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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग शहर की राजनीती में अगर कांग्रेस की बात की जाये तो दुर्ग में कांग्रेस वोरा बंगले से शुरू होता है और वही खत्म हो जाता है . स्व. मोतीलाल वोरा के जीवन काल में कांग्रेस कार्यकर्ताओ के लिए वोरा निवास का दरवाजा दिल्ली दरवाजा की तरह ही था किन्तु मोतीलाल जी वोरा के देहांत के बाद उनके आदर्शो पर चलने की जगह एक अलग तरह की राजनीती दुर्ग में उत्पन्न हो गयी है . पोस्टर वार तो दुर्ग शहर देख चुका है जहाँ प्रदेश के मुखिया के पोस्टर को भी दुर्ग शहर में टिकने नहीं दिया गया . वही गली मोहल्ले के नेताओ के पोस्टर जिसमे अरुण वोरा की फोटो लगी हो वह महीनो अपनी जगह पर सलामत रहते थे . इस बारे में ना तो एजेंसी कुछ कहती और ना ही कांग्रेस कार्यकर्ता जो वोरा बंगले से दूर रहते है कुछ कहते . दुर्ग शहर में सत्ता का ऐसा खेल खेला जाता है कि शहर में विधायक के लिए विरोधी दल भाजपा का परदे के पीछे से समर्थन प्राप्त रहता है जिसका उदहारण पिछले दो विधान सभा चुनाव में देखने को मिल ही चूका है कि कैसे स्व. हेमचंद यादव की हार हुई थी वही किस तरह पिछले चुनाव में भाजपा ने तात्कालिक निगम महापौर श्रीमती चन्द्रिका चन्द्राकर को प्रत्याशी बना कर दुर्ग की सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी थी जो कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव में ही देखने को मिल गया विजय बघेल की रिकार्ड मत से जीत के बाद .
दुर्ग कांग्रेस की राजनीती के केंद्र बिंदु वोरा निवास से किस तरह एल्डरमैन की नियुक्ति हुई , किस तरह दुर्ग कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति हुई ये भी आम कार्यकर्ताओ को समझ आ गया. स्व. मोतीलाल वोरा के देहांत के बाद एक ऐसा वाक्य हुआ जिसके कारण उन वोरा समर्थको की शहर में काफी फजीहत हुई जिन्होंने शमशान घाट में स्व. मोतीलाल वोरा की समाधी बनाने का सलाह दे दिया . तब भी पुरे शहर में शौर्यपथ समाचार पत्र ही एक मात्र समाचार पत्र था जिसने समाधी स्थल में हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ समाचार प्रकाशित किया था साथ ही निगम के उस अधिकारी के खिलाफ भी आवाज़ उठाई थी जिसने बिना निविदा के निगम के मद से समाधी स्थल का निर्माण करवा दिया था जिसकी निविदा और भुगतान दोनों ही निर्माण के बाद हुआ .
इन सब मामलो में युवा कांग्रेस अध्यक्ष दुर्ग आयुष शर्मा और उसके चंद समर्थको द्वारा लगातार अप्रत्यक्ष रूप से देख लेने की धमकी एवं कटाक्ष किया जाता रहा . दुर्ग राजनीती में ये सभी को ज्ञात है कि वोरा समर्थक बिना विधायक वोरा की सहमती के कोई कार्य नहीं करते . आयुष शर्मा जो विधायक वोरा के समर्थक तो है ही साथ ही विधायक पुत्र संदीप वोरा के भी काफी करीबी है . ऐसे में शौर्यपथ के संपादक को इस तरह सच उजागर करने वाले समाचार ना छापने और देख लेने की बात कहना / धमकी देना कही ना कही ये साफ इशारा करता है कि युवा कांग्रेस अध्यक्ष को विधायक एवं विधायक पुत्र का जो प्रदेश युवा कांग्रेस की राजनीती में है का पूर्ण समर्थन है . पूर्व में भी ऐसे कई बार हुआ है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओ जो वोरा गुट से सम्बंधित नहीं है पर देख लेने की बात संदीप वोरा पुराने राजीव भवन में एक पूर्व जनप्रतिनिधि से कह चुके है . क्या अब दुर्ग में अवैधानिक कार्यो पर लिखना भी गुनाह हो गया . क्या आयुष शर्मा जैसे युवा कांग्रेस अध्यक्ष विधायक की सहमति से इस तरह कार्य कर रहे है या दुर्ग विधायक अरुण वोरा के नाम का सहारा लेकर अपनी दादागिरी को चमकाने में लगे हुए है . जिस तरह निगम में निविदा के कार्यो में आयुष शर्मा के फार्म को कार्य मिल रहा है और उसके प्रतियोगियों को निविदा वापस लेना पड़ रहा है इसका क्या अर्थ लगाया जाए कि अब दुर्ग शहर में दादागिरी की राजनीती होगी . हाल ही में दुर्ग निगम के ऐसे कई कार्य है जो युवा कांग्रेस अध्यक्ष की फार्म एवं सहयोगी फार्म को प्राप्त हुआ है जिसमे प्रतियोगी फर्म को निविदा वापसी लेने के लिए दबाव बनाया गया और सफल भी हुए . क्या ऐसे ही सुशासन के दम पर आम जनता के सामने वोट मांगने जायेंगे कांग्रेस प्रत्याशी . क्या विधायक वोरा का आम जनता की तकलीफों को जानने के लिए किया जाने वाला दौरा मात्र दिखावा है ...
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