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भिलाई में निकली गफ्फार कालोनी से केवल एक ताजिया, ताजियादार सिर्फ सेहरा लेकर पहुंचें करबला,इमामबाड़ों में ही सोशल डिस्टेंसिंग में ढोल के साथ दिखाये करतब
दुर्ग / शौर्यपथ / इस साल का मोहर्रम भी कोरोना के भेंट चढ गया। शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार ही इस बार मोहर्रम मनाया गया जिसके कारण इस बार अखाड़ा और जुलूस नही निकला। हर मोहर्रम को पूरे शहर में चहल पहल रहता था लेकिन आज के दिन सड़ों पर सन्नाटा छाया रहा। मोहर्रम पर इस बार केवल रस्म अदायगी की गई। कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के अनुरूप इस बार सिर्फ एक ताजिया करबला मैदान तक पहुंचा। वहीं शेष सभी ताजिए अपने-अपने मकाम पर ही रहे, जहां दिन में फातिहा ख्वानी और लंगर में सीमित तादाद में लोग शामिल हुए। करीब 22 ताजियादार अपने ताजिए से सेहरे के फूल लेकर करबला पहुंचे और शाम को कुल की फातिहा के बाद लोग अपने घरों को लौटे।
हर साल जहां एक एक से एक ताजिया लोगों को देखने को और विशेष रूप से महाराष्ट्र का मटका पार्टी सुनने और इस अवसर पर जगह जगह चौक चौराहों पर लोगों को करतब देखने और शरबत खिचड़ा और हल्वा सहित अन्य सामान खाने पीने को मिलता था और मोहर्रम के ढोल ताशों की गुंज रहती थी इस बार लोगों को सुनने को नही मिला। कोरोना के वबा को देखते हुए इस आर सुप्र्रीम कोर्ट एवं सरकार तथा प्रशासन द्वारा ताजिया निकालने पर रोक लगा दिया गया। केवल एक ताजिया सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड के नियमों के गाईड लाईन के ध्यान में रखते हुए निकालने का परमीशन दिया गया था जिसके तहत गफ्फार कालोनी से एक ताजिया निकलकर पावर हाउस, के बाद टाउनशिप न जाकर सीधे करबला शरीफ पहुंची। यहां रस्म अदा करने के बाद ताजिया वापस अपने इमाम बाड़े की ओर चले गई और वहीं बाकी ताजियादार सिर्फ सेहरा लेकर ही कर्बला पहुंचें। प्रशासन की ओर से कोरोना से जुड़े दिशा-निर्देश का पालन करवाने पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई। यहां करीब 45 ताजिया, अखाड़ा और सवारी से जुड़ी अंजुमन के ओहदेदारों की मौजूदगी में कुल की फातिहा हुई और इसके बाद लोग अपने घरों को लौटे। शनिवार की रात मोहर्रम की नवमीं को फरीदनगर,कोहका, सुपेला सहित इमामबाड़ों पर ताजिया रखा गया। फातिहा की गई। नवमीं की रात में शहादत हुसैन यंग अखाड़ा कमेटी इमामबाड़ा चौक सुपेला में क्षेत्र के सभी घरों में लंगर का खाना पहुंचाया गया। फातिहा कर देश में अमन चैन की दुआएं मांगी।
इमामबाड़ों में ही इस बार लोगो ने दिखाएं करतब
इमामबाड़ों में ही इस बार बजा ढोल, और इक्का, दुक्का लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सेक्टर 6 मामा-भांजा मजार के पास सड़क 35-36 में इमामबाड़ा में शेरे इस्लाम अखाड़ा के सदस्यों ने तथा रूआबांधा, रिसाली, सेलूद, स्टेशन मरोदा, सेक्टरों तथा फरीदनगर, कोहका, अयप्पा नगर, कृष्णा नगर, रामनगर, केम्प एक, केम्प 2, पॉवर हाउस, हाउसिंग बोर्ड, जब्बार कालोनी, खूर्सीपार, न्यूू खूर्सीपार सहित अन्य जगहों के इमामबाड़ों में वहां के अखाड़ा के सदस्यों ने अपना करतब दिखाया और वहीं पर शरबत और शिरनी तथा खिचड़ा बांटे।
मस्जिद में लोगों ने पढ दुआएं आशूरा
हर साल की तरह इस साल भी दोपहर को बाद नमाज-ए-जोहर दुआएं आशूरा सोशल डिस्टेंसिंग में बैठकर लोगों ने पढा। जामा मस्जिद सेक्टर 6 के पेशईमाम जनाह इकबाल अंजुम अशरफी ने सभी को दुआएं आशूरा पढाया और सभी के हक में दुआएं की। उसके बाद सेक्टर दस निवासी शेख कमाल रजा ने पॉलिथीन में पैककर सबकों खिचड़ा वितरण और अन्य कुछ लोगों ने मिठाई का वितरण किया।
शिया समुदाय ने भी सादगी से मनाया मोहर्रम, आज इमाम हुसैन की होगी मजलिस शिया समुदाय ने भी मुहर्रम की मजलिसें कोरोना से जुड़े दिशा-निर्देश के अनुरूप आयोजित की।
शहर में हास्पिटल सेक्टर व प्रियदर्शिनी परिसर के इमामबाड़े-मस्जिद में समान दूरी बनाते हुए मातम किया गया। वहीं 10 मुहर्रम पर रविवार को सुबह आमाल में 4 रकअत नफिल नमाज के बाद आशूरे की दुआ पढ़ी गई। दोपहर में इमामबाड़े में ही एकमात्र ताजिया निकाला गया जो पास में गश्त करते हुए वापस लौटा। रविवार को ही शाम-ए-गरीबां रखी गई। जिसमें नौहा-मरसिया पढ़ा गया। लोगों ने मातम मनाया। अब 31 अगस्त को जियारत में इमाम हुसैन की मजलिस इन इमामबाड़ों में की जाएगी। शिया समुदाय ने पहली बार 10 दिन की तकरीर के लिए बाहर से किसी आलिम को नहीं बुलाया। हर साल जिक्रे शोहदाए करबला के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां आलिम बुलाए जाते रहे हैं।
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