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वंदना पटेल भाजपा सरकार में तात्कालिक मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय पर भी लगा चुकी है आरोप - मोबिन खान
दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग ग्रामीण विधान सभा जो कि प्रदेश के गृह मंत्री का विधान सभा क्षेत्र है इस क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमे भूमि हथियाने पीडि़त ने सीधे गृह मंत्री के समर्थको पर आरोप लगाया है ! वंदना पटेल ने चार दिन पूर्व प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर गृह मंत्री साहू के कट्टर समर्थक इरफ़ान खान पर भी मोबिन खान का सहयोग करने का भी आरोप लगाया है ! जो मामला चर्चा का विषय बन गया है वंदना पटेल के प्रेस कांफ्रेंस के तीसरे दिन मोबिन खान द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासा किया गया की मामला 10 साल से विवादित है जब से वंदना पटेल ने 2010 में जमीन खरीदी तब से ही मामला विवादों के घेरे में आ गया . मोबिन खान कहते है की वंदना पटेल द्वारा न्यायालय में दायर मामला खारिज हो चुका है बावजूद इसके आम जनता को प्रेस मिडिया को गलत जानकारी देकर भ्रमित कर रही है . भाजपा शासन के समय तात्कालिक मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय पर तो वर्तमान में प्रदेश के गृह मंत्री पर आरोप लगा कर मामले को राजनितिक रंग देने की कोशिश कर रही है . ना ही न्यायालय में और ना ही पुलिस प्रशासन को दस्तावेज उपलब्ध करा रही है अपितु सिर्फ आरोप की झड़ी लगा रही है .
मामला धनोरा ग्राम में खसरा नंबर 654/7 और 654/2 के मालिको के बीच विवाद का है, 654/7 की मालिक वंदना पटेल ने आरोप लगाया था, कि मोबिन खान के द्वारा उनकी जमीन को गुंडागर्दी और उची पहुच के बल पर अपना बता कर कब्ज़ा करने की कोशिश पिछले कई वर्षों से की जा रही है, उनका कहना है कि इस मामले को लेकर शिकायत करने से पुलिस प्रशासन से भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है ! उल्टा पुलिस के अधिकारी के उपर मामला दर्ज किये जाने की धमकी देने की बात भी सामने आई !
इस पुरे मामले जब हमने मामले की पड़ताल की और दुर्ग शहर पुलिस अधीक्षक से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मोबिन खान के द्वारा वंदना पटेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसकी पूछताछ के लिए वंदना पटेल को बुलाया गया था लेकिन वंदना पटेल भी मोबिन खान के उपर आरोप लगा रही थी, जिसको देखते हुए वंदना पटेल को भी मोबिन खान के खिलाफ शिकायत लिखकर देने को कहा गया, और उन्होंने भी लिखित में शिकायत दी, जिसको जांच के लिए सम्बंधित थाना प्रभारी को भेज दिया गया है. बता दे कि मोबिन खान द्वारा 12 जुलाई को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में शिकायत की गयी थी जिसके बारे में पुझ्ताझ के लिए वंदना पटेल को 17 जुलाई को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय बुलाया गया था जहा वंदना पटेल द्वारा भी मोबिन खान के विरुद्ध शिकायत की बात कही गयी और कार्यालय में ही लिखित शिकायत दी गयी . बड़ी बात यह है की जिस तरह मोबिन खान की शिकायत पुलिस ने ली उसी तरह वंदना पटेल की शिकायत भी पुलिस द्वारा ली गयी ऐसे में पुलिस विभाग में भी चर्चा का विषय है कि पक्षपात कैसे हुआ .
वही इस पुरे मामले में दुसरे पक्ष ने प्रत्रकारवार्ता कर मीडिया के माध्यम से अपनी बातों को सबके सामने रखा, जिसमे बहुत सी बातें चौकाने वाली है, सबसे पहले तो मोबिन खान की बात कर लेते है मोबिन खान ज्यादातर विदेश में रहते है, और मोबिन खान का किसी भी प्रकार से कोई राजनितिक इतिहास नहीं है और ना ही वंदना पटेल के द्वारा जिन लोगो पर आरोप लगाया गया है उसको वो जानते है, मोबिन खान के कहे अनुसार वंदना पटेल जिस भूमि पर अपना कब्ज़ा होने का दावा कर रही है, दरअसल उस पर कब्ज़ा मोबिन खान का ही है मोबिन खान के अनुसार विवादित भूमि पर एक रूम बना हुआ है, जो उन्होंने बनवाया था, जो की माननीय न्यायलय के द्वारा प्रमाणित किया जा चूका है, मोबिन खान के दस्तावेज बताते है कि वंदना पटेल के मामले को न्यायालय ने अपील न. 38्र/2019 को ख़ारिज करते हुए कहा कि अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य नहीं होने से निरस्त किया जाता है !
वही इस पुरे मामले में मोबिन खान व उनकी धर्मपत्नी का कहना है की पिछले 11 वर्षों से वंदना पटेल हम लोगो को परेशान करने में लगी है, उनका कहना है की वंदना पटेल ने उनको ऑफर दिया था कि 15 लाख रूपये मुझे दे दो तो मै आपकी जमीन से दावा छोड़ दूंगी, मोबिन खान के बताया कि हमारा तो कोई राजनितिक इतिहास नहीं है लेकिन वंदना पटेल का राजनितिक इतिहास भी है और भूमाफियाओं से बहुत गहरे संबंध भी है ! और बहुत चालाक भी है क्योकि जब मामला न्यायलय में इनके खिलाफ चला गया तो अब इस तरह से बड़े बड़े नेता मंत्रियों और अधिकारीयों को भी इस मामले में घसीटने का प्रयास कर रही है, उसकी बहुत सोची समझी एक चाल है कि जमीन विवादों से ग्रस्त रहेगी तो ये लोग परेशान होकर मुझे विवाद ख़तम करने पैसा देंगे !
जिला प्रशासन को मामले में संज्ञान लेकर करनी चाहिए कार्यवाही ..
धनोरा के इस जमीन विवाद मामले में जिस तरह दो पक्षों के विवाद में पुलिस प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को बदनाम करने की कोशिश कि जा रही है वही उनके छवि को धूमिल किया जा रहा है कभी एक दुसरे की शिकायत करके तो कभी प्रेस कांफ्रेंस द्वारा मिडिया का सहारा लेकर . ऐसा नहीं है की यह प्रथम बार हुआ है ऐसे ही मिडिया के सहारे प्रेस कांफ्रेस पूर्व में भी किया जा चुका है और आरोपो की झड़ी लग चुकी है तब तात्कालिक भाजपा सरकार के मंत्रियो पर समर्थको पर आरोप लगे अब वर्तमान सरकार के मंत्री , समर्थको और पुलिस प्रशासन पर आरोप लग रहे है . आरोप लगाना आसान किन्तु क्या इस आरोप को आरोप लगाने वाले सिद्ध कर पाएंगे . इस पुरे मामले में अब दुर्ग पुलिस व जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए और गहनता से जांच कर असली भूस्वामी को उस भूमि का कब्ज़ा दिलाकर पुरे मामले को ख़तम करें, नहीं तो आने वाले समय में इस मामले को लेकर जिस तरह आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है उससे भविष्य में कोई बड़ी घटना भी घट सकती है . क्योकि दोनों पक्षों में किसी एक के साथ धोखाधड़ी हुई है ....
रजिस्ट्री कार्यालय की एक गलती की सजा भुगत रहे दो खरीददार ..
धनोरा स्थित भूखंड 654/2 एवं 654/7 द्बठ्ठ दोनों की रजिस्ट्री 2006 एवं 2010 में दुर्ग रजिस्ट्री कार्यालय में हुई एवं दोनों में ही नजरी नक्शा एवं भू स्थिति दर्शाई गयी किन्तु जैसा कि नियम कहता है कि रजिस्ट्री के पूर्व जमीन कहा है और कीस जमीन का सौदा हो रहा है इसकी जमीनी निरिक्षण की जिम्मेदारी रजिस्ट्री कार्यालय की है किन्तु रजिस्ट्री कार्यालय की लापरवाही के कारन सिर्फ दस्तावेजो में ही कहारीदी बिक्री हो गए और दोनों खरीददार में विवाद की स्थिति बन गयी दोनों खरीददार इस भूखंड को खरीदने के पहले एक दुसरे से अनजान थे किन्तु अब एक दुसरे के दुश्मन बन गए है अगर खरीदी बिक्री के समय ही स्थल की जांच जमीनी स्तर पर हो जाति तो आज ऐसी नौबत नहीं आती इस मामले में कही ना कही रजिस्ट्री कार्यालय की भी मुख्य भूमिका है जहां दलालों के प्रभाव में आँख बंद कर रजिस्ट्री का कार्य बेधड़क संचालित है जिला प्रशासन को रजिस्ट्री कार्यालय की गतिविधियों की जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में जमीनी विवाद खुनी संघर्ष में ना बदल जाए ...
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