August 06, 2025
Hindi Hindi

    आस्था /शौर्यपथ /हिन्दू धर्म में पौधों को धार्मिक मान्यता प्राप्त है. हर पौधा किसी ना किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ है. ऐसे में सावन में कुछ ऐसे पौधे हैं, जिसे लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. असल में सावन के महीने में पौधा लगाने के पीछे यह भी कारण, इस समय बारिश अच्छी होती है जिससे पौधे आसानी से लग जाते हैं. तो चलिए जानते हैं उन पौधों के बारे में जो सावन के महीने में लगाए जा सकते हैं.
- सबसे पहला पौधा है तुलसी का जिसे घर के आंगन में या फिर बालकनी में जरूर लगाना चाहिए. देवी लक्ष्मी और विष्णु जी का वास होता है. इससे घर में आर्थिक परेशानी कभी नहीं होती है. घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.
- शमी के पौधे को भी आप लगा सकती हैं.  शास्त्रों में इसे शिव का प्रिय पौधा कहा गया है. इसे घर में लगाने से घर में सुख समृद्धि के साथ धन की आवक होती है. कहा जाता है कि जिन लोगों पर शनि की ढैया या साढ़ेसाती है, उन्हें शनिवार के दिन शमी का पौधा लगाना चाहिए. शमी का पौधा लगाने पर शनि की टेढ़ी दृष्टि से राहत मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
- लक्ष्मणा का पौधा वास्तु शास्त्र के लिए बहुत शुभ होता है. इसमें साक्षात देवी लक्ष्मी का वास होता है. इसे आप घर के बागीचे या फिर बालकनी में गमले में लगा सकती हैं. इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है.
अश्वगंधा का पौधा पौधा भी देवी लक्ष्मी को बहुत प्रिय होता है. इसको लगा लेने से भी सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. अगर आपने नहीं लगाया है तो जरूर लगा लीजिए.
-  हरसिंगार का पौधा भी शुभ माना जाता है घर के लिए. यह जहां भी लगाया जाता है वातावरण शुद्ध रहता है. इससे तनाव भी दूर होता है. सफेद ओक भी आप लगा सकती हैं. इसकी अगर आप विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं तो लाभकारी होगा घर के लिए. शास्त्रों में इसे शिव का प्रिय पौधा कहा गया है. इसे घर में लगाने से घर में सुख समृद्धि के साथ धन की आवक होती है. कहा जाता है कि जिन लोगों पर शनि की ढैया या साढ़ेसाती है, उन्हें शनिवार के दिन शमी का पौधा लगाना चाहिए. शमी का पौधा लगाने पर शनि की टेढ़ी दृष्टि से राहत मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

    ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / सिर्फ एक चम्मच घी भोजन के स्वाद को सुपर हेल्दी बना सकता है, लेकिन इसमें कैलोरी भी होती है, जिसे बर्न करने के लिए पावरफुल वर्कआउट सेशन की जरूरत होती है. इसलिए हममें से ज्यादातर लोग आमतौर पर घी से पूरी तरह परहेज कर लेते हैं. घी को डाइट में शामिल करने के साथ-साथ इसे अपने स्किन केयर रूटीन का भी हिस्सा बनाया जा सकता है. अपने ब्यूटी रूटीन में घी को शामिल करना किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि ग्लोइंग स्किन का राज माना जाता है. यह आपकी त्वचा के लिए कमाल कर सकता है. घी फैटी एसिड से भरपूर होता है जो त्वचा को गहराई से पोषण दे सकता है और इसे हाइड्रेटेड रख सकता है. घी फेस पैक का इस्तेमाल न सिर्फ त्वचा को निखारने का काम कर सकता है बल्कि ये फाइन लाइन्स को दूर रखने में भी मददगार है. यहां कुछ घी से बनने वाले कुछ फेस पैक हैं जिनका इस्तेमाल कर आप आसानी से अरने चेहरे की रौनक में सुधार कर सकते हैं.
घी के सुपर पावरफुल फेस पैक
1. बेसन और घी
    घी ज्यादातर मॉइस्चराइजिंग है और बेसन एक बेहतरीन एक्सफोलिएटर है. जब इस फेस मास्क में एक साथ मिलाया जाता है, तो ये त्वचा को नमीयुक्त रखते हुए सभी अशुद्धियों और डेड स्किन सेल्स से धीरे से छुटकारा दिला सकता है.
कैसे करें इस्तेमाल: एक चम्मच बेसन में दो चम्मच घी मिलाएं. धोने से पहले इसे अपने चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाएं.
2. घी, हल्दी और नीम
   हल्दी आपकी त्वचा को चमक दे सकती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं? इसलिए, यह आपकी त्वचा को साफ और मुलायम रख सकती है. नीम का एंटीऑक्सीडेंट बूस्ट स्किन को उम्र बढ़ने के प्रभावों से बचाएगा. बहुत ज्यादा मुलायम त्वचा के लिए इस मिश्रण में घी मिलाएं और आपको एक बहुत शक्तिशाली फेस पैक मिलेगा.
  कैसे करें इस्तेमाल: एक चम्मच नीम पाउडर, आधा चम्मच शुद्ध हल्दी और एक चम्मच घी मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे साफ त्वचा पर लगाएं और धोने से पहले 15 मिनट तक लगा रहने दें.
3. घी और शहद
  शहद, एक ह्यूमेक्टेंट होने के कारण नमी के अवशोषण में सहायता करने की शक्ति रखता है. इसे घी के साथ मिलाया जा सकता है से जो एक शक्तिशाली मॉइस्चराइजर है.
  कैसे करें इस्तेमाल: आधा चम्मच शहद में आधा चम्मच घी मिलाएं. गर्म पानी से धोने से पहले इससे अपने चेहरे पर 20 मिनट तक मसाज करें.
4. मुल्तानी मिट्टी और घी
   मैग्नीशियम क्लोराइड से भरपूर ये न केवल त्वचा को गहराई से साफ करता है बल्कि अशुद्धियों और ब्लैकहेड्स को भी हटाता है. घी मुल्तानी मिट्टी के सूखने के प्रभाव को बैलेंस करता है जिसके बारे में कई लोग शिकायत करते हैं और त्वचा को कोमल बनाता है.
  कैसे इस्तेमाल करें: फेस मास्क बनाने के लिए एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी में एक चम्मच घी मिलाएं. इसे गुनगुने पानी से धोने से पहले 20 मिनट तक त्वचा पर रखें.

   लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /हर इंसान के लिए उसका आत्म सम्मान सबसे ज्यादा जरूरी होता है. भले ही उसके पास दौलत शोहरत ना हो लेकिन आत्म-सम्मान होना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह उसे दृढ़ता से समाज में और खुद की नजरों में खड़े रहने का कॉन्फिडेंस देता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हम अपने आत्मसम्मान को खुद ही ठेस पहुंचाते हैं. जी हां, हमारी कुछ ऐसी आदतें हैं जो हमें आज से ही बदल देनी चाहिए क्योंकि कहीं न कहीं ये हमारे सेल्फ एस्टीम को प्रभावित करती हैं.
आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाती हैं ये आदतें
1. खुद से नेगेटिव बातें करना
   अक्सर देखा चाहता है कि लोग खुद से ही बातें करते हैं जिसमें वह खुद को क्रिटिसाइज करते हैं, अपने लिए नेगेटिव जजमेंट देते हैं और हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं. ऐसे में यह आपके सेल्फ एस्टीम को प्रभावित कर सकता है.
2. हमेशा परफेक्ट बनने की कोशिश करना
    जी हां, जब आप परफेक्शन की तरफ भागते हैं और हर चीज परफेक्ट तरीके से करना चाहते हैं, तो जब कभी कोई चीज सही नहीं होती तो इससे आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है.
3. लगातार खुद की तुलना करना
     खुद की तुलना हमेशा किसी दूसरे से करना आपके सेल्फ एस्टीम को कम कर सकता है. याद रखें कि सबके पास अपनी कुछ यूनिक क्वालिटी होती है, जो आपको दूसरों से अलग बनाती है.
4. अपनी बॉडी को क्रिटिसाइज करना
    अक्सर देखा जाता है कि जिन लोगों का बॉडी स्ट्रक्चर ठीक नहीं होता जो ज्यादा दुबले होते हैं या मोटे होते हैं या खुद को दूसरों से कम सुंदर समझते है वह अपनी बॉडी से ही नफरत करने लगते हैं और इससे उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होता है.
5. चैलेंज एक्सेप्ट न करना
   नए चैलेंज या एक्सपीरियंस को डर के कारण एक्सेप्ट ना करना आपकी ग्रोथ को रोक सकता है और इससे आपके अंदर यह फीलिंग डेवलप होती है कि हम यह काम नहीं कर सकते हैं.
6. हर चीज के लिए खुद को ब्लेम करना
      क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो शीशे के सामने खड़े होकर हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं और माफी मांगते हैं, तो ऐसा करना बंद कर दे क्योंकि यह आपकी सेल्फ एस्टीम को ठेस पहुंचा सकता है.
7. खुद की केयर न करना
     सेल्फ केयर बहुत ज्यादा जरूरी है यह हमारे शरीर से हमारा एक अच्छा बॉन्ड भी बनाती है और हम खुद से प्यार करने लगते हैं, इसलिए एक्सरसाइज करें, हेल्दी ईटिंग, ठीक तरीके से सोना और रिलैक्सेशन बहुत ज्यादा जरूरी है.

  टिप्स /शौर्यपथ / हनिमून सिस्टाइटिस या हनीमून डिजीज यौन क्रिया के कारण होने वाली समस्या है. इसके लक्षण यौन संबंध के अलावा किसी अन्य कारण से पैदा होने वाले सिस्टिटिस के समान ही होते हैं, जिसमें यूरिन डिस्चार्ज के दौरान जलन होना और बार-बार यूरिन डिस्चार्ज की जरूरत महसूस होना शामिल हैं. आमतौर पर यह समस्या 20 से 30 साल की महिलाओं को होती है. खुद को हाइड्रेट रखकर यौन क्रिया के बाद यूरीन पास करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत रखकर इससे बचा जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है हनीमून सिस्टाइटिस और कैसे इससे बचा जा सकता है.
क्या है हनीमून सिस्टाइटिस?
   हनीमून सिस्टिटिस की समस्या महिलाओं को पहली बार यौन क्रिया के बाद या बहुत लंबे समय के बाद यौन संबंध बनाने के बाद हो सकती है. यौन संबंध के दौरान एनस के आसपास स्किन के नीचे रहने वाले ईकोलाई बैक्टीरिया यूरेथ्रा में चले जाते हैं, जिसके कारण यूरिन डिस्चार्ज के दौरान जलन महसूस हो सकती है और बार-बार यूरिन पास करने की जरूरत महसूस होने लगती है.
कितना आम है हनीमून सिस्टिटिस
   पचास फीसदी महिलाओं को कभी न कभी जीवन में एक बार हनीमून सिस्टिटिस का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि इसके कारण केवल 4 फीसदी महिलाओं को ब्लैडर इंफेक्शन होता है. यह 20 से 30 साल की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है और सिंगल रहने वाली महिलाओं में पचास साल के बाद इसकी  शिकायत बढ़ रही है.
पुरुषों को क्यों नहीं होता हनीमून सिस्टिटिस?
   महिलाओं में यूरेथ्रा पुरुषों के मुकाबले छोटा होता है इसलिए उन्हें ब्लैडर इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है. छोटे उरेथ्रा के कारण ईकोलाई बैक्टीरिया आसानी से यूरेथ्रा तक पहुंच जाते हैं.
ब्लैडर इंफेक्शन से बचाव  
   बहुत सारा पानी पीने और बार बार यूरिन डिस्चार्ज करने से ब्लैडर इंफेक्शन का खतरा कम हो सकता है. सेक्स के बाद यूरिन डिस्चार्ज करने से उरेथ्रा में गए ईकोलाई बैक्टीरिया निकल जाने की संभावना रहती है. इसके साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत रखकर भी ब्लैडर इंफेक्शन से बचाव संभव है.
एंटीबायोटिक से उपचार
      एंटीबायोटिक से आसानी से हनीमून सिस्टाइटिस का उपचार संभव है. अगर बार बार ब्लैडर इंफेक्शन की समस्या हो रही हो तो एंटीबायोटिक से उपचार जरूरी है. हो सकता है एंटीबायोटिक का हल्का डोज लंबे समय तक लेने की जरूरत पड़े. सामान्य रूप से यह तीन दिन के डोज से ठीक हो जाता है.

      ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / चेहरे को स्क्रब करने का मतलब होता है स्किन को एक्सफोलिएट करना. स्किन एक्सफोलिएट करने पर त्वचा पर जमी डेड स्किन सेल्स हट जाती हैं, ऊपरी परत की गंदगी साफ होती है और बंद रोम छिद्र खुलते हैं जिससे स्किन बेहतर तरह से प्रोडक्ट्स को सोख पाती है. आजकल एक के बाद एक स्किन केयर प्रोडक्ट्स के बाजार में आने और अनेक घरेलू नुस्खों की भरमार के बीच लोग, खासकर लड़कियां और महिलाएं, चेहरे को रोजमर्रा में स्क्रब  करने लगी हैं. कोई स्क्रब से स्किन को मिनटों तक घिसता है तो कोई हथेली भरकर स्क्रब चेहरे पर लगा लेता है. लेकिन, स्क्रब सही तरह से ना किया जाए तो स्किन को फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है. अगर आप भी स्क्रब करती हैं तो यहां जान लीजिए स्क्रब करने का सही तरीका जिससे चेहरे को किसी तरह का परमानेंट डैमेज ना हो.
चेहरा स्क्रब करने का सही तरीका |
   स्क्रब के सही इस्तेमाल से पहले स्क्रब क्या होता है यह जान लीजिए. स्क्रब यानी एक्सफोलिएटर  जोकि केमिकल भी होते हैं और फिजिकल भी. इस लेख में फिजिकल एक्सफोलिएटर्स की बात हो रही है. कॉफी स्क्रब, शुगर स्क्रब , ग्रीन टी स्क्रब और अखरोट स्क्रब आदि फिजिकल स्क्रब की गिनती में आते हैं. स्क्रब बाजार से खरीदकर भी लाए जा सकते हैं और इन्हें घर पर बनाना भी आसान है. लेकिन, स्क्रब लगाने से पहले कुछ बातें जान लेना जरूरी है.
    चेहरा स्क्रब करने से पहले स्किन को अच्छी तरह साफ कर लें. चेहरे पर कोई और प्रोडक्ट पहले से ना लगा हो इसका ध्यान रखें.
    स्क्रब से स्किन एक्सफोलिएट होती है इसीलिए रोज-रोज स्क्रब करने से बचें. अगर आपकी सामान्य स्किन है तो हफ्ते में एक बार स्क्रब करना आपके लिए पर्याप्त होगा.
    चेहरे पर स्क्रब को एक से डेढ़ मिनट के लिए ही मलें. जरूरत से ज्यादा देर स्क्रब घिसते रहने से स्किन की आउटर लेयर डैमेज  होती है.
    स्क्रब चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसके ग्रेन्यूल्स बारीक हों, यानी कि स्क्रब में मोटे दाने ना हों. मोटे दाने स्किन को घिसते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं. इससे स्किन कट सकती है.
    आपको स्क्रब से चेहरा घिसना नहीं है बल्कि इसे उंगलियों से मलना है. स्क्रब मलते हुए लगाएं और ठंडे पानी से चेहरा धो लें.
    चेहरे का जो हिस्सा सबसे ज्यादा ऑयली है उसपर फोकस करके स्क्रब करें और उस हिस्से को उंगलियों से मलें.
    स्क्रब करने के बाद मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं. स्क्रब करने के बाद मॉइश्चराइजर ना लगाने पर स्किन ड्राई हो जाती है.
    एक से डेढ़ उंगली ही स्क्रब लें. यानी 2 मटर के बराबर स्क्रब लेकर चेहरे पर मलें. एक्सेस प्रोडक्ट इस्तेमाल करने का कोई खासा फायदा नहीं होगा.
    स्क्रब करने के तुरंत बाद धूप में निकलने से परहेज करें. धूप में तुरंत निकलने पर टैनिंग  या सनबर्न भी हो सकता है.

    सेहत टिप्स /शौर्यपथ / खानपान की अनेक चीजें हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और सेहत को दुरुस्त रखती हैं. इन्हीं चीजों की गिनती में आता है रसोई का यह मसाला. इस मसाले का नाम है सौंफ. आपने सौंफ का सेवन अनेक बार किया होगा, कभी घर में तो कभी होटल वगैरह में खाना-खाने के बाद चम्मच भर सौंफ  खाई ही होगी. लेकिन, क्या आपको पता है सौंफ को सुपरफूड भी कहते हैं. सौंफ में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फाइबर और खनिज होते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते हैं. इस मसाले का सेवन ब्लड प्रेशर कम करने, वजन घटाने  और शरीर से टॉक्सिन निकालने तक में असरदार है. जानिए सौंफ का सेवन करने का सही तरीका और शरीर को मिलने वाले फायदों के बारे में.
सौंफ के सेहत से जुड़े फायदे |
   सौंफ के दानों में विटामिन सी, मैग्नीशियम, आयरन, सेलेनियम, मैंग्नीज, जिंक, कैल्शियम, पौटेशियम और कॉपर पाया जाता है. इन दानों का नियमित सेवन शरीर को एक नहीं बल्कि कई फायदे देता है. सौंफ के सेवन के तरीके भी अलग-अलग हैं. सौंफ के दाने जस के तस चबाए जा सकते हैं, इन दानों को पानी में मिलाकर या फिर उबालकर भी पिया जा सकता है. सौंफ के दानों की चाय बनाकर पीने पर भी शरीर को फायदे मिलते हैं.
ब्लड प्रेशर होता है रेग्यूलेट
   सौंफ के सेवन से ब्लड प्रेशर  रेग्यूलेट होने में मदद मिलती है. इन दानों में पौटेशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो ब्लड प्रेशर पर अच्छा असर दिखाती है. दिल की सेहत भी इस मसाले से अच्छी रहती है.
वजन होता है कम
    बढ़ते वजन से परेशान लोग सौंफ का पानी बनाकर पी सकते हैं. सौंफ फाइबर से भरपूर है जिस चलते इसके सेवन से शरीर लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करता है और ओवरईटिंग की संभावना कम होती है. इससे वजन कम होने में मदद मिलती है. सौंफ मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने में भी मददगार है.
पेट की दिक्क्तें होंगी दूर
     कब्ज, अपच और पेट फूलने  जैसी पेट की दिक्कतें दूर करने में भी सौंफ फायदेमंद है. सौंफ के सेवन से शरीर में गैस्ट्रिक एंजाइम्स बढ़ते हैं जो पाचन को बेहतर बनाने में असर दिखाते हैं. जब भी पेट में तकलीफ महसूस हो तो तुरंत सौंफ की चाय बनाकर पी लें. तेजी से असर दिखाती है सौंफ की चाय.

     ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / बालों से जुड़ी एक दिक्कत दूर होने ही लगती है कि दूसरी पैर पसारना शुरू कर देती है. वहीं, कुछ परेशानियां ऐसी हैं जो सालों-साल जस की तस बनी रहती हैं. बाल ना बढ़ने की दिक्कत भी ऐसी ही है जिससे अनेक लोग परेशान रहते हैं. बालों का झड़ना, पतले बाल और गंजेपन से छुटकारा पाने के लिए बालों का बढ़ना  जरूरी है. ऐसे में यहां जिस फूल का तेल बनाने के बारे में बताया जा रहा है उससे बालों का झड़ना रुकता है और बाल दोगुनी तेजी से बढ़ना शुरू होते हैं. यह तेल बनता है गुड़हल के फूल से. गुड़हल का तेल  विटामिन सी, अमीनो एसिड्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जो बालों को पोषण देता है और उनका झड़ना रोक हेयर ग्रोथ में मदद करता है. जानिए किस तरह घर पर तैयार किया जा सकता है गुड़हल का तेल.
बाल बढ़ाने के लिए गुड़हल का तेल |  
    गुड़हल में विटामिन सी, फ्लेवेनॉइड्स, फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फ्लेवेनॉइड्स होते हैं जो बालों को जड़ों से सिरों तक पोषण और मजबूती देते हैं. गुड़हल में पाए जाने वाले अमीनो एसिड्स बालों की ग्रोथ को बेहतर करते हैं, गुड़हल बालों पर कंडीशनर जैसा असर दिखाता है, इससे गंजापन नहीं होता और समय से पहले बालों के सफेद होने की दिक्कत से भी निजात मिल जाती है.
     घर पर ही गुड़हल का तेल बनाने के लिए आपको एक कप नारियल का तेल, 10 गुड़हल के फूल  और 10 गुड़हल के पत्ते लेने होंगे. बस इसी सामग्री में आपका गुड़हल का तेल बनकर तैयार हो जाएगा.
      तेल बनाने के लिए गुड़हल के फूलों और पत्तों को साथ लेकर मिला लें. अब एक बड़े बर्तन में नारियल के तेल को पकाकर गुड़हल का पेस्ट उसमें डाल दें. कुछ देर इस तेल को पकाने के बाद आंच से उतारकर अलग ठंडा करने रख दें. बस तैयार है आपका गुड़हल का तेल. आप चाहे तो कैरियर तेल के रूप में नारियल के तेल  के बजाय ऑलिव ऑयल, बादाम का तेल या विटामिन ई तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
    इस गुड़हल के तेल को हथेली पर लेकर जड़ों से सिरों तक लगाएं. सिर की मालिश करने के बाद तकरीबन आधे से एक घंटे तक इस तेल को सिर पर लगाए रखने के बाद हेयर वॉश कर लें. आपके बाल मुलायम हो जाएंगे. हफ्ते में एक से 2 बार इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. आप इस तेल को रातभर भी सिर पर लगाए रख सकते है.

     ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /चावल को स्किन केयर में कई तरह से शामिल किया जा सकता है, कोई चावल का पानी   लगाता है तो कोई चावल के आटे से फेस पैक्स बनाकर अप्लाई करता है. चावल को टोनर, फेस मास्क और क्लेंजर की तरह इस्तेमाल करने पर त्वचा पर कमाल का असर दिखता है. इससे त्वचा निखरती है, डेड स्किन सेल्स दूर होती हैं, दाग-धब्बे हल्के होते हैं और टैनिंग कम होने में भी मदद मिल सकती है. लेकिन, चावल  के फायदे यहीं तक सीमित नहीं है. चावल से स्किन को एंटी-एजिंग गुण भी मिल सकते हैं जिससे त्वचा लंबे समय तक जवां नजर आती है. अगर आपकी त्वचा समय से पहले ही ढीली होने लगी है या झुर्रियां और फाइन लाइंस चेहरे को घेरने लगे हैं तो आप यहां बताए तरीकों से चावल को चेहरे पर लगा सकते हैं.
जवां त्वचा के लिए चावल |
     चावल के एंटी-एजिंग गुण पाने के लिए इसका पानी बनाकर लगाया जा सकता है. चावल का पानी बनाने के लिए आधे से एक घंटे चावल को पानी में भिगोकर रखें और फिर छानकर पानी अलग कर लें. इस पानी में विटामिन, फेरुलिक एसिड और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा तो जवां बनाए रखने में मददगार हैं.
      चावल का पानी बनाने का एक और तरीका है. आप चावल के पानी को उबालकर भी बना सकते हैं. इसके लिए 2 कप पानी में एक कर चावल डालकर पकाइए और जब चावल पक जाए तो बचे हुए पानी को शीशी में भरकर रख लीजिए. चावल के पानी को फर्मेंट भी किया जा सकता है. फर्मेंटिंग के लिए चावल का पानी बनाने के बाद इसे किसी शीशी में कुछ घंटों या एक दिन तक बंद करके रख दें. बस, तैयार है आपका फर्मेंटेड राइस वॉटर  
       चावल का पानी चेहरे पर क्लेंजर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. क्लेंजर की तरह लगाने के लिए चेहरे को पानी से धो लें. अब चावल के पानी में रूई डुबोकर चेहरे पर मलें और फिर चेहरे को एकबार फिर धो लें.
     चेहरे पर टोनर  की तरह चावल का पानी लगाया जा सकता है. आपको बस इस पानी को रूई से चेहरे पर लगाना है या फिर स्प्रे बोतल से छिड़क लेना है. इस तरह चावल का पानी लगाने के बाद चेहरा धोने की जरूरत नहीं होती है.

  व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / सावन मास में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं. इन्हीं में से एक है मंगला गौरी का व्रत. सावन के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. विशेषकर विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं और अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मांगती हैं. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि जो भी भक्त मंगला गौरी व्रत रखते हैं उनके जीवन में खुशहाली आती है, उन्हें संतान प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है.
मंगला गौरी व्रत की पूजा |
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं. व्रती महिलाएं पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां गौरी की प्रतिमा स्थापित करती हैं.
    मां गौरी या शिव-पार्वती की प्रतिमा के समक्ष आटे का दीपक बनाकर जलाया जाता है. दीप प्रज्वलित करने के बाद धूप, फल, फूल और भोग आदि मां गौरी के समक्ष अर्पित किए जाते हैं. अंत में मां गौरी  की आरती गाई जाती है और व्रत कथा सुनकर पूजा संपन्न की जाती है.
  पौराणिक कथाओं के अनुसार मां गौरी मंगला गौरी व्रत रखा करती थीं जिसके पश्चात ही उन्हें भगवान शिव पति के रूप में मिले. अधिकतर लड़कियां सावन सोमवार के दिन अच्छे वर की आस में व्रत रखती हैं, तो वहीं महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए मंगला गौरी व्रत रखकर पूजा-आराधना करती हैं.
मंगला गौरी आरती
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है, साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराता नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

      शौर्यपथ /जम्मू, 01 अगस्त  अमरनाथ गुफा मंदिर की आगे की यात्रा के लिए यहां भगवती नगर शिविर से 1,000 से अधिक तीर्थयात्रियों का जत्था मंगलवार को कश्मीर के दो आधार शिविर के लिए रवाना हुआ. 01 जुलाई को शुरू हुई 62 दिवसीय इस वार्षिक यात्रा के दौरान अब तक 3.97 लाख श्रद्धालु 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में दर्शन कर चुके हैं. यह यात्रा 31 अगस्त को समाप्त होगी.
         अधिकारियों ने बताया कि भगवती नगर शिविर से रवाना होने वाले 1006 तीर्थयात्रियों के इस सबसे छोटे जत्थे में से 642 तीर्थयात्री अनंतनाग जिले के पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, जबकि 382 गांदरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से मंदिर की ओर जा रहे हैं.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)