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दुर्ग / शौर्यपथ /
नगर पालिक निगम में कहने को तो सत्ता में कांग्रेस 20 सालो बाद वापसी की है किन्तु इतने सालो के बाद वापसी के बाद भी शहर की स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है . हालाँकि दुर्ग निगम के युवा महापौर बाकलीवाल की कोशिश रही कि शहर साफ़ व स्वस्थ रहे किन्तु उपरी दिखावा के आगे ये सब भी बेमानी बात हो गयी . आज भी शहर में ऐसे कई स्थान है जहां गंदगी का ढेर है ऐसे कई स्थान है जहां नालिया जाम है ये अलग बात है कि वर्तमान में निगम के स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता है किन्तु अगर देखा जाए तो नियमत: दुर्ग निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के पद के लिए किसी सेनेटरी इस्पेक्टर को होना चाहिए किन्तु दुर्ग निगम की बदकिस्मती कहे कि शासन द्वारा निगम को कोई सेनेटरी इस्पेक्टर नहीं मिला और इस महत्तवपूर्ण पद पर दुर्गेश गुप्ता को प्रभार मिल गया . शुरू से ही विवादों में रहे दुर्गेश गुप्ता के पास एक समय निगम के महत्तवपूर्ण प्रभार स्वास्थ्य , लाइसेंस व बाजार विभाग तीनो था किन्तु आम जन के लगातार विरोध के बाद एवं परिषद् के विरोध के बाद बाजार विभाग दुर्गेश गुप्ता के हाँथ से निकल गया .
वर्तमान में दुर्गेश गुप्ता के पास लाइसेंस विभाग के साथ स्वास्थ्य विभाग भी है किन्तु शायद दुर्गेश गुप्ता ऐसे पहले अधिकारी होंगे जिनका विरोध सामान्य सभा की बैठक में खुले आम वार्ड के निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने भी की है किन्तु बावजूद इसके विरोध का कारण जानते हुए भी निगम प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की जनप्रतिनिधि के विरोध के कारणों की .
मामला है वार्ड नंबर 28 से जुडा इस वार्ड के पार्षद है राकेश सेन जिनके द्वारा निर्वाचित होने के कुछ दिनों बाद से ही यानि कि लगभग 10 माह से वार्ड के मध्य स्थित मुर्गी फ़ार्म को हटाने और आम जनता को बदबू व संक्रमण की बीमारी से निजाद दिलाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है और इस मामले मे कई बार वार्ड पार्षद द्वारा स्वास्थ्य अधकारी सहित आयुक्त बर्मन को भी सुचना दी गयी है . हालाँकि स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मौके का निरिक्षण कर दो तीन बार मुर्गी फ़ार्म के संचालको पर गंदगी के लिए जुर्मान भी लगाया गया किन्तु ऐसी चर्चा है कि सत्ता पक्ष के किसी जनप्रतिनिधि के दबाव में स्वास्थ अधिकारी द्वारा मामूली जुर्माना लेकर मामले को रफा दफा कर दिया गया है . जबकि शहर के बीच मांस मटन विक्रय की दुकानों का पुरजोर विरोध महापौर बाकलीवाल द्वारा भी किया गया साथ ही कई बार मौखिक आदेश भी दिया गया कि बसाहट के बीच ऐसी दुकाने संचालित न हो पाए किन्तु स्वास्थ्य अधिकारी को शायद किसी की परवाह नहीं . क्या ये मान लिया जाए कि स्वास्थ्य अधिकारी अपनी मर्जी से निगम में कार्य कर रहे व कार्यवाही कर रहे है क्योकि अगर कोई अपनी दूकान के सामने कचरा भी फेकता नजर आ जाए तो स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता जुर्माने के रूप में बड़ी रकम वसूलने के लिए जाने जाते है . किन्तु वही वार्ड नम्बर 28 में बस्ती के बीच संचालित मुर्गी फ़ार्म के ऊपर आखिर स्वास्थ्य अधिकारी का बस क्यों नहीं चल रहा क्या प्रदेश के रसूखदार व्यापारी आई बी ग्रुप की संस्था होने के दबाव में स्वास्थ्य अधिकारी बस्ती में रहने वालो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है .
इस बारे में जब वार्ड पार्षद राकेश सेन से शौर्यपथ समाचार पत्र ने बात की तो पार्षद ने बताया कि वार्ड में स्थित मुर्गी फ़ार्म से निकलने वाले कचरे और बदबू से पूरा क्षेत्र परेशान रहता है कई बार इस मुर्गी फ़ार्म को अन्यत्र स्थानातरित करने निगम प्रशासन से गुजारिश की गयी किन्तु निगम के जिम्मेदार अधिकारी के मौन धारण से वार्ड की जनता हैरान है और बदबू में जीने को मजबूर . बारिश के दिनों में मुर्गी से होने वाली संक्रमित बीमारियों का हमेशा डर तो रहता है साथ ही वातावरण में एक दुर्गन्ध हमेशा व्याप्त रहती है किन्तु आम जनता की परेशानियों से निगम के जिम्मेदार अधिकारियो को शायद कोई सरोकार नहीं उन्हें सरोकार है तो सिर्फ टेक्स वसूली से जुर्माना वसूली से बाकी सुविधाओ की बात करे तो निगम मौन , महापौर मौन , विधायक मौन ...
बड़ा सवाल - अगर दुर्ग निगम प्रशासन वार्ड के चुने हुए जनप्रतिनिधि की शिकायत को भी संज्ञान नहीं ले रहा तो क्या ये समझा जाए कि अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू है या फिर वार्ड पार्षद राकेश सेन विपक्ष के पार्षद है तो सत्ता पक्ष के द्वारा कार्यवाही ना करने का दबाव है मामला चाहे जो भी हो किन्तु बदबू और संक्रमण का डर उस जनता को है जिसमे सभी वर्ग के सभी विचारधारा के लोग है आखिर आम जनता की क्या गलती क्या ?म जनता को स्व्क्ष वातावरण में जीने का अधिकार नहीं ?
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