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अहमदाबाद/ शौर्यपथ /गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित प्रतिष्ठित सोमललित स्कूल की दसवीं कक्षा की एक छात्रा द्वारा स्कूल की चौथी मंज़िल से छलांग लगाकर जीवन समाप्त करने की घटना ने समाज, शिक्षा जगत और प्रशासन को गहरे प्रश्नों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह हृदयविदारक घटना 24 जुलाई को स्कूल समय के दौरान हुई और इलाज के कुछ घंटों बाद छात्रा ने दम तोड़ दिया।
क्या हुआ उस दिन?
सूत्रों के अनुसार, घटना रिसेस टाइम के दौरान स्कूल की चौथी मंज़िल की लॉबी में हुई जहाँ छात्रा ने रेलिंग पर चढ़कर छलांग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उसकी कुछ सहपाठियों ने उसे रोकने का प्रयास भी किया और हाथ पकड़ने की कोशिश की, परंतु वह छूटकर नीचे गिर गई।
गंभीर रूप से घायल छात्रा को तत्काल 108 एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जहाँ वह ICU में भर्ती रही। परंतु गहरे सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें लगने के कारण उसकी स्थिति अत्यंत गंभीर बनी रही और देर रात उसने जीवन की अंतिम सांस ली।
छात्रा का मानसिक स्वास्थ्य और स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्कूल प्रशासन के ट्रस्टी प्रग्नेश शास्त्री ने मीडिया को बताया कि छात्रा पिछले एक महीने से मेडिकल लीव पर थी और हाल ही में स्कूल आना प्रारंभ किया था। उन्होंने बताया कि “छात्रा मानसिक रूप से कमजोर प्रतीत हो रही थी, पर उसने या उसके परिवार ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया था कि वह इस हद तक टूट चुकी है।”
यह बयान कई सवाल खड़े करता है – क्या स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य का समुचित आकलन और निगरानी की व्यवस्था है? क्या बच्चों की चुप्पी को हम अब भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं?
पुलिस जांच और आगे की प्रक्रिया
घटना के बाद नवरंगपुरा थाने में मेडिकल लीगल केस दर्ज किया गया। पुलिस ने छात्रा के सहपाठियों, शिक्षकों और स्टाफ से पूछताछ प्रारंभ की है। साथ ही CCTV फुटेज की समीक्षा की जा रही है ताकि घटना से जुड़े सभी पहलुओं की स्पष्ट जानकारी सामने आ सके।
DCP सफीन हसन ने बताया कि, “मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हर संभावित पहलू की जांच की जा रही है, लेकिन अब तक कोई संदिग्ध साक्ष्य सामने नहीं आया है।”
समाज के लिए एक चेतावनी
यह घटना एक सीधा संकेत है कि मनोवैज्ञानिक तनाव और भावनात्मक संघर्ष बच्चों की दुनिया में कितनी खामोशी से प्रवेश कर चुके हैं। यह सिर्फ एक छात्रा की मौत नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना की एक दरार है, जिसे समय रहते भरना आवश्यक है।
संदेश और अपील
बच्चों की मुस्कराहट के पीछे छुपे भावनात्मक संघर्ष को समझें।
हर स्कूल में प्रशिक्षित काउंसलर और मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
घर और स्कूल दोनों को मिलकर सुनने वाला, समझने वाला और समर्थन देने वाला माहौल देना चाहिए।
आज जब एक छात्रा ने अपनी जिंदगी से हार मान ली, तो यह हम सभी की हार है – माता-पिता, शिक्षक, समाज और शासन व्यवस्था की भी। आइए हम वादा करें कि अब किसी और मासूम को यह निर्णय लेने की नौबत न आए।
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