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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में रोज नए नए भ्रष्टाचार की ओर इशारा करने वाले मामले का खुलासा हो रहा है और भ्रष्टाचार का यह आलम निगम के पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली की लापरवाही को दर्शा रहा है . एक ओर जहाँ निगम के हर कार्य की वाहवाही लेने में दुर्ग विधायक अरुण वोरा सर्वेसर्वा होते है किन्तु जब भ्रष्टाचार की जाँच की बात आती है तो सभी एक दुसरे की ओर इशारा करते है .आखिर निगम के पीडब्ल्यूडी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर क्यों लगाम नहीं लगा पा रहे है शहर के विधायक अरुण वोरा और महापौर बाकलीवाल. क्या पीडब्ल्यूडी विभाग के भ्रष्टाचार पर इसी तरह की लगाम लगाने के लिए विधायक वोरा और महापौर बाकलीवाल ने मदन जैन को दरकिनार कर अब्दुल गनी को प्रभार दिया था .
मामला है दुर्ग निगम के मुख्यालय की पोताई के कार्य का . निगम मुख्यालय में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दो निविदाये निकली जिसमे से एक निविदा में एमआईसी भवन के पोताई का कार्य तथा दुसरे निविदा में निगम मुख्यालय की पोताई का कार्य , कर्मशाला , जनसंपर्क , जन्म मृत्यु , स्वास्थ्य विभाग , अवाक् जावक , राजस्व विभाग और बाज़ार विभाग के बाहरी हिस्से एवं आयुक्त कार्यालय , लेखा शाखा ,व दोनों बरामदा की पोताई का कार्य करने की निविदा जारी हुई दोनों ही निविदा में कार्य दो अलग अलग ठेकेदार द्वारा कार्य किया गया एमआईसी भवन को छोड़ शेष निगम के पोताई का कार्य एवरग्रीन के द्वारा किया गया जिसकी निविदा राशि सवा लाख की थी किन्तु भुगतान 80 हजार का हुआ वही एमआईसी भवन के 12 कमरे जिसमे एक एक एक दीवाल पर वाल पेपर जो निविदा से हटकर है किया गया जिसकी निविदा राशि डेढ़ लाख है और यह कार्य संजीत कुमार के द्वारा किया गया है व भुगतान भी पूरा हो गया. दोनों ही कार्य में भारी अंतर के बाद भी इस कार्य की जांच तो होना दूर इसका भुगतान तक कर दिया गया है और एक बार फिर पीडब्ल्यूडी विभाग एक नए भ्रष्टाचार के भवर जाल में मौन सहमती देते हुए नए भ्रष्टाचार जिसमे एमआईसी भवन में अन्य कार्यो को मनचाहे ठेकेदार के द्वारा कराने की राह में निकल पडा .
क्या 15 साल बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़कर सुशासन की बात करने वाली कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के रिकार्ड तोडऩे की ओर कदम बढ़ा रही है या फिर दुर्ग के विधायक इस भ्रष्टाचार के मामले को संज्ञान में लेकर कोई सख्त कदम उठाएंगे या मौन रहकर विभाग के भ्रष्टाचार कार्य पर अपनी सहमती देंगे ? क्या दुर्ग निगम के सबसे वरिष्ठ पार्षद और एमआईसी प्रभारी मामले को संज्ञान में लेकर कार्य करने वाले ठेकेदार पर कार्यवाही की अनुशंषा करेंगे या मौन रहेंगे ? नाली में कचरा फेकते पाए जाने पर आम जनता से जुर्माना वसूलने का आदेश देने वाले निगम आयुक्त क्या एमआईसी भवन के पोताई कार्य की निष्पक्षता से जाँच कर सम्बंधित ठेकेदार / अधिकारियो पर कार्यवाही करेंगे या मौन रहेंगे ?
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