August 18, 2025
Hindi Hindi

दशानन का दर्द

  • Ad Content 1

        शौर्यपथ /दशहरा के दिन रावण जलाने के लिए विशालकाय पुतला बनाने की तैयारी में कई दिनों तक अपने साथियों के साथ तैयारी में जुटा था। दिन-रात मेहनत करने के कारण थक कर चूर हो गया था, इसलिए रात को गहरी नींद में सो गया। खर्राटे भरते सो रहा था तभी बाहर से आते भारी षोर शराबे की आवाज सुनकर मेरी नींद टूट गई।  मैं आंखे मलते घर के बाहर निकला तब देखा कि अलग-अलग आकार-प्रकार के रावण के पुतले मेरे घर के सामने मैदान में एकत्रित है और अपने अपने मोहल्ले वाले के उपर नाराजगी व्यक्त करते उन्हें कोस रहे है।
        यह दृष्य देखकर मेरी आंखे फटी की फटी रह गई । मैं कान लगाकर उनकी बात ध्यान से सुनने लगा। ब्राहम्ण मोहल्ला का रावण का पुतला आंखे लाल करते हुए कह रहा था हर साल दषहरा का पर्व आता है और हमारा पुतला बना कर उसे जलाने मारने के लिए लोग बड़ी वीरता दिखाते हैं। हर कोई कहता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत और अन्याय पर न्याय की जीत का संदेशदेता है, दशहरा। ऐसी बाते कहते समय वे लोग भूल जाते है कि वे खुद हर दिन विविध प्रकार के अनैतिक कार्यों में डूबे रहते हैं।
               ब्राहम्ण मोहल्ला के रावण की बातें सुनकर ठेठवार मोहल्ले का रावण गरजती हुई आवाज में बोला - ‘असली रावण को तो राजा राम ने मारा था जिन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है। रावण के पुतले को मारने वालों को भी अपने भीतर मर्यादा बनाये रखना चाहिए। तभी उन्हें रावण मारने का हक हैं अन्यथा रावण की निन्दा करने वाले को धिक्कार है।  
                  इतना सुनते ही बनिया मोहल्ले का रावण मुंह लटकाये रोनी सूरत के साथ सुबकते हुए बोला- क्या बताउं मेरी पीड़ा, कागज, बांस, घास को बांध कर, आटे की लुगदी से चिपका कर मुझे बना कर सूखने के लिए मैदान में रख दिया गया था। तभी एक सांढ़ आया और मेरे सिर, हाथ, पैर को एक एक करके चाबना - चगलना षुरू कर दिया। पहले तो मैं दर्द के मारे बिलबिला उठा। फिर दर्द सहते सोचने लगा कि पापियों के हाथ जल जाने से ज्यादा अच्छा सांढ़ का खुराक बनना है। उसके पेट में जाकर जब गोबर बन कर निकलूंगा तो कंडा बनकर किसी गरीब के घर के चूल्हा में खाना पकाना के काम आउंगा। खाद बन गया तो किसान के खेत को उपजाऊ बनाउंगा।  
              उसी समय कोसटा मोहल्ला के रावण अपने फूले हुए जगह-जगह से नूचे हुए ष्षरीर को दिखाते दोनों आंखों से झर झर आंसू बहाते बोल पड़ा-मेरी हालत तो और बुरी है भाईयों। मुझे रंग-बिरंगे कागज से सजा संवार कर आटे की लुगदी से चिपका कर सूखाने रखा गया था। तभी जोरदार बारिष में मैं भीग गया। अब मुझेे कोई बचाने नहीं आ रहा है। इसका फायदा उठाकर मक्खी, चीटी, कौआ और चूहे मेरे उपर चढ़ चढ़ कर आंख, कान, नाक को नोंचे पड़े हुए है। ऐसी पीड़ा देने वाले इंसानों के बारे में सोचता हंू तो मेरा मन कहता है कि अमने तो एक बार ही सीता का हरण किया था। पर हमकों जलाने, मारने वाले इंसान तो रोज माताओं, बहनों को अपमानित कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भला कौन राम मारेगा। धरती पर ऐसे पापियों को मारने कब राम अवतरित होंगे।
            तभी एक नेतानुमा रावण कड़कदार आवाज में बोला-इंसानों ने अपने समाज की भांति रावण के पुतले को भी अमीर और गरीब की तरह बांट दिया है। गरीब मोहल्ले के रावण को देख लो बेचारा कई दिनों का भूखा, पिचके पिचके गाल, फटे पुराने कपड़ों से निर्मित दिख रहा है। जबकि अमीर मोहल्ले का रावण लकदक कपड़ों से सजा रौबदार दिखाई दे रहा है। इंसानों ने रावण के पुतलों को भी लाल, गुलाबी, पीले राशन कार्ड की भांति बांट रखा है।  
               ये सारी बातें सुनते सुनते एक बुजुर्ग सा दिखाई देने वाला रावण जोकि गांधी वृद्धा आश्रम का था, वह अपनी पीड़ा बताते हुए बोला-बड़े बड़े फटाकों को मेरे मुंह एवं पेट में इंसानों ने भर दिया है और हम पर आग लगाने के बाद वे खुशी मनाते है। ऐसे समय में वे भूल जाते है कि वे रावण के पुतले को नहीं अपनी मेहनत की कमाई को जला रहे हैं। ऐसा करके वे तीज, त्यौहारों के रंग को बदरंग कर रहे है। हे राम, मानव मन की बिगड़ती मति को कब सुमति देंगे। उन्हें कब यह बात समझ में आयेंगी कि अत्याचार को खतम करना है न कि अत्याचारी को।
              विभिन्न मोहल्लों के रावण के पुतलों की पीड़ा सुन कर मैं सोचने लगा कि राजाराम की भांति मर्यादा को बनाये हुए दशहरा पर्व को मनाना मानव के लिए हितकारी है। अपनी मूल परम्परा, पर्व और मर्यादा के साथ ही संस्कृति को विकृत करना मानव समुदाय के लिए घातक होंगा।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)