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आस्था /शौर्यपथ / सनातन धर्म में मां लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त माता लक्ष्मी को वैभव लक्ष्मी, गज लक्ष्मी और संतान लक्ष्मी आदि स्वरूप में पूजते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मनोकामनाओं के आधार पर मां लक्ष्मी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। किसी काम में लंबे समय से असफलता मिल रही है या फिर धन हानि हो रही है। छात्रों को सफलता नहीं मिल रही है। कहा जाता है कि शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी व्रत करने से कार्यों में सफलता हासिल होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा से मनोकामना भी पूरी हो जाती है। जानिए वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम व विधि- पूजा में इन चीजों को करें शामिल-
वैभव लक्ष्मी की तस्वीर के सामने मुट्ठी भर चावल का ढेर लगाएं। उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर कटोरी में सोने या चांदी का कोई आभूषण रखें। पूजा के समय मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल वस्त्र, लाल पुष्प और गंधक अर्पित करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत नियम-
1. वैभव लक्ष्मी व्रत को सुहागिन स्त्रियां करती हैं तो अति उत्तम फल प्राप्त होता है। हालांकि मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इसे कोई भी स्त्री या कुंवारी कन्या कर सकती है।
2. स्त्री के बदले इस व्रत को पुरुष भी कर सकते हैं।
3. यह व्रत पूरी श्रद्धा से करना चाहिए। दुखी या परेशान होकर वैभव लक्ष्मी व्रत नहीं करना चाहिए।
4. यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है। व्रत शुरू करने से पहले 11 या 21 शुक्रवार व्रत रखने की मन्नत रखनी पड़ती है।
5. व्रत के दिन उपवास करना चाहिए और शाम को विधि-विधान के साथ मां को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
6. व्रत की विधि शुरू करते समय 'लक्ष्मी स्तवन' का एक बार पाठ करना चाहिए।
7. वैभव लक्ष्मी व्रत में श्रीयंत्र की पूजा भी करनी चाहिए। इसके माता लक्ष्मी के पीछे रखें और श्रीयंत्र की पूजा के बाद माता रानी की पूजा करें।
मां लक्ष्मी का भोग-
वैभव लक्ष्मी व्रत में भोग के लिए घर में गाय के दूध से चावल की खीर बनानी चाहिए। अगर किसी कारणवश खीर नहीं बना पाते हैं तो सफेद मिठाई या बर्फी का भोग लगाना चाहिए।
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