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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग जिला पुरे प्रदेश में एक व्हीआईपी जिला के नाम से जाना जाता है दुर्ग जिला प्रदेश में कई मायनों में काफी ख़ास है . दुर्ग जिला में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित गृहमंत्री व् लोक यांत्रिकी मंत्री का गृह निवास होने के साथ कांग्रेस के राष्ट्रिय स्तर के कद्दावर नेता मोतीलाल वोरा का भी गृह क्षेत्र है . वर्तमान में प्रदेश के परिवहन मंत्री जिले के प्रभारी मंत्री भी है . जिले के प्रभारी मंत्री मो.अकबर ने पूर्व में अपनी प्रथम समीक्षा बैठक की मीटिंग के बाद पत्रकारों से चर्चा में कहा कि कांग्रेस सरकार किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार को पनपने नहीं देगी वही अपने विभाग ( परिवहन विभाग ) के बारे में चर्चा के दौरान कहा था कि विभाग में किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दास्त नहीं की जाएगी .
किन्तु शायद मंत्री जी ये बात कहकर भूल गए या फिर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा मंत्री के बात को गंभीरता से नहीं लिया गया कारण जो भी किन्तु प्रदेश के इस व्हीआईपी जिले में परिवहन विभाग के अंतर्गत आने वाले ऐसी कई संस्था है जो परिवहन विभाग के नियमो की अनदेखी कर खुले रूप से संचालित हो रही है किन्तु क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी मौन है अब ये मौन कार्य की अधिकता / कोरोना आपदा या अन्य कोई भी कारण से हो किन्तु ये भी अपनी जगह आज यथार्त है कि जिला मुख्यालय दुर्ग में ही ऐसी दो से तीन संस्था है जो नियम विरुद्ध संचालित हो रही है और विभाग मौन है .
्यढ्ढ्र सर्विस सेंटर या चार पहिया वाहन शोरुम
दुर्ग के धमधा नाका टोल प्लाज़ा के समीप ्यढ्ढ्र मोटर्स चार पहिया वाहन का शोरुम है एक बारीकी देखने से तो लगता है कि यह सर्विस सेंटर है और यहाँ सिर्फ वाहन की सर्विसिंग होती है किन्तु अन्दर जाने से ही ज्ञात होता है कि यहाँ सर्विस सेंटर के नाम पर वाहन का विक्रय भी किया जाता है . वैसे तो वाहन विक्रय करने का अधिकार सर्विस सेंटर के संचालको को है किन्तु वाहन विक्रय करने का ये अधिकार रायपुर आरटीओ से प्राप्त है और रायपुर जिले में ही वाहन विक्रय किया जा सकता है जिसके लिए संचालको द्वारा रायपुर आरटीओ से ट्रेड लाइसेंस लिया गया है उसी तरह अगर दुर्ग में भी वाहन विक्रय करना है तो दुर्ग आरटीओ से भी ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है किन्तु इस सर्विस सेंटर / शोरुम के संचालको द्वारा ऑनलाइन पद्दति का पूरा लाभ उठाते हुए विक्रय तो दुर्ग सर्विस सेंटर से किया जा रहा है जिसके लिए एक पूरी टीम ( सेल्स ) की यहाँ तैनात है किन्तु बिलिंग की सारी प्रक्रिया रायपुर से ही होती है और वही से दुर्ग पासिंग का नंबर भी अलाट किया जाता है जबकि शासन के नियमानुसार यह सारा कार्य दुर्ग आरटीओ की अनुमति से ट्रेड लाइसेंस के साथ होना चाहिए किन्तु संचालको द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा वही इस बात की जानकारी दुर्ग आरटीओ के पास होने के बाद भी महिना गुजर गए किन्तु कार्यवाही के नाम पर शून्य क्या ऐसी ही भ्रष्टाचार मुक्त विभाग की कल्पना जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के परिवहन मंत्री मो. अकबर ने की थी ? क्या विभाग मामले को गंभीरता से लेकर कार्यवाही / जाँच करेगा या मौन रहकर परिवहन मंत्री के वादे को गलत साबित करेगा ?
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