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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
सहकारी समितियों के भवनों और चबूतरा निर्माण की घोषणा की
रायपुर/शौर्यपथ / कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम बेमेतरा जिले के साजा विकासखंड के ग्राम बरगढ़ा में विकसित कृषि संकल्प अभियान में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान तीन सहकारी समितियों में भवन और सात समितियों में चबूतरा निर्माण की घोषणा की। विधायक ईश्वर साहू भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से जोड़ने, वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करने और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 29 मई से 12 जून तक पूरे देश में विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत केंद्र और राज्य सरकार के कृषि वैज्ञानिक किसानों से संवाद कर रहे हैं। वे उन्नत और संतुलित कृषि की जानकारी किसानों को दे रहे हैं। यह अभियान किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
कृषि मंत्री नेताम ने कहा कि हमारी सरकार किसानों की हर समस्या के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस अभियान का पूरा लाभ उठाएं, वैज्ञानिकों से संवाद करें और उन्नत कृषि पद्धतियों को अपनाकर अपनी आय दोगुनी करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। श्री नेताम ने कार्यक्रम में सात सेवा सहकारी समितियों सैगोना, खाती, कन्हेरा, भरदाकला, अकलवारा, घोटवानी और केहका में चबूतरा निर्माण और तीन समितियों नवागांवकला, कोंगियाखुर्द और गाड़ाडीह में भवन निर्माण की घोषणा की। उन्होंने किसानों को कृषि सामग्री का वितरण भी किया। श्री नेताम ने कार्यक्रम में किसानों को जल के सरक्षण-संवर्धन के लिए शपथ भी दिलाई ।
विधायक ईश्वर साहू ने विकसित कृषि संकल्प अभियान को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों की भलाई के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस अभियान से किसानों को नई तकनीकों और योजनाओं की जानकारी मिल रही है। हमारे क्षेत्र के किसानों के लिए यह सुनहरा अवसर है। बेमेतरा के कलेक्टर रणबीर शर्मा, कृषि विभाग के उप संचालक मोरध्वज, पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना और जनपद पंचायत के अध्यक्ष जितेंद्र साहू सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक और किसान बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने चावल उत्सव का किया शुभारंभ
रायपुर/शौर्यपथ /खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री दयालदास बघेल ने बेमेतरा के ग्राम भंसुली में चावल उत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार का संकल्प है कि कोई भी नागरिक भूखा न सोए। चावल वितरण का यह कार्यक्रम इस संकल्प की दिशा में सशक्त कदम है। उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जून, जुलाई और अगस्त माह का चावल एक साथ आबंटित किया जा रहा है। नागरिक अपनी सुविधा के अनुसार एक माह या तीन माह का चावल एक साथ ले सकते हैं। तीन माह का चावल एकमुश्त उठाने की बाध्यता नहीं है। अन्य राशन सामग्रियों जैसे शक्कर, नमक, चना एवं गुड़ का वितरण नागरिक आपूर्ति निगम के उपलब्ध स्टॉक के आधार पर प्रत्येक माह पृथक-पृथक किया जाएगा।
खाद्य मंत्री बघेल ने बताया कि चावल उत्सव के दिन ही तीन माह के चावल का वितरण सुनिश्चित किया गया है। इस कार्य के लिए परिवहन और सुरक्षित भंडारण की व्यापक व्यवस्था की गई है। प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर समय-सीमा के भीतर राशन सामग्री के भंडारण और वितरण के बाद सत्यापन की कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। जनपद पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती हेमा दिवाकर सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, खाद्य विभाग के अधिकारी और ग्रामीण बड़ी संख्या में चावल उत्सव में मौजूद थे।
उन्मुखीकरण व प्रशिक्षण कार्यक्रमों से ग्रामीणों को मिल रहा ज्ञान, हर ग्राम पंचायतें की जनभागीदारी से जागरूकता बढ़ी
रायपुर/शौर्यपथ/छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार कांकेर जिले में “मोर गांव, मोर पानी” महा अभियान पूरे उत्साह के साथ चलाया जा रहा है। जिला कलेक्टर श्री निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य वर्षा जल का संरक्षण कर उसे जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इसी क्रम में जिले की सभी 454 ग्राम पंचायतों में 5 जून तक चार दिवसीय उन्मुखीकरण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस जल संरक्षण महा अभियान प्रशिक्षण में ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, बिहान समूह की महिलाएं एवं जल संरक्षण से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं। उन्हें जल संचयन की उन्नत तकनीकों की जानकारी दी जा रही है।
तकनीकी आधार पर पारदर्शी योजना
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हरेश मंडावी ने बताया कि इस महाअभियान की सफलता के लिए आधुनिक तकनीकों, विशेषकर जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। इससे जल संरक्षण कार्यों की सटीक योजना और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने बताया कि जनभागीदारी से आगामी तीन वर्षों के लिए मजबूत और तकनीकी दृष्टि से सक्षम जल संरक्षण योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इसके तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित संकुल संगठनों के माध्यम से प्रत्येक ब्लॉक को चार क्लस्टरों में विभाजित किया गया है, जिससे प्रशिक्षण अधिक प्रभावी और व्यवस्थित हो रहा है।
योजनाओं में समाहित होंगे प्रमुख जल संरक्षण कार्य
इस अभियान के अंतर्गत चेक डेम निर्माण, फार्म पॉन्ड (खेत तालाब), कंटूर ट्रेंचिंग, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, वृक्षारोपण, आजीविका वृक्ष, सोक पिट, जल संग्रहण तालाबों का गहरीकरण तथा नाला उपचार जैसे कार्य किए जाएंगे। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि सभी कार्यों की गुणवत्ता सर्वाेच्च स्तर की होनी चाहिए।
जन-जागरूकता और सहभागिता से जागरूक गांव
अभियान के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में विगत वर्ष व वर्तमान भूजल स्तर का रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को जल स्तर में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी मिलेगी। गांवों में दीवार लेखन के माध्यम से जल संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। साथ ही, प्रशिक्षणों के माध्यम से जल संसाधनों के समुचित प्रबंधन की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे न केवल जल की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीणों की आजीविका और पर्यावरणीय संतुलन भी सशक्त होगा। गांवों में रैली, शपथ ग्रहण और श्रमदान के जरिए जल स्रोतों की सफाई कर जल बचाने के प्रयासों को मजबूती दी जा रही है।
सबसे तेज और सटीक समाचार देना आज की सबसे बड़ी चुनौती – केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान
आईबीसी 24 के नए स्टूडियो के शुभारंभ समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर स्थित आईबीसी 24 के नए स्टूडियो का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लंबे समय तक विश्वसनीयता के साथ खबरें देना किसी भी मीडिया संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को इस हाईटेक स्टूडियो से मीडिया जगत में नई पहचान मिलेगी।
मुख्यमंत्री साय ने इस मौके पर राज्य एवं केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी आम आदमी तक अधिक से अधिक पहुंचाने का आग्रह किया। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने कहा कि सबसे तेज और सटीक समाचार देना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने अपने उद्योग, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। अब मीडिया क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ का नाम राष्ट्रीय पटल पर अंकित होगा।
समारोह को उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा तथा वन मंत्री केदार कश्यप ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा, विधायक सर्वश्री अजय चंद्राकर, पुरंदर मिश्रा, संपत अग्रवाल, गोयल ग्रुप के चेयरमैन सुरेश गोयल, डायरेक्टर राजेंद्र गोयल और आईबीसी मीडिया एडिटर रविकांत मित्तल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
अब बच्चों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं
रायपुर/शौर्यपथ / राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शालाओं के युक्तियुक्तकरण की दिशा में एक सार्थक पहल की जा रही है। इस पहल के तहत बस्तर संभाग के सात जिलों में कुल 1611 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे विद्यालयों की गुणवत्ता, संसाधनों की उपलब्धता और शैक्षणिक वातावरण में व्यापक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर और सुकमा जिलों में ऐसी शालाओं को चिन्हित किया गया, जहाँ या तो छात्र संख्या बहुत कम थी या एक ही परिसर में अथवा निकट में दो से अधिक शालाएं संचालित हो रही हैं, इन शालाओं को एकीकृत कर उन्हें बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। संयुक्त संचालक शिक्षा ने बताया कि बस्तर संभाग के बस्तर जिले में 274, बीजापुर जिले की 65, कोण्डागांव जिले की 394, नारायणपुर की 80, दंतेवाड़ा जिले की 76, कांकेर जिले की 584 तथा सुकमा जिले की 138 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय एवं आवश्यकता वाली अन्य शालाओं मेें अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना हो सकेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही बच्चों को बेहतर शैक्षणिक संसाधन जैसे पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब और खेल सामग्री भी उपलब्ध हो सकेंगी।
संयुक्त संचालक, शिक्षा, बस्तर संभाग, जगदलपुर ने बताया कि एकीकृत शालाओं में एक ही परिसर में पढ़ाई होने से बच्चों को नियमित स्कूल आना आसान होगा, जिससे छात्रों की उपस्थिति दर में वृद्धि और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। इसके अलावा, प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी और बचत को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया नियोजित और चरणबद्ध रूप से संपन्न की जा रही है, जिसका उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और विद्यालय परिसरों को संसाधनयुक्त बनाना है। इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जिससे बस्तर संभाग के हजारों बच्चों को लाभ मिलेगा और छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान बना सकेगा।
रायपुर /शौर्यपथ / मेसर्स अरिहंत स्टील नारायणपुर जिला नारायणपुर के व्यवसाय स्थल पर स्टेट जीएसटी विभाग जगदलपुर द्वारा 31 मई को जांच की कार्यवाही की गई है। जब मौके पर जांच टीम पहुंची तो, देखा कि उनके व्यवसाय स्थल पर व्यवसाय से संबंधित कोई भी लेखा पुस्तक या सॉफ्टवेयर जैसे कि टैली का संधारण नहीं पाया गया, जबकि जीएसटी के प्रावधानों के अनुरूप व्यवसाय स्थल पर समस्त लेखा पुस्तकें रखा जाना अनिवार्य है। व्यवसायी ने बताया कि समस्त बिल, कर सलाहकार द्वारा जारी किया जाता है। इस कारण कर अपवंचन की संभावना और भी प्रबल हो गई। आगे जांच में पाया गया कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक कुल टर्न ओव्हर लगभग 16 करोड़ रुपये से अधिक किन्तु उस पर कर का नगद भुगतान मात्र 43 हजार रुपये का वर्तमान अवधि तक किया गया है।
साथ ही साथ जब ई-वे बिल की जांच की गई तो पता चला कि वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक माल की खरीदी 8.21 करोड़ रुपये की गई किंतु माल की सप्लाई के लिए कोई ई-वे बिल जारी नही किया गया। जिससे यह पता चलता है कि माल का विक्रय आम उपभोक्ता को किया गया है किन्तु बिल को अन्य व्यवसायियों को बेचकर बोगस इनपुट टैक्स का लाभ दिया गया है, जिससे कि केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार को कर राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है। जांच के दौरान व्यवसायी के द्वारा अपनी गलती / त्रुटि स्वीकार करते हुए स्वैच्छिक रूप से 10
लाख रुपये का कर भुगतान करने की मंशा जाहिर की, किंतु जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने व्यवसाय स्थल पर उपलब्ध स्टॉक की मात्रा (अनुमानित कीमत 90 लाख रुपये ) के समर्थन में व्यवसायी से लेखा पुस्तकें एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग की। व्यवसायी की ओर से कोई भी जानकारी एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। व्यवसायी द्वारा अपने परिचित कुछ मीडियाकर्मियों एवं व्यवसायियों को एकत्रित कर जांच टीम पर दबाव डालने का प्रयास किया गया। व्यवसायी के असहयोगात्मक रवैये एवं कर अपवंचन की विस्तृत जांच हेतु स्थानीय पुलिस की उपस्थिति में आगामी कार्यवाही तक व्यवसाय स्थल सील बंद किया गया है।
- सोलर प्लांट लगाने के लिए 30 हजार से 78 हजार रूपए तक का अनुदान
- योजना से लाभान्वित होने ऑनलाईन कर सकते हैं आवेदन
राजनांदगांव /शौर्यपथ /प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से अपने घर के छत पर ही 300 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली उत्पादन किया जा सकता हैं। इसके लिए उपभोक्ताओं को सस्ते ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध किया जा रहा है। इसके साथ ही अधिकतम 78 हजार रूपए का अनुदान भी किया जाता है। हमारे सौर मंडल में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य है। सौर ऊर्जा को ग्रीन एनर्जी भी कहते हैं, क्योंकि इससे बिजली उत्पादन में प्रदूषण नहीं होता। यदि लोगों के घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाए तो यह बिजली आम जनता को नि:शुल्क मिलेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरू की है। जिसके तहत मार्च 2027 तक देश के एक करोड़ घरों में रूफ टॉप सोलर प्लांट लगवाने का संकल्प लिया गया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ में 5 लाख रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। एक से तीन किलोवॉट तक का सोलर प्लांट लगाने के लिए 30 हजार से 78 हजार रूपए तक का अनुदान दे रही है। तकनीकी रूप से तीन किलोवॉट के सोलर प्लांट में हर माह औसतन 300 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। छत पर उत्पादित पूरी बिजली, यदि आपके घर में उसी माह उपयोग नहीं होती तो वह सीएसपीडीसीएल के ग्रिड में संरक्षित कर आगामी माह के उपयोग हेतु उपलब्ध रहेगी। जिसका फायदा लाभार्थी घरेलू उपभोक्ता को निरंतर प्राप्त होता रहेगा। उपभोक्ता पीएम सूर्यघर योजना के पोर्टल या मोबाइल ऐप में जाकर पंजीयन कराएं और इस योजना के सभी लाभ ले सकते हैं। यह योजना बिजली बिल हाफ नहीं बल्कि बिजली बिल समाप्त कर देगी। यानी आपको 3 किलोवॉट के सोलर प्लांट पर 300 यूनिट बिजली हर माह मुफ्त मिलेगी। आप खुद बिजली के उत्पादक भी हैं और उपभोक्ता भी।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत लाभार्थियों को 78 हजार रूपए तक अनुदान सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। इस योजना से बिजली बिल कम और नवीन रोजगार सृजन होगा तथा अक्षय ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। योजनांतर्गत औसत मासिक विद्युत खपत 0-105 यूनिट के लिए 1-2 किलो वॉट के रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 30 हजार रूपए से 60 हजार रूपए तक का अनुदान दिया जाएगा। औसत मासिक विद्युत खपत 150-300 यूनिट के लिए 2-3 किलो वॉट के रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 60 हजार रूपए से 78 हजार रूपए तक का अनुदान। औसत मासिक विद्युत खपत 300 से अधिक यूनिट के लिए 3 किलो वॉट से अधिक रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 78 हजार रूपए तक का अनुदान। ग्रुप हाऊसिंग सोयायटी एवं निवासी कल्याण संघ के लिए 18 हजार रूपए प्रति किलोवाट अनुदान का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से लाभान्वित होने आवेदन करने की प्रक्रिया -
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया 5 स्टेप में की जा सकती है। पहले स्टेप में सबसे पहले पोर्टल 222.श्चद्वह्यह्वह्म्4ड्डद्दद्धड्डह्म्.द्दश1.द्बठ्ठ पर रजिस्टर व पंजीयन कराना होगा। अपने राज्य का चुनाव कर इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, इलेक्ट्रिसिटी कन्ज्यूमर नंबर का चुनाव करना होगा। अपना मोबाईल नंबर और मेल आईडी प्रविष्ट करना होगा। स्टेप-2 में कन्ज्यूमर नंबर और मोबाईल नंबर से लाग-इन कर रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्टेप-3 में अब अपू्रवल के लिए इंतजार करना होगा एवं विद्युत विभाग में पंजीकृत वेंडर से ही सौर संयंत्र लगवायें। स्टेप-4 में एक बार इंस्टालेशन पूरा हो जाने पर प्लांट का विवरण जमा करना होगा और नेट मीटर के लिए ओवदन करना होगा। स्टेप 5 में नेट मीटर की स्थापना और डिस्कॉम द्वारा निरीक्षण के बाद पोर्टल से प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा। स्टेप-6 में कमिशनिंग रिपोर्ट प्राप्त कर, अपना बैंक खाता विवरण तथा निरस्त चेक पोर्टल के माध्यम से जमा करना होगा। इसके बाद तीन दिनों के भीतर आपको सब्सिडी प्राप्त हो जायेगी।
सहकार से समृद्धि के सपने को साकार करने के लिए राज्य की समस्त ग्राम पंचायतों में बहुआयामी सहकारी समितियों के गठन के निर्देश
राज्य में इस साल 1175 दुग्ध, 120 मत्स्य तथा 532 पैक्स के गठन का लक्ष्य
खरीफ 2025 के लिए 7800 करोड़ के ऋण वितरण का लक्ष्य
लगभग 5 लाख किसानों को 2241 करोड़ का ऋण वितरित
मंत्री कश्यप ने की सहकारिता विभाग की समीक्षा
रायपुर/शौर्यपथ / सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने आज महानदी मंत्रालय भवन में सहकारिता विभाग की वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर राज्य में रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति, भण्डारण एवं किसानों को वितरण की स्थिति की गहन समीक्षा की। मंत्री कश्यप ने कहा कि किसानों को सुगमता से रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सहकारी समितियों की है। किसानों की डिमांड को देखते समितियों में नियमित रूप से खाद का भण्डारण एवं वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि किसानों को डीएपी के विकल्प के रूप में अन्य उर्वरकों के उपयोग के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
मंत्री श्री कश्यप ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों को खाद के लिए भटकना न पड़े। निजी क्षेत्र की दुकानों में किसी भी तरीके की गड़बड़ी न हो इस पर भी कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए। उन्होंने उर्वरकों को निर्धारित दाम से अधिक मूल्य पर बेचने और कालाबाजारी की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। मंत्री कश्यप ने कहा कि किसानों के हितों का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ सीजन 2025 के लिए सहकारिता के लिए 10.72 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है। इसके विरूद्ध 4.10 लाख मीट्रिक टन का भण्डारण हुआ है, जो कि लक्ष्य का 38.23 प्रतिशत है। किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों का वितरण जारी है। 31 मई की स्थिति में 1.57 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। सहकारी समितियों में वर्तमान में 2.52 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक उपलब्ध है।
मंत्री कश्यप ने अधिकारियों को राज्य में सहकारिता को मजबूत करने और ग्रामीणों, किसानों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में सहकारी समितियों के गठन के निर्देश दिए। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि सहकारिता से समृद्धि के लिए यह जरूरी है। बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में 11650 ग्राम पंचायतें है, जिनमें 2058 पैक्स, 1958 मत्स्य, 1009 दुग्ध तथा 1055 लघु वनोपज सहकारी समितियां पंजीकृत है। राज्य की 8611 सहकारी समिति विहीन ग्राम पंचायतों का चिन्हांकन कर युक्तियुक्त करते हुए 1279 अतिरिक्त ग्राम पंचायतों को आच्छादित किया गया है। इस वर्ष 1175 दुग्ध, 120 मत्स्य तथा 532 पैक्स के गठन का लक्ष्य है।
बैठक में खरीफ वर्ष 2025 के लिए ऋण वितरण की भी गहन समीक्षा की गई। बैठक में जानकारी दी गई कि इस साल 7800 करोड़ रूपए के ऋण वितरण के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 4.90 लाख किसानों को 2441 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया जा चुका है। बैठक में अधिकारियों को 30 जून तक सभी सहकारी समितियों का ऑडिट पूरा कराने के निर्देश दिए है।
बैठक में सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव सी.आर. प्रसन्ना, एमडी मार्कफेड श्रीमती किरण कौशल, संचालक कृषि राहुल देव, अपेक्स एमडी के.एन. काण्डे, अपर आयुक्त श्री हितेश दोषी सहित सभी संभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव में प्राचीन शिव मंदिर परिसर में महालक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह के सदस्यों को कयाकिंग 05 नग नाव प्रदाय किया और संयुक्त वन प्रबंधन समिति भोंगापाल को तमुर्रा नाला में बांस नौका विहार केंद्र के शुभारंभ के लिए सामग्री बांटी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महिला समूह के अध्यक्ष सुनीता नाग सहित अन्य सदस्यों से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्राचीन शिव मंदिर परिसर भोंगापाल में पीपल के पौधे का रोपण किया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, विधायक सुश्री लता उसेंडी, विधायक नीलकंठ टेकाम, बौद्ध धर्मगुरु भदन्त आर्य नागार्जुन सुरई ससई, अनिल खोब्रागड़े संयोजक बुद्ध महोत्सव और बड़ी संख्या में बौद्ध समाज के अनुयायी, प्रबुद्धजन मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने देवांगन समाज के महाकुंभ में समाज के लोगों को विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सहभागिता की अपील की
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम रायपुर में देवांगन समाज के महाकुंभ को संबोधित करते हुए कहा कि देवांगन समाज मेहनतकश और खुशहाल समाज है। समाज के लोग उन्नत खेती और व्यवसायी के रूप में छत्तीसगढ़ की विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह समाज न केवल खेती और व्यापार में अग्रणी है, बल्कि शिक्षित और संगठित भी है। शिक्षा, सांस्कृतिक, कला, कृषि, व्यापार सभी क्षेत्रों में समाज के लोगो ने अपना वर्चस्व दिखाया है। उन्होंने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास कर रहा है। मोदी की गारंटी मतलब गारंटी का पूरा होना है। सरकार ने पिछले डेढ़ वर्षाे में किये गए वायदों को लगभग पूरा कर दिया गया है। सरकार बनते ही सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में 18 लाख से अधिक आवास की स्वीकृति पर मुहर लगाई गई। छत्तीसगढ़ में नारी सशक्तिकरण के लिए महतारी वंदन के माध्यम से महिलाओं को राशि दी जा रही है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है और सिलाई-कढ़ाई-सब्जी उत्पादन जैसे कार्यों से अपनी आमदनी बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजनों की मांगों, शिकायतों और सुझावों के लिए सरकार ने प्रदेशव्यापी सुशासन तिहार का आयोजन किया। इस सुशासन तिहार में सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी जनता के बीच जाकर मांगो, समस्याओं और सुझाव को सुनकर निराकरण किया। सुशासन तिहार में सुदूर वनांचल क्षेत्रो के साथ मैदानी क्षेत्रों में जाकर लोगो से रूबरू होकर योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी ली। सुशासन तिहार में छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों का दौरा किया हूं। योजनाओं की जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग की। जनता जनार्दन से फीडबैक लिया। तीन चरणों में संपन्न सुशासन तिहार में 41 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए है, जिसका निराकरण किया गया है। प्रदेश में सुशासन स्थापित करने में हम कामयाब हुए हैं। सरकार द्वारा राज्य के विकास और सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने भ्रष्टाचार के सभी रास्तो को बंद किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद नामांतरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे आम जनता को राहत मिली है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अधिकतर कार्य ऑनलाइन किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य में लागू उद्योग नीति की सराहना पूरे देश मे हो रहा है। प्रदेश में साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। वर्तमान में नवा रायपुर में सेमीकंडक्टर प्लांट के निर्माण का कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। राज्य में उद्योगों की स्थापना के साथ राज्य के युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
कार्यक्रम को उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन, विधायक किरण देव ने भी संबोधित किया। देवांगन समाज के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप देवांगन ने स्वागत उद्बोधन में देवांगन महाकुंभ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में देवांगन महाकुंभ पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर विधायक मोती लाल साहू, पुरन्दर मिश्रा, समाज के पदाधिकारीगण और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने रविवार को बुद्ध जयंती के अवसर पर कोंडागांव जिले के भोंगापाल में भगवान गौतम बुद्ध की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। इस दौरान बोधगया से पधारे बौद्ध साधुवृन्द भंते अश्वजीत महाथेरा, भंते ज्ञानवंश थेरो, भंते शीलवंश थेरो, भंते प्रमोद एवं भंते डीन वियतनाम द्वारा बुद्धम शरणम गछम मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना करवाया गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि भोंगापाल 6 वीं शताब्दी का चैत्य है, जहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है।
इस मौके पर विधायक केशकाल नीलकंठ टेकाम सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के अलावा कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना, एसपी वाय अक्षय कुमार और अन्य अधिकारी तथा बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी मौजूद थे।
कवर्धा/शौर्यपथ /धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान से कबीरधाम जिले 275 आदिवासी ग्रामों और वहां रहने वाले ग्रामीणों की तकदीर तस्वीर बदलने वाली है। जिले के पंडरिया, बोड़ला, सहसपुर लोहारा और कवर्धा विकासखण्ड के आदिवासी बाहुल्य ग्रामो में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत आगामी 15 जून से 30 जून तक जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आदिमजाति विकास विभाग, पँचायत ग्रामीण विकास विभाग, जनपद, सहित अन्य विभागों के अधिकारियों की साझा बैठक लेकर 15 जून से शुरू होने वाले इस अभियान की तैयारियों की समीक्षा की। कलेक्टर श्री वर्मा ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि यह अभियान राज्य तथा केंद्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल है,पूरी संवेदनशीलता के साथ चिन्हाकित ग्राम पंचायतों में शिविर का आयोजन करें और शासकीय योजनाओं से वंचित परिवारों तथा ग्रामीणों को इस अभियान के माध्यम से लाभ दिलाए।
कलेक्टर ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास और वहां निवासरत अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ 2 अक्टूबर 2024 को किया गया। यह अभियान पीएम-जनमन योजना की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसके अंतर्गत 17 मंत्रालयों द्वारा संचालित 25 गतिविधियों को समन्वित रूप से आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में लागू किया जा रहा है। इसी कड़ी में कबीरधाम जिले के 275 आदिवासी बहुल ग्रामों में आगामी 15 जून से 30 जून 2025 तक व्यापक स्तर पर जागरूकता एवं संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जहां विभिन्न योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को मौके पर ही प्रदान किया जाएगा।
जिले के अंतर्गत विकासखंड बोड़ला के 226, पंडरिया के 41, स.लोहारा के 07 एवं कवर्धा के 01 ग्राम इस अभियान में शामिल किए गए हैं। इन शिविरों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवारों और सदस्यों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, जनधन खाता, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, वृद्धावस्था, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन योजनाओं का लाभ मिलेगा। साथ ही मनरेगा, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, मुद्रा ऋण जैसी रोजगारोन्मुखी योजनाएं तथा पीएम मातृवंदना योजना के अंतर्गत भी पंजीयन की सुविधा दी जाएगी। शिविरों में संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों की उपस्थिति में मौके पर ही पंजीयन, दस्तावेजीकरण और सत्यापन की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
यह अभियान केवल तात्कालिक सुविधाओं के वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके अंतर्गत आगामी पांच वर्षों की दीर्घकालिक योजना के तहत इन ग्रामों को पूर्ण रूप से संतृप्त किया जाना है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान, गांवों में सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का उन्नयन, कौशल विकास केंद्रों की स्थापना तथा स्थानीय युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण की व्यवस्था सम्मिलित है। धरती आबा अभियान के माध्यम से शासन की मंशा है कि आदिवासी ग्राम केवल सुविधाजनक ही नहीं, बल्कि सशक्त, आत्मनिर्भर और अवसरों से परिपूर्ण बनें।
सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कबीरधाम श्री स्वर्णिम शुक्ला ने बताया कि सभी विभागों को परस्पर समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे शिविरों के माध्यम से योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक हितग्राहियों तक पहुंचाया जा सके।
धरती आबा अभियान में 275 ग्राम होंगे लाभान्वित
कबीरधाम जिले में धरती आबा अभियान के तहत आगामी 15 जून से 30 जून तक जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर आयोजन शुरू होने जा रहा है।। इस अभियान एवं योजना में 17 मंत्रालयों की 25 योजनाओं को शामिल किया गया है। उस योजना भारत और राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। जिसमे जिले के बोड़ला के 226, पंडरिया के 41, सहसपुर लोहारा के 7, कवर्धा का 1 ग्राम शामिल है। इस अभियान एवं शिविर के माध्यम से आधार, राशन, आयुष्मान, किसान सम्मान निधि, बीमा, पेंशन, रोजगार, मातृवंदना जैसी योजनाएं शामिल है, इन योजनाओं से वंचित परिवार, व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा। आगामी 5 वर्षों में पक्के मकान, सड़क, बिजली, पानी, मोबाइल स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास के कार्य शामिल है।
जिले में 264 ओ.आर.टी. कॉर्नर स्थापित
महासमुन्द/शौर्यपथ /आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. कुदेशिया ने सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को संभावित मौसमी बीमारियों एवं आपदा प्रबंधन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे सतर्कता एवं सावधानी बरतें ताकि उल्टी-दस्त, मलेरिया, पीलिया व अन्य संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहा जा सके। समय पर रोकथाम नहीं होने की स्थिति में ये बीमारियाँ गंभीर रूप ले सकती हैं। जिले के सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मितानिनों (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता)और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु जनजागरूकता और उपचार संबंधी कार्यों में लगी हुई हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनसामान्य के लिए मौसमी बीमारी से बचाव के लिए सुझाव एवं सावधानियाँ बताई गई है जिसमें खाद्य एवं पेय पदार्थों को ढँक कर रखें। बासी, सड़े-गले फल या भोजन का सेवन न करें, ताजा भोजन ही ग्रहण करें। दस्त होने पर ओ.आर.एस. (जीवन रक्षक घोल) का नियमित सेवन करें। पीने के लिए पानी को उबालकर या क्लोरीन की गोली डालकर उपयोग करें। भोजन से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोएँ और स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रारंभिक लक्षण पर 104 आरोग्य सेवा केंद्र या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
दस्त या डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं की स्थिति में घरेलू उपचार के रूप में नारियल पानी, नमकीन लस्सी, नींबू पानी (शिकंजी), चावल का मांड, हल्की चाय और दाल का पानी जैसे तरल पदार्थों का सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करने में सहायक होता है। ये तरल पदार्थ न केवल शरीर को हाइड्रेट रखते हैं, बल्कि आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति में भी मदद करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने जिले में कुल 264 ओ.आर.टी. कॉर्नर की स्थापना की है, जिसमें 227 उप स्वास्थ्य केंद्र, 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 05 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 01 अर्बन पीएचसी, 01 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शामिल हैं। इन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
मितानिनों की दवा पेटियों में ओ.आर.एस., जिंक, पेरासिटामोल जैसी आवश्यक दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं। जिले में वर्तमान में 65,102 ओ.आर.एस. पैकेट एवं 1,64,300 जिंक टैबलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। स्वास्थ्य विभाग महासमुन्द द्वारा सभी नागरिकों से अपील की गई है कि मानसून के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या में तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें एवं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाएँ।
महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्य करने वाले ग्रामीण परिवारों ने पेश की मिसाल
ग्रामीणों की भागीदारी से मोर गांव मोर पानी महा अभियान बन रहा जन आंदोलन
कवर्धा/शौर्यपथ /आगामी वर्षा ऋतु में जल संरक्षण कर भू-जल स्तर में वृद्धि करने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को जागरूक करने का कार्य कबीरधाम जिले में जोर-शोर से चल रहा है। इसी कड़ी में आज मोर गांव मोर पानी महा अभियान अंतर्गत जिले के ग्रामीण अंचलों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत रोजगार करने वाले 52 हजार 8 सौ से अधिक ग्रामीणों ने एक साथ जल संरक्षण की शपथ लेकर सभी के लिए मिसाल पेश की। तालाब निर्माण कार्य, डबरी निर्माण कार्य, तालाब गहरीकरण कार्य, अमृत सरोवर निर्माण, पशु शेड निर्माण, नाला पुनरूद्धार कार्य एवं प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास निर्माण जैसे अनेक कार्यों में लगे सदस्यों ने यह शपथ ली। निर्माण कार्य में लगे ग्रामीणों को मैदानी कर्मचारियों तकनीकी सहायक एवं ग्राम रोजगार सहायक द्वारा भू-जल स्तर में वृद्धि करने के विषय में जानकारी दी गई, जल संरक्षण नहीं होने से गांव में इसके दुष्परिणाम पर विस्तार से बात की गई। ग्रामीणों को प्रेरित किया गया कि वह अपने घरों के साथ खेतो में वृक्षारोपण करें। परंपरागत स्रोतों के माध्यम से बरसात के पानी को रोक तथा समाज के सभी वर्गों को जागृत करने के लिए ग्रामीण आगे आकर अपना योगदान दे। ग्रामीणों ने शपथ लेकर संकल्प लिया कि वह मोर गांव मोर पानी महा अभियान का हिस्सा बनकर अपने पृथ्वी को हरा भरा रखने में पूरा योगदान करेंगे।
पानी बचाने एवं सहजने के लिए हो रहे प्रयासों पर एक नजर में..
* कबीरधाम जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत भवन के बाहर गत वर्ष के एवं वर्तमान के भू-जल स्तर को दर्ज किया गया है। इससे अपने गांव के घटते जल स्तर पर ग्रामीणों को सीधे जानकारी मिल रही है।
* जिले के वनांचल क्षेत्र से लेकर मैदानी ग्राम पंचायतो तक बड़ी मात्रा में दीवार लेखन कर पानी के महत्व को बताया जा रहा है।
*पानी रोकने के लिए विभिन्न नारो के साथ गांव के अंदर रैलियां की जा रही है। सभी सार्वजनिक जल स्रोतों के स्थलों पर श्रमदान से स्वच्छता का कार्य हो रहा है।
* बड़ी संख्या में निर्माण कार्य मे लगे ग्रामीणों को घटते जल स्तर से होती परेशानियां एवं जल संरक्षण करने के विभिन्न स्थानीय उपायों पर जानकारी दी जा रही है।
*अनावश्यक एवं व्यर्थ बहने वाले पानी को रोकने के संबंध में विशेष प्रयास करने के लिए ग्रामीणों से आह्वान किया जा रहा है।
कलेक्टर कबीरधाम श्री गोपाल वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि इस वर्षा ऋतु जल संरक्षण का अभियान जन आंदोलन का रूप ले सके। समाज के प्रत्येक व्यक्तियों की भागीदारी से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि सभी शासकीय कार्यों में लगे लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह स्थानीय उपाय कर जल संरक्षण करें। शासन की योजनाओं से पानी को रोकने वाले विभिन्न संरचनाओं का निर्माण तीव्र गति से कराया जा रहा है जिससे कि वर्षा प्रारंभ होते ही इसमें जल संरक्षण हो सके और भू-जल स्तर में वृद्धि करने में मदद मिल सके।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कबीरधाम श्री अजय कुमार त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं केंद्र सरकार द्वारा संचालित आकाक्षी विकासखंड कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण के कार्य जिले में हो रहे हैं। मोर गांव मोर पानी महा अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने आज महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 391 ग्राम पंचायतों में चल रहे 3849 कार्यो में लगे 52 हजार 8 सौ से अधिक ग्रामीणों ने एक साथ जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया है।
4 दिवसीय प्रशिक्षण से जल संरक्षण के लिए बनेगी विशेष रणनीति
कबीरधाम जिले के सभी 471 ग्राम पंचायतो के सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, आवास मित्र, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान की स्व सहायता समूह की दीदीयो ग्राम संगठन के सदस्य जनपद प्रतिनिधियों सहित विभिन्न विभागों के मैदानी कर्मचारियों का प्रशिक्षण आज से प्रारंभ हो रहा है।16 क्लस्टर में आयोजित होने वाले 4 दिवसीय प्रशिक्षण में स्थानीय स्तर पर पानी रोकने के विभिन्न उपायों पर जानकारी दिया जाएगा। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य गांव में रहने वाले स्थानीय व्यक्तियों को भू-जल स्तर एवं जल संरक्षण के महत्व को बताना है। तथा इनके माध्यम से अन्य ग्रामीणों को इस कार्य के लिए प्रेरित कर इस अभियान से जोड़कर इसे सफल बनाना है।