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रायपुर । शौर्यपथ । वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने बताया की श्री नरेंद्र मोदी जी ने सीआईआई को लाइव संबोधित करते हुए कहा की खनिज संसाधनों विशेषकर कोयले को खुलेआम पूरे विश्व में बेचा जा सकेगा, किसानों को सरकार की ओर देखने की जरुरत नहीं है वह अपने उत्पाद कहीं भी बेच सकेंगे तथा आत्मनिर्भर बनो। बिस्सा ने कहा की केंद्र सरकार को यह समझ नहीं आ रहा की खनिज संपदा को बेचकर क्षणिक जीडीपी तो बढ़ाई जा सकती है लेकिन यह घर फूंक कर तमाशा देखने जैसा ही होगा। खनिज संपदा लाखों करोड़ों वर्ष में बनकर तैयार होती है। यह हमारी धरोहर है। देश के कुल कोयला भंडारण का 17.91% छत्तीसगढ़ में है। जो लगभग 54912 मिलियन टन होता है। आज जिस गति से कोयले का उपयोग हो रहा है उसी को मापदंड माने तो आने वाले चार पांच दशकों में हम पूरा कोयला खोद चुके होंगे। क्या यह कदम दूर दृष्टि भरा रहेगा, इस दिशा में सोचने की जरूरत है। बिस्सा ने बताया की छत्तीसगढ़ के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय श्री रामचंद्र सिंहदेव जी कहा करते थे कि खनिज भंडार हमारी संपत्ति है। उसका उतना ही दोहन होना चाहिए जितना कि हम अपने उत्पादन में कर सकते हैं। क्योंकि खनिज संसाधनों का मनमाना दोहन कर उसे खत्म कर दिया तो आने वाले समय में हमारे पास सिर्फ और सिर्फ लाचारी बचेगी। बिस्सा कहा की ने इस देश के अर्थशास्त्रीयों, जागरुक व समझदार लोगों को इस विषय पर अपनी नाराजगी जरुर व्यक्त करना चाहिये। खनिज संपदा बैंक में जमा एफडी की तरह होती है जो हमारे लिये भविष्य के उद्योगों, रोजगार के साधनों में उपयोगी होगी। उसे ऐसे ही नहीं बेचा जा सकता। बिस्सा ने कहा की श्री मोदी जी भाषण का दूसरा बिंदु था किसान अपनी उपज कहीं भी कभी भी बेच सकेंगे। सुनने में तो यह बहुत अच्छा लगता है। लेकिन ये इस बात का घोतक भी हो सकता है कि वे भविष्य में सरकार द्वारा किसानों से निश्चित मूल्य पर सीधी खरीदी को ही हाशिए पर डाल दिया जाये। अगर ऐसा हुआ तो किसान मुश्किल में पड़ जायेगा। अभी सरकारें समर्थन मूल्य पर जो कृषि उपज खरीदती है उसके पीछे कारण यही रहता है कि किसानों की मजबूरियों का गलत लाभ कहीं बिचौलिए व दलाल ना उठा लें, तथा मुनाफाखोर हावी ना हो जाए। जिसका दुष्परिणाम अंततः किसान व देशवासियों को झेलना पड़े । बिस्सा ने बताया की तीसरा बिंदु था आत्मनिर्भर बनो। यह बात ऐसी ही लग रही थी जैसे केंद्र सरकार आम जनमानस को गोलमोल शब्दों में यह बताना चाह रही हो कि अब वह जवाबदारियां लेने में अक्षम होती जा रही है। देशवासियों को स्वयं ही संभलना होगा। आत्मनिर्भर बनों जैसा नारा देकर सरकार अपनी जवाबदारी से भाग नहीं सकती। बिस्सा ने कहा की कुल मिलाकर मोदी जी का उद्बोधन चिंता का विषय है जिस पर आम जनमानस को गहराई से चिंतन करना चाहिए वरना आने वाला जीवन बहुत कठिन और दुष्कर हो जाएगा। राजेश बिस्सा वरिष्ठ कांग्रेस नेता 9753743000
नई दिल्ली: / शौर्यपथ / देश की राजधानी दिल्ली में रविवार को पकड़े गए दो पाकिस्तानी जासूसों में से एक सेना के जवानों और सैन्य हथियारों को ले जानी वाली ट्रेनों की आवाजाही पर नजर रखने की कोशिश कर रहा था. मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है. दोनों जासूसों को सोमवार शाम को पाकिस्तान वापस भेज दिया गया है. भारत सरकार ने दोनों पाकिस्तानी अधिकारियों को 24 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया है. दोनों पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम करने का आरोप है.
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान उच्चायोग (Pakistan High Commission) के वीज़ा सेक्शन में असिस्टेंट वीज़ा ऑफिसर के तौर पर काम करने वाले 42 साल के आबिद हुसैन और 44 साल के मोहम्मद ताहिर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार को दिल्ली के करोलबाग से हिरासत में लिया. इन पर आरोप है कि ये दोनों पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम करते हैं और भारत में जासूसी कर रहे थे.
समाचार एजेंसी एएफपी ने दूतावास के अधिकारियों के हवाले से कहा कि दोनों पाकिस्तानी जासूसों को सोमवार रात भारत से पाकिस्तान भेज दिया दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि आबिद हुसैन ने प्रमुख संगठनों और विभागों में काम कर रहे भारतीय अधिकारियों से संबध गांठने के लिए कई फर्जी पहचान पत्र बनवाए हुए थे.
सूत्रों ने बताया कि आबिद के पास से नकली भारतीय आधार कार्ड बरामद हुआ है जिस पर नासिर गौतम और दिल्ली के गीता कॉलोनी का पता लिखा हुआ है.
आबिद हुसैन ने गौतम के नाम से एक मीडियाकर्मी का भाई बनकर रेलवे में काम करने वाले एक कर्मचारी से संपर्क स्थापित किया था. उसने रेलवे के कर्मचारी को बताया था कि उसका भाई भारतीय रेलवे पर एक स्टोरी कर रहा है और उसके लिए उसे ट्रेनों की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं चाहिए. सूत्रों ने बताया कि इसके पीछे उसकी असल मंशा रेलकर्मी को फंसाकर उससे ट्रेन के जरिए सेना के आवागमन और सैन्य उपकरणों की जानकारी हासिल करने की थी.
जांच एजेंसियां अब ये पता लगा रही हैं कि इन लोगों ने भारत में किन-किन लोगों से बातचीत की है और किन-किन लोगों ने इन्हें जानकारी दी थी. सूत्रों की मानें तो ये लोग कुछ रेलवे के कर्मचारियों के संपर्क में थे.
नई दिल्ली /शौर्यपथ / कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रेटिंग एजेंसी मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस द्वारा भारत की रेटिंग ‘बीएए2' से घटाकर ‘बीएए3' किए जाने को लेकर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि अर्थव्यवस्था के संदर्भ में स्थिति इससे ज्यादा खराब होने वाली है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मूडीज ने मोदी की अगुवाई में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को कबाड़ (जंक) से एक कदम ऊपर रेट किया है. गरीबों और एमएसएमई क्षेत्र को मदद के अभाव का मतलब यह है कि आगे हालत ज्यादा खराब होने वाली है.''
गौरतलब है कि रेटिंग एजेंसी मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को भारत की सावरेन (राष्ट्रीय) क्रेडिट रेटिंग को पिछले दो दशक से भी अधिक समय में पहली बार ‘बीएए2' से घटाकर ‘बीएए3' कर दिया. एजेंसी ने कहा है कि नीति निर्माताओं के समक्ष आने वाले समय में निम्न आर्थिक वृद्धि, बिगड़ती वित्तीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र के दबाव जोखिम को कम करने की चुनौतियां खड़ी होंगी. ‘बीएए3' सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है. इसके नीचे कबाड़ वाली रेटिंग ही बचती है.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारतीय उद्योग परिसंघ के 125वें सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था में पड़े असर को दूर करने के लिए कई दूरगामी कदम उठाए गए हैं. पीएम मोदी ने कहा कि वायरस से लड़ने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे साथ ही अर्थव्यवस्था का भी रखना ध्यान होगा. उन्होंने सरकार की ओर से हाल ही में किए गए लघु उद्योंगों और किसानों के लिए किए गए फैसलो का जिक्र किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई श्रम कानूनों भी बदलाव किए जा रहे हैं. आपको बता दें कि उद्योग इन श्रम कानूनों की मांग काफी समय से कर रहा था. कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने श्रम कानूनों में ढील दी है. इसके पीछे तर्क निवेश को बढ़ावा देना था ताकि रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें. जिससे बेरोजगारों की रोजी-रोटी का इंतजाम किया जा सके. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ और तमाम दूसरे संगठनों ने इन फैसलों को मजदूरों के खिलाफ बताया है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने एनडीटीवी से कहा, 'हम राज्य सरकारों के इस पहल के खिलाफ हैं. हम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत श्रम कानून में बदलाव करने पर विचार कर रहे हर राज्य सरकार से ये पूछना चाहते हैं की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने में मौजूदा श्रम कानून कैसे रोड़ा बन रहे हैं? हम किसी भी हालत में श्रमिकों के अधिकारों को स्थगित करने के फैसले के सख्त खिलाफ हैं ".
मध्य प्रदेश सरकार ने क्या किए बदलाव
श्रम कानूनों बदलाव की वो बातें जो सीधे मजदूर विरोधी हैं तो पहले अगर कोई न्यूनतम मज़दूरी ना दे तो लेबर इंस्पेक्टर को अधिकार थे ...कानून तोड़ने वाले पर वो मुकदमा लगा सकता है जिसमें 6 महीने की जेल, 7 गुना जुर्माने का भी प्रावधान था लेकिन अब जांच और निरीक्षण से मुक्ति दे दी गई है.
पहले ये भी प्रावधान थे कि श्रम आयुक्त आदेश दे तो निरीक्षण कराया जा सकता था, शिकायत करने पर वो ऐसे आदेश दे सकते थे लेकिन अब उसे हटा दिया गया है.
पहले से ही 90 प्रतिशत से ज्यादा में श्रम कानूनों का उल्लंघन होता है फिर चाहे 8 घंटे काम की शर्त हो, साप्ताहिक अवकाश या फिर ओवरटाइम की लेकिन अब इस शिकायत के मायने नहीं है.
मध्यप्रदेश औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 लागू थे तो कम से सत्तारूढ़ दल से संबंधित ही सही कामगारों के यूनियन को मान्यता मिल जाती थी जो अब नहीं होगी.
श्रमिक को अधिकार था सीधे लेबर कोर्ट चला जाए लेकिन उसमें जो संशोधन होते रहे पहले ही प्रक्रिया को बहुत जटिल और थकाऊ बनाया जा चुका है जिसमें विवाद की स्थिति में पहले लेबर ऑफिस जाए वो बैठक करेंगे. महीने, सालों फिर लेबर कमिश्नर के पास जाएगा, फिर लेबर कोर्ट उसमें फिर बदलाव हो गया.
दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 में जो संशोधन हुआ उसमें 6-12 बजे रात तक दुकानें खुली रह सकती हैं. लेकिन जिन लोगों से दुकानों में काम कराया जाता है उसमें से कितनों को डबल शिफ्ट या दूसरी शिफ्ट के लिये कामगार रखे जाएंगे उनके श्रम कानूनों के लिये क्या आवाज़ उठाने की गुंजाइश बची है?
पहले प्रावधान थे कि किसी उद्योग में जहां 100 मजदूर हैं उसे बंद करने के लिये इजाज़त लेनी होगी, कामगारों को सुनना होगा लेकिन 1000 दिन खुले रहने यानी लगभग 3 साल काम हुआ तो किसी तरह का कानून लागू नहीं होगा ...
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में ''उत्तर प्रदेश चुनिंदा श्रम कानूनों से अस्थाई छूट का अध्यादेश 2020'' को मंजूरी दी गई, ताकि फैक्ट्रियों और उद्योगों को तीन श्रम कानूनों तथा एक अन्य कानून के प्रावधान को छोड़ बाकी सभी श्रम कानूनों से छूट दी जा सके.
महिलाओं और बच्चों से जुड़े श्रम कानून के प्रावधान और कुछ अन्य श्रम कानून लागू रहेंगे. यहां भी अब मजदूरों की शिफ्ट 8 घंटे के बजाए 12 घंटे की होगी.ॉ
पहले ओवरटाइम का पैसा सैलरी के प्रतिघंटे का दोगुना मिलता था अब इसमें सैलरी के ही हिसाब से मिलेगा.
यानी किसी मजूदरी मजदूरी अगर 8 घंटे की 80 रुपये है तो 12 घंटे के हिसाब से 120 रुपये मिलेंगे. इसी अनुपात में अब 12 घंटे की शिफ्ट वाली नौकरी में सैलरी दी जाएगी.
12 घंटे की शिफ्ट में 6 घंटे बाद 30 मिनट का ब्रेक दिया जाएगा.
औद्योगिक विवादों का निपटारा, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों का स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संबंधित कानून खत्म कर दिए गए हैं.
ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने वाला कानून भी अनुबंध श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों से जुड़े कानून खत्म, भी समाप्त कर दिए गए हैं.
उद्योगों को अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में काम कराने की छूट दी गई है
भोपाल / शौर्यपथ / मध्य प्रदेश के देवास में गेहूं खरीद केंद्र में अपनी उपज बेचने पहुंचे एक किसान की मौत हो गई है. मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है. मध्यप्रदेश में अपनी उपज बेचने के इंतजार में 7 दिनों के अंदर दूसरे किसान की मौत हुई है. 65 वर्षीय जयराम मंडलोई देवास में अपना गेहूं बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. उसी वक्त उन्हें दिल का दौरा आ गया. देवास के ज़िला अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
जयराम मंडलोई को 29 मई को खरीद केंद्र से एक एसएमएस आया था, 30 और 31 मई को सिया गांव के खरीदी केन्द्र के पास वो इंतजार करते रहे. उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं थी. उनके भाई रामचंद्र मंडलोई ने कहा, " खरीदी केन्द्र में कोई टोकन व्यवस्था नहीं थी, किसानों से 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर अनुमति दी गई है. अगर टोकन की व्यवस्था होती तो हम निर्धारित समय पर पहुंच सकते थे."
जयराम के बेटे सचिन मंडलोई ने कहा "ट्रैक्टर ट्रॉली लाने वाले ड्राइवर ने हमें सूचित किया कि मेरे पिता को दिल का दौरा पड़ा है, और वे उन्हें देवास अस्पताल ले जा रहे हैं. जब मैं उज्जैन से देवास आया, तो उन्होंने मुझे उनकी मृत्यु के बारे में बताया. मैं उस दिन दोपहर में गया था, पापा को खाना देकर आया था. मेरे पिता को पहले से कोई बीमारी या टेंशन नहीं थी. जब उनके बेटे से खरीदी केन्द्र में अव्यवस्था के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा मेरे पिता चले गये इससे ज्यादा मैं क्या कुछ नहीं कहना चाहूंगा.
देवास एसडीएम प्रवीण सोनी ने कहा कि रविवार रात दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें देवास जिला अस्पताल ले जाया गया, और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उनका निधन दुर्भाग्यपूर्ण है. हम कृषक कल्याण योजना के तहत उनके परिजनों को 4 लाख रुपये देने के लिए औपचारिकताओं को पूरा कर रहे हैं.
इस मामले में जब हमने कृषि मंत्री कमल पटेल से सवाल पूछा तो फिर उन्होंने कहा "किसी को भी दिल का दौरा पड़ सकता है, जब एनडीटीवी ने दोबारा उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि ये नेगेटिव सोच ठीक नहीं है, आप पत्रकार हैं जब दस पत्रकार इकठ्ठा होते हैं तब लॉकडाउन का पालन नहीं करते, जब लाखों लोग इकठ्ठा होते हैं... आप ये नहीं देख रहे हैं कि 122 लाख मीट्रिक टन गेंहू हमने खरीद लिया. चना हम खरीद रहे हैं, गेंहू हम खरीद रहे हैं जो कांग्रेस बिल्कुल नहीं खरीद रही थी. इतने बड़े काम में कभी कुछ होता है. हम शादी में जाते हैं तो कैसी लाइन लगती है गिद्ध जैसा भोजन पर लोग टूट पड़ते हैं लेकिन फिर भी एक एक दाना किसान का खरीदेंगे.
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "यह सरकार किसानों से बदला लेना चाहती है, उन्होंने ऋण माफी योजना को पाप घोषित किया. अब बोरियों की कमी और खरीदी केन्द्रों में अनियमितता एक प्रक्रिया सी बन गई है, पहले आगर में अब देवास में किसान की मौत हो गई, शिवराज भाषण से शासन चला रहे हैं. शिवराज सिंह को जल्द से जल्द कृषि मंत्री का इस्तीफा लेना चाहिए.
इससे पहले 25 मई को, 45 वर्षीय किसान प्रेम सिंह की छह दिनों तक कतार में रहने के बाद आगर मालवा जिले में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी. खरीदी केन्द्रों में भीड़ को देखते हुए सरकार ने खरीद को 5 जून तक बढ़ा दिया है.
नई दिल्ल / शौर्यपथ / / राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोनावायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना संकट को देखते हुए दिल्ली की बॉर्डर को सात दिनों के लिए सील करने का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आदेश दिया था. इसे लेकर बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. गंभीर ने कहा कि आप सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए निर्दोष लोगों को सजा देना चाहते हैं क्योंकि वे बॉर्डर के दूसरी तरफ रहते हैं? वे लोग हैं, जो आपकी और मेरी तरह भारतीय हैं.
गंभीर ने अपने ट्वीट में लिखा- " आप सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए, निर्दोष लोगों को सजा देना चाहते हैं क्योंकि वे बॉर्डर के दूसरी तरफ रहते हैं? वह भी आपके और मेरी तरह भारतीय हैं! याद है, आपने अप्रैल में कहा था कि आप 30 हजार मरीजों के लिए बिल्कुल तैयार हैं? मिस्टर तुगलक अब ऐसे सवाल क्यों उठा रहे हो?"
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली के बॉर्डर को अगले एक हफ्ते के लिए सील करने का आदेश दिया था. केजरीवाल ने कहा कि सीमाएं खोलने के साथ कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, क्या दिल्ली अपने अस्पतालों को देशभर के लोगों के लिए इलाज के लिए खोल सकता है? क्या इससे कोरोना को संभालने की क्षमता प्रभावित होगी? दिल्ली के अस्पतालों को दिल्ली के लोगों के लिए आरक्षित कर देना चाहिए? हम इस आपके सुझाव चाहते हैं.
नई दिल्ली / शौर्यपथ / उत्तर प्रदेश में अनलॉक शुरू होते ही बाजारों में रौनक लौट रही है. बीते 2 महीने से लोग जलेबी, समोसा, चाट, बताशे के स्वाद की याद कर रहे थे. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर समोसों और चाट-बताशे की तस्वीरें डाल कर इनकी याद कर रहे थे. लेकिन अब यह दौर एक बार फिर सड़कों पर दिखाई देना शुरू हो गया है. आप जिस जलेबी की दुकान तस्वीर में देख रहे हैं, यह मुरादाबाद शहर की है. शहर में सभी स्ट्रीट वेंडर्स फिर से खुलना शुरू हो गए हैं. एक स्ट्रीट वेंडर ने बताया,' इतने दिन उधार लेकर काम चला रहे थे. अब आज से फिर काम शुरू हुआ है तो हम साफ-सफाई का बहुत ध्यान दे रहे हैं. अभी हम सिर्फ पैकिंग करके दे रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में कोरोना के मरीज
उत्तर प्रदेश में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 296 नए मामले सामने आए. स्वास्थ्य विभाग की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन में बताया गया कि कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 222 मरीजों की मौत हुई है. बुलेटिन में बताया गया कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 8361 हो गई है. बुलेटिन के मुताबिक 5030 लोग उपचारित होकर अपने घर जा चुके हैं. ऐसे मरीजों की संख्या 3109 है जिनका अभी इलाज चल रहा है.
क्या हैं अब नियम
आठ जून से केन्द्र और उत्तर प्रदेश के दिशानिर्देशों के तहत धार्मिक स्थलों को खोला जाएगा. होटल, रेस्टोरेंट और शॉपिंग मॉल भी आठ जून से खुलेंगे. सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थाएं भी केन्द्र के दिशानिर्देश के अनुरूप ही खुलेंगी. प्रतिबंधित क्षेत्रों की व्यवस्थाएं पहले की तरह जारी रहेंगी. शहरी क्षेत्र में संक्रमण का एक मामला सामने आने पर उसके 250 मीटर के दायरे को सील किया जाएगा. एक से ज्यादा मामले होंगे तो यह दायरे 500 मीटर का होगा. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की आवासीय एवं बहुमंजिला सोसायटी, खासकर नोएडा और गाजियाबाद के लिये विशेष निषिद्ध क्षेत्र नीति बनायी गयी है. उत्तर प्रदेश में नए दिशा- निर्दश पढ़ने के लिए क्लिक करें
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / बच्चे की खाने की आदत क्या आपकी चिंता का कारण बन जाती है? उसके अंदर पोषण की कमी, भोजन को नजरअंदाज करने की आदत या फिर कभी भी कुछ भी खा लेने जैसी बातें परेशान करती हैं? ऐसे में जरूरी हो जाता है कि उनमें छुटपन से ही खाने की आदत पनपें। ये कैसे होगा? बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी।
बच्चा आगे-आगे और आप पीछे-पीछे, हाथ में कौर समेटे। मानो रोज का यही हाल हो गया है। पोषण के कुछ निवाले बच्चे के पेट तक पहुंचाने की जिस जद्दोजहद से आप गुजरती हैं, वो कभी खीज, तो कभी चिंता बन नजर आती है। आपकी शिकायत हर बार यही कि वह खाता नहीं है। इधर-उधर की चीजें खाएगा, पर खाना नहीं। माना कि आपकी प्राथमिकता पोषण है, पर बच्चे को समझ कैसे आए? इसके लिए आपको कुछ जुगत लगानी होगी, कुछ सूत्र गढ़ने होंगे, ताकि उनकी मदद से आपकी बात आपका बच्चा समझ सके और आपको ज्यादा परेशान किए बिना अपनी खानपान की आदतों में सुधार कर सके।
रंग आएंगे काम-
बहुत से बच्चे खाने की शक्ल में मीन-मेखनिकालते हैं और खाने से मना कर देते हैं। हो सकता है, आपका लाडला भी इसी जमात का हिस्सा हो। साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता कहती हैं कि बच्चों में स्वस्थ खानपान की आदत को विकसित करने के लिए रंग-बिरंगे व्यंजन बनाइए। लक्ष्य स्थापित कीजिए कि हफ्ते के हर दिन इंद्रधनुष के रंगों में से किसी एक रंग का खाना उन्हें परोसा जाए। साथ ही उनकी थाली को आकर्षक बनाने के लिए कुछ प्रयोग भी कर सकती हैं, जैसे उसकी थाली में छोटी और पतली रोटी रखें, उसकी शेप के साथ भी प्रयोग कर सकती हैं।
समझाएं खाना है अनमोल-
बच्चों में खानपान की अच्छी आदतें विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें खाने का मोल पता हो। अब सवाल यह उठता है कि आप इसे करेंगी कैसे? यकीनन आप बच्चे को पोषण देना चाहती हैं। अकसर ऐसा करने के चक्कर में उसके सामने कई सारी चीजें एक साथ रख देती हैं। पर इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को हर चीज एक साथ नहीं दी जा सकती। आपका ऐसा करना बच्चे को भ्रमित कर सकता है। ऐसे में वो सब कुछ छोड़ सकता है। ऐसा न हो इसलिए उसे एक टाइम पर एक ही विकल्प दें, जैसे रोटी या चावल, दाल या सब्जी। साथ ही बच्चे की थाली में थोड़ा ही भोजन परोसें, ताकि वह उसे पूरा खत्म कर सके।
सबके साथ परोसें खाना-
सबके साथ बच्चों की खुराक बढ़ जाती है। यह भी जरूरी है कि बच्चे को वही चीजें सर्व की जाएं, जो अन्य लोग खा रहे हैं।अगर आप अपने बच्चे को कुछ अलग परोसेंगी तो हो सकता है कि वह उसे खाने से परहेज करे। कोशिश कीजिए कि उसके मुताबिक, उसके स्वाद का खाना उसे दें। पर, यह ध्यान रखें कि उसकी थाली में भी वही हो, जो दूसरों की थाली में। साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि बच्चे को भी सभी के साथ खाना परोसें। ऐसा करने से वह बड़ों की नकल कर टेबल मैनर सीखने की कोशिश करेगा। हो सकता है कुछ दिन वह टेबल गंदा करे, पर उसकी गलतियों को नजरअंदाज करें और उसको साफ-सफाई करने और रखने के लिए प्रेरित करें।
खुद से खाने की आदत डालें-
बच्चे में खुद से अपना खाना खाने की आदत डालें। डॉ. आराधना की मानें तो पंद्रह महीने के बच्चे में खानपान की खुद की समझ आनी शुरू हो जाती है। लिहाजा, बढ़ती उम्र के साथ उसे खुद से खाने देने की आदत डालनी चाहिए। इसकी शुरुआत आप सूखी चीजों जैसे गाजर, पापड़ आदि से कीजिए। उसके बाद गाढ़ी चीजों को चम्मच से खाने की आदत बच्चे में डालिए। धीरे-धीरे वह खुद से खाने लगेगा और उसे इसमें मजा भी आने लगेगा।
सब कुछ है जरूरी-
बच्चा जब सॉलिड खाना खाने की शुरुआत करता है, उस वक्त दलिया और सूजी जैसे विकल्प उसके लिए बहुत अच्छे साबित होते हैं। पर, कई बार माएं ऐसा लंबे समय तक करती रहती हैं। ऐसा करना सही नहीं है। चौदह या पंद्रह माह की आयु में ही बच्चों के टेस्ट बड्स सक्रिय होने लगते हैं। उन्हें ठंडा, गर्म, खट्टा, मीठा हर स्वाद समझ में आने लगता है। ऐसे में उनमें शुरुआत से ही सब कुछ खाने की आदत डालनी जरूरी है। डॉ. आराधना की मानें तो बच्चे एक ही चीज बार-बार खाकर बोर हो जाते हैं इसलिए कोशिश कीजिए कि उन्हें हर दिन कुछ अलग परोसा जाए।
जबरन खाने पर न दें जोर-
बच्चे जब खाना नहीं खाते तो अकसर मांएं उन्हें जबरन खाना खिलाना शुरू कर देती हैं। ऐसा करने की जगह खुद से कुछ सवाल पूछिए- क्या बच्चे के खाने में पर्याप्त अंतराल है? खाना बच्चे के स्वाद के अनुसार है क्या? क्या बच्चा खाने के पहले भी स्नैक्स खाता है? आपके लाडले की उतनी फिजिकल एक्टिविटी हो रही है, जितनी उसको जरूरत है? इस बाबत सीएसजेएम यूनिवर्सिटी की ह्यूमन न्यिूट्रशन डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भारती दीक्षित कहती हैं कि बच्चे के दो खाने के बीच में तीन से चार घंटे का अंतराल होना जरूरी है। यूं तो जंक फूड से बच्चों को दूर ही रखना चाहिए, पर फिर भी अगर बच्चा नहीं मानता है तो खाने के कम से कम आधे घंटे पहले तक स्नैक्स नहीं देना चाहिए। जंक फूड भूख कम कर देता है।
बातें जरूरी वाली-
-बच्चे थोड़े बड़े हैं तो उनके साथ ही किचन के सामान की शॉपिंग करें। इस दौरान आपको उनकी पसंद जानने का मौका मिलेगा और बच्चे पौष्टिक तत्वों के महत्व को समझेंगे।
-दूध में कटौती है जरूरी। जब बच्चा खाने लायक हो जाए तो उसे दिन में सिर्फ दो दफा दूध देना चाहिए।
-नाश्ते में पैक्ड फूड यानी जूस, ब्रेड, नूडल्स आदि बच्चों को नहीं देना चाहिए। इनमें मौजूद अधिक मात्रा शर्करा, प्रिजरवेटिव्स बच्चे की शारीरिक और मानसिक वृद्धि पर दुष्प्रभाव डालते हैं।
-प्लास्टिक के स्कूल लंच बॉक्स और बोतल प्रयोग नहीं करें।इतना ही नहीं, लंच बॉक्स में रोटी या सैंडविच को एल्यूमिनियम फॉइल, क्लिंज फिल्म में भी नहीं लपेटना चाहिए। ये तीनों ही चीजें हमारी अच्छे बैक्टीरिया पर दुष्प्रभाव डाल कर पाचन क्रिया को प्रभावित करती हैं। इनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आती है। ये विषाक्त तत्वों को पैदा करते हैं।
-रात में खाना खाने के बाद चॉकलेट और आइसक्रीम सरीखी चीजें बच्चों को खाने के लिए नहीं दें। रात का खाना सोने के पहले की आखिरी खुराक होती है। इसका स्पष्ट प्रभाव नींद पर पड़ता है। जो बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के विकास पर असर डालता है। इसके साथ छेड़छाड़ करने की गलती कभी नहीं करें। इन चीजों से रात में बच्चों को दूर ही रखें।
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / दुनियाभर में लाखों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। तमाम वैज्ञानिक, डॉक्टर सिर्फ यही कह रहे हैं कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बेहद जरूरी है तभी इस महामारी से बच पाएंगे। लेकिन आपको जानकर भी ताज्जुब होगा कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने की आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी पहले से ही मजबूत है, इसका कारण है उनका खानपान। आइए जानते हैं कि आदिवासी लोग ऐसा क्या खाते हैं, जिससे उनकी इम्यूनिट काफी मजबूत रहती है-
आदिवासी पीते हैं मडिया पेज
छत्तीसगढ़ के आदिवासियों में मडियापेज पीने की परंपरा है, यह एक प्रकार का कोसरा अनाज होता है, जिसके सत्व में काफी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। आदिवासियों का यही मुख्य आहार होता है। जंगलों में रहने के कारण आदिवासी भौतिक सुखों से काफी दूर हैं और वे पूरी तरह से प्रकृति से जुड़े हुए हैं। प्रकृति से जुड़े होने के कारण ही उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी घेर नहीं पाती है। यदि वे कोई बीमारी से ग्रसित होते भी हैं तो उनकी इम्यूनिटी मजबूत होने के कारण वे जल्दी ठीक भी हो जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक आदिवासियों के खानपान के बारे में लोगों को भी जागरुक होना चाहिए। भले ही मानव सभ्यता विकास की ओर अग्रसर है, लेकिन हम जितना विकास की ओर बढ़ते जा रहे हैं, हमारे खानपान में पोषण वाली चीजें भी कम होती जा रही हैं।
शतावर भी देती है शरीर को मजबूती
जंगल में कई तरह की जड़ी-बूटियां होती है, जो कई बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकती है। ऐसे ही शतावर नाम की एक जड़ी बूटी है, जिसका आदिवासी नियमित सेवन करते हैं। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। आदिवासी लोग शतावर के कंद को पकाकर उसके छिलके निकालकर खाते हैं क्योंकि पेट भरने के लिए उनके पास यही विकल्प होता है।
चापड़ा चटनी है चमत्कारिक औषधी
आदिवासियों में चींटियों की चटनी बनाकर भी खाई जाती हैं, इसे चापड़ा चटनी कहा जाता है और इसे चमत्कारिक औषधि भी माना जाता है। इसके अलावा सफेद मूसली भी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। सफेद मूसली के फूल को आदिवासी सब्जी की तरह बनाकर खाते हैं, लेकिन शहरी समाज में इसका चलन नहीं है। इसी प्रकार काली मूसली भी इम्यूनिटी को बढ़ाती है आदिवासी लोग इसके कंद को पेट भरने के लिए खाते हैं। यह भी चमत्कारिक औषधी मानी जाती है।
आदिवासी खूब खाते हैं गिलोय और समरकंद
गिलोय के पत्ते आयुर्वेद में औषधि के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं। आदिवासियों के बच्चे गिलोय के कच्चे टुकड़े चलते फिरते यूं ही खा जाते हैं। इसके अलावा वे समरकंद भी खाते हैं। सिमर एक औषधीय पौधा है, जिससे कंद निकाल कर खाया जाता है। इसे बाल कन्द भी कहा जाता है। इसका स्वाद मीठा होता है और बीमारियों के लिए यह अच्छी औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
तेंदू पत्ता फल व बकुल सोडा
आदिवासी जंगल में मिलने वाले तेंदूपत्ता और बकुल सोडा का भी भरपूर सेवन करते है। बकुल सोडा पेट साफ करने में उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा आदिवासी अपने खेत की मेड़ पर हल्दी जरूर लगाते हैं। हल्दी आयुर्वेद में भी एक अचूक औषधि है, जो घावों को जल्द भरने में सहायक होती है। आदिवासी देशी हल्दी को उबालकर खाते हैं, हल्दी कैंसर से भी बचाती है।
सेहत / शौर्यपथ / कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे डॉक्टरों और नर्सों में से कई तनाव को कम करने के लिए योग, संगीत और धार्मिक किताबों का सहारा ले रहे हैं। दिल्ली के सरकारी बाबू जगजीवन राम अस्पताल में सेवा देने वाले वरिष्ठ डॉक्टर वी के वर्मा अपने दिन की शुरुआत प्रणायाम से करते हैं और इसके साथ ही वह योग के कई दूसरे आसन भी करते हैं और फिर काम पर जाते हैं।
वहीं मैक्स अस्पताल की नर्स डॉली मस्से का कहना है कि इस संक्रमण से पैदा हुए 'तूफान' में शांति तलाशने के लिए वह बाइबल का सहारा लेती हैं। उनका कहना है कि वह अपने थैले में हर समय इस धार्मिक किताब को रखती हैं, यहां तक कि उनके मोबाइल फोन में भी ई-बाइबल है। यह किताब उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती दौर में वह बिल्कुल भी नहीं डरीं और जब बंद के दौरान मामले बढ़ने शुरू हुए तब भी उन्हें डर नहीं लगा लेकिन 27 वर्षीय नर्स का कहना है कि अब उन्हें थोड़ा सा डर लगने लगा है कि वह भी संक्रमित हो सकती हैं।
एलएनजेपी अस्पताल की सीनियर डाक्टर कुमुद भारती ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का काफी खतरा है क्योंकि वह इस लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर बचाव के लिए पीपीई किट, दस्ताने और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारती ने कहा कि डॉक्टरों को पता है कि मानवता की सेवा करना उनका कर्तव्य है लेकिन आखिर में डॉक्टर भी तो इंसान ही हैं। फॉर्टिस अस्पताल के डॉक्टर विकास मौर्य ने कहा कि ज्यादा संख्या में पीपीई किट होने से उनकी चिंता कम हुई है। उनका कहना है कि वह छह-छह घंटे तक लगातार पीपीई सूट पहने रहते हैं इसलिए उनकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वह इस स्थिति में भी खुद को शांत रखने के लिए वह टीवी पर आनेवाले कार्यक्रमों को देखते हैं। किताब पढ़ते हैं और संगीत सुनते हैं।