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दुर्ग। शौर्यपथ।
शहर के प्रतिष्ठित इलाक़े विद्युत नगर वार्ड क्रमांक 49 में संचालित बाफना मंगलम मांगलिक प्रांगण को लेकर नगर निगम दुर्ग द्वारा सख़्त रुख अपनाया गया है। सुशासन तिहार के दौरान प्राप्त शिकायत और उसके आधार पर की गई जांच के बाद यह तथ्य सामने आया कि यह मांगलिक भवन पिछले कई वर्षों से बिना किसी वैध व्यावसायिक भवन अनुज्ञा के व्यावसायिक रूप में किराए पर दिया जा रहा था।
नगर निगम द्वारा जारी किए गए नोटिस में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि बाफना मंगलम द्वारा केवल आवासीय अनुज्ञा प्रस्तुत की गई है, जबकि संचालन मैरिज हॉल, उत्सव एवं मांगलिक आयोजनों के लिए किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से नगर निगम अधिनियम और भवन अनुज्ञा नियमों का उल्लंघन है।
वर्षों से चल रहा है "कानून के बाहर" कारोबार
यह आश्चर्य का विषय है कि शहर के बीचोंबीच, और वह भी ऐसे क्षेत्र में जहां आमजन को नक्शा स्वीकृति से लेकर व्यवसायिक उपयोग तक कई पायदानों से गुजरना होता है, वहां एक प्रभावशाली वर्ग द्वारा संचालित भवन वर्षों से नियमों को ताक पर रखकर व्यावसायिक लाभ के लिए उपयोग में लाया जा रहा था।
सूत्रों की मानें तो इस प्रांगण को शादियों, नामकरण, धार्मिक अनुष्ठानों और अन्य सामाजिक आयोजनों के लिए बाकायदा तय किराए पर बुक किया जाता रहा है, और यह सारा संचालन बिना निगम की विधिवत अनुमति के किया गया।
सफेदपोशों की शह या प्रशासनिक उदासीनता?
इस पूरे प्रकरण में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि आखिर किसके संरक्षण में यह व्यवस्था चल रही थी? क्या निगम अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी या फिर राजनीतिक-सामाजिक रसूख के चलते आंखें मूंद ली गई थीं?
जब आम व्यापारी को गुमास्ता, संपत्ति कर, और व्यावसायिक भवन अनुज्ञा के नियमों का अक्षरशः पालन करना पड़ता है, तब बड़े रसूखदारों को वर्षों तक छूट मिलना, यह कहीं न कहीं नगर प्रशासन की न्यायिक निष्पक्षता और व्यवस्था की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
निगम की सख्ती—अब सील करने की तैयारी
नगर निगम द्वारा जारी अंतिम सूचना पत्र में व्यावसायिक उपयोग तत्काल बंद करने और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में बिना किसी अतिरिक्त सूचना के सीलबंदी की कार्रवाई की जाएगी। इस स्पष्ट चेतावनी के बाद निगम पर यह दबाव होगा कि वह भविष्य में ऐसी व्यवस्थाओं पर सख्ती से नजर रखे और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी वही मापदंड अपनाए जो आम जनता पर लागू होते हैं।
अब निगाहें निगम की कार्रवाई पर
अब देखना यह होगा कि नगर निगम व्यावसायिक अनुमति के पूर्व की गई गतिविधियों और अवैध रूप से अर्जित किराया आय की जांच करता है या फिर इसे केवल "एक कागजी कार्रवाई" समझकर पुराने मामले का हवाला देकर दबा दिया जाएगा। यदि यह मामला सिर्फ एक नोटिस तक सीमित रह गया, तो यह प्रशासन की कथित निष्पक्षता और पारदर्शिता की एक और बड़ी हार मानी जाएगी।
न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए शहर की जनता अब इस प्रकरण में ठोस कार्रवाई की अपेक्षा कर रही है।
रिपोर्ट: शौर्यपथ न्यूज़
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