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आस्था /शौर्यपथ / प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. मान्यतानुसार आज प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने वालों पर भोलेनाथ की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है. पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. रविवार के दिन पड़ने के चलते इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. सावन का महीना चल रहा है जिस चलते प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है. इसके अतिरिक्त, आज 30 जुलाई के दिन पड़ने वाला यह प्रदोष व्रत अधिकमास का पहला प्रदोष व्रत है. ऐसे में भगवान शिव की उपासना से भक्तों को विशेष लाभ मिल सकते हैं. जानिए इस शुभ अवसर पर किस तरह भगवान शिव की पूजा-आराधना की जा सकती है.
सावन प्रदोष व्रत की पूजा
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, सावन की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 30 जुलाई सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 31 जुलाई की सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते सावन में अधिकमास का पहला प्रदोष व्रत 30 जुलाई के दिन ही रखा जा रहा है.
भगवान शिव की पूजा प्रदोष व्रत में रात के समय प्रदोष काल में होती है. इस बार प्रदोष काल शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इस शुभ योग में ही प्रदोष व्रत की पूजा की जा सकती है.
रवि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव-शंकर की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं. सुबह भगवान शिव की पूजा की जा सकती है लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ही होती है. सुबह के समय बहुत से भक्त शिव मंदिर दर्शन के लिए जाते हैं.
प्रदोष काल में पूजा के दौरान भक्त पूजा सामग्री में दूध, दही, घी, गंगाजल, पंचामृत, बेलपत्र, फल, भांग, धतूरा और मिष्ठान आदि सम्मिलित करते हैं. इसके बाद शिव आरती और मंत्रों के उच्चारण के पश्चात जलाभिषेक करके पूजा का समापन होता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे दांपत्य जीवन के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं. हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष के तृतीय तिथि को ये व्रत रखा जाता है. इस वर्ष 19 अगस्त दिन शनिवार को हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा. तीज व्रत रखने वाली महिलाएं उपवास रखती हैं और पानी भी नहीं पीती हैं. पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं. आइए जानते हैं इस वर्ष सावन तीज में कब है पूजा का शुभ मुहूर्त और कैसे करनी है पूजा.
कब है हरियाली तीज 2023, कैसे करें पूजा
शुभ मुहूर्त
इस साल सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि 18 अगस्त को शाम 8 बजकर 1 मिनट से शुरु होकर 19 अगस्त को रात 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगी. सूर्य उदय की तिथि के अनुसार हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त शनिवार को रखा जाएगा. पूजा का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 8 मिनट तक, दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से शाम 5 बजकर 29 मिनट तक है.
पूजा विधि
हरियाली तीज की पूजा के लिए महिलाओं को प्रात: स्नान कर नवीन वस्त्र धारण करने चाहिए. उस दिन पूरा श्रृंगार करना चाहिए और पूरे दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए. शाम में भगवान शंकर माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा करें. पूजा के लिए चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान के चित्र को स्थापित करें और विधि विधान से पूजा करें. माता पार्वती को लाल रंग की सुहाग संबंधित चीजें जैसे चूड़ियां, चुनरी, बिंदी अर्पित करें. हरियाली तीज की कथा सुने और आरती करें.
महत्व
महिलाएं हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और अविवाहित लड़कियां सुयोग्य वर के लिए यह व्रत रखती हैं. महिलाओं के श्रृंगार का हरियाली तीज में विशेष महत्व होता है. महिलाएं नए वस्त्र आभूषण के साथ हाथों में मेहंदी और पैरों में महावर रचाती हैं.
सेहत टिप्स/शौर्यपथ / विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट फर्टिलिटी की समस्या का समाधान करने और प्रोडक्शन बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं. पोषक तत्वों से भरपूर आहार oocytes और अंडों की गुणवत्ता बढ़ाते हैं, साथ ही स्पर्म को नुकसान होने से रोकते है. ओमेगा-3 जैसे पोषक तत्व और विटामिन सी और सह-एंजाइम क्यू जैसे एंटीऑक्सीडेंट स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं. फोलिक एसिड एक ऐसा विटामिन है, जो भ्रूण को मजबूत बनाता है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे फूड्स के बारे में जो पुरुषों और महिलाओं में फर्टिलिटी को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं.
फर्टिलिटी बढ़ाने वाले फूड्स
हरी पत्ते वाली सब्जियां
हरे पत्तेदार सब्जियों में फोलिक एसिड और विटामिन सी की मात्रा भरपूर होती है, ये दो पोषक तत्व हैं जो ओव्यूलेशन प्रक्रिया में मदद करते हैं. यह गर्भावस्था के दौरान गर्भपात और क्रोमोसोमल विकारों के जोखिम को कम कर सकता है. अपनी डाइट में पालक, ब्रोकोली और मेथी जैसी वेजिटेबल्स शामिल करें. ये हरी सब्जियां उच्च गुणवत्ता वाले शुक्राणु के उत्पादन में मदद कर सकते हैं.
सूखे मेवे
सूखे मेवे प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं. अखरोट में सेलेनियम होता है, जो अंडों में क्रोमोसोमल डैमेज को कम करने में कारगर हो सकता है. इससे फर्टिलिटी बढ़ाने में मदद मिलती है. यह एंटीऑक्सीडेंट मुक्त कणों को प्रवेश करने से रोकता है और मानव शरीर में अंडे के उत्पादन में सुधार कर सकता है.
क्विनोआ
एनिमल बेस्ड प्रोटीन की जगह पर क्विनोआ जैसे प्लांट बेस्ड प्रोटीन का इस्तेमाल करने से गर्भधारण की संभावना में सुधार होता है. यह ब्लड शुगर के लेवर को स्थिर करने के साथ-साथ मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करता है. क्विनोआ में फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है.
व्रत त्योहार /शौर्यपथ /सावन सोमवार के व्रत में लोग फल और फलाहार लेकर पूरे दिन उपवास रखते है. ऐसे में कई बार चावल खाने का मन हो जाता है, आप भी व्रत के दौरान कुछ ऐसा खाना चाहते हैं, जिससे दिन भर पेट भरा रहे और चावल खाने की इच्छा भी पूरी हो जाए, तो आप व्रत के दौरान व्रत का पुलाव बना सकते हैं. आइए व्रत वाला पुलाव बनाने की रेसिपी जान लेते हैं.
व्रत वाला पुलाव बनाने के लिए सामग्री
1 कप समा
1 बड़ा चम्मच घी
1 छोटा चम्मच जीरा
2 लौंग
1 छोटी छड़ी दालचीनी
1 इलायची
1 छोटा चम्मच बारीक कटी हरी मिर्च
1/2 कप आलू के टुकड़े
स्वादानुसार सेंधा नमक
2 बड़े चम्मच बारीक कटा हरा धनिया
दरदरी कुटी हुई मूंगफली
व्रत वाला पुलाव बनाने का तरीका
समा के चावल का पुलाव बनाने के लिए समा को एक गहरे बर्तन में भरपूर पानी डालकर 15 से 20 मिनट के लिए भिगो दें. 20 मिनट बाद समा को पानी से छान कर बाहर कर लें और अलग रख दें.
अब एक गहरे नॉन-स्टिक पैन या फिर कुकर में घी डालकर गर्म करें, उसमें जीरा, दालचीनी, इलायची और लौंग डालें और मध्यम आंच पर भून लें. अब हरी मिर्च, आलू और स्वादानुसार सेंधा नमक डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें. अब इसे मीडियम आंच पर बीच-बीच में हिलाते हुए 5-7 मिनट तक पका लें.
अब भिगा कर रखा हुआ समा के चावल डालें और धीरे से मिलाएं. अब इसमें दो कप पानी डालें. ढक्कन से ढक दें. मीडियम आंच पर बीच-बीच में चलाते हुए करीब 10 मिनट तक पकाएं. अब धनिया और मूंगफली ऊपर से डालें और समा का पुलाव रेडी है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /क्या आप लंबे समय से कील-मुंहासों और स्किन की और भी दूसरी चीजों से जूझ रहे हैं? क्या आप इनसे छुटकारा पाने के लिए किसी डॉक्टर के पास जाने की सोच रहे हैं, या फिर कोई घरेलु उपाय ढूंढ रहे हैं? या फिर उनको दूर करने के लिए बाजारों में मिलने वाली क्रीम्स लगा रहे हैं? लेकिन सबसे पहली बात, क्या आपने उन क्रीमों की जाँच की है जिन्हें आप हर रोज लगाते हैं? कभी-कभी, इन महंगे मॉइस्चराइज़र में पाए जाने वाले केमिकल्स आपकीस स्किन को डैमेज कर सकते हैं, जिस वजह से स्किन खराब और डल हो जाती है.
इसके साथ ही अगर आपकी लाइफस्टाइल अनहेल्दी है तो ये चीज आपकी इस चिंता को और बढ़ा देती है. ऐसे में आपकी डाइट में शामिल कुछ चीजें आपकी स्किन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं. आप ये बात तो जानते ही होंगे कि आपकी हेल्दी डाइट आपकी स्किन पर प्रभाव डालती है. यह स्किन को सांस लेने, डिटॉक्स करने और नेचुरली ग्लो करेन में मदद करती है. सबसे अच्छी बात यह है कि उन फूड आइटम्स के लिए आपको बहुत सारी चीजों को नहीं खोजना पड़ता है और ना ही बहुत पैसे खर्च करने पड़ते हैं. वो चीजें आपके किचन में मौजूद रहती हैं. आज हम बात कर रहे हैं दही और शहद की.
दही और शहद आपकी स्किन को ग्लोइंग बनाने में कैसे मदद करता है
कई अध्ययनों से पता चला है कि शहद एक पावरफुल प्रीबायोटिक के रूप में काम करता है जो दही में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करता है. यह गुण कब्ज, अपच और कई दूसरी परेशानियों के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है, आपकी आंतो की हेल्थ को बनाए रखने में भी मदद करता है.
एक्सपर्ट भी मानते हैं कि अगर आपका पेट ठीक है तो इसका असर आपकी स्किन पर साफ दिखाई देता है. अगर आपकी आंतों के माइक्रोबायोट स्वस्थ और संतुलित हैं तो यह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है. दरअसल आपका मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र में किसी भी तरह की रूकावट त्वचा कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन का कारण बनती है जिस वजह से फेस पर पिंपल्स, मुँहासे, चकत्ते, एक्जिमा जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है. इसके अलावा आंतों का अनहेल्दी होना आपकी स्किन की चमक को भी छीन लेता है.
आइए जानते हैं दही और शहद स्किन को कैसे फायदा दिलाता है
1.दही में लैक्टिक एसिड होता है और शहद ह्यूमेक्टेंट से भरपूर होता है - ये दोनों नेचुरल मॉइस्चराइजर के रूप में काम करने के लिए जाने जाते हैं, जो स्किन और शरीर में वॉटर लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है. संतुलित करते हैं.
2.शहद और दही दोनों प्राकृतिक एक्सफोलिएटर के रूप में काम करते हैं जो पोर्स को खोलने में मदद करते हैं. यह आपकी स्किन को सांस लेने और अंदर से चमकने में मदद करता है.
3.शहद और दही दोनों में सूजन को कम करने के गुण पाए जाते हैं जो स्किन पर होने वाले चकत्तों, मुँहासे और अन्य स्किन की समस्याओं को रोकने में मदद करता है.
4.शहद और दही में पानी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में यह यह एक डिटॉक्स फूड का भी काम करती है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में भी मदद कर सकती है.
व्रत त्योहार/शौर्यपथ / हिंदू धर्म में सावन को पवित्र माना जाता है. इस माह के हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विधान है. सावन में शिवलिंग के जलाभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सोमवार का व्रत रखने वालों को भगवान शंकर पर जल, गुड़, अक्षत, बेलपत्र और भांग धतुरा अर्पित कर विधिविधान से पूजा करनी चाहिए. इस वर्ष 4 जुलाई से शुरू हुआ सावन माह अधिक मास ) के कारण 31 अगस्त को समाप्त होगा. माह में कुल आठ सोमवार के व्रत होंगे. 31 जुलाई (अधिक मास) को चौथा सावन सोमवार है. इस वर्ष सावन के हर सोमवार को खास योग बन रहे हैं. इन शुभ योग में शिव अराधना से सुखी दांपत्य जीवन, मनचाहा जीवनसाथी, सुख समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है.
चौथे सोमवार को है ये खास योग
इस वर्ष सावन माह के हर सोमवार को खास योग बन रहा है. चौथे सोमवार यानी 31 जुलाई को रवि योग बन रहा है. रवि योग में विधि विधान से पूजा व शुभ कार्य करने से मान सम्मान और समृद्धि में वृद्धि होती है. 31 जुलाई को सुबह 5 बजकर 42 मिनट से शाम 6 बजकर 58 मिनट तक रवि योग है. सोमवार का शिव अराधना का विशेष महत्व है.
व्रत मान्य नहीं
अधिक मास में अने के कारण सावन के चौथे सोमवार को सोमवार का व्रत मान्य नहीं है. इस दिन शिव जी की पूजा की जा सकती है लेकिन व्रत रखने की बाध्यता नहीं है.
अधिक मास
पंचाग के अनुसार हर तीसरे वर्ष एक बार अधिक मास पड़ता है. इस चंद्र माह में सूर्य की संक्राति नहीं होती है. सावन में हर सोमवार को शिव की पूजा की जा सकती है लेकिन अधिक मास में आने वाले सोमवार को व्रत का पालन करना मान्य नहीं होता है.
व्रत त्योहार /शौर्यपथ /मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम के महीने का खास महत्व होता है. मुहर्रम का महीना इस्लामिक कैंलेडर का पहला महीना होता है. मुस्लिम धर्म को मानने वाले दुनिया भर में मुहर्रम मनाते हैं. शिया समुदाय के लोग पूरे माह पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे की शहादत को याद कर गम करते हैं. इस वर्ष मुहर्रम की शुरुआत 20 जुलाई से हो चुकी है. 18 जुलाई को चांद नहीं नजर आने पर मरकजी कमेटी ने 20 जुलाई से मुहर्रम माह शुरू होने की घोषणा की है. मुहर्रम की दसवीं तारीख यानी 29 जुलाई यानी आज यौम ए आशुरा मनाई जाएगी. आइए जानते हैं मुहर्रम का इतिहास और महत्व
मुहर्रम का इतिहास
इराक के कर्बला की जंग में पैगंबर मोहम्मद के छोटे नाती इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे. ये जंग इस्लाम की रक्षा के लिए यजीद की सेना और हजरत इमाम हुसैन की सेना के बीच हुई थी.इस जंग में इमाम हुस्सैन ने इस्लाम की रक्षा के अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी. इमाम हुसैन और उनके साथियों के शहादत के गम में ही मुहर्रम मनाया जाता है. इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए मुहर्रम का महीना गम का महीना होता है. मुहर्रम माह के दसवें दिन यौम ए आशुरा मनाई जाती है. यौम ए आशुरा हजरत इमाम हुसैन की शहादत का दिन है.
महत्व
मुहर्रम माह की पहली तारीख से नौवीं तारीख तक शिया लोग रोजा रखते हैं. मुहर्रम की नौंवी और दसवीं तारीख को सुन्नी समुदाय के लोग रोजा रखते हैं. यौम ए आशुरा के दिन लोग काले कपड़े पहनकर मातम मनाते हैं. कई शहरों में इमामबाड़े से ताजिए के जुलुस निकाले जाते हैं.
आस्था /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में सावन माह को बहुत ही पवित्र माना गया है. सावन माह के शुक्ल की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है. आज यानी 29 जुलाई को सावन माह की यही पद्मिनी एकादशी मनाई जा रही है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु के साथ साथ मां लक्ष्मी की भी विधि विधान से पूजा करते हैं. इस साल की पद्मिनी एकादशी पर कई सारे ऐसे शुभ योग और नक्षत्र बन रहे हैं जिसमें अगर मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना की जाए तो जीवन की सभी समस्याओं का अंत होने के साथ साथ जीवन में धन और धान्य के योग बनेंगे.
बन रहा है लक्ष्मी नारायण योग
इस साल सावन माह की पद्मिनी एकादशी एकादशी पर बेहद शुभ माना जाने वाला लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है. आपको बता दें कि अगर सिंह राशि में शुक्र और बुध की युति होती है तो शुभ लक्ष्मी नारायण योग बनता है और इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करना बेहद खास माना जाता है. इस योग में की गई पूजा और उपाय जातक को सुखी और धनवान बनाने में मदद करते हैं. इसी के साथ साथ पद्मिनी एकादशी के दिन से ही सावन का अधिकमास भी लग रहा है.
पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
पद्मिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 28 जुलाई से दोपहर 2:51 बजे होगी और इसका समापन 29 जुलाई 2023 दोपहर 1 बजकर 6 मिनट पर होगा. हिंदू पंचाग के अनुसार पद्मिनी एकादशी की उदया तिथि 29 जुलाई को है. इसलिए एकादशी का व्रत 29 जुलाई दिन शनिवार को रखा जाएगा.
पद्मिनी एकादशी पर ये उपाय लाएंगे जिंदगी में सुख और समृद्धि
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि हर एकादशी तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है. ऐसे में पद्मिनी एकादशी पर भक्त अगर भगवान विष्णु के साथ साथ मां लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा और व्रत करते हैं तो उनको विशेष फल मिलते हैं.
इस दिन सफेद शंख में दूध और केसर मिलाकर भगवान विष्णु और मां का विधिवत अभिषेक करना चाहिए.मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पद्मिनी एकादशी के दिन आपको उनकी विधिवत पूजा के साथ साथ सुहाग का सामान भी भेंट में चढ़ाना चाहिए. लक्ष्मी पूजन के समय लाल चूनरी, लाल बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, बिछिया, चूड़ियां माता लक्ष्मी को अर्पित करें और पूजा के बाद किसी सुहागन महिला को ये सामान भेंट कर दें.
पद्मिनी एकादशी के दिन जातक को विधिवत पूजा के साथ साथ श्री सूक्त का पाठ भी करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होने के योग बनते हैं. आप चाहें तो किसी पंडित को घर पर बुलाकर विधिवत तौर पर इसका पाठ करवा सकते हैं. इस पाठ को करवाने से इंद्र देव भी प्रसन्न होते हैं.
पद्मिनी एकादशी के दिन अपने घर के मंदिर में श्रीयंत्र की स्थापना करना बेहद शुभ माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीयंत्र मां लक्ष्मी का ही रूप है. इसे पद्मिनी एकादशी के दिन मां लक्ष्मी के पूजन के दौरान मंदिर में स्थापित करें और रोज नियम से इसकी पूजा करें. ऐसा करने पर घर परिवार में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं होती.
पद्मिनी एकादशी के दिन मां लक्ष्मी के पूजन के दौरान कमलगट्टे की माला चढ़ानी चाहिए. इसके साथ ही ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: और ॐ लक्ष्मी नमः: का जाप करने से भी मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न हो जाती हैं.
टिप्स /शौर्यपथ /नवजात शिशु पैदा होने के बाद अधितकतर समय सोते ही रहते हैं. बच्चे के सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए नींद बहुत जरूरी होती है. लेकिन तीन महीने के बाद उनके सोने के समय में बदलाव आना शुरू हो जाता है. अधिकतर बच्चे तीन साल की उम्र तक रात में सोने के साथ साथ दिन में एक दो बार जरूर एक दो घंटे के लिए सोते हैं. आइए जानते हैं किस उम्र में बच्चे के लिए कितने घंटे की नींद होती है जरूरी. पेरेंट्स के लिए जाना बेहद जरूरी है कि किस उम्र में बच्चे को कितनी नींद मिलनी चाहिए ताकि बच्चे का फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट हो सके बीमारियां दूर रहें.
बच्चों के लिए किस उम्र में कितनी नींद है जरूरी
नवजात की नींदजन्म के बाद से लेकर तीन माह तक नवजात शिशु 14 से 17 घंटे तक सोते रहते हैं. मां के गर्भ में उनका ज्यादा समय नींद में निकलता है इसलिए दुनिया में आने के बाद भी कुछ समय तक वो ज्यादातर समय सोते रहते हैं. ये उनके विकास के लिए भी जरूरी होता है.
4 माह से 1 साल के बच्चे
तीन महीने के बाद बच्चों के सोने में समय में कमी आने लगती है. 4 माह से एक साल के बच्चों को 12 से 16 घंटे सोना सामान्य और जरूरी है. इतनी नींद उन्हें पूरे समय एनर्जी से भरपूर रखती है.
1 साल से 2 साल के बच्चे
एक साल के बाद बच्चों की नींद के समय में और कमी आ जाती है. एक साल से दो साल के बच्चे दिन और रात मिलाकर 11 से 14 घंटे काफी होते हैं. अक्सर दिन में खेल के थक जाने के बाद बच्चे सो जाते हैं.
3 से 5 साल के बच्चे
तीन से पांच साल की उम्र के बीच बच्चे प्ले स्कूल जाने लगते है और उनकी नींद का समय घटकर 13 घंटे तक रह जाता है. इतनी देर की नींद उनके लिए काफी होती है.
6 से 13 साल के बच्चे
6 से 13 साल के बच्चों के लिए नौ घंटे की नींद काफी होती है. ये उम्र तेजी से विकास की होती है और इस दौरान नींद के समय में कमी के कारण विकास प्रभावित हो सकता है.
13 से 17 साल के बच्चे
13 से 17 साल के बच्चे टीनएजर्स होते हैं. उनके लिए आठ से दस घंटे की नींद काफी होती है. अच्छी नींद से ग्रोथ के लिए जिम्मेदार हार्मोन बेहतर काम कर पाते हैं. इससे इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है.
शौर्यपथ / आमतौर पर घरों में मकड़ियां पाई जाती हैं और कभी कभी ये काट भी लेती हैं. मकड़ियों के काटने के अधिकतर मामले गंभीर नहीं होते हैं. हालांकि मकड़ियों की कुछ प्रजातियां जहरीली होती हैं जिनके काटने पर स्थिति गंभीर हो सकती है और जान का खतरा हो सकता है. आइए जानते हैं मकड़ियों के काटने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए
किन स्थितियों में लेनी चाहिए तुरंत मेडिकल हेल्प
अगर किसी खतरनाक प्रजाति जैसे ब्लैक विडो या ब्राउन रिक्लुज मकड़ी ने काटा हो.
काटने वाली मकड़ी की प्रजाति को लेकर संदेह हो.
जिसे मकड़ी ने काटा है उसे तेज दर्द, पेट में क्रैम्प या काटे गए जगह पर घाव हो गया हो.
पीड़ित को सांस लेने या निगलने में परेशानी हो रही हो.
काटे गए जगह पर सूजन बढ़ रही हो.
मकड़ी के काटने पर ये कदम उठाएं
काटी गई जगह को साबुन पानी से साफ कर लें और संक्रमण से बचाव के लिए दिन में तीन बार एंटीबायोटिक मलहम अप्लाई करें
बर्फ को कपड़े में लपेट कर काटे गए जगह पर 15 मिनट तक रखें
संभव हो तो काटी गई जगह को ऊपर उठाकर रखें.
घाव में खुजली होने की स्थिति में डॉक्टर से पूछकर दवा लें.
ब्लैक विडो स्पाइडर की पहचान उसके पेट पर बने रेड कलर के हावरग्लास से की जा सकती है. उसके काटने से स्किन पर सूजन, दर्द, पेट में तेज दर्द, मितली, उल्टी पसीना आना और कांपने जैसे लक्षण सामने आते हैं.
ब्राउन रिक्लुज स्पाइडर
ब्राउन रिक्लुज स्पाइडर के पीठ पर बना वायलिन का शेप उसकी पहचान है. इस मकडी के काटने से शुरु में हल्का दर्द होता है फिर बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं. काटे गए स्थान पर ब्ले ओर पर्पल रंग के रिंग बन जाते हैं.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / क्या आपके चेहरे की खूबसूरती पिंपल के दाग धब्बों के पीछे दब सी गई है. इससे निजात पाने के लिए कारगर उपाय ढूंढ रहे हैं तो फिर आज आपकी खोज खत्म हो जाएगी. इस आर्टिकल में हम डॉक्टर प्रियंका त्रिवेदीद्वारा सुझाया गया किशमिश का पानी कैसे आपकी स्किन पर नेचुरल निखार लाएगा उसके बारे में बताने वाले हैं. डॉ. प्रियंका ने यह स्किन केयर रिजीम अपने इंस्टाग्राम पेज पर वीडियो शेयर कर बताया है.
किशमिश का पानी पीने के फायदे
अन्य फायदे
- अगर आप हर दिन खाली पेट किशमिश खाती हैं तो गैस की समस्या से निजात मिल जाएगा. यह पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में फायदेमंद साबित होता है.
- हर दिन आप ऊर्जावान बने रहना चाहते हैं तो किशमिश का सेवन जरूर करें. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन क्रिया को मजबूत करने का काम करता है.
- किशमिश रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने का काम करता है. अगर आप हर रोज भीगी हुई किशमिश खाते हैं तो इसके सेहत को बहुत लाभ मिलने वाले हैं. आप किशमिश के पानी को पीते हैं तो वो भी आपके लिए फायदेमंद होगी.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / एजिंग एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जो रुकती नहीं है. उम्र बढ़ती है तो उम्र बढ़ने के निशान भी चेहरे पर नजर आने लगते हैं. लेकिन, इस बात में भी कोई दोराय नहीं कि त्वचा की सही तरह से देखरेख ना करने पर झुर्रियां बढ़ने लगती हैं और स्किन डैमेज भी होती है. ऐसे में त्वचा को लंबे समय तक जवां बनाए रखने के लिए, झुर्रियां कम करने के लिए और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने के लिए केले से कुछ फेस पैक्स बनाकर लगाए जा सकते हैं. यहां जानिए केले से फेस पैक बनाने के तरीके.
जवां त्वचा के लिए केले के फेस पैक्स
चेहरे पर केले को सादा लगाने के बजाय उसके फेस पैक्स लगाने ज्यादा फायदेमंद माने जाते हैं. इसके अलावा, केले का छिलका भी झुर्रियां कम करने में इस्तेमाल में लाया जाता है. केले के छिलके के अंदरूनी हिस्से को त्वचा पर मलकर कुछ देर रखें और फिर चेहरा धो लें.
केला और दही
इस एंटी-एजिंग फेस पैक को बनाने के लिए केले, संतरे और दही की जरूरत होगी. एक कटोरी में दही लें और उसमें केला और संतरे का रस डालकर मिला लें. इस फेस पैक को चेहरे पर 15 ले 20 मिनट लगाकर रखने के बाद धो लें. चेहरा निखर जाएगा. अगर चेहरे पर बड़े गड्ढे नजर आते हैं तो पोर्स टाइट करने के लिए ठंडे पानी से फेस पैक धोकर हटाएं.
केला और हल्दी
चेहरे पर केले और हल्दी का फेस पैक भी लगाया जा सकता है. इस फेस पैक को बनाने के लिए एक केले में एक छोटा चम्मच हल्दी डालें और एक चम्मच दही मिला लें. इसे चेहरे पर 15 मिनट लगाकर रखने के बाध धोएं. एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर हल्दी स्किन से पिंपल्स और दाग-धब्बों का भी सफाया कर देती है.
केला और दूध
आपको केले और दूध को मिलाकर शेक नहीं बनाना बल्कि चेहरे पर फेस पैक बनाकर लगाना है. इस फेस पैक को तैयार करना बेहद आसान है. एक केले में कच्चा दूध, शहद (Honey) और कुछ बूंदे गुलाबजल की मिला लें. इसे चेहरे पर 15 मिनट लगाकर रखें और फिर धो लें. चेहरा निखर जाएगा.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी गायत्री का जन्म श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि में हुआ था. यही कारण इस दिन पूरे विधि-विधान से देवी गायत्री की पूजा पाठ की जाती है. ऐसे में इस बार मां गायत्री की जयंती किस दिन पड़ रही है, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है इसकी डिटेल आर्टिकल में दिया जा रहा है.
गायत्री जयंती तारीख
इस साल गायत्री जयंती 31 अगस्त दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से होगी जो अगले दिन यानी 31 को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी.
इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मकता आती है. गायत्री जयंती के दिन सूर्योदय के पहले ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जाप करने से ज्यादा फलदायी होता है. शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त को पूजा पाठ के लिए सबसे उचिच समय माना गया है.
कैसे करें पूजा
1- गायत्री जयंती के दिन भक्त सुबह उठकर स्नान करते हैं. उसके पश्चात् पूजा स्थान की साफ-सफाई करते हैं.
2- पूजा स्थान पर मां गायत्री का चित्र लगाया जाता है. उसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र किया जाता है.
3- खुद को पवित्र करने के बाद गायत्री माता की पूजा की जाती है. मां गायत्री को अक्षत, धूप, दीप, फूल, चंदन इत्यादि वस्तुएं अर्पित की जाती है.
4- इसके बाद कम के कम 108 बार गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्' का जाप किया जाता है. अंत में मां गायत्री की आरती की जाती है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /त्वचा की देखरेख में चावल का पानी भी कई तरह से काम आता है. चावल का इस्तेमाल कोरियाई स्किन केयर में खूब किया जाता है, चाहे राइस वॉटर टोनर हो, फेस वॉश हो, चावल के आटे का फेस मास्क हो या फिर क्रीम या कुछ और. लेकिन, चावल के स्किन केयर प्रोडक्ट्स बाहर से खरीदने के बजाय आप घर पर ही चावल के पानी का चेहरे पर इस्तेमाल कर सकती हैं. चावल का पानी स्किन को एक नहीं बल्कि कई फायदे देता है. यह एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर है जिससे स्किन जवां बनी रहती है. चावल का पानी चेहरे को निखारने, दाग-धब्बे हटाने, सनबर्न में राहत देने और स्किन से एक्सेस ऑयल हटाने में भी असर दिखाता है. अगर आप भी चावल का पानी बनाकर चेहरे पर लगाने के बारे में सोच रहे हैं तो यहां दिए कुछ टिप्स आके काम आ सकते हैं.
चेहरे के लिए चावल का पानी
चावल का पानी बनाने के लिए कोई भी एशियाई चावल इस्तेमाल किए जा सकते हैं. चावल को पानी में भिगोने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें.
चावल को तीन बार धोएं और तीसरी बार वाले पानी को ही स्टोर करने के लिए रखें.
इस चावल के पानी को लगभग 2 हफ्तों तक फ्रिज में स्टोर करके रखा जा सकता है.
चेहरे पर चावल का पानी लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे सीधा चेहरे पर छिटकें या फिर स्प्रे बोतल में भरकर चेहरे पर स्प्रे करें और हवा से सूखने के लिए छोड़ दें.
शाम के समय चावल के पानी को चेहरे पर लगाने का अलग रूटीन है और सुबह का रूटीन अलग है. सुबह के समय चावल के पानी के बाद सीरम, मॉइश्चराइजर और सनस्क्रीन लगाएं. रात के समय चेहरा धोएं, चावल का पानी लगाएं और फिर मॉइश्चराइजर लगा लें.
ध्यान रखें कि आप एकदम से हर समय चावल के पानी को चेहरे पर लगाते ना रहें बल्कि धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल करना शुरू करें. इसका असर भी हर त्वचा (Skin Type) पर अलग-अलग तरह से और अलग-अलग समय पर दिख सकता है.
चावल का पानी एक तरह का टोनर है. चावल का पानी चेहरे पर लगाएंगे तो चेहरे पर किसी तरह की बदबू भी नहीं आएगी.