिदृश्य में एक बड़ा मोड़ आया जब बिलासपुर हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें वे अपनी फीस स्वतंत्र रूप से तय करने का अधिकार मांग रहे थे।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित में निजी विद्यालयों की फीस संरचना को विनियमित कर सके।

⚖️ मुख्य बिंदु:

? याचिका का विषय:

राज्य में संचालित कुछ प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों ने यह याचिका दायर की थी कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित “फीस विनियमन समिति” उनकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रही है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि निजी संस्थानों को आर्थिक स्वायत्तता संविधान द्वारा प्रदत्त है, और शासन को सीधे तौर पर फीस तय करने का अधिकार नहीं है।

? हाईकोर्ट का फैसला:

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह स्पष्ट करते हुए याचिका खारिज की कि

> “शिक्षा एक सामाजिक जिम्मेदारी है, व्यावसायिक अवसर नहीं। राज्य सरकार को यह वैधानिक अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित में निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण रख सके।”

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21-A (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) तथा शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) का हवाला देते हुए यह टिप्पणी दी।

? फीस विनियमन समिति की वैधता बरकरार:

राज्य शासन द्वारा वर्ष 2023 में गठित फीस विनियमन समिति की संवैधानिकता को भी कोर्ट ने वैध ठहराया है। इस समिति में शिक्षा विशेषज्ञों, विधि विशेषज्ञों और अभिभावकों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।

? अब क्या होगा?

✅ अब सभी निजी स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप फीस प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।

✅ फीस वृद्धि से पहले समिति की अनुमति आवश्यक होगी।

✅ मनमानी फीस वसूली पर दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान रहेगा।

? राज्य शासन की प्रतिक्रिया:

छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा सचिव ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा:

> "यह फैसला छात्रों और अभिभावकों के हित में है। शिक्षा को व्यापार नहीं बनने दिया जाएगा। अब पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ फीस तय होगी।"

?‍?‍? अभिभावकों में खुशी, स्कूलों में असमंजस:

जहां अभिभावक संघों ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है, वहीं कई निजी स्कूल प्रबंधन समितियां अब इस आदेश की समीक्षा करने की बात कह रही हैं।

? पृष्ठभूमि में क्या हुआ था?

2022-23 सत्र में कई स्कूलों द्वारा 30% से 60% तक फीस बढ़ोतरी के बाद राज्यभर में विरोध शुरू हुआ था।

सरकार ने छत्तीसगढ़ निजी विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2023 पारित कर फीस नियंत्रण के लिए एक समिति का गठन किया।

इसी के खिलाफ स्कूलों की याचिका दाखिल हुई थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया।

? निष्कर्ष:

यह निर्णय छत्तीसगढ़ में निजी शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, संतुलन और सामाजिक जवाबदेही की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा को सेवा के रूप में देखा जाएगा, न कि केवल लाभ कमाने के माध्यम के रूप में।

 

रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ भाजपा के युवा नेता एवं केड्रा इकाई रायपुर के नव नियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ऊर्जा विभाग से संबंधित एक कार्य में निजी ईकाइयों से 3% कमीशन की मांग और न देने पर धमकी देने की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुँच चुकी है। इस पत्र की प्रति सार्वजनिक होने के बाद मामला गरमा गया है और अब यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।


शिकायत और मुख्यमंत्री सचिवालय की कार्रवाई
दिनांक 20 जून 2025 को रायपुर की एक ईकाई द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में यह आरोप लगाया गया कि भूपेंद्र सवन्नी ऊर्जा विभाग के तहत नए सिस्टम निर्माण संबंधी कार्यों के लिए ठेकेदारों और ईकाइयों से 3% की कथित मांग कर रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि जो ईकाइयाँ यह "हिस्सा" देने से इनकार करती हैं, उन्हें धमकाया जाता है और उनके कार्य रोके जाते हैं।

इस पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग को पत्राचार भेजकर पूरे प्रकरण की जनहित में वेब पोर्टल पर अपलोडिंग सहित नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अवर सचिव अरविंद कुमार खोपड़े द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मामला गंभीर है और इसकी पड़ताल आवश्यक है।


प्रदेश कांग्रेस ने बनाया बड़ा राजनीतिक हथियार
शिकायत पत्र के सार्वजनिक होते ही यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस के लिए बैठे-बैठाए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर तेजी से साझा किया जा रहा है।
ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर कांग्रेस प्रवक्ताओं और नेताओं ने भूपेंद्र सवन्नी को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषी को पार्टी से निष्कासित किया जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि “यह मामला भाजपा के युवाओं में फैलते सत्ता-प्रदत्त भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जब युवा नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो राज्य की राजनीतिक संस्कृति का क्या होगा?”


भूपेंद्र सवन्नी और पूर्व विवाद
भूपेंद्र सवन्नी पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। पूर्व में भी मंडल एवं अन्य शासकीय कार्यों में हस्तक्षेप, नियुक्तियों में मनमानी और अधिकारियों पर दबाव डालने जैसे आरोप उन पर लग चुके हैं। हालांकि, इस बार मामला दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच चुका है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।


राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक जांच का नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और साख का मुद्दा बन गया है। भाजपा को जहाँ आंतरिक स्तर पर इस पर संज्ञान लेना होगा, वहीं कांग्रेस इस पूरे प्रकरण को आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों से पहले एक नैतिक मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।


निष्कर्ष
भूपेंद्र सवन्नी के खिलाफ लगे आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भाजपा के लिए यह नेतृत्व की जवाबदेही का सवाल है, वहीं कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनजागरण का अवसर मान रही है। अगर जांच निष्पक्ष होती है, तो यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।


(यह रिपोर्ट तीन आधिकारिक पत्रों एवं सोशल मीडिया पर जारी प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण पर आधारित है। संबंधित पक्षों से सफाई या प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर उसे आगामी संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा।)

दुर्ग। शौर्यपथ।

  दुर्ग नगर निगम में हाल ही में तीन कर्मचारियों के निलंबन के बाद माहौल अत्यधिक तनावपूर्ण हो गया है। त्वरित निलंबन आदेश जारी करने के बाद अब निगम प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। इसी क्रम में एक चिंताजनक घटना सामने आई जब निलंबित कर्मचारियों में से एक महिला कर्मचारी ने गुरुवार देर शाम महमरा डैम में आत्महत्या करने की कोशिश की। गनीमत रही कि वहां मौजूद कुछ लोगों की तत्परता से उनकी जान बच गई, अन्यथा यह मामला बहुत बड़े संकट का रूप ले सकता था।
  इस घटना ने निगम कर्मचारियों और शहरवासियों दोनों को झकझोर कर रख दिया है। निगम प्रशासन पर यह आरोप लग रहे हैं कि कई वर्षों से लंबित और गंभीर शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन हाल ही में आई एक शिकायत पर मात्र 24 घंटे में निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। इससे निगम की कार्यप्रणाली में भेदभाव और पक्षपात की आशंका गहराई है।

चर्चा में है लॉलीपॉप अनुबंध घोटाला
   निगम कर्मचारी थान सिंह यादव द्वारा लॉलीपॉप अनुबंध में राजस्व को हुए नुकसान का मामला भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि जब इतने बड़े राजस्व नुकसान की जांच तक नहीं हुई, तो हालिया मामूली आरोपों में त्वरित निलंबन की कार्रवाई जल्दबाजी और पूर्वाग्रह से ग्रसित लगती है।

पारिवारिक लाभ और पद दुरुपयोग पर भी उठे सवाल
  इसी बीच यह भी सामने आया है कि कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपात्र पुत्रों को शासकीय सुविधाएं दिलवाईं, फिर भी उन मामलों पर आज तक कोई जांच शुरू नहीं की गई। ऐसे मामलों की अनदेखी और कुछ मामलों में त्वरित निलंबन से निगम में कार्यरत कर्मचारी अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं।

पूर्व में अशोक करिहार कांड की याद ताजा

  महिला कर्मचारी की आत्महत्या की कोशिश ने पूर्व में निगमकर्मी अशोक करिहार द्वारा प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या किए जाने की घटना की याद ताजा कर दी है। कर्मचारियों में भय और असंतोष स्पष्ट झलक रहा है। यदि कुछ क्षणों की देरी हो जाती, तो आज एक और परिवार उजड़ जाता।

अब निगाहें आयुक्त सुमित अग्रवाल पर
  निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल पर अब यह जिम्मेदारी है कि वे इस पूरे मामले में निष्पक्ष और संवेदनशील कार्रवाई करें। आम जनता और निगम के कर्मचारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि लॉलीपॉप अनुबंध, गुमठी आवंटन, एनयूएलएम योजनाओं में मिलीभगत, अपात्र लाभार्थियों को सरकारी सुविधाएं दिलाने जैसे मामलों में भी शीघ्र जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के "जीरो टॉलरेंस" और "सुशासन" की नीति तभी सार्थक होगी जब हर स्तर पर निष्पक्ष और निर्भीक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

शौर्यपथ न्यूज़ / दुर्ग / दुर्ग शहर में गुरुवार रात घटित एक सनसनीखेज घटना ने पूरे प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों को झकझोर कर रख दिया है। छावनी के एसडीएम हितेश पिस्दा से शराब के नशे में धुत तीन युवकों द्वारा की गई बदसलूकी, धक्कामुक्की और गाली-गलौज की घटना अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है।

सबसे चौंकाने वाला खुलासा: SDM का भी हुआ अल्कोहल टेस्ट

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस ने निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से एसडीएम हितेश पिस्दा का भी अल्कोहल टेस्ट करवाया। हालांकि, उनकी टेस्ट रिपोर्ट के संबंध में अब तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

इस पूरी घटना में पुलिस की तत्परता दिखी—तीनों आरोपियों राकेश यादव, विपिन चावड़ा और मनोज यादव, जो विद्युत नगर और कसारीडीह क्षेत्र के निवासी हैं और खुद को भाजपा का कार्यकर्ता बताते हैं—को तुरंत हिरासत में लेकर मेडिकल परीक्षण के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें थाने लाकर आगे की कार्यवाही की गई।

तस्वीरें क्यों नहीं जारी हुईं? क्या कोई दबाव था?

इस मामले में एक और गंभीर सवाल उभरकर सामने आया है—आरोपियों की तस्वीरें सार्वजनिक क्यों नहीं की गईं? सूत्रों का कहना है कि पुलिस द्वारा नियमानुसार आरोपियों को जेल भेजने से पहले उनकी तस्वीरें जरूर खींची गई थीं, लेकिन इन्हें मीडिया या जनता के बीच जारी नहीं किया गया।
 हालांकि पुलिस की ओर से इस पर कोई अधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन जानकारों का मानना है कि पुलिस प्रशासन की भी कुछ व्यावहारिक और प्रशासनिक मजबूरियां होती हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दबाव इन मजबूरियों का एक बड़ा कारण हो सकता है।

क्या सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता सिस्टम से ऊपर?

  इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक पहचान, विशेषकर सत्ताधारी दल से जुड़ाव, व्यक्ति को कानून से ऊपर कर देती है?जब छोटे झगड़ों में भी आरोपियों की फोटो व नाम सार्वजनिक किए जाते हैं, तो इस संवेदनशील और गंभीर मामले में तस्वीरों को रोकना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
 कुछ दिन पहले शहर के प्रभावशाली परिवारों के युवकों की जुआ खेलते हुए तस्वीरें सार्वजनिक की गई थीं, तो फिर अब संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारी से मारपीट करने वालों की पहचान छिपाना किस नीति के तहत आता है?

निष्कर्ष:यह मामला केवल एक सड़क दुर्घटना या व्यक्तिगत बहसबाजी भर नहीं है। यह प्रशासनिक गरिमा, राजनीतिक हस्तक्षेप और कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत की अग्निपरीक्षा बन चुका है। पुलिस प्रशासन की स्थिति कठिन है—जहां उन्हें कानून का पालन करना है, वहीं राजनीतिक परिस्थितियां भी उन्हें विवश कर सकती हैं। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में वास्तविक दोषियों को सजा मिलेगी या फिर यह प्रकरण भी दबावों और “समझौतों” के बीच धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

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