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खेल /शौर्यपथ / इंग्लैंड ने कोरोना काल में पहली बार भारत में खेली जा रही पहली इंटरनेशनल क्रिकेट सीरीज के पहले मुकाबले में भारत को 227 रनों से हरा दिया। चेन्नई में खेले गए इस मैच में भारत लेफ्ट आर्म स्पिनर जैक लीच (76 रन पर चार विकेट) और अनुभवी तेज गेंदबाज एंडरसन (17 रन पर तीन विकेट) की सधी हुई गेंदबाजी के सामने 420 रन के विश्व रिकॉर्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए कप्तान विराट कोहली (72) और शुभमन गिल (50) के अर्धशतकों के बावजूद 58.1 ओवर में 192 रन पर ढेर हो गई। भारत की पारी शुरू होने से पहले उस समय विश्व क्रिकेट में एक बहस छिड़ गई कि क्यों इंग्लैंड के कप्तान जो रूट ने दूसरी पारी को घोषित ना करते हुए टीम के ऑलआउट होने तक का इंतजार किया।
मैच खत्म होने के बाद उनसे इस बात पर राय भी ली गई कि आखिरकर क्यों उन्होंने ऐसा किया। इस पर जवाब देते हुए रूट ने कहा कि, ''मैं सुनिश्चित करना चाहता था कि मैच के दो ही संभावित नतीजे हो। अगर हम यह मैच हार जाते तो खराब शुरुआत होती।'' इसके अलावा उन्होंने दूसरे कारण में भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत का भी नाम लिया। वो अच्छे से जानते थे कि मौका मिलने पर पंत उनके खिलाफ कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं।
रूट का यह डर जायज भी है, क्योंकि हाल ही में पंत ने टीम को ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने दोनों देशों के बीच ब्रिसबेन के गाबा मैदान पर खेले गए सीरीज के निर्णायक मैच में नाबाद 89 रनों की पारी खेलकर जीत दिलाई थी। उस समय भारत 328 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था। उन्होंने यहां वनडे क्रिकेट की स्टाइल में खेलते हुए कंगारू टीम से उनके घर में ही जीत छीन ली और टीम को लगातार दूसरी बार सीरीज का विजेता बनाया। उनके इस प्रदर्शन के लिए आईसीसी द्वारा जनवरी महीने का बेस्ट क्रिकेटर भी चुना गया।
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