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दुर्ग / शौर्यपथ / प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और दुर्ग जिला में युवा कांग्रेस अध्यक्ष अंकुश पिल्लई निर्वाचित है . भिलाई के महापौर और विधायक देवेन्द्र यादव के करीबी माने जाने वाले अंकुश पिल्लई ने थाना भिलाई नगर में एक बोर्ड लगवा दिया जिसमे सौजन्य से में अपना नाम अंकित कर दिया जिसकी चर्चा सोशल मिडिया में जोरो पर है कोई इसे सही कह रहा कोई इसे गलत कह रहा है . हो सकता है ये विधि सम्मत कार्य हो या ना हो . अंकुश पिल्लई की जो पहचान आज भिलाई में है वो व्यक्तिगत से ज्यादा कांग्रेसी नेता के रूप में है . कांग्रेस के कार्यकर्ता होने से कांग्रेस पार्टी ने पिल्लई को अध्यक्ष पद से नवाज़ा किन्तु थाने में लगे बोर्ड पर सौजन्य अंकुश पिल्लई के नाम की पट्टिका लगने से आम जनता या कोई भी ऐसा प्रार्थी जो पुलिस थाना जाएगा एक बार अंकुश पिल्लई को जरुर फोन कर मदद की गुहार लगाएगा क्योकि नंबर भी अंकित है और परेशानी के समय व्यक्ति अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को ही याद करता है ऐसे समय में महापौर व विधायक के सबसे करीबी को हीं याद करेगा इस तरह से देखे तो अंकुश पिल्लई ने समाज सेवा करने के लिए बोर्ड में अपना नाम अंकित किया है किन्तु क्या किसी भी थाने में ऐसा बोर्ड लगाना उचित है क्या ये सही प्रथा है .
पुलिस विभाग निष्पक्षता से कार्य के लिए जानी जाती है लाख आरोप लगे किन्तु जब भी व्यक्ति को कोई परेशानी होती है तो न्याय के लिए सबसे पहले पुलिस थाने ही जाता है आज देवेन्द्र यादव ताकतवर नेता है अंकुश पिल्लई उनका ख़ास सिपहसलार है हो सकता है ये बोर्ड कभी भी ना हटे जब तक कांग्रेस का राज है किन्तु सत्ता किसी एक की मुट्ठी में नहीं होती आज इधर तो कल उधर .क्या ऐसे ही सुशासन का वादा कर विधायक की खुर्शी पायी है देवेन्द्र यादव ने ? देवेन्द्र यादव भिलाई निगम के महापौर के साथ विधायक की भूमिका भी निभा रहे है वर्तमान में . अभी ढेढ़ साल भी नहीं हुए जब विधान सभा चुनाव में प्रेम प्रकाश पाण्डेय की दबंगई के खिलाफ सुशासन की बात की थी और आम जनता ने कांग्रेस के वादों को मान कर जीत दिलाई थी . आज क्या ये सौजन्य बोर्ड फिर से वही शासन की ओर आगाज तो नहीं जिसके खिलाफ कांग्रेस को जीत मिली थी .
आज प्रदेश के मुखिया अगर चाहे तो क्या प्रदेश के हर थाने में ऐसा बोर्ड लगवा सकते है किन्तु उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया . किन्तु शायद ये अंकुश पिल्लई की ताकत का ही चमत्कार है कि थाने में सौजन्य बोर्ड में किसी संस्था का नाम नहीं अपना नाम लिखवा दिया या हो सकता है अंकुश पिल्लई खुद ही एक संस्था हो और भविष्य में सत्ता के शिखर पर जाए किन्तु कोई भी जनप्रतिनिधि अगर इस प्रकार कानून के दरवाजे पर अपना प्रचार करे तो क्या ये संभव आम जनता जो कांग्रेस के किसी नेता से पीड़ित हो वो थाना जाने में घबराये . चार दिनों से सोशल मिडिया पर चर्चा तो खूब हो रही है किन्तु खबर नहीं बनी कही ऐसा तो नहीं कि अंकुश पिल्लई या अंकुश पिल्लई के राजनितिक गुरु विधायक यादव का डर शामिल हो .
हो सकता है ये लेख लिखने के बाद कांग्रेस का युवा मोर्चा या उनके समर्थक खबर प्रकाशित होने पर समाचार पत्र के जिम्मेदार पर किसी प्रकार का शारीरिक , मानसिक , आर्थिक चोट पहुचाने का प्रयास करे और सफल भी हो जाए किन्तु सच्चाई तो यही है कि थाने के प्रवेश द्वारा में किसी नेता का सौजन्य बोर्ड समाज के आम आदमी के लिए चिंता का विषय है . अंकुश पिल्लई एक बार आम जनता की भावना को समझाते तो ऐसा नहीं करते , महापौर देवेन्द्र यादव अगर आम जनता की मानसिकता का विचार करते तो अभी तक मामले को संज्ञान में लेकर कोई पहल करते .
सौजन्य बोर्ड में मेरी नज़र में पुलिस विभाग की कोई गलती नजर नहीं आती . सत्ता जिस पार्टी की रहती है और प्रशासन का मुखिया जिस पार्टी का होता है उस पार्टी से पुलिस प्रशासन भी कोई विवाद नहीं करता और ये तो बहुत ही छोटा मामला है किन्तु यही छोटा मामला आम जनता जो वर्दीधारी पुलिस को दुर्ग से ही देखकर सहम जाता है उस जनता के लिए ये चिंता का विषय है .देखे आगे क्या होता है सौजन्य बोर्ड की राजनीती का अंजाम क्योकि आगाज तो हो चुका है और वो किसी ना किसी मंजिल तक तो जाएगा ही ...
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