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दुर्ग / शौर्यपथ / लोकतंत्र में जनता अपना प्रतिनिधि चुनता है ताकि शासन और आम जनता के बीच एक कड़ी की तरह कार्य करे किन्तु दुर्ग में इन दिनों जनहित के कार्यो का श्री लेने की होड़ लगी हुई है . मामला है दुर्ग के ठगडा बाँध रेलवे क्रासिंग पर बने ओवर ब्रिज का इस ओवर ब्रिज के निर्माण में करोडो खर्च हुए है और जो भी रकम खर्च हुई है वो किसी एक इंसान की नहीं आम जनता के द्वारा दिए भिन्न भिन्न टेक्स के रूप में जमा हुई रकम है जिसे सरकार जनहित के लिए खर्च करती है किन्तु दुर्ग में इस ब्रिज निर्माण का श्रेय लेने का कार्य बड़े जोर शोर से चल रहा है .
ब्रिज निर्माण का श्रेय लेने का आरम्भ शहर के विधायक अरुण वोरा द्वारा शुरू हुआ बिना विवादित हुए निर्माण को अपनी सफलता बताते हुए शहर विधायक ने शहर के कई हिस्से में हजारो खर्च कर ये पोस्टर लगवा दिए ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे कि इस ब्रिज निर्माण का सारा खर्च विधायक अरुण वोरा ने उठाया हो . वैसे भी दुर्ग शहर विधायक शहर के हर कार्य पर अपनी छाप छोड़ने का भरपूर प्रयत्न करते है चाहे वो नाली निर्माण हो चाहे हो प्रकाश व्यवस्था हो चाहे अन्य कोई जनहित का कार्य हो उस पर ऐसा दिखाने की कोशिश की जाती है कि ये साड़ी सुविधाए विधायक अपनी निधि से कर रहे है और शहर का विकास कर रहे है शायद विधायक ये भूल जाते है कि जो निधि इनकी है वो सरकारी निधि है जिसे प्रति साल खर्च करना ही होता है चाहे किसी भी कार्य में ये विधायक के विवेक के उपर निर्भर करता है कि उस निधि का उपयोग चाहे तो बिना ज़रूरत वाले स्थानों पर प्रतीक्षालय निर्माण कर बड़े बड़े फोटो लगा दे या एक हाई मास्क लगा कर वहा अपनी फोटो लगा दे किन्तु जो भी निधि होती है जनहित के लिए सरकार द्वारा प्रदाय की जाती है इस निधि में किसी की निजी सम्प्पत्ति नहीं होती किन्तु जब दुर्ग विधायक ने ब्रिज निर्माण की सफलता को प्रचारित करना शुरू किया तो फिर भाजपा भी पीछे क्यों रहे उनके द्वारा भी शहर में जगह जगह पोस्टर लगा कर राज्य सभा सांसद का आभार वाले पोस्टर लगने शुरू हो गए जो शहर में चर्चा का विषय बन गया कि आखिर इस ठगडा बाँध के क्रासिंग पर बने ब्रिज का असली श्री किसे दिया जाए क्योकि ब्रिज निर्माण में केंद्र शासन के रेलवे विभाग की अनुमति जरुरी और राज्य शासन की अनुमति भी जरुरी . और वर्तमान समय में केंद्र में भाजपा सरकार है तो राज्य में कांग्रेस की सरकार अगर कांग्रेस सरकार ने ब्रिज के लिए राशि दी तो केंद्र ने भी रेलवे लाइन के उपर से ब्रिज बनाने की अनुमति दी मतलब दोनों ही सरकारे चाहती है कि जनहित का कार्य हो . पैसा जनता का , अनुमति सरकार की फिर श्रेय विधायक और सांसद को किस मद से और इसके उद्घाटन पर किसका हक .
शहर में जब से ब्रिज को लेकर राज्यसभा सांसद के आभार के पोस्टर लगे है तब से जनता में चर्चा है कि ब्रिज बनाने का श्रेय किसे दिया जाए कौन है इसका असली हकदार और कौन करेगा ब्रिज का उद्घाटन . इसमें कोई दो राय नहीं कि शहर में अगर कुछ विकास हुआ तो ये तात्कालिक महापौर डॉ. सरोज पाण्डेय के कार्यकाल में ही हुआ उनके कार्यकाल के बाद शहर में चाहे वो महापौर भाजपा का हो या कांग्रेस का कोई ऐसा बड़ा कार्य नहीं हुआ जिससे ये कहा जा सके कि शहर में विकास की धारा बही हो . सडक चौडीकरण , नाली निर्माण , उद्यान निर्माण , साफ़ सफाई ये सब ऐसे कार्य है जो किसी की भी सरकार रहे निरंतर प्रगति पर रहते है जनसँख्या व शहर विस्तार के बाद इसकी ज़रूरत लाजमी हो जाती है किन्तु इतने वर्षो में शहर में कोई विकास का बड़ा कार्य हुआ हो ये कही नजर नहीं आता . अब तो जनता को इंतज़ार है कि ठगडा बाँध के समीप बने ओवर ब्रिज का श्रेय किसे दिया जाए जो जनता के पैसे से दिए टेक्स से बना है और इसका उद्घाटन कौन करेगा ...
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