June 22, 2025
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"उम्मीदों की उड़ान: जब साय सरकार बनी बेटी के सपनों की संबल " “बेटी, तुम आगे बढ़ो… हम सब तुम्हारे साथ हैं”-सीएम साय Featured

  रायपुर / शौर्यपथ / जब एक खिलाड़ी की आंखों में सपने हों, पर जेब में साधन न हों—तब उसका हौसला सबसे पहले टूटता है। पर छत्तीसगढ़ की धरती पर यह कहानी एक सुखद मोड़ लेती है, जब एक बेटी के सपनों में मुख्यमंत्री स्वयं हाथ थामकर संबल बनते हैं। यह कोई चुनावी वादा नहीं, बल्कि हकीकत है—एक मुख्यमंत्री का भावनात्मक जुड़ाव और संवेदनशील नेतृत्व, जो न सिर्फ सुनता है, बल्कि जरूरतमंद के जीवन को बदलकर रख देता है।
  शालू डहरिया की कहानी—हर उस परिवार की कहानी है, जहां बेटियां सपने तो देखती हैं लेकिन उन्हें पूरा करने की राह में आर्थिक दीवारें खड़ी हो जाती हैं। शालू डहरिया—जांजगीर चांपा की एक सामान्य परिवार की बेटी, जिसकी माँ ब्यूटी पार्लर चलाती हैं और पिता सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते हैं। लेकिन साधनों की सीमाएं शालू की हिम्मत को रोक नहीं सकीं। आठवीं कक्षा से सॉफ्टबॉल खेलना शुरू करने वाली शालू अब तक 12 बार राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, और इस बार चुनी गई हैं एशिया यूथ सॉफ्टबॉल चैंपियनशिप के लिए, जो कि जुलाई में चीन के सिआन शहर में आयोजित होगी।
  लेकिन जब इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भागीदारी के लिए ₹1.70 लाख की फीस उनके सामने एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हुई—तभी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एक पिता की तरह आगे आए।

“बेटी, तुम आगे बढ़ो… हम सब तुम्हारे साथ हैं”
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के यह शब्द केवल प्रोत्साहन नहीं थे—ये एक मुख्यमंत्री की निजता से उपजी संवेदनशीलता का प्रतीक थे। उन्होंने शालू को वीडियो कॉल के माध्यम से शुभकामनाएं दीं और तत्परता से ज़रूरी आर्थिक सहायता देने का भरोसा दिया। महज कुछ ही घंटों में जांजगीर चांपा कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर शालू को ₹1.70 लाख की सहायता राशि सौंपी।

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि छत्तीसगढ़ सरकार केवल नीतियों और घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि जरूरत के हर मोड़ पर आमजन के साथ खड़ी एक जीवंत और उत्तरदायी शासन व्यवस्था है।

यह घटना सिर्फ शालू डहरिया की नहीं है—यह प्रदेश की हर बेटी की है।

छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल दिखाती है कि बेटियों को ‘बोझ’ नहीं, बल्कि ‘गर्व का कारण’ माना जाता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह संवेदनशीलता सरकार के उस दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें योजनाओं के साथ-साथ मानवीयता भी जीवंत है।

शालू की माँ अल्का डहरिया के आंसू उस राहत और कृतज्ञता के प्रतीक हैं जो एक माता तब महसूस करती है, जब उसकी बेटी के सपनों को उड़ान देने के लिए सरकार साथ खड़ी हो जाती है।

आज जब देशभर में भरोसे की राजनीति सवालों के घेरे में है, तब छत्तीसगढ़ सरकार की यह मानवता-प्रधान कार्यशैली एक उदाहरण बन रही है। यह बताती है कि नेतृत्व वही सच्चा होता है जो हर घर की पीड़ा को अपनी जिम्मेदारी समझे।

मुख्यमंत्री श्री साय की यह पहल केवल एक खिलाड़ी के लिए आर्थिक मदद नहीं थी, बल्कि यह विश्वास का एक मजबूत संदेश थी—कि छत्तीसगढ़ में सरकार केवल सत्ता नहीं, संवेदना का नाम है।


 विचार:

> "जब सरकार बेटियों की आंखों में सपनों की चमक देखती है, तभी समाज प्रगति की ओर बढ़ता है।"

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