August 04, 2025
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आखिर क्यों मित्तल हॉस्पिटल जैसी संस्था को बार बार जुर्माना लगा कर छोड़ रहा प्रशासन Featured

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दुर्ग / शौर्यपथ / मित्तल हॉस्पिटल भिलाई के नहरू नगर में संचालित एक ऐसा निजी नर्सिंग होम है जो अभी खुले हुए चंद महीने ही हुए . कोरोना आपदा के समय पूर्व के विवादित बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल के एक हिस्से में नए स्वरुप के साथ खुला मित्तल हॉस्पिटल शुरू से ही मरीजो से पैसे के लेन देन के मामले में विवादित रहा . कोरोना आपदा के समय मरीजो से अनाप शनाप पैसे फ़ीस के रूप में लेने के कारण आखिरकार जिला प्रशासन में कोरोना इलाज के लिए दी गयी अनुमति रद्द कर दी . वर्तमान स्थिति तक ऐसे तीन मामले जिसमे लेन देन में अनियमितता का आरोप और जुर्माना झेल चुके मित्तल हॉस्पिटल दुर्ग व भिलाई में एक विवादित हॉस्पिटल के रूप में चर्चित हो चुका है . किन्तु हॉस्पिटल प्रबंधन फिर भी नहीं मान रहा . ये तो ऐसे मामले है जिसमे मरीजो के परिजन होस्पिटल द्वारा प्राप्त बिलों का बारीकी से निरिक्षण कर हेरा फेरी को पकड़ लिया और उच्च स्तर तक शिकायत की गयी किन्तु ऐसे भी मरीज है जो गरीब तबके से या बिलों में अंकित दी गयी सेवाओं और परीक्षणों की तकनिकी भान्षा को समझने में अनजान रहते है इस तरह की जालसाजी को नहीं समझ पाते होंगे ऐसे मरीजो की संख्या एक भी हो सकती है और सक्दो में भी जा सकती है .
    कानून समाज में उपद्रव करने वालो की पहली गलती को सजा या जुर्माना लगा कर एक मौका सुधरने का देता है किन्तु अगर वह बार बार गलती करे तो कानून भी सख्त हो जाता है किन्तु वही मित्तल हॉस्पिटल जैसी संस्था जिसका सञ्चालन भिलाई में हुए अभी कुछ माह ही हुए तीन तेन बार जुर्माना लग चुका है क्या ऐसी संस्था जो इलाज के नाम पर सिर्फ और सिर्फ धन बटोरने का कार्य कर रही है जिसके कारण ऐसी संस्था जो सेवाभाव से चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर रही है उनकी भी छवि ख़राब करने की कोशिश नहीं मित्तल होस्पिटल जैसी संस्था के कारण अन्य संस्थाए भी बदनाम हो रही है क्या ऐसी संस्था पर सिर्फ जुर्माना लगा कर छोड़ देना सही है ? जो संस्था जिला प्रशासन द्वारा गठित टीम के समक्ष अपना पक्ष रखने का भी समय नहीं देती क्या ऐसी संस्था के अद्यल रवैय्ये पर सिर्फ जुर्माना की कार्यवाही करना भी कई तरह की चर्चो को जन्म दे रहा है कि कही किसी प्रशासनिक अधिकारी की मिलीभगत और मामूली जुर्माना से कार्यवाही को इतिश्री करना समझ से परे है .
मामला इस प्रकार है ...
मित्तल हॉस्पिटल, नेहरू नगर के खिलाफ कलेक्टर को मरीज संजीव अग्रवाल राजनांदगांव के परिजनों ने शिकायत किया था। शिकायत की जांच के लिए कमेटी ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जिसके बाद कलेक्टर ने मित्तल हॉस्पिटल पर 39 हजार रुपये मरीज के परिजनों को वापस करने का आदेश दिए हैं। मरीज के परिजनों द्वारा शिकायत में बताया गया था कि मरीज का 13 से 18 सितंबर 2020 इलाज किया गया। इस दौरान उपचार में लापरवाही और स्वास्थ्य उपचार के लिए तय निर्धारित रकम से अधिक रुपए लिए गए। इस पर कलेक्टर ने शिकायत को स्वास्थ्य विभाग के पास जांच के लिए भेजा। जांच टीम ने पाया कि अस्पताल प्रबंधन ने पीड़त से अधिक रकम लिए हैं। जिसको देखते हुए अस्पताल पर आर्थिक दण्ड और शिकायतकर्ता को लिए गए अतिरिक्त शुल्क 39,550 रुपए वापस करने निर्देश दिया गया। यह मित्तल अस्पताल के खिलाफ तीसरी कार्रवाई है।
संयुक्त जांच दल में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को शामिल किया गया, जिसमें डॉक्टर केके जैन, जिला चिकित्सालय, दुर्ग, डॉक्टर आरके खण्डेलवाल, डॉक्टर अर्चना चौहान, स्वास्थ्य विभाग जिला कार्यालय शामिल थे। जांच टीम ने 13 जनवरी 2021 को शिकायकर्ता का बयान लिया। इसके बाद 14 जनवरी 2021 तक अस्पताल प्रबंधन का बयान लेने के लिए इंतजार किया। अस्पताल प्रबंधन ने अपना पक्ष नहीं रखा। जांच दल ने जांच प्रतिवेदन में बताया कि कोविड-19 पॉजिविट मरीज संजीव अग्रवाल को स्वास्थ्य उपचार के लिए निजी अस्पताल मित्तल हॉस्पिटल, नेहरू नगर, भिलाई में 13 से 18 सितंबर 2020 तक मरीज का इलाज किया गया। इसके बाद मरीज रामकृष्ण अस्पताल, रायपुर में इलाजरत था।
नहीं किया सही उपचार
जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि मित्तल अस्पताल ने मरीज का सही इलाज नहीं किया। जांच पर पाया गया कि हॉस्पिटल ने इलाज में यह कमी थी। मरीज संजीव अग्रवाल डीएम व एचटी के तीन साल से मरीज होने के बाद भी उनकी दवाओं का उल्लेख केस सीट में नहीं है। मरीज से स्वास्थ्य उपचार में खर्च के नाम पर 1,43,000 रुपए शुल्क लिया गया। जांच दल ने बिल का अवलोकन किया। राज्य शासन ने कोविड-19 मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा व सुविधा देने के लिए दरों का निर्धारण किया है। जिसके मुताबिक जांच करने पर पाया गया कि पीपीई किट के नाम पर पांच दिनों में 11,250 रुपए, इंजेक्शन के नाम पर 10,800 रुपए, परामर्श के नाम पर 6,000 रुपए, आरएमओ चार्ज 3,000 रुपए, सीटी स्कैन का चार्ज 5,000 रुपए, एमआरडी चार्ज 500, कोविड किट चार्ज 2,500 रुपए व एंबुलेंस चार्ज 500 रुपए लिया गया। कलेक्टर को कमेटी ने जांच करने के बाद यह सारी जानकारी प्रतिवेदन में दी।
जांच कमेटी ने कहा है कि मित्तल अस्पताल में मरीज का सही इलाज नहीं किया जाना पाया गया व जांच समिति के समक्ष स्वयं उपस्थित नहीं होना पाया गया। इसलिए मित्तल हॉस्पिटल के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट में उल्लेखित प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई किया जाना प्रस्तावित किया गया है। प्रथम दृष्टया संचालक, मित्तल अस्पताल का गंभीर लापरवाही पाया गया है।
नर्सिंग होम एक्ट 2013 के प्रावधान अध्याय-तीन दण्ड और जुर्माना (क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों के अधीन जो कोई भी अनुज्ञा पत्र के संबंध में बनाए गए प्रावधान का उल्लंखन करता है तो उसे जुर्मानें के तौर पर 20 हजार रुपए देना होता है, मित्तल अस्पताल के संचालक को 20,000 रुपए के जुर्मानें से दण्डित किया गया है।

 

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