
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
नई दिल्ली / शौर्यपथ / समायोजित सकल राजस्व यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट तीन पहलुओं पर फैसला सुनाएगा. पहला- केंद्र की याचिका जिसमें AGR के भुगतान के लिए 20 साल देने की मांग की गई है, भारती और वोडा-आइडिया ने 15 साल में भुगतान की इजाजत मांगी है. दूसरा क्या स्पेक्ट्रम (या स्पेक्ट्रम का उपयोग करने का अधिकार) IBC के तहत हस्तांतरित, सौंपा या बेचा जा सकता है. और तीसरा कोर्ट ये भी फैसला सुनाएगा कि आरकॉम का स्पैक्ट्रम इस्तेमाल करने पर जियो और वीडियोकॉन और एयरसेल का स्पैक्ट्रम इस्तेमाल करने पर एयरटेल उनकी देयता के आधार पर अतिरिक्त देयता के तहत आएंगे?
टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) जमा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को केंद्र की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह टेलीकॉम कंपनियों को बकाया राशि की फिर से गणना करने की अनुमति नहीं देगा. कोर्ट ने दूरसंचार विभाग (DoT) को आरकॉम, सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज, वीडियोकॉन से संबंधित दिवालापन प्रक्रिया पर 7 दिनों के भीतर ब्योरा देने को कहा था. दूरसंचार विभाग ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट 20 साल में बकाया राशि वसूलने की अनुमति दे.
दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाया के बारे में विभाग ने शीर्ष अदालत को सूचित किया गया है. एयरटेल ने 18004 करोड़ का भुगतान किया है, बकाया राशि लगभग 25976 करोड़ है. वहीं वोडाफोन-आइडिया ने 7854 करोड़ का भुगतान किया, शेष राशि लगभग 50399 करोड़ है. टाटा टेलीकॉम ने 4197 करोड़ का भुगतान किया. उस पर शेष 12601 करोड़ है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, हमें लंबित बकाया पर बेईमानी से व्यवहार करने वाले टेलीकॉम को राहत क्यों देनी चाहिए? वोडाफोन की तरफ से कोर्ट में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा, "पिछले 10 वर्षों में भारत के व्यवसायों में पूरे निवेश में घाटा हुआ है. वार्षिक राजस्व, आईटी रिटर्न का विवरण दाखिल किया गया है. एक लाख करोड़ इक्विटी का सफाया हो चुका है."
इस पर कोर्ट ने कहा, "क्या आपने आकस्मिक देयताओं के लिए वार्षिक खातों की व्यवस्था की है? रोहतगी ने जवाब दिया, "हम में सफल रहे इसलिए हमारे पास कोई प्रावधान नहीं था." सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दूरसंचार विभाग की मांग के बावजूद आपने बकाया के लिए प्रावधान क्यों नहीं किया? वोडाफोन-आइडिया के वकील ने कहा, "दंड और ब्याज राशि 50 हजार करोड़ को पार कर गई जबकि दूरसंचार विभाग की गणना के अनुसार 14 हजार करोड़ रुपये बकाया था. हमने जो कुछ भी कमाया वह खर्चों में बह गया." इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "प्रश्न यह नहीं है कि यदि आप कुछ छिपा रहे हैं, सवाल तो यह है कि आप बकाया का भुगतान कैसे करेंगे?"
बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बकाया ना चुकाने वाली टेलीकॉम कंपनियों से 10 साल का बहीखाता मांगा था. साथ ही कंपनियों से यह भी कहा कि 10 साल में दिए गए टैक्स का ब्यौरा भी कोर्ट में दाखिल करें.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र से कहा कि वो कंपनियों की भुगतान योजना पर विचार करे और कोर्ट को इस संबंध में जानकारी दे. सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दूरसंचार एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पैसा कमा रहा है, इसलिए उसे कुछ धनराशि जमा करनी होगी. क्योंकि सरकार को महामारी के इस दौर में पैसे की जरूरत है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बताया कि पीएसयू के खिलाफ एजीआर बकाया को वापस ले लिया गया है. यह भी कहा गया कि 4 लाख करोड़ रुपये का 96% बिल वापस ले लिया गया है.
क्या होता है एजीआर
एजीआर यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू दूरसंचार विभाग की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है. आंकड़ों के मुताबिक इन कंपनियों पर एजीआर के तहत 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं. भारती एयरटेल पर करीब 35 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बाकी है. इसके अलावा कुछ अन्य कंपनियों पर बकाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था. सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाया के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था.
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.