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shouryapath news / दुर्ग नगर पालिक निगम में 20 सालो बाद कांग्रेस की सरकार ने सत्ता संभाली है . दुर्ग निगम में कांग्रेस की शहरी सरकार के मुखिया के तौर पर चयन में शहर के विधायक की पसंद को महत्तव दिया गया और शहर के वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ताओ कई बार के पार्षद बन चुके नेताओ को दरकिनार करते हुए शहर की सरकार के मुखिया के रूप में प्रथम बार पार्षद चुनाव लड़े व विजयी हुए धीरज बाकलीवाल को महापौर के पद से नवाज़ा गया . युवा सोंच और नई ऊर्जा के साथ महापौर बाकलीवाल ने अपने मधुर स्वभाव व मिलकर चलने व विकास की नई गाथा लिखने अपने स्तर पर प्रयास किये किन्तु दुर्ग निगम में महापौर बनने की लालसा रखने वाले तीन जीते हुए उम्मीदवार में से दो को किसी भी विभाग का प्रभारी नहीं बनाया गया मदन जैन और राजकुमार नारायणी ये दो ऐसे पार्षद है जो सालो से निगम की राजनीती में सक्रीय है वही राजकुमार नारायणी पिछले कार्यकाल में सभापति की भूमिका निभा चुके है सभापति के पद में रहते हुए नारायणी पुरे पांच साल निगम की जानकारिय ही निकलते रहे ताकि भविष्य में काम आये किन्तु कांग्रेस की सरकार में सिर्फ पार्षद ही बन कर रह गए वही मोतीलाल वोरा को आदर्श मानने वाले मदन जैन को भी किसी तरह का कोई प्रभार नहीं मिला वर्तमान सरकार में सिर्फ अब्दुल गनी को ही निगम में प्रभारी बनाया गया वो भी सबसे महत्तवपूर्ण प्रभार देकर .
पीडब्ल्यूडी विभाग का प्रभार मिलते ही शहर की जनता को लगा कि अब कुछ अच्छा होगा . सबका विकास होगा किन्तु निगम दुर्ग के व् विभाग में जादूगरी से लाखो का काम डेढ़ लाख में करने वाला पीडब्ल्यूडी विभाग अब एक नए विवाद में फंसते जा रहा है . वो विवाद है ऑफ लाइन निविदा और ऑनलाइन निविदा का . छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने स्थानीय बेरोजगारों की बेरोजगारी दूर करने के उद्देश्य से 20 लाख से कम के कार्य की निविदा ऑफ लाइन करने का आदेश पारित किया था किन्तु दुर्ग निगम में इस ऑफ लाइन निविदा के खेल में कार्य स्थानीय बेरोजगारों को ना मिलकर सिर्फ चंद लोगो को ही दिया जा रहा है . निगम के विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार निगम के कई जनप्रतिनिधि के करीबी रिश्तेदार , करीबी मित्र यहाँ तक की कई जनप्रतिनिधि दुसरे के नाम की कपनी का ईस्तमाल करते हुए ठेकेदारी कार्य कर रहे है ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव के समय जनता की सेवा का वादा सिर्फ दिखावा मात्र ही रह गया यहाँ स्वयं सेवी के रूप में कार्य हो रहा है . ऑफ लाइन प्रक्रिया का लाभ उठाते हुए ऐसे कई ठेकेदार है जो जनप्रतिनिधि के ख़ास होने से कार्यो को आपस में बाँट रहे है . ऐसा नहीं है कि सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता को कार्य मिल रहा है यहाँ जो ज्यादा चापलूसी कर रहा वही कार्य कर रहा कोई मामा , तो कोई चाचा बना फिर रहा और भांचे - भतीजे कार्य कर रहे है .
आपस में कार्य बाँटने की इस परम्परा में बिलों रेट और एबव रेट का भी बड़ा खेल चल रहा है ऐसा लगता है जैसे सिर्फ दिखाने के लिए ही निविदा फ़ ार्म बंट रहा हो क्योकि शौर्यपथ समाचार के पास ऐसे निविदा व कोटेशन फ ़ार्म है जिसमे एक ही ठेकेदार एक कार्य को एबव रेट में भर रहा तो दुसरे कार्य को बिलों रेट में वो भी सिर्फ एक से दो प्रतिशत के अंतर से जबकि प्रतिस्पर्धा के इस युग में 20 लाख से ज्यादा के कार्य में निविदाये 15 से 20 प्रतिशत बिलों रेट में निविदाये खुल रही है . दुर्ग निगम में इन दिनों कार्यो को लेकर बंटवारा कमरे के अंदर एक रिंग बनाकर और चंद चाहने वालो को शामिल कर बड़े अंतर के कमीशन का खेल चल रहा है .किन्तु वही अगर कार्य की गुणवत्ता की बात करे तो शायद ही ऐसा कोई कार्य हो जो अपनी उच्च गुणवत्ता का परिचय दे रही हो . जिस तरह से निगम के पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यो की आलोचना कई बार कांग्रेस के ही सोशल मिडिया में कांग्रेसी कार्यकर्ताओ द्वारा गाहे बगाहे की जाती है . जिस तरह से सिर्फ चंद लोगो को ही कार्य दिया जा रहा है उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस दुर्ग निगम में सिर्फ पांच साल के लिए ही आयी है और पांच साल बाद बिना किसी मेहनत के एक बार फिर सत्ता हस्तांतरण करने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है .
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