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नई दिल्ली/ शौर्यपथ / भारत ने आज कहा कि ब्रिटेन सरकार का कोविशील्ड को मान्यता नहीं देने का फैसला "भेदभावपूर्ण" है और अगर इस मामले को सुलझाया नहीं जाता है तो यह हमारे "पारस्परिक उपाय करने के अधिकार" के भीतर है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि ब्रिटेन के इस कदम से वहां की यात्रा करने वाले भारतीय प्रभावित हो रहे हैं.
विदेश सचिव ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कोविशील्ड की मान्यता नहीं देना एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन की नई विदेश मंत्री के सामने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है. मुझे बताया गया है कि कुछ आश्वासन दिए गए हैं कि इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा.
विदेश सचिव की यह टिप्पणी उस दिन आई है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करके बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय 76वें सत्र से इतर ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज़ ट्रस के साथ इस मामले पर चर्चा की जा रही है. उन्होंने बताया, "आपसी हित में क्वारंटाइन मुद्देे के जल्द समाधान का आग्रह किया है."
इससे पहले, ब्रिटेन ने कहा कि वह भारतीय प्राधिकारियों द्वारा जारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण प्रमाणपत्र की स्वीकार्यता को विस्तार देने पर भारत के साथ चर्चा कर रहा है. नए नियमों को लेकर हो रही आलोचना के बीच ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता का यह बयान आया है.
चार अक्टूबर से लागू होने वाले नियमों को लेकर भारत में चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन इस मुद्दे पर भारत से बातचीत कर रहा है और जितनी जल्दी संभव हो सके अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से खोलने के प्रति प्रतिबद्ध है.
यह बैठक ऐसे दिन हुई जब ब्रिटेन के नए यात्रा नियमों की भारत में तीखी आलोचना हो रही है. नए नियमों के तहत, जिन भारतीय यात्रियों ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक ली है उन्हें टीका लिया हुआ नहीं माना जाएगा और उन्हें 10 दिन के लिए सेल्फ-आइसोलेशन में रहना होगा.
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दिग्गज फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है. यह भारत में देशव्यापी टीकाकरण में इस्तेमाल हो रही दो वैक्सीन में से एक है. दूरसरी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' है. कोवैक्सीन को आईसीएमआर के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया है.
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