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शौर्यपथ /भारत और भारत के लगभग सभी प्रान्तों में राजभाषा हिन्दी और अंग्रेजी की अमिट छाप दिखाई देती है। छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। सदियों से इन दोनों भाषाओं ने विशाल बरगद की भांति अपनी शाखाओं को, जड़ों को जनमन के भीतर तक फैला रखा है। ऐसी स्थिति में वर्तमान में छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा को तीसरे क्रम पर ही हम पाते है।
कार्यालयीन भाषा बनने में बाधक - समाधान
यह सर्वमान्य है कि किसी भी राज्य की कार्यालयीन भाषा वहां के निवासियों की समझ के अनुरूप होना चाहिए। इसीलिए हमारे देश के विभिन्न राज्यों में संचालित कार्यालयों में वहीं की भाषा का उपयोग अधिकांशतः किया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य को बने अभी 22 वर्ष हुए है। बाईस वर्ष के पूर्व इतिहास को देखें तो स्पष्ट होगा कि राज्य को बनने के पूर्व छत्तीसगढ़ी बोली-भाषा को कार्यालयीन भाषा बनाने के लिए बहुत ज्यादा कारगर उपाय नहीं किये गये। नया राज्य बनने के बाद इस दिशा मे राज्य शासन द्वारा सार्थक पहल की गई है, पर निम्नलिखित कठिनाईयां इसमें बाधक हैं:-छत्तीसगढ़ के अधिकांश उच्चाधिकारी एवं अन्य कर्मचारी छत्तीसगढ़ी भाषा से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत अधिक विविधता है। अलग-अलग क्षेत्रों में एक ही शब्द को अलग-अलग ढंग से लिखने के कारण भी कठिनाइयां है ।कार्यालयीन कार्य में छत्तीसगढ़ी भाषा को इस्तेमाल करने के लिए समुचित मार्गदर्शक किताबों का अभाव है।अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा में कार्यालयीन कार्य के निष्पादन हेतु सतत् कार्यशाला का आयोजन भी नहीं हो रहा हैं। हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए पूर्व में केन्द्र-राज्य शासन द्वारा स्नातकोत्तर की डिग्री लेने पर प्रोत्साहन स्वरूप इंक्रीमेंट दिया जाता था। ऐसी व्यवस्था छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए नहीं बन पाई हैं।
कार्यालयीन कार्य में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने समाधान के रूप में कारगर कदम उठाने
हेतु सर्वोच्च प्राथमिकता से अधिकारियों-कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग करने की बाध्यता हो।कार्य करने के लिए समुचित मार्गदर्शक किताबें उपलब्ध हो, जो कि छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ हिन्दी एवं अंग्रेजी में कैसे लिखना है को सरलतापूर्वक बता सके। उच्चाधिकारियों सहित छोटे कर्मचारियों के लिए छत्तीसगढ़ी में कार्य करने हेतु कार्यशाला का निरन्तर आयोजन हो । छत्तीसगढ़ी भाषा में स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्री लेने पर प्रोत्साहनस्वरूप इंक्रीमेंट देने की पहल होनी चाहिए।सभी विभागों में छत्तीसगढ़ी अनुवादक की भर्ती सहित छत्तीसगढ़ी भाषा विकास समिति का गठन होना चाहिए।किसी भी विभाग/कार्यालय द्वारा सर्वाधिक कार्य-निष्पादन छत्तीसगढ़ी में किया जाता है, उसका वार्षिक मूल्यांकन कर राजभाषा दिवस पर पुरस्कृत किया जाना चाहिए कार्यालय एवं कार्यालय परिसर में छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखित नारें, निर्देश, सूचना पटिटका लगाने की अनिवार्यता होनी चाहिए।
राजभाषा छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में कैसे जोड़ें
राजभाषा छत्तीसगढ़ी को प्राथमिक स्तर से ही जोड़ने की आवश्यकता है। बालपन में ग्राह्य शक्ति बहुत अधिक होती है। साथ ही इस उम्र में ग्राह्य की गई बातें आजीवन स्मृति पटल पर अविस्मरणीय बनी होती है। अतः प्राथमिक स्तर से लेकर विविध मात्रा में महाविद्यालयीन स्तर पर छत्तीसगढ़ी राजभाषा में लिखी कहानियां, कवितायें, गजल, यात्रा, स्मरण, निबंध, साक्षात्कार, नाटक आदि का समावेश होना चाहिये।
प्राथमिक स्तर पर जिस तरह हिन्दी, अंग्रेजी में आवेदन पत्र, पारिवारिक पत्र, विभिन्न विभागों की समस्याओं के निदान हेतु लिखे जाने वाले पत्र आदि लिखना सिखाया जाता है उसी तरह छत्तीसगढ़ी राजभाषा में सिखाने की आवश्यकता है। स्कूल कालेज में वार्षिक समारोह में छत्तीसगढ़ी लोकगीतों नृत्यों, खेलों को अनिवार्य करना चाहिए।
राजभाषा छत्तीसगढ़ी से ऐसे जुड़ेगी जनता
आम जनता तक छत्तीसगढ़ी भाषा को पहुंचाने का सशक्त माध्यम छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोकरंग मंच हैं। इसके माध्यम से अनादिकाल से छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति, भाषा, कथा, कहानी, जनउला, हाना प्रचारित होता आ रहा है। हर्ष की बात है कि ऐसे लोकमंच अब आधुनिक साधन के आने पर रेडियों, टेलीविजन, फिल्म, सोशल मीडिया के साथ साथ विविध राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव में भी प्रमुखता से स्थान पाने लगे हैं।
बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन में उदघोषणा छत्तीसगढ़ी भाषा में हो रही है,यह आमजनता तक पहुंच का एक सफल उपाय है। ऐसे सार्वजनिक स्थानों में छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग होना चाहिये।
साहित्य किसी भी भाषा का हो वह भाषा को समृद्ध बनाने और आमजनों को जोड़ने के लिए सबसे बड़ी भूमिका निर्वहन करता है। इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा जाता हे। छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखना, पढ़ना पहले काफी कठिन प्रतीत होता था, किन्तु अब कहते हुए हर्ष हो रहा है कि छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन में उत्साहजनक गति दिखाई दे रही है। जिससे बड़ी संख्या में कवि गोष्ठी, कहानी पठन, नाटको का मंचन और फिल्मों का निर्माण भी हो रहा है। यद्यपि ऐसे आयोजनों में यदाकदा फूहड़ता का भी प्रदर्शन होता है जिस पर अंकुश लगाने का दायित्व साहित्यकारों-पत्रकारों और प्रबुद्धजनों पर है।
छत्तीसगढ़ी को प्रोत्साहित करने हेतु सम्मान
सम्मान, पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशेष करने वाले को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से दिया जाता है। यह परंपरा मानव समुदाय में अनादिकाल से प्रचलित है। अतः इसका विशेष महत्व आज भी है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने वालों को सम्मान पुरस्कार देते समय पारदर्शिता पर गुणवत्ता पर खास ध्यान रखना चाहिये। मेरे विचार से ऐसे पुरस्कारों को देते समय उचित होगा कि इसे तीन वर्गों में अर्थात युवा वर्ग, पुरूष वर्ग और महिला वर्ग में विभिाजित करके देना चाहिये। जिस तरह युवावर्ग में उम्र का बंधन है उसी तरह पुरूष महिला वर्ग में अधिक आयु के साहित्यकारों को प्राथमिकता देना चाहिये।
युवा पीढ़ी ही करेंगे राजभाषा को समृद्ध
किसी भी समाज, परिवार, देश को आगे बढ़ाने के लिए युवा शक्ति को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। अतः छत्तीसगढ़ी राजभाषा को भी आगे बढ़ाने की दृष्टि से युवा पीढ़ी की जागरूकता अत्यधिक प्रभावी होगी।छत्तीसगढ़ के युवा बोलचाल में, लेखन में कार्यालयीन कार्य में और समाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक कार्यक्रमों में यदि विशुद्ध रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करते हैं तो निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के साथ साथ अन्य प्रांतो से आये युवा वर्ग के लिए यह अनुकरणीय होगा, जिससे छत्तीसगढ़ी राजभाषा की लोकप्रियता और प्रचलन में वृद्धि होगी।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा का भविष्य उज्ज्वल है
छत्तीसगढ़ राज्य जब 2000 में बना तो अनेक सवाल जनमानस में उठ खड़े हुए थे। राजभाषा छत्तीसगढ़ी का भविष्य भी उनमें एक था। आज 22 बरस को पूरा करते नवोदित राज अब एक सुदृढ़, समृद्ध राज्य के रूप में पहचान बनाने अग्रसर है। छत्तीसगढ़ की राजभाषा संबंधी सवाल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा रहे हैं, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी में स्नातक, स्नातकोत्तर की उपाधियां दी जा रही है। कला, साहित्य, खान-पान, तीज-त्यौहार,परंपराओं ने व्यवसायिक रूप लेना आरंभ कर दिया है। इसे दृष्टिगत रखते हुए हम कह सकते हैं कि राजभाषा छत्तीसगढ़ी का भविष्य उज्ज्वल है।
खेत-खलिहान, गाॅव गाॅव ले लुगरा धोती ललकारत हे,
छत्तीसगढ़ी माटी म सुआ-कर्मा, ठेठरी-खुरमी महमहावत हे।
विजय मिश्रा ‘अमित’
पूर्व अति महाप्रबंधक (जन)
शौर्यपथ /हिमालय क्षेत्र में अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित यूरेशियन प्लेट के नीचे लगातार बड़े पैमाने पर ऊर्जा जमा होना चिंता का विषय है. आने वाले समय में भूकंप की और घटनाओं की प्रबल आशंका है.इस सप्ताहभारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में लगे भूकंप के झटकों के कारण नेपाल में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. बुधवार रात को अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस बीच, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है बड़े इलाके पर असर डाल सकता है. वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है. आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है. उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है. भूकंप पर शोध करने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है. उसके खतरों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों में कारगर नीतियां नहीं हैं जो बेहद चिंताजनक है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी है कि भूकंप के प्रति संवेदनशील इलाकों में वृद्धि के कारण हिमालय क्षेत्र की जनसांख्यिकी में भी बदलाव आ सकता है. विशेषज्ञों ने हिमालय क्षेत्र में एकत्र हो रही भूगर्भीय ऊर्जा और नए भूस्खलन जोन के मद्देनजर सुरक्षित स्थानों को चिन्हित करने की सलाह दी है. भूकंप की आशंका वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के जियोलॉजिस्ट अजय पॉल ने डीडब्ल्यू को बताया, "भारतीय प्लेट पर यूरेशियन प्लेट के लगातार दबाव के कारण इसके नीचे जमा होने वाली ऊर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती रहती है. हिमालय के नीचे ऊर्जा के संचय के कारण भूकंप आना एक सामान्य और निरंतर प्रक्रिया है. लेकिन कभी भी एक बड़े भूकंप की प्रबल आशंका हमेशा बनी हुई है." उनके मुताबिक, भविष्य में आने वाले भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर सात या उससे अधिक हो सकती है. लेकिन फिलहाल यह बताना संभव नहीं है कि वैसा भूकंप कब आएगा. बीते डेढ़ सौ वर्षों के दौरान हिमालयी क्षेत्र में चार बड़े भूकंप दर्ज किए गए हैं. इनमें वर्ष 1897 में शिलांग, 1905 में कांगड़ा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम में आए भूकंप शामिल हैं. उसके बाद वर्ष 1991 में उत्तरकाशी, 1999 में चमोली और 2015 में नेपाल में भी भयावह भूकंप आया था. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भूकंप से बचाव की ठोस रणनीति बनाने की स्थिति में जानमाल के नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है. विशेषज्ञ इस मामले में जापान की मिसाल देते हैं. डा. पॉल का कहना है कि बेहतर तैयारियों के कारण लगातार मध्यम तीव्रता के भूकंप की चपेट में आने के बावजूद वहां जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वाडिया इंस्टीट्यूट के एक और वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट नरेश कुमार ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड को भूकंप के प्रति संवेदनशीलता के लिहाज से जोन चार और पांच में रखा गया है. संस्थान ने भूकंप और उसके कारण होने वाले भूस्खलन पर केंद्र सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. उसके पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने भी वर्ष 2013 की आपदा के बाद पैदा हुई स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी. वाडिया संस्थान की रिपोर्ट में भूस्खलन और बादल फटने के कारण आने वाली आपदा से बचने के लिए आबादी को वहां से हटाने की सिफारिश की गई है. आईआईटी कानपुर की टीम ने भी दी चेतावनी आईआईटी, कानपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी अपनी शोध रिपोर्ट में कहा है कि हिमालयन रेंज यानी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कभी भी रिक्टर स्केल पर 7.8 से 8.5 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है. उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है. विभाग के प्रो. जावेद एन मलिक ने डीडब्ल्यू को बताया कि उत्तराखंड के रामनगर इलाके में तीव्र भूकंप का खतरा मंडरा रहा है. आने वाले समय में रामनगर इलाके में 7.5 से लेकर 8 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला भूकंप आने की आशंका है. प्रो. जावेद और उनकी टीम पूरे देश में भूकंप के कारण और उसके बाद पैदा होने वाली परिस्थिति का अध्ययन कर रही है. वह बताते हैं, "उत्तराखंड के रामनगर इलाके में वर्ष 1803 में भूकंप आया था. उस दौरान भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 रहने का अनुमान है. उसके बाद धरती के नीचे ऊर्जा लगातार एकत्रित हो रही है. इसलिए बड़े पैमाने पर भूकंप आना तय है.” आखिर ऐसा भूकंप कब तक आने का अंदेशा है? प्रोफेसर जावेद कहते हैं, "यह कभी भी आ सकता है. लेकिन पहले से उसकी निश्चित भविष्यवाणी संभव नहीं है. हिमालय अभी पूरी तरह से शांत है. यह तूफान के आने से पहले वाली शांति भी हो सकती है." तमाम वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि भूकंप को रोकना या उसकी पहले से सटीक भविष्यवाणी करना संभव नहीं है. लेकिन संवेदनशील इलाकों में भूकंपरोधी निर्माण को बढ़ावा देकर और स्थानीय लोगों में जागरुकता अभियान चला कर भूकंप की स्थिति में जानमाल के नुकसान को काफी हद तक कम जरूर किया जा सकता है.
शौर्यपथ /एक सौ तीस करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश के 'लोकप्रियÓ प्रधानमंत्री की 'हैसियतÓ नापना असंभव की हद तक मुश्किल होना चाहिए। इसलिए, जब कोई यह कहता है कि गुजरात के मतदाता इस बार प्रधानमंत्री मोदी को उनकी औकात दिखा देंगे तो कहने वाले का मज़ाक उड़ाया जाना स्वाभाविक है। पिछले दो आम चुनावों में अपनी शानदार जीत दर्ज करा कर प्रधानमंत्री अपनी ताकत अच्छी तरह जता चुके हैं। सच तो यह है कि चुनावी जीत के जो मानक प्रधानमंत्री मोदी ने स्थापित किये हैं वे किसी भी व्यक्ति को उसकी औकात का भ्रम करवा सकते हैं। और एक सच्चाई यह भी है कि देश के मतदाता से संपर्क साधने की प्रधानमंत्री की कला और क्षमता भी इस दौरान लगातार सिद्ध होती रही है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री किसी चुनावी सभा में यह कहते हैं कि 'मेरी क्या औकात हैÓ तो इसे उनकी विनम्रता ही माना जाना चाहिए।
हाल ही में एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने ऐसी ही विनम्रता दिखाने का प्रयास करते हुए कहा था कि वे तो जनता के सेवक मात्र हैं। एक गरीब परिवार में पैदा हुए व्यक्ति की भला क्या औकात हो सकती है। पर उनके ऐसा कहने का यह तात्पर्य भी नहीं लिया जाना चाहिए कि हमारा प्रधानमंत्री किसी दृष्टि से इतना कमज़ोर है कि वह मतदाता की कृपा मांग रहा है। जो ऐसा मानते हैं उन्हें कुछ ही दिन पहले बाली में बसे भारतीयों के बीच दिये गये उनके भाषण को याद कर लेना चाहिए। इस भाषण में उन्होंने श्रोताओं से पूछा था कि 1914 से लेकर 2022 तक के भारत में उन्हें क्या परिवर्तन दिख रहा है? फिर उन्होंने स्वयं ही इसका उत्तर देते हुए इस परिवर्तन को 'भव्यताÓ से परिभाषित भी किया था। उन्होंने कहा था, 'आज हम भारत में जो कुछ भी कर रहे हैं, भव्य तरीके से कर रहे हैं- हमने दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनायी है। दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम हमारे भारत में बना है, दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भारत में चला था। अस्सी करोड़ भारतीयों को मुफ्त अनाज देने की बात भी इसी क्रम में कही गयी थी। निश्चित रूप से ये उपलब्धियां हैं और यह सब करने वाले की औकात का भी एक उदाहरण है, लेकिन इस उदाहरण की चकाचौंध से इतना भ्रमित हो जाना भी ठीक नहीं है कि अन्य वास्तविकताओं को देखकर भी अनदेखा किया जाता रहे।
क्या हैं ये अन्य वास्तविकताएं? वास्तविकता यह भी है कि बाली में जिन अनिवासी भारतीयों के समक्ष प्रधानमंत्री भव्यता के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे थे, वे उन 23 हज़ार भारतीय करोड़पतियों का हिस्सा थे जो पिछले आठ वर्ष में भारत छोड़कर विदेशों में जा बसे थे। इस बात को नहीं भुलाया जाना चाहिए कि 2014 में अमेरिका में बसे अनिवासी भारतीयों की अपनी पहली सभा में प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि वे ऐसा भारत बनायेंगे जहां से किसी को विदेश में जाकर बसने की आवश्यकता या विवशता नहीं होगी। फिर क्यों भारतीयों के विदेशों में जाकर पढऩे, विदेशों में जाकर बसने के उदाहरण कम होने का नाम ही नहीं ले रहे? वैश्विक गांव की परिकल्पना वाले समय में किसी का विदेश जाकर बसना ग़लत नहीं समझा जाना चाहिए, पर विदेश की चकाचौंध वाली बात अलग है।
वास्तविकता यह भी है कि आज भले ही अधिकांश भारतीयों के पास बैंक खाता हो या अधिकांश भारतीयों तक बिजली पहुंच गयी हो, पर हकीकत यह भी है कि आज देश की राष्ट्रीय संपत्ति का 77 प्रतिशत दस प्रतिशत हाथों में है। यह सही है कि हमारा भारत भले ही आज दुनिया की सर्वाधिक तेज़ी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक हो, पर हमारी गणना दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों में भी की जाती है। पिछले एक दशक में हमारे अरबपतियों की संख्या दस गुना बढ़ गयी है। देश में बड़े-बड़े अस्पताल तो बनाने की घोषणाएं हो रही हैं, पर सारे दावों के बावजूद मेडिकल सुविधा आम भारतीय तक नहीं पहुंच पा रही। एक सर्वेक्षण के अनुसार आज भी डाक्टरी सुविधाओं के लिए होने वाले खर्च के कारण छह करोड़ से अधिक भारतीय प्रतिवर्ष गरीबी के पाले में धकेले जा रहे हैं।
आंकड़े बहुत कुछ बोलते हैं, पर बहुत कुछ बता भी नहीं पाते। सामाजिक असमानता वाला क्षेत्र ऐसे ही आंकड़ों वाला है। हमारा समाज आज भी जिस तरह से बंटा हुआ है, उसे आंकड़ों से नहीं समझा जा सकता। उसे समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि इक्कीसवीं सदी के भारत में किसी दलित की घोड़े पर बैठ कर बारात निकलना एक समाचार है! यह भी समाचार है कि देश में ऐसे भी स्कूल हैं जहां विद्यार्थी तो हैं, पर नियमित अध्यापक नहीं हैं; प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो हैं, पर कई ऐसे भी हैं, जिनके ताले महीनों तक नहीं खुलते! यह भी हमारे ही देश की कहानी है कि स्कूल में बच्चों को नमक के साथ चावल खिलाने का समाचार देने वाला पत्रकार देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है।
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / शादी और प्यार एक ऐसा रिश्ता है जिसमें कई बार एकदूसरे से बहुत अलग लोग भी एकसाथ खुशी महसूस करते हैं. लेकिन, जिंदगी बहुत लंबी होती है और कभी-कभी पति-पत्नी अपनी खुशहाल गृहस्थी में आगे तो बढ़ जाते हैं लेकिन प्यार कहीं पीछे छूट जाता है. प्यार की जगह पर झगड़े, गलफहमियां, घर के काम और जिम्मेदारियां ले लेती हैं और आपसी दूरी का कारण बन जाती हैं. ऐसे में आप अपने रिश्ते को बेहतर बनाए रखने के लिए कुछ बातों को कभी ना भूलें और ध्यान में रखें. आपके शादीशुदा रिश्ते में प्रेम हमेशा बना रहेगा.
पति-पत्नी प्यार कैसे रखें बरकरार
एक साथ बढऩा
प्रकृति का नियम है परिवर्तन. हर रिश्ते में बदलाव होता है और हम खुद भी वक्त के साथ बदलते हैं. लेकिन, आप दोनों को ही एकसाथ आगे बढऩा होगा, बदलावों को स्वीकार करते हुए एकदूसरे को समझना होगा. ऐसा ना हो कि आप में से एक बहुत आगे निकल जाए और दूसरा कहीं पीछे छूट जाए.
आपसी सम्मान
पति-पत्नी दोनों के ही मन में एकदूसरे के प्रति आपसी सम्मान की भावना होनी चाहिए. जिस रिश्ते में सम्मान नहीं होता वहां प्यार खोने लगता है. आप दोनों का एकदूसरे के प्रति आपसी सम्मान ही रिश्ता मजबूत बनाए रखता है.
साथ हंसना
पत्नि-पत्नी को हफ्ते में एकबार कुछ ऐसा जरूर करना चाहिए जिसमें उन्हें एकसाथ हंसने और खिलखिलाने का मौका मिले. आप डेट पर जा सकते हैं, फिल्म देख सकते हैं, घर पर ही मूवी नाइट प्लान कर सकते हैं या फिर किसी गाने पर थिरक सकते हैं.
कम्यूनिकेशन
मजबूत रिश्ते के लिए आपसी बातचीत होनी जरूरी है. आप चाहे ऑफिस से बहुत थककर आ रहे हों या व्यस्त हों. एकदूसरे से बात करना ना छोड़ें. आपसी कम्यूनिकेशन टूटने पर बहुत से रिश्ते कमजोर पडऩे लगते हैं.
गलतफहमियां सुलझाना
अगर आपको किसी बात से दिक्कत है तो अपने पति या पत्नी को साफ शब्दों में कहें. गलतफहमियां पालना ना किसी रिश्ते के लिए कभी ठीक रहा है ना रह सकता है. बात छोटी हो या बड़ी उसे सुलझा लेना ही बेहतर है.
खाना खजाना /शौर्यपथ /डाइट में हरे साग-सब्जियों को शामिल करने की सलाह दी जाती है. पालक ढेरों गुणों से भरपूर है, पालक में विटामिन A, C, K1, आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम भरपूर मिलता है. लेकिन कई बार बच्चे पालक खाना पसंद नहीं करते हैं. बच्चों को पालक का पोषण देने के लिए आप उन्हें पालक के साथ कुछ टेस्टी बनाकर दें. पालक कचौड़ियां बेहद टेस्टी लगती हैं और पोषण से भरपूर होती हैं. आइए पालक कचौड़ी बनाने की रेसिपी जानते हैं.
पालक कचौड़ी बनाने के लिए सामग्री-
आटा- 3 कप
सूजी- आधा बड़ा चम्मच
बेसन- एक बड़ा चम्मच
पालक- 350 ग्राम
अजवाइन- आधा चम्मच
घी
हींग- एक चुटकी
लाल मिर्च पाउडर- आधा चम्मच
सौंफ- आधा चम्मच
गरम मसाला- आधा चम्मच
पालक की कचौड़ी बनाने का तरीका-
पालक की कचौड़ी बनाने के लिए सबसे पहले पालक को अच्छे से धोकर उसे काट लें.
अब एक बड़े से बर्तन में पानी गर्म करने के लिए गैस पर चढ़ाएं. जब पानी उबलने लगे तो उसमें कटे हुए पालक डाल दें.
पालक को थोड़ी देर पकने दें, 5-7 मिनट गैस बंद कर दें और पालक को छान लें.
ध्यान रखिए कि पालक को बहुत अधिक नहीं पकाना है. ज्यादा पकाने से पालक काले पड़ जाते हैं. पालक की कचौड़ी के लिए हरे-हरे पालक अच्छे हैं.
पालक उबल जाने के बाद उसे ठंडा करें और फिर मिक्सर में डालकर उसका पेस्ट बना लें.
अब आटा गूंदने के लिए एक परात में आटा निकालें उसमें सूजी और बेसन को मिलाएं. इसके साथ ही नमक, अजवाइन, सौंफ, गरम मसाला, लाल मिर्च, हींग डाल कर मिक्स कर लें. अब दो चम्मच घी डालें और आटे को अच्छे से मसल लें और थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर आटा गूंद लें. आटे को थोड़ी देर छोड़ दें.
अब इसमें से छोटी-छोटी लोई निकाल कर कचौड़ी के आकार में बेल लें और फिर इसे गर्म तेल में डालकर तलें. पालक की गरमा गरम कचौड़ियां तैयार हैं.
सेहत /शौर्यपथ /मौसम में बदलाव आने के साथ स्किन और हेयर हेल्थ में बदलाव आने लगता है। जहां एक तरफ स्किन में ड्राईनेस और खुजली की प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। तो वही बालों बालों का लगातार झड़ना बड़ी समस्या बन जाता है। जिसके कारण बाल रूखे, कमजोर और बेजान नजर आने लगते हैं। दरअसल, बालों को हेल्दी बने रहने के लिए पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। वातावरण में शुष्क हवा होने के कारण स्कैल्प से नमी पूरी तरह खत्म हो जाती है, जिससे डेंड्रफ और बालों का लगातार झड़ने जैसी समस्याएं हो सकती है।
चलिए सबसे पहले जानते हैं बालों के ज्यादा झड़ना आपके लिए कैसे नुकसानदायक हो सकता है –
इस समस्या पर बात करते हुए भाटिया हॉस्पिटल के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ सौरभ शाह का कहना है कि बालों का ज्यादा झड़ना गंजापन या ‘एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया का कारण बन सकता है। जिसमें डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन की कमी के कारण बाल बेहद कमजोर हो जाते हैं, जिससे स्कैल्प पर बाल कम नज़र आने लगते हैं। इसके साथ ही बालों का झड़ना सिर से लेकर फ्रंट के पैटर्न में ज्यादा होता है, जिसे पैटर्नेड एलोपेसिया’ के नाम से जाना जाता है।
आपकी इसी समस्या का समाधान करते हुए आज हम आपको ऐसी होम रेमेडीज बताएंगे जिन्हें आयुर्वेद में भी फायदेमंद माना गया है।
गुनगुने तेल की मसाज
कोई भी प्राकृतिक तेल जैसे कि नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल अपने बालों की लंबाई के अनुसार एक कटोरी में लें। अब इसे हल्का गर्म करके हल्के हाथों से मसाज करें। सिर को एक घंटे तक शॉवर कैप से कवर करें। और इसके बाद शैम्पू से बाल धो लें।
गुनगुने तेल से मसाज करने पर आपकी डेंड्रफ की समस्या कम होने के साथ बालों के झड़ने की समस्या भी कम होती है। साथ ही ब्ल्ड सर्कुलेशन बेहतर होने के साथ हेयर सेल्स भी इंप्रूव होंगे।
बेर और नीम के पत्ते
इस नुस्कें के लिए आपको नीम और बेर के पत्तों को उबालना है। पानी ठण्डा होने पर इससे बालों को मसाज करते हुए अच्छे से धोएं। इसके अलावा बेर और नीम के पत्तों को पीसकर इसमें नींबू का रस मिलाएं, और बालों में दो घंटे तक लगाकर बाल धो लें।
आयुर्वेद में नीम को औषधी माना गया है, इसमें विटामिन सी, विटामिन ई और कैरोटीनॉयड होता है, जो बालों की मजबूती के लिए आवश्यक है। वही बेर के पत्तों में विटामिन सी, विटामिन बी 1, विटामिन बी 2 पाया जाता है। जो बालों को मजबूत बनाने के साथ बालों का झड़ना रोकने में मदद करता है।
परवल के पत्तों का इलाज
बालों का झड़ना तेजी से रोकने के लिए परवल के पत्तें रामबाण इलाज साबित हो सकते हैं। इस नुस्कें के लिए कड़वे परवल के पत्तों को पीसकर इसका रस निकालें और अपने स्कैल्प पर लगाएं। इस नुस्कें के कुछ महीने तक प्रयोग से ही बालों का झड़ना बन्द हो जाएगा। साथ ही स्कैल्प पर कम बाल होने पर भी यह नुस्का फायदेमंद साबित हो सकता है।
परवल के पत्तों में एंटीफंगल और एंटीबैक्टेरियल गुण होते हैं, जिससे स्कैल्प के इंफेक्शन में राहत मिलती है।
नारियल तेल और नींबू
एक बाउल में 4 से 5 चम्मच नींबू का रस लीजिए। अब इसमें दो गुना नारियल का तेल मिलाकर स्कैल्प पर हल्के हाथों से मसाज करें। इससे बालों का झड़ना रुकने के साथ डेंड्रफ की समस्या भी खत्म हो जाएगी। इससे आपको बेजान बालों से राहत मिलेगी साथ ही आपके साथ पहले से ज्यादा मजबूत होंगे।
नारियल तेल आपकी स्कैल्प को मॉइस्चराइज रखने में मदद करेगा, इसमें एंटी ऑक्सिडेंट होने के साथ एंटीबैक्टेरियल गुण भी होते हैं, जो बालों की ग्रोथ बढ़ाने के साथ झड़ने से रोकने में मदद करता है। नींबू में विटामिन सी होने के साथ विटामिन बी और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। जो बालों के झड़ने को तेजी से रोकता है।
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /ऊर्जा शक्ति में उतार-चढ़ाव आना बिल्कुल सामान्य है। आमतौर पर लोगों की दिन की शुरुआत एनर्जेटिक होती है। परंतु पूरे दिन शारीरिक और मानसिक रूप से गतिशील होने के कारण शाम तक ऊर्जा शक्ति में गिरावट आ जाता है। हालांकि, यह शरीर का प्राकृतिक स्वभाव है परंतु कभी कबार सुबह उठते के साथ या बैठे बैठे भी हमें थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होती है। क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है? जी बिल्कुल! आप सभी को लगता होगा कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी और सही समय पर खाना न खाने से ऐसा होता है।
परंतु आपको बता दें कि कुछ खाद्य स्रोत ऐसे भी हैं जिनका सेवन आपकी ऊर्जा शक्ति को कम कर सकता है। तो आज हम लेकर आए हैं, ऐसे ही कुछ खाद्य स्रोत के नाम जो आपकी ऊर्जा शक्ति की कमी का कारण होते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
यहां हैं 5 ऐसे खाद्य स्रोत जो ऊर्जा की कमी का कारण बनते हैं
1. अल्कोहल
कई लोग अच्छी और गहरी नींद के लिए रात को सोने से पहले अल्कोहल का सेवन करते हैं। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार अल्कोहल का सेवन अगले दिन उठते के साथ आपके अंदर ऊर्जा की कमी का कारण बन सकता है। “शराब के सेवन से नींद अच्छी आती है” यह एक बहुत बड़ी अवधारणा है, असल मे यह आपकी नींद की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है। जिस वजह से नींद पूरी नही हो पाती और आपको अगले पूरे दिन ऊर्जा शक्ति की कमी महसूस होती है।
2. ज्यादा कैफीन का सेवन
अक्सर लोग थकान और आलस दूर करने के लिए कॉफी का सेवन करते हैं। हालांकि, शुरुआत में कॉफी एनर्जी लेवल को तेजी से बढ़ाती है और हमें आराम महसूस होता है। परंतु जैसे ही इसका प्रभाव कम होने लगता है, हमारी ऊर्जा शक्ति भी तेजी से गिरती है। वहीं ऐसे में सिरदर्द, नींद की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसके साथ ही कैफीन से युक्त ड्रिंक्स के अधिक सेवन से शरीर से आवश्यक मिनरल्स की मात्रा कम होने लगती है। वहीं यह आयरन और विटामिन डी की कमी का भी कारण हो सकता है। शरीर में आयरन और विटामिन डी की कमी ऊर्जा शक्ति को प्रभावित करती हैं।
3. पास्ता, व्हाइट ब्रेड और चावल
वाइट पास्ता, वाइट ब्रेड और चावल में प्रोसेस्ड ग्रेन्स मौजूद होते हैं जिस वजह से जब बात ऊर्जा शक्ति की आती है तो यह इसे बूस्ट करने की जगह आपकी ऊर्जा शक्ति के गिरने का कारण बनता है। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार ग्रेन्स के ऊपर फाइबर की एक परत होती है।
परंतु प्रोसेसिंग के दौरान यह परत हट जाती है और यह सभी खाद्य पदार्थ काफी जल्दी डाइजेस्ट हो जाते हैं। जिस वजह से ऊर्जा के स्तर में गिरावट देखने को मिलती है।
4. लो कैलोरी फूड्स
अक्सर लोग कैलोरी को अवॉइड करना चाहते हैं। खासकर फिटनेस फ्रीक बहुत कम मात्रा में कैलोरी लेते हैं। परंतु नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार शरीर में कैलोरी की एक सीमित मात्रा का बना रहना जरूररी है। अन्यथा यह हार्मोनल इंबैलेंस का कारण बन सकती है। साथ ही आपके मेटाबॉलिज्म को भी धीमा कर देती है और आप उर्जा की कमी महसूस कर सकती हैं। इसी के साथ बहुत कम मात्रा में कैलोरी लेने से आपको बार बार भूख लगने की समस्या होती है जिस वजह से लोग ओवरईट कर लेते हैं और भरा हुआ और सुस्त महसूस करते हैं।
5. रेड मीट
रेड मीट का सेवन थकान और ऊर्जा की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। हालांकि, रेड मीट में आयरन की भरपूर मात्रा में मौजूद होती है जिस वजह से एनीमिया से पीड़ित लोग इसे खूब चाव से खाना पसंद करते हैं। परंतु आपको बताए की एक ओर आयरन से भरपूर होने के साथ ही दुसरी ओर यह पाचन क्रिया के लिए समस्याएं खड़ी कर देता है। वहीं इसे डाइजेस्ट कर पाना उतना ही मुश्किल है।
ऐसे में यह कब्ज, पेट दर्द और विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकता है। जिस वजह से आप ऊर्जा की कमी महसूस कर सकती हैं और साथ ही जरूर से ज्यादा थकान भी महसूस होता है।
आस्था /शौर्यपथ /अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम का माता सीता के साथ विवाह संपन्न हुआ था. यही वजह है कि इस दिन को वैवाहिक अड़चनों को दूर करने के लिए खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन विशेष उपाय करने से शादी-विवाह में आ रही अनावश्यक अड़चने दूर हो जाती है. साल 2022 में विवाह पंचमी 28 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाली है. आइए जानते हैं कि इस दिन शादी में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जाते हैं.
विवाह पंचमी कब है 2022
विवाह पंचमी तिथि- सोमवार, 28 नवंबर 2022
पंचमी तिथि आरंभ - 27 नवंबर 2022 को शाम 04:25 बजे
पंचमीतिथि समाप्त - 28 नवंबर 2022 को दोपहर 01:35 बजे
विवाह पंचमी 2022 पूजा नियम
विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और फिर मां सीता और प्रभु श्री राम के विवाह का संकल्प करें. इसके बाद प्रभु श्रीराम और माता सीता के विवाह की तैयारी करें. पूजन स्थल पर श्रीराम और माता जानकी की तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद पूजन आरंभ करें. इस दौरान प्रभु श्री राम को पीले रंग के वस्त्र और माता सीता को लाल रंग के वस्त्रों में सजाएं. फिर अगल संभव हो तो रामायण के सुंदरकांड का पाठ करें. इसके बाद प्रभु श्री राम और सीता का गठबंधन करें और फिर आरती गाएं. मां सीता और प्रभु श्री राम को भोग अर्पित करें. इसके साथ ही धूप-दीप जलाएं. पूजन के बाद प्रभु श्रीराम और माता को अर्पित की गई चीजों को अपने पास रख सकते हैं.
विवाह पंचमी 2022 उपाय
- भगवान राम और माता सीता जी की पूजा करने से विवाह में जो बाधाएं आ रही हैं वह समाप्त हो जाती हैं.
-विवाह पंचमी के दिन बालकाण्ड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है.
-विवाह में बाधा आ रही है इसके लिए भगवान राम और माता सीता पर चढ़े केसर से प्रतिदिन तिलक करें ऐसा करने से समस्या का समाधान हो सकता है.
विवाह पंचमी के दिन क्यों नहीं होती है शादी, जानिए खास वजह
-विवाह पंचमी के दिन पत्नी-पत्नी साथ मिलकर रामचरितमान में वर्णित राम-सीता प्रसंग का पाठ करें. मान्यता है कि ऐसा करने से शादी से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं.
-अगर प्रेम विवाह में किसी प्रकार की परेशानियां आ रही हैं तो इस दिन सुहाग की समाग्री माता सीता के चरणों में अर्पित करें और मनचाहा जीवनसाथी पाने की प्रार्थना करें. इसके साथ ही माता जानकी से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करें.
- मान्यतानुसार, अगले दिन ये सामग्रियां किसी सुहागिन स्त्री को दान स्वरूप प्रदान करें. कहा जाता है कि ऐसा करने से प्रेम विवाह के योग बनते हैं.
विवाह पंचमी कब है, जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
धार्मिक ग्रंथों में विवाह पंचमी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इस बार विवाह पंचमी 27 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यता अनुसार विवाह पंचमी श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में भारत के साथ-साथ नेपाल और दुनिया भर के हिन्दू परिवारों में मनाया जाता है. मान्यता यह भी है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना भी इसी दिन पूरी की थी. यही वजह है कि इस दिन सीता-राम के मंदिरों में भव्य आयोजन होते हैं. लोग विशेष पूजन और अनुष्ठान करते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की विवाह पंचमी 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ हो रही है और 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, विवाह पंचमी इस साल 28 नवंबर को मनाई जाएगी.
विवाह पंचमी 2022 शुभ योग |
विवाह पंचमी पर अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। अमृत काल शाम 05 बजकर 21 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। रवि योग सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।
विवाह पंचमी 2022 पूजन विधि
- पंचमी तिथि की सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद श्री राम का ध्यान करें.
- एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और आसन बिछाएं.
- चौकी पर भगवान राम, माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें.
- राम जी को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र अर्पित करें.
- दीप जलाकर तिलक करें, फल-फूल नैवेद्य अर्पित कर पूजा करें.
- पूजा करते हुए बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें.
- इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से सुख-शांति बनी रहती है.
विवाह पंचमी का महत्व
मान्यता अनुसार, विवाह पंचमी के दिन श्रीराम, माता सीता की विधि-विधान से की गई पूजा से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. इस दिन अनुष्ठान से विवाहित लोगों का दांपत्य जीवन सुखमय बनता है. विवाह पंचमी पर अयोध्या, नेपाल में भव्य आयोजन होते हैं.
खाना खजाना /शौर्यपथ /सर्दियों में चटपटी चाट या भेल खाने का अपना ही मजा है. पीनट यानी मूंगफली की तासीर गर्म होती है, ऐसे में सर्दियों में ये आपके शरीर को गर्म रखने का भी काम करता है और ढेरों फायदे पहुंचाता है. शाम की चाय के साथ कुछ चटपटा खाने का मन कर रहा है तो आप भी पीनट भेल ट्राई कर सकते है, आइए इसकी रेसिपी जानते हैंसर्दियों में शाम की चाय के साथ खाना चाहते हैं कुछ चटपटा तो ट्राई करें मूंगफली भेल
पीनट भेल बनाने के लिए जरूरी चीजें-
मूंगफली – आधा कप
चटपटी नमकीन – आधा कप
प्याज– एक
टमाटर- एक
हरी मिर्च – 1-2
पुदीना पत्ता- एक मुट्ठी
इमली की चटनी – एक बड़ा चम्मच
हरा धनिया कटा – 2 बड़ा चम्मच
चाट मसाला – 1/2 बड़ा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर – 1/4 चम्मच
नमक
काला नमक
सेव
नींब रस – 1 चम्मच
सरसों तेल – 1 चम्मच
अनार दाने – 2 बड़ा चम्मच
कैसे बनाएं पीनट भेल रेसिपी-
पीनट भेल यानी मूंगफली की भेल बनाने के लिए आप सबसे पहले एक कड़ाही में मूंगफली डालकर उसे सूखा ही रोस्ट कर लें. आप चाहें तो दुकान से भी भुनी हुई मूंगफली लेकर आ सकते हैं. लेकिन ताजा भूनना हो तो घर पर ही बनाते वक्त भूनें.
अब हाथों से मसल कर मूंगफली के छिलके उतार लें.
अब प्याज, हरी मिर्च और टमाटर को बारीक काट लें.
इसके बाद अब एक बड़े से कटोरे में नमकीन और मूंगफली डालें.
इसमें काट कर रखे प्याज, हरी मिर्च और टमाटर डालें और मिल्स करें.
अब इसमें हरा धनिया, पुदीना के पत्ते, काला नमक, साधारण नमक और इमली की चटनी डालकर मिक्स करें.
अब सरसों का तेल और नींबू का रस भी मिला लें.
अब इसे एक सर्विंग बाउल का कागज के चोंगे में निकालें ऊपर से अनार दाने, प्याज डालकर, सेव और धनिया डालकर सर्व करें.
आस्था /शौर्यपथ /हिंदू पंचांग के अनुसार, 26 नवंबर को अगहन महीने का तीसरा शनिवार पड़ रहा है. वैसे तो शनिवार का दिन शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए खास होता ही है, लेकिन अगहन मास के तीसरे शनिवार का शास्त्रों में खास महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि मंदिर में उनकी पूजा-अर्चना करना खास होता है. ज्योतिष शास्त्र के जानकार और पुरोहित बता रहे हैं कि इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से शनि देव की कृपा दृष्टि पाई जा सकती है. आइए जानते हैं कि 26 नवंबर को शनि देव को प्रसन्न करने के लिए क्या करना सही रहेगा.
सबसे पहले जानते हैं 26 नवंबर का पंचांग
दृक पंचांग के अनुसार 26 नवंबर को मार्गशीर्ष आनी अगहन महीने के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि है. ज्येष्ठा नक्षत्र और सुकर्मा योग का खास संयोग बन रहा है. सूर्य देव वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे. खास बात ये है कि इन शुभ संयोगों के साथ शनिवार का भी संयोग है.
इन 5 राशियों के लिए है खास है शनिवार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार कुल 5 राशियों के लिए खास माना जा रहा है. इस वक्त इन राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस समय मकर, धनु, और कुंभ राशि वालों पर साढ़ेसाती चल रही है. जबकि मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. ऐसे में यह शनिवार इन राशियों के लिए खास माना जा रहा है.
इसलिए खास है 26 नवंबर
शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं. खास बात यह है कि 26 नवंबर को शनि देव अपनी प्रिय मकर राशि में विराजमान रहने वाले हैं. ज्योतिष की मान्यता के अनुसार, जब कोई ग्रह अपने ही घर में मौजूद होता है तो उस दौरान उससे जुड़ा उपाय करना फलदायी साबित होता है. यही वजह है कि 26 नवंबर, शनिवार का दिन शनि देव की कृपा पाने के लिए खास माना जा रहा है.
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
शनिवार को शनि मंदिर में जातक शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें. इसके साथ ही अगर संभव हो तो शनिदेव को नीले अपराजिता फूल की माला अर्पित करें. इसके अलावा शनि मंदिर में बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें. इस दिन शनि के जुड़ी हुई चीजें जैसे- काली उड़द, लोहा, खाद्य पदार्थ इत्यादि का दान करें. इसके अलावा दशरथ कृत शनि चालीसा का पाठ भी करें. इस दिन शमी के पेड़ में जल अर्पित करें. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ये उपाय करने से शनि देव की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /स्मार्ट लोगों की आदतें |
सीखने पर फोकस
स्मार्ट लोग खुदको कभी परफेक्ट दिखाने की कोशिश नहीं करते. स्मार्ट लोगों की आदत होती है कि वे खुद को सबसे कम जानकार दिखाते हैं जिससे वे नई-नई चीजें सीखने पर फोकस कर पाते हैं. उन्हें खुद को परफेक्ट या बहुत समझदार दिखाकर वाहवाही बटोरना नहीं पसंद बल्कि ज्ञान अर्जित करना उनका मकसद होता है.
हर चीज की जड़ तक पहुंचना
किसी गाने के सिंगर के बारे में जानना हो या किसी हिस्टोरिक फैक्ट के बारे में, स्मार्ट लोग पूरी जानकारी रखने की कोशिश करते हैं. इन लोगों की आदत होती है कि ये कभी आधी जानकारी से मन नहीं भरते और कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए नई-नई बातें जानते हैं.
डिजीटल दुनिया के बाहर जीना
स्मार्ट लोगों की दुनिया सोशल मीडिया से बाहर भी होती है. आज के समय में जाहिरतौर से सोशल मीडिया पर्सनैलिटी डेवलपमेंट, क्रिएटिविटी और टाइमपास का एक अच्छा जरिया लग सकता है. लेकिन, किताबों, अखबारों और पेटिंग आदि में भी मन लगाया जाना क्रिएटिवी और नॉलेजके लिए अच्छा है. स्मार्ट लोग वक्त की अहमियत जानने के साथ ही उन चीजों को करते हैं जिन्हें बाकी लोग नजरअंदाज करके आगे बढ़ जाते हैं.
अपनी गलती मानना
गलती मानने वाले लोग वही लोग होते हैं जिनमें सही गलत की समझ होती है. जाहिर सी बात है दूसरों पर गलती थोपने वाले को स्मार्ट नहीं कहा जाता. ऐसे लोग किसी एक व्यक्ति के सामने अच्छा दिखने के लिए दूसरों को बुरा बना देते हैं जबकि समझदार व्यक्ति खुद की गलती मानने से कभी पीछे नहीं हटता. इसी तरह के लोगों में अच्छी लीडरशिप क्वालिटी भी देखने को मिलती है.
स्मार्ट तरीके ढूंढना
ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनके लिए कहा जाता है कि जो कोई और नहीं कर सकता वह यह कर लेगा. असर में यह वो लोग होते हैं जो किसी चैलेंज को लेने से डरते नहीं हैं और हाथ झाड़ देने के बजाय समस्या के हल के लिए हर तरीका अपनाकर ढूंढ निकालते हैं. ऐसे लोग ऑफिस में खासकर अच्छी परफोर्मेंस दिखाते हैं और दूसरे लोग भी इनसे इंप्रेस्ड रहते हैं.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखना अक्सर मुश्किल होने लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रोजाना ब्लड शुगर लेवल्स पर ध्यान देना होता है जिससे ना स्तर कम हो और ना एकदम से बढ़ जाए. खानपान के साथ-साथ उठने-बैठने और सोने तक की आदतों को बदलना पड़ जाता है. यहां लाइफस्टाइल से जुड़े कुछ ऐसे ही बदलावों की सूची दी गई है जिन्हें ध्यान में रखकर डायबिटीज के मरीज सेहत को दुरुस्त रख सकते हैं और ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहता है.
डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए जीवनशैली में बदलाव |
प्लेट में जो खाना डाल रहे हैं उसके पोषक तत्वों को गिनना सीखें. खासकर कितने कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन कर रहे हैं इसपर ध्यान दें.
अपने खानपान में फाइबर की अच्छी मात्रा लें. फाइबर ब्लड शुगर लेवल्स को स्टेबल रखने में मददगार साबित होता है.
रोजाना सुबह अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करें जिससे आपको पता हो कि दिनभर में आपको ब्लड शुगर को सामान्य करने के लिए क्या करना है.
रोजाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज की आदत डालें. एक्सरसाइज ही आपको फिट रखेगी और आपके वजन को बढ़ने से रोकेगी. बढ़ता वजन डायबिटीज में बड़ी समस्या पैदा कर सकता है.
नो शुगर या शुगर फ्री लिखी मीठी चीजों को खाने से परहेज करें. इन डिब्बाबंद चीजों से बेहतर आप ताजा फलों का सेवन कर सकते हैं जिनमें नेचुरल शुगर की मात्रा कम हो.
दिनभर पानी पीते रहें और पानी को अपने साथ लेकर चलें. आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए और हाइड्रेशन बना रहने चाहिए.
स्ट्रेस (Stress) कम करने की कोशिश करें. स्ट्रेस डायबिटीज में शरीर के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है. जिन चीजों से आपको स्ट्रेस होता है उन्हें पहचानकर दूरी बनाना शुरू कर दें.
ऑफिस जाते हुए अपने साथ हमेशा लंच रखें. सुबह का नाश्ता स्किप ना करें और दिनभर खाए जाने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्नैक्स लेकर चलें.
आप सुबह डिटॉक्स वॉटर बनाकर पी सकते हैं. मेथी के दानों का पानी आमतौर पर डायबिटीज में फायदेमंद साबित होता है.
धुम्रपान शौकिया तौर पर भी ना करें क्योंकि यह डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने वाला साबित होता है और आपके शरीर का अच्छा कॉलेस्ट्रोल भी कम हो सकता है.
लाइफस्टाइल / शौर्यपथ /हाल ही में श्रद्धा वालकर के दिल दहला देने वाले मामले के सामने आते ही लिव-इन रिलेशनशिप के ऊपर भी सवाल उठने लगे हैं. किसी का कहना है कि यह सुरक्षित नहीं है तो कोई कह रहा है कि लिव-इन में रहना एक गलती है. लेकिन, कातिल को देखकर उसका पता नहीं लगाया जा सकता. आप चाहे महिला हों या पुरुष अगर लिव-इन रिलेशनशिपमें आना चाहते हैं तो कुछ बातों पर पहले ही गौर कर लें. इन बातों से आपको समझ आएगा कि आप एकसाथ एक ही घर में खुशी से रह सकते हैं या नहीं. साथ ही, आप खुद को सुरक्षित भी रख पाएंगे.
क्या है लिव इन रिलेशनशिप
लिव इन रिलेशनशिप में एक अविवाहित जोड़ा (Unmarried Couple) जैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड एकसाथ एक ही घर में रहते हैं. यह ऐसा रिश्ता है जिसकी नींव भरोसा और प्यार होता है. दोनों पार्टनर एकसाथ सभी जिम्मेदारियों को उठाते हैं. इस रिश्ते में आपसी समझ होती है और पार्टनर एकसाथ रहकर अच्छा महसूस नहीं करते तो वे ब्रेकअप कर लेते हैं. बहुत से पार्टनर एकसाथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना पसंद करते हैं और बहुत बार परिवार को भी इससे दिक्कत नहीं होती है.
लिव इन रिलेशनशिप में आने से पहले ध्यान रखने वाली बातें
टॉक्सिक रिलेशनशिप
अगर आप दोनों का रिश्ता पहले से ही अच्छा नहीं चल रहा या कहें टॉक्सिक है तो एकसाथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना सही फैसला नहीं है. टॉक्सिक रिलेशनशिप (Toxic Relationship) में आपसी समझ की कमी होती है जिससे एक पल तो आप खुश रहते हैं लेकिन अगले ही पल सोचने लगते हैं कि इस व्यक्ति से आपको प्यार क्यों है.
स्टेबल इनकम
एकसाथ घर चलाने के लिए जाहिर सी बात है आप दोनों का कमाऊ होना जरूरी है खासकर आज के महंगाई भरे जमाने में. अगर आप दोनों में से एक व्यक्ति भी नहीं कमा रहा होगा तो घर के खर्चों को लेकर लड़ाई-झगड़े होना शुरू हो जाते हैं. वहीं, एक पार्टनर (Partner) का कुछ ना करना दूसरे के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. इसलिए दोनों की स्टेबल इनकम हो इसपर ध्यान देना जरूरी है.
लड़ाई-झगड़े होना
अगर आप दोनों में अक्सर झगड़े होते हैं तो लिव इन रिलेशनशिप आपके लिए शायद सही ना हो. कभी-कभी झगड़े होना और हर दूसरे दिन झगड़े होने में फर्क है और इस फर्क को समझना जरूरी है.
बाउंडरी समझना
एकसाथ रहने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपनी वैयक्तिक स्वतंत्रता खो दें. अगर आपका पार्टनर बाउंडरीज ना समझे, आपसी सम्मान की भावना ना रखे या आपको हर बात के लिए फोर्स करने की कोशिश करे तो लिव इन रिलेशनशिप में खुशी से रहना आपके लिए मुश्किल हो सकता है.
बाहरी दुनिया से कोंटेक्ट बनाए रखना
लिव इन रिलेशनशिप में उस व्यक्ति के साथ रहना जिससे आप बेहद प्यार करते हैं एक खास अनुभव है. लेकिन, चाहे आप घर से लड़कर ही क्यों ना गए हों अपने परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क बनाए रखना बेहद जरूरी है. यह बात श्रद्धा वाल्कर के मामले के बाद हम सभी को बेहतर तरीके से समझ आ गई है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /बालों की सही देखरेख हर मौसम में करना जरूरी है तभी बाल लहराते हुए मुलायम और शाइनी नजर आते हैं. लेकिन, सैलून से ट्रीटमेंट लेना जेब पर अक्सर भारी पड़ जाता है. हर महीने स्पा में 600 से 700 रुपए खर्च करने की आखिर जरूरत भी क्या है जब आप घर पर ही बड़ी आसानी से खुद हेयर स्पा (Hair Spa) कर सकती हैं. हेयर स्पा से हेयर फॉलिकल्स को मजबूती मिलती है, बाल हेयर डैमेज (Hair Damage) से बचते हैं, स्कैल्प का ऑयल बैलेंस होता है, स्ट्रेस दूर होता है, रिलैक्स महसूस होता है, ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और साथ ही जड़ों से सिरों तक बाल साफ हो जाते हैं.
इस हेयर स्पा के लिए सामान भी घर का ही इस्तेमाल करना होगा. इस स्पा में शामिल होने वाली ज्यादातर चीजें आयुर्वेद में भी बालों के लिए अच्छी मानी जाती हैं. तो चलिए, बिना देरी के जान लेते हैं घर पर बालों को कैसे दिया जाए सैलून जैसा स्पा.
घर पर हेयर स्पा कैसे करें |
पहला स्टेप
सबसे पहले आपको अपने बालों में तेल लगाना होगा. इसके लिए आप किसी भी अच्छे तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं. आमतौर पर नारियल का तेल (Coconut Oil) बालों के लिए फायदेमंद होता है. इस तेल से बालों की अच्छे से मालिश करें. ब्लड सर्कुलेशन में मदद मिलेगी और स्कैल्प ठीक तरह से क्लेंज हो सकेगी.
दूसरा स्टेप
बालों की तेल मालिश के बाद अगला स्टेप है स्टीम लेना. घर में स्टीमर ना हो तो आप एक बर्तन में पानी गर्म करें और इसमें तौलिया डुबोकर निचौड़ लें. अब इस तौलिये को बालों में अच्छी तरह से लपेटकर सिर पर टिका लें. 15 से 20 मिनट बाद तौलिया हटा लें. यह बालों को नरिश करेगा और स्कैल्प पर किसी तरह के क्लोग्ड पोर्स होंगे तो उन्हें साफ करने में भी मदद मिलेगी.
तीसरा स्टेप
अब बालों को साफ करने के लिए शैंपू करें. आपको शैंपू करते वक्त इस बात का खास ध्यान रखना है कि आप गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें. इससे बालों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं. बालों को धोने (Hair Wash) के बाद सूखने दें.
चौथा स्टेप
चौथे और आखिरी स्टेप में आपको धुले और सूखे बालों में हेयर मास्क (Hair Mask) लगाना है. आप हेयर मास्क को घर पर भी बना सकती हैं. हेयर मास्क बालों को डीप कंडीशनिंग देगा जिससे बालों को अनेक पोषक तत्व मिल जाते हैं. आप एलोवेरा में नारियल का तेल डालकर हेयर मास्क बना सकती हैं. इसके अलावा नारियल के दूध या सादे दूध में शहद मिलाकर बालों पर लगाएं और 20 मिनट बाद एक बार फिर बाल धो लें. बस पूरा हो जाएगा आपका हेयर स्पा. सिर धोने के बाद आपको बालों में चमक भी नजर आएगी और बाल मुलायम भी लगेंगे.