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पीडब्ल्यूडी प्रभारी गनी के वार्ड में साल भर पहले बनी सड़क का साल भर बाद हुआ भुगतान बना चर्चा का विषय
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग निगम के पूर्व पीडब्ल्यूडी प्रभारी अब्दुल गनी लगातार विवादों में फसते जा रहे है पहले उनके २०१४ के निगम चुनाव में झूठा जाति प्रमाण पत्र का मामला सामने आया उसके बाद उनका विवादित बयान जिसमे उन्होंने पूर्व विधायक पर यह बात कही कि उन्होंने वार्ड के लिए अपने कार्यकाल में कोई भी राशि नहीं दी . वही अब एक नया मामला सामने आया जिसमे वार्ड की जनता उस सड़क की खोज कर रही है जिसका भुगतान हाल ही में हुआ . साथ ही उस मंदिर की भी तलाश कर रही है जो मंदिर तकिया पारा में ही नहीं जिसका दुसरा छोर बाबू खा नाम के व्यक्ति के घर की तरफ जाता है .
वार्ड के एक जिम्मेदार नागरिक का कहना है कि ऐसी कोई भी सड़क इस वार्ड में नहीं है . मामला किसी और वार्ड का होता तो यह पारश्द की निष्क्रियता की तरफ इशारा कर्ता किन्तु तीन बार के पार्षद जिसमे एक बार का कार्यकाल विवादित हो गया है जिसका मामला क़ानूनी रूप में चल रहा है ऐसे में पीडब्ल्यूडी प्रभारी गनी जो कि निगम के एक जिम्मेदार विभाग में प्रभारी थे और यह विभाग भी उन्ही के अंतर्गत आता है ऐसे में दस्तावेज में लिखे शब्दों और साल भर बाद हुए भुगतान में लिखे शब्दों का एक सार होना लिपिकीय त्रुटी भी नहीं कहा जा सकता .
भुगतान में जमा दस्तावेजो पर भी संशय ...
इस मामले के तुल पकड़ते ही निगम में चर्चा का विषय है कि इस लाखो के सीसी रोड निर्माण में भुगतान के समय जरुरी प्रक्रिया गूगल में /लोकेशन फोटो की आवश्यकता होती है परन्तु कार्यादेश के अनुसार ऐसे किसी भी लोकेशन फोटो के विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे है क्योकि मामला 18 लाख के सड़क निर्माण का है जो वार्ड वासियों को कही नजर नहीं आ रहा .
भुगतान में कई सडको का निर्माण ...
14 जुलाई को ज़ारी कार्यादेश में एक सडक के निर्माण और तीन माह की अवधि की बात अंकित है किन्तु भुगतान के समय जिस एमबी के आधार पर भुगतान किया गया उसमे कई सडको का उल्लेख किया गया जिसके बाद यह भी सवाल उठ रहे है कि वार्ड में ऐसी कौन सी जगह है जहां सड़क का निर्माण हुआ और किसी को नजर नहीं आया ..
ठेकेदार का पीडब्ल्यूडी प्रभारी गनी से रिश्तेदारी की चर्चा ...
वही मामले की सुगबुगाहट होने के बाद यह भी चर्चा का विषय है कि उक्त कार्य का ठेका क्यू एंड क्यू कंस्ट्रक्शन नामक एजेंसी को दी गई है जिसका पारिवारिक सम्बन्ध पीडब्ल्यूडी प्रभारी गनी से होने की बात ने निगम में चर्चा का विषय बना दिया है और इस मामले पर अब सबकी नजर है कि वो उस सडक को देखे जिसके निर्माण में 18 लाख लग गए जो किसी को दिखाई नहीं दे रहे है वही स्थल परिवर्तन के दस्तावेज का ना होना भी भुगतान के समय कई सडको के उल्लेख को शंकित कर रहा है . अब देखना होगा कि इस मामले को आने वाले चुनाव में भाजपा किस तरह अपने पक्ष में करती है और भ्रष्टाचार के मामले की आखिर सच्चाई पर किस तरह से रफूगिरि किया जाता है ?
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