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शौर्यपथ लेख / डॉ. सिद्धार्थ शर्मा की कलम से ../ सनातन धर्म या वैदिक धर्म का आधार ही ये छोटा सा निशान ? है, जिसने महाकाव्यों की रचना करवा दी। जब भगवान कृष्ण से अर्जुन ने सवाल पूछा तो विश्व को गीता मिली। जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा तो शिवपुराण का प्रादुर्भाव हुआ। एक अंधविश्वास को विश्वास से अलग ये सवाल ही तो करता है। सिर्फ ये सवाल ही तो है जो न्यूटन के सर पर सेब ने पूछा था। इसी सवाल के जवाब ने तो हमें गति के सिद्धांत तक पहुचा दिया। गुरुत्वाकर्षण की खोज हुई। हम उनमें से तो नही जिनपर सवाल उठाया जाए तो तलवारें निकल आती है? भारत का लोकतंत्र चाइना की डेमोक्रेसी से अलग कैसे है? इस सवाल पूछने के अधिकार पर हम आज लोकतांत्रिक हैं।
पर आज कुछ धर्म के ठेकेदार हमसे हमारा लोकतांत्रिक अधिकार ही छीन लेना चाहते हैं। रियलिटी शो में अपनी अंधी माँ और विधवा बहन पर रोता प्रतिभागी संगीत को पीछे छोड़ते हुए अपनी दुखद स्थिति पर संगीत का सिरमौर बन जाता है। जनता भावुक है और कमजोर का साथ देने एकजुटता भी दिखती है पर किस कीमत पर? आज समय अलग है। कभी कहा जाता था जात न पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान। पर अब के साधु ज्ञान पूछने पर जात बताने लगे हैं। जब ईश्वर सवालों से परे नही तो व्यक्ति कैसे? पतंजलि के दावे पर सवाल उठना पतंजलि पर उंगली उठाना और पतंजलि पर उंगली उठाना आयुर्वेद पर उंगली उठाना? क्या ये सवाल पूछने के उस मौलिक अधिकार का हनन नही? बाबा ने सवाल पूछने वाले बुद्धिजीवियों को आयुर्वेद,भगवा,सनातन का विरोधी बता दिया साथ ही अपनी जाति का भी। बाबाजी आयुर्वेद आपके पहले भी था और आपके बाद भी होगा। हम सब आयुर्वेद के लाभार्थी हैं इसके ठेकेदार नही। आज भी हाथ कट जाए तो हमारी माताजी हल्दी ढूंढने लगती है। चाहे आपकी महत्वकांशा हो पर राजनीति को आयुर्वेद से दूर रखिये।
बाबा रामदेव का इंटरव्यू विरोधियों को घेरता हुआ जाती,आयुर्वेद, सनातन के आसपास घूमता रहा पर मजे की बात थी कि उन्होंने एक बार भी कोरोनिल के कोरोना की दवा होने का दावा इस घंटे भर चले इंटरव्यू में नही किया। साथ ही शब्दों की जादूगरी दिखाते हुए आयुष मंत्रालय की तारीफ के कसीदे पढ़े और कोरोना के इलाज की ओर बढ़ता कदम बताया। ध्यान दीजिए कदम। शुरुवात। हालांकि 23 तारीख को ये कदम चांद की धरती पर था।।
बालकृष्ण जी के इंटरव्यू ने साफ किया कि उन्होंने कोरोना इलाज का न कभी दावा किया न प्रचार, हालांकि दिव्य कोरोना किट की क्लोजप फ़ोटो और बाबाजी के 100% सफलता के दावे को दरकिनार करते हुए उन्होंने सिर्फ ट्रायल में कोरोना रोगियों के ठीक होने की बात को माना पर कोरोनिल को इसका कारण बताने से इनकार कर दिया। अब इस फजीहत के बाद आखरी हथियार बचा था जो बाबाजी ने आज निकाल लिया। आयुर्वेद का नाम और सनातन की साख।।
बाबाजी ने जिस युग और आनंद हॉस्पिटल में ट्रायल का दावा किया उसका सच भी सामने आ गया कि 2 कोरोना मरीजों के पाये जाने के बाद 65 मरीजों को quaranteen किया गया उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव कभी था ही नही। आयुष मंत्रालय ने भी बताया कि सिर्फ असिम्प्टोमैटिक मरीजों पर ट्रायल हुआ था जो वैसे भी बिना दवा 3 दिन में ठीक हो रहे थे। आयुष मंत्रालय से सर्दी का लायसेंस लेकर ये दवा कोरोना की कब और कैसे बनी इसपर विश्व आश्चर्यचकित है और अब तो बाबा भी।
रातों रात गिरता शेयर मार्केट के बीच supporters ने सोशल मीडिया ने कभी नकली लायसेंस दिखाया कभी फर्जी Dr मुजाहिद हुसैन को बाहर का रास्ता दिखाया। लेकिन सच छुपता नही। दर्ज होते fir और प्रदेशों में लगते बैन ने सच को फिर सबके सामने ला दिया।
सच ही तो है कि
#बिना विचारै जो करे सो पाछे पछताए, काम बिगड़ौ आपनो जग मा होत हँसाये
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