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आस्था / शौर्यपथ / प्रकृति में ग्रहों और नक्षत्रों की गति का मौसम परिवर्तन में बहुत बड़ा योगदान है। जिस तरह मीन सक्रांति (लगभग 15 मार्च) में सूर्य के संचरण से गर्मी का आगमन निर्धारित होता है उसी प्रकार कन्या राशि (लगभग 15 सितंबर) में सूर्य होने पर शरद ऋतु के आगमन की सूचना मिलती है। प्रकृति की घटनाओं का संबंध ग्रहों नक्षत्रों की चाल से निर्धारित होती है। मई में दो भयानक चक्रवात आए इसमें भी ग्रह-नक्षत्रों का योगदान है। 18 मई से 30 मई तक चंद्र ग्रहण, ग्रहों का वक्रीत्व,राशि परिवर्तन, उदय-अस्त सहित विभिन्न परिवर्तन हुए।
क्या है नौतपा: जब भी सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में संचरण होता है। वह समय नौतपा का कहलाता है। इस वर्ष नौतपा 25 मई से आरंभ हो चुका है और आठ जून तक रहेगा। माना जाता है कि नौतपा अवधि में सूर्य अपनी प्रचण्ड किरणों से तपता है और यही 10-12 दिन की अवधि मानसून की गति और उसके फैलाव का निर्धारण करते हैं। फिलहाल सूर्य अपनी प्रचंड गर्मी से तप रहा है। एक जून के बाद थोड़ा बहुत मौसम में परिवर्तन हो सकता है, लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में सूर्य की प्रचण्डता बनी रहेगी। सूर्य की इसी प्रचण्डता के मध्य मानसून का आरंभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो बरसात का मौसम किसानों के अनुकूल रहेगा और समय-समय पर पर्याप्त वर्षा होती रहेगी। मौसम शास्त्र में उल्लेख है कि नौतपा की अवधि पूरी होने के 20-25 दिन के आसपास पूरे भारत में मानसून सक्रिय हो जाता है। आठ मई को नौतपा खत्म होगा। यानी 28 जून से तीन जुलाई तक मानसून देश में छा सकता है।
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