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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिका निगम के सबसे ज्यादा घोटाले की बात होती है तो वो होती है निगम के पीडब्ल्यूडी विभाग की . जब तक कांग्रेस विपक्ष में थी तब तक पीडब्ल्यूडी विभाग में हो रहे घोटाले पर सत्ता पक्ष को हमेशा घेरने का कार्य करती थी . दुर्ग विधायक अरुण वोरा द्वारा भी गाहे बगाहे कभी निगम के मुख्य द्वार तो कभी मुख्य कार्यालय के द्वारर पर धरना प्रदर्शन किया जाता रहा . तब महापौर धीरज बाकलीवाल संगठन की राजनीती करते थे और सक्रीय राजनीती से दूर रहते थे कितु वर्तमान में व् प्रभारी अब्दुल गनी द्वारा सदैव विधायक का समर्थन व साथ रहता था . आज उसी पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रभारी वार्ड नम्बर 7 के पार्षद अब्दुल गनी है .
वैसे तो इन दिनों शहर में काफी चर्चा पीडब्ल्यूडी प्रभारी अब्दुल गनी के जाति प्रमाण पत्र के सच और फज़ऱ् के बारे में चल रहा है . वार्ड के ही पूर्व कांग्रेस नेता विल्सन डिसूजा द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर अब्दुल गनी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे आरक्षित सीट (2014 ) में चुनाव लडऩे व लाभ लेने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गयी है मामला न्यायालय में भी लंबित है जिस पर फैसला आना बांकी है .
यहाँ मामला है दुर्ग निगम के एमआईसी भवन का . दुर्ग में माह जनवरी में कांग्रेस के मुखिया के तौर पर धीरज बाकलीवाल ने सत्ता संभाली और नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता व वार्ड पार्षद अब्दुल गनी को निगम के महत्तवपूर्ण प्रभार पीडब्ल्यूडी विभाग सौपा गया . और ये उम्मीद लगाईं गयी कि अब इस विभाग के द्वारा शहर में विकास कार्य गति प्रदान करेगा किन्तु कितना विकास किसका हो रहा है ये जनता देख और समझ रही है . यहाँ मामला यह है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम के एमआईसी भवन में ठेकेदार सजीत द्वारा मात्र डेढ़ लाख में रेनोवाश का कार्य किया गया माह जनवरी से माह अगस्त तक की जानकारी के अनुसार एमआईसी भवन में संधारण के कार्य में कुल डेढ़ लाख का कार्य हुआ जबकि इन बीच के महीनो में एमआईसी भवन के सभी प्रभारियो के कमरे में पेंट पुट्टी , वाल पेपर , नए परदे , कई केबिन में नए टेबल , भवन की पुताई , नए दरवाज़े , नई खिडकिया तक लग चुकी . कुल 12 कमरों में ये सब कार्य हुए किन्तु निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ डेढ़ लाख का खर्च हुआ .
अगर इतने कार्य में डेढ़ लाख का खर्च हुआ तो फिर निगम के मुख्य कार्यालय भवन के बहरी हिस्से की पुताई , और कर्मशाला , कार्यालय , मिडिया विभाग , स्वास्थ्य कार्यालय के बाहरी हिस्से की सिर्फ पुताई में 80 से 90 हजार क्यों खर्च हुए . एक जैसे कार्य जिसमे एक भवन में लाखो के सामन लगने के बाद भी डेढ़ लाख और एक भवन में सिर्फ पुताई के एक लाख के लगभग का खर्च . आखिर निगम के इंजिनियर किस माप दंड से इस्टीमेट बनाते है क्या विभाग में किसी के दबाव के चलते मनमानी इस्टीमेट बनाया जा रहा है या फिर कही और के मद का कही और ईस्तमाल करने का खेल चल रहा है जैसे कि सुनील अग्रहरी के कार्यकाल में आयक्त निवास में लाखो का कार्य अन्य स्थानों के नाम पर सब इंजिनियर भीम राव द्वारा किया गया क्या उसी तरह का खेल अब भी चल रहा है क्या किसी बड़े साजि़श के तहत ये सब कार्य हो रहा है .क्या पीडब्ल्यूडी प्रभारी इस बात से अनजान है या जानते हुए भी मौन है अगर अनजान है तो ये आश्चर्य की बात है अगर मौन है तो आखिर क्यों ...
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