August 04, 2025
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अब्दुल गनी के जाति प्रमाण पत्र की जल्द से जल्द हो जाँच - विल्सन डिसूजा Featured

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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में 20 साल बाद सत्ता में कांग्रेस की सरकार बनी . कांग्रेस की सरकार के बन्ने से लेकर अज तक निगम की सरकार कई तरह के विवादों में घिरी रही . पीडब्ल्यूडी में भ्रष्टाचार , ईई गोस्वामी द्वारा मनचाहे ठेकेदार से कार्य , राशन घोटाला में ई गोस्वामी का नाम , फ्लेक्स घोटाले में शामिल निगम अधिकारियों पर कार्यवाही में देरी , अमृत मिशन के कार्य में स्तरहीन पर विवाद , फ्लेक्स फोटो में निगम सभापति का फोटो गायब होना , मुख्यमंत्री के जन्मदिन के पोस्टर का दुर्ग निगम क्षेत्र से उसी दिन गायब हो जाना , लॉक डाउन के समय बाजार अधिकारी की कार्यप्रणाली से निगम के शहरी सरकार के प्रभारियो का खफा होना और प्रभार से बाजार अधिकारी को हटाना , निगम की शहरी सरकार के समय पहली बार प्लेसमेंट कर्मचारियों का एक दिनी हड़ताल , निगम के हर कार्य में विधायक की दखलन्दाजी जैसे विवाद इन एक साल में होते रहे .
किन्तु इन विवादों में अब एक नया विवाद जुड़ गया है किसी समय महापौर के प्रबल दावेदार के रूप में अपने अप को पेश करने वाले और एक समय वोरा परिवार के शानू वोरा से भी महापौर के पद के लिए विवाद करने वाले अब्दुल गनी पर उनके ही वार्ड के पूर्व पार्षद विल्सन डिसूजा ने फर्जी जाती प्रमाण पत्र के सहारे अरक्षित सीट में चुनाव लडऩे का आरोप लगाया और सरकार से मांग की है कि मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जाँच हो . विल्सन डिसूजा ने वर्तमान में निगम की सरकार के पीडब्ल्यूडी प्रभारी और वार्ड न. 8 से पार्षद अब्दुल गनी पर कूटरचना के तहत फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगाया है .
शौर्यपथ समाचार से ख़ास बातचीत में विल्सन डिसूजा ने बताया कि वार्ड न. 8 के पार्षद अब्दुल गनी द्वारा जो जाति प्रमाण पत्र 2014 के चुनाव के समय पेश किया गया वो गलत है . अगर अब्दुल गनी पिछड़ा वर्ग से आते है तो फिर 2009 के चुनाव व 2019 के चुनाव में निर्वाचन आयोग को भरे अपने शपथ पत्र में पिछड़ा वर्ग लिखने की जगह सामान्य श्रेणी क्यों अंकित किया यही नहीं अब्दुल गनी एक शासकीय सेवक के रूप में भी कार्य कर चुके है और शासकीय सेवा में पिछड़ा वर्ग से मिलने वाले पदोन्नति लाभ के समय भी शासकीय अभिलेख में कही पिछड़ा वर्ग नहीं लिखा गया यहाँ तक कि 2005 में जमीन खरीदी बिक्री के समय जमीन के दस्तावेज में सिर्फ धर्म के कालम को अंकित किया गया एवं वहा पर भी मुसलमान लिखा गया .
विल्सन डिसूजा ने बताया कि अब्दुल गनी द्वारा अस्थाई जाति प्रमाण पत्र जिन दस्तावेजो के आधार पर बनाया गया था उसमे वार्ड 42 के पार्षद संजय सिंह द्वारा पहचान करता के रूप में अभिलेख में हस्ताक्षर है वही ग्राम सांकरा के पूर्व सरपंच ने जिस वंशावली के दस्तावेज में हस्ताक्षर किये वो भी सिर्फ अब्दुल गनी के पैत्रिक निवासी होने के कारण उन दस्तावेजो में हस्ताक्षर किये गए है . जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऐसे कोई दस्तावेज को प्रमाणित नहीं माना जाता जिसमे सिर्फ सरपंच या पार्षद के हस्ताक्षर हो . अब्दुल गनी के स्कूल के दस्तावेजो में भी जाती के कालम में मुसलमान अंकित है कही भी पिछड़ा वर्ग की जाती अंकित नहीं . पिछड़ा वर्ग जाती प्रमाण पत्र बनाने के लिए शासन के नियमानुसार सन 1984 के पूर्व के जमीन के दस्तावेज या पूर्वजो के किसी शासकीय दस्तावेजो में जाति अंकित होने का प्रमाण देना होता है किन्तु अब्दुल गनी द्वारा 12 अगस्त 2009 को अस्थाई जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया था एवं 17 अगस्त को अस्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी हो गया इतना ही नहीं ठीक उसके दो दिन बाद 19 अगस्त 2009 को स्थाई जाती प्रमाण पत्र भी जारी हो गया इतनी तुरंत फुरंत में बनाई गए जाति प्रमाण पत्र को ठीक 3 माह बाद 2009 में हुए निगम चुनाव के समय भरे गए शपथ पत्र में एक बार फिर सामान्य श्रेणी भरा गया .
विल्सन डिसूजा का कहना है कि इस तरह बार बार जाति के कालम में बदलाव कई तरह के संदेहों को जन्म देता है . विल्सन डिसूजा और सैय्यद आसिफ अली ने प्रेस वार्ता कर ये जानकारी देते हुए कहा कि जामा मस्जिद से बने हुए जाति प्रमाण पत्र भी शून्य है क्योकि जामा मस्जिद को शासन द्वारा कोई आदेश पारित नहीं हुआ है कि वो जाति प्रमाण पत्र जारी करे . ऐसे कई संदेह करने वाली बाते है जिस पर जाँच होनी चाहिए और दोषियों पर जल्द से जल्द कार्यवाही होनी चाहिए . स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री कह चुके है कि लाभ के पद फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे में बैठे व्यक्तियों पर त्वरित जाँच कर कार्यवाही सुनिश्चित करे .

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