September 29, 2025
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     ब्यूटी /शौर्यपथ /बचपन में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही घर में तेल का प्रयोग बढ़ जाता था। बालों, स्कैल्प, सिर के अलावा मम्मी स्किन पर भी तेल लगाने को कहा करती थी। वे सर्दियों में नहाने के पहले हाथ-पैर और पूरे शरीर पर तेल की मसाज करने की सलाह देती थीं। मम्मी का यह नुस्खा मैंने टीवी सीरियल में भी मुगल राजकुमारियों को आजमाते हुए देखा था। दरअसल, आयुर्वेद भी सर्दियों में नहाने से पहले शरीर की तेल मालिश करने पर मुहर लगाता  आया है।
नहाने से पहले तेल लगाना क्यों है जरूरी
   इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ़ नर्सिंग स्टडीज में जाड़े के दिनों में नहाने से पहले तेल लगाने की जरूरतों पर वर्ष 2017 में एक शोध आलेख प्रकाशित हुआ। जैन कोटनर, वरवारा कांति और गेबर डोबोस की टीम ने 60 से भी अधिक बड़े और बच्चों पर नहाने से पहले नारियल तेल लगाने का प्रभाव देखा। इस स्टडी के निष्कर्ष के अनुसार, नियमित त्वचा की देखभाल के लिए नहाने के पहले तेल लगाया गया।जिन बच्चों और वयस्कों की स्किन ड्राई थी, उनकी स्किन बैरियर वर्क में सुधार पाया गया। उनकी स्किन में सुधार हुआ और ड्राईनेस खत्म हुई।
आयुर्वेद भी करता है नहाने से पहले तेल मालिश की सिफारिश
   आयुथवेदा के फाउंडर और सीईओ डॉ. संचित शर्मा कहते हैं कि आयुर्वेद में नियमित तेल मालिश करने की बात कही गई है। आयुर्वेद में तेल मालिश को अभ्यंग कहा जाता है। अभ्यंग न सिर्फ मांसपेशियों को टोन करता है, बल्कि वात के कारण ड्राय स्किन को भी मुलायम बनाता है।
   शरीर पर आधे घंटे से लेकर 1 घंटे तक तेल मालिश की जा सकती है। यदि तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है, तो इससे रात में मालिश करना सही होता है।
जाड़े के दिनों में नहाने से पहले तेल लगाने से होते हैं 3 फायदे
1 नमी का होता है अवशोषण
इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ़ नर्सिंग स्टडीज के शोध आलेख के अनुसार जाड़े के दिनों में स्किन और अधिक ड्राई हो जाती है। स्किन में मौजूद नेचुरल ऑयल सूखने लगते हैं। नहाने से पहले ऑयल लगाने से त्वचा और पानी के बीच एक अवरोध पैदा हो जाता है। इससे पानी के साथ स्किन ऑयल बाहर नहीं निकल पाता है।
2 टॉक्सिंस  हो जाते हैं खत्म
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ मॉलिक्यूलर साइंस की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, कई प्लांट ऑयल जैसे कि कोकोनट ऑयल, ओलिव ऑयल, तिल का तेल एंटी बैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों वाला होता है। यह वुंड को रिपेयर करता है। जब आप नहाने से पहले तेल को गर्म कर लगाती हैं, तो शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल आते हैं। जब आप नहाती हैं, तो पानी के साथ ये सभी टोक्सिन भी धुल जाते हैं।
3 रैशेज और खुजली से होता है बचाव
इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ़ नर्सिंग स्टडीज के अनुसार, जाड़े के दिनों में ठंडी हवा स्किन की नमी सोख लेती है। आपकी स्किन पर रैशेज हो जाते हैं और आपको खुजली भी होने लगती है। नहाने से पहले जब आप तेल लगाती हैं, तो खोई हुई नमी वापस लौट आती है।

यहां हैं नहाने से पहले लगाये जाने वाले मां के बताये तेल
1 बादाम तेल
विटामिन ई से भरपूर बादाम तेल लगाने से स्किन की अंदर तक सफाई होती है और उसे संपूर्ण पोषण मिलता है।

2 नारियल तेल
नारियल तेल में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल तत्व स्किन को नमी देते हैं। नहाने से पहले प्रयोग करने पर स्किन चमकदार बनी रहती है।

3 ऑलिव आयल
विटामिन-ई, विटामिन के, ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ओलिव आयल को नहाने से पहले लगाया जा सकता है।

4 तिल का तेल
कैल्शियम,कॉपर, मैंगनीज, फास्फोरस, जिंक, मैग्नीशियम, विटामिन बी1, विटामिन बी 6 वाले तिल का तेल जाड़े के दिनों में लगाने पर शरीर को गर्म रखता है। यह नमी को बरकरार रख कर स्किन की ड्राईनेस को खत्म कर देता है।

     टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /सर्दियों में होने वाली ड्राई स्किन की समस्या से तो आप सभी वाकिफ होंगी। ठीक उसी प्रकार इस मौसम स्कैल्प और बाल भी रूखे और बेजान पर जाते हैं, और ऐसे में हेयर फॉल जैसी समस्याएं आपको परेशानी में डाल सकती हैं। अक्सर लोग हेयर ड्राइनेस को गंभीरता से नहीं लेते जिस वजह से धीरे-धीरे यह समस्या आपके स्कैल्प और बाल को बुरी तरह प्रभावित कर देता है। ऐसे में इस समस्या के प्रति गंभीर होने की आवश्यकता है। तो इस सर्दी अपने बालों को दें एक खास देखभाल। आज हम लेकर आये हैं ऐसे ही 5 विंटर हेयर केयर टिप्स, चलिए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
पहले जाने सर्दियों में बाल क्यों हो जाते हैं ड्राई
सर्दी के मौसम में हवा में मॉइस्चराइजर की कमी हो जाती है जिस वजह से बाल ड्राई और डैमेज नजर आते हैं। वहीं सर्दियों में लोग लंबे समय तक सूरज की किरण के सीधे संपर्क में रहते हैं, जिस वजह से भी बालों के डैमेज होने की संभावना बनी रहती है।
इसके साथ ही कई अन्य कारण भी हैं जैसे कि बालों पर हर रोज शैम्पू का इस्तेमाल करना। इसके साथ ही अधिक मात्रा में केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल, नियमित रूप से ड्रायर, स्ट्रेटनर, कर्लिंग आयरन, इत्यादि का इस्तेमाल भी बालों को रुखा और बेजान बना सकता है।
यहां जाने रूखे और बेजान बालों को स्वस्थ रखने के कुछ प्रभावित टिप्स
1. गुनगुने तेल से मसाज करें
रूखी और बेजान बालों के लिए एक सबसे प्रभावी उपाय ऑयलिंग ही सकता है। आप इसमे कोकोनट, आलमंड, कैस्टर, जोजोबा और कॉर्न ऑयल की मदद ले सकती हैं। यह सभी तेल विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट के एक बेहतरीन स्रोत होते हैं। जो बालों को मॉइश्चराइज करते हुए उसके ऊपर एक प्रोटेक्टिंग लेयर तैयार कर देते हैं, जो इसे रफ और ड्राई होने से बचाता है।
इसके लिए आपको एक बर्तन लेना है जो कम गहरा हो। उसमे पानी गर्म करें और फिर एक छोटी कटोरी में अपना मन पसंदीदा हेयर ऑयल निकाल लें और उसे गर्म पानी वाले बर्तन में रखें। ध्यान रहे की बड़े बर्तन में पानी इतना ही हो कि वह छोटे बर्तन को ओवरफ्लो न करें। इसके बाद इसे निकाल कर कुछ देर के लिए छोड़ दे और देखें कि इसका तापमान क्या है। जब तेल गुनगुना हो जाए तो इसे अपने बालों पर अप्लाई करें और स्कैल्प को कम से कम 10 मिनट तक मसाज दें।
2. बियर को कंडीशनर की तरह इस्तेमाल करें
बियर बालों के लिए कंडीशनिंग एजेंट की तरह काम करता है। बियर में प्रोटीन मौजूद होता है जो हेयर क्यूटिकल्स को रिपेयर करता है और बालों को स्मूद और शाइनी बनाता है। इसे बालों पर अप्लाई करने के लिए सबसे पहले शैम्पू कर लें फिर बीयर से बाल धुल लें। कुछ देर तक इसे लगा हुआ छोड़ दें फिर उसके बाद बिना शैंपू के साधारण पानी से बाल धुलें।
3. ओमेगा 3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट को डाइट में शामिल करें
आवाज में हिंदी फूड्स को शामिल करें खासकर ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बालों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके लिए आप विभिन्न प्रकार के मछलियों की प्रजाति, ब्लूबेरी, टमाटर, अखरोट, ब्रोकली और राजमा को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। इसके साथ ही विटामिन ए, विटामिन सी, बायोटीन और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी बालों से जुड़ी समस्यायों को दूर रखने में मदद करता है।
4. सर्दियों में गर्म पानी से बाल न धुलें
सर्दियों में लोग अक्सर गर्म पानी से बाल धो लेते हैं। परंतु आपको बता दें कि यह आपकी बालों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। वहीं ठंडे पानी से बाल धुलने से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है। इसलिए शैम्पू और कंडीशनर करने के बाद बाल धुलने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें। यह न केवल आपके बालों के लिए फायदेमंद है बल्कि आपके स्कैल्प की सेहत को भी बनाए रखता है।
5. योगर्ट ऑयल मास्क भी रहेगा फायदेमंद
योगर्ट और ऑयल से बना हेयर मास्क रूखे और बेजान बालों के लिए एक प्रभावी घरेलू उपचार साबित हो सकता है। इसे बनाने के लिए अपने बाल की लंबाई के अनुसार योगर्ट लें उसमे ऑलिव ऑयल और कोई भी एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदों को एक साथ मिला लें। पहले बालों पर शैम्पू कर लें फिर तैयार किये गए मिक्सर को अपने बालों पर अप्लाई करें। इसे 15 से 20 मिनट तक लगा हुआ छोर दें। अब गुनगुने पानी से बाल को साफ करें।

   सेहत /शौर्यपथ / हमारा शरीर प्रकृति के पांच तत्वों से मिलकर बना है। जिस कारण स्वास्थ्य से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक इलाज रामबाण इलाज साबित होते हैं। प्राचीन समय से त्वचा और बालों के लिए भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्योंकि बालों की समस्याओं का निदान करने के साथ प्राकृतिक निखार बनाए रखने के लिए ये आयुर्वेदिक हर्ब्स   बेहतर साबित होती हैं, जो समस्या का समाधान करने के साथ जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।
लेकिन क्या आप जानती हैं कि किस आयुर्वेदिक हर्ब को त्वचा पर कैसे इस्तेमाल किया जाना है? नहीं, तो परेशान नहीं हो हेल्थ शॉट्स के इस लेख में आज हम ऐसी 4 आयुर्वेदिक हर्ब पर बात करेंगे जो त्वचा की समस्याओं का निदान करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
1. तुलसी 
लोगों की आस्था से जुड़ा यह पौधा त्वचा की कई समस्याओं का समाधान साबित हुआ है। तुलसी में एंटीओक्सिडेंट की अच्छी मात्रा होती है, जो डेमेज स्किन से लड़ने के साथ फाइन लाइंस और झुर्रियों की समस्या को खत्म करने में मदद करता है। यह आपकी स्किन पर पिगमेंटेशन कम करके स्किन को हेल्दी बनाने में मदद करती है।
जर्नल ऑफ आयुर्वेदा एंड इंटग्रेटिव मेडिसिन की रिसर्च में सामने आया है कि त्वचा पर तुलसी का प्रयोग करने से एक्ने की समस्या कम होने लगती है।
ऐसे बनाएं तुलसी का फेस पैक
ड्राई स्किन के लिए दो चम्मच दही के साथ एक चम्मच तुलसी का पाउडर मिलाकर लगाने से ड्राई स्किन से राहत मिलती है।
ऑयली स्किन के लिए एक चम्मच तुलसी पाउडर लेकर बराबर मात्रा में चंदन पाउडर, मुल्तानी मिट्टी मिलाएं। अब इसमें जोजोआ ऑयल की कुछ बूंदे डालकर गुलाब जल मिलाएं।
2. आंवला
सेहत के साथ त्वचा के लिए भी आमला बेहद लाभदायक माना गया है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन-सी त्वचा के लिए एक स्ट्रांग एंटीओक्सिडेंट माना जाता है, जो सेल्स को डेमेज होने से बचाने के साथ एजिंग को धीमा करने में मदद करता है। इसमें पॉलीफेनोल्स और फाइटोकेमिकल्स नामक पोषक तत्व होते हैं, जिससे यह आपकी स्किन पर चमक लाने के साथ ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक एंटीओक्सिडेंट होने के कारण यह त्वचा का कोलेजन ब्रेक होने से रोकता है। यह आपकी त्वचा को सॉफ्ट और फ्लेक्सिबल बनाने में मदद करता है।
ऐसे तैयार करें आंवला फेस पैक
एक बाउल में एक चम्मच आंवला पाउडर लेकर इसमें एक चम्मच शहद और 2 चम्मच दही मिलाएं। इस फेसपैक को चेहरे और गर्दन पर 20 मिनट तक लगाएं रखें। फिर सादे पानी से चेहरा साफ कर लें।
3. मुलेठी
मौसम के कारण त्वचा में आए बदलावों के लिए मुलेठी बेहतरीन साबित हो सकती है। मुलेठी में एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए गए हैं। जिससे यह त्वचा में होने वाले इंफेक्शन को खत्म करने में मदद करता है।
एनिमल एंड टेस्ट ट्यूब स्टडीज की एक रिसर्च में पाया गया है कि मुलेठी में एंटीइंफ्लामेंटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे यह त्वचा के संक्रमणों में लाभ दे सकता है। इसके साथ ही त्वचा की अन्य समस्याएं जैसे कि दाग-धब्बे और एक्ने में भी मुलेठी जल्द असर दिखाता है।
ऐसे बनाएं मुलेठी का फेस पैक
एक बाउल में एक चम्मच मुलेठी का पाउडर और एक चम्मच चंदन पाउडर लें। आधा चम्मच शहद मिलाकर 2 चम्मच कच्चा दूध मिलाएं और पेस्ट तैयार करें। इसे 15 मिनट तक चेहरे पर लगाने से बेहतरीन रिजल्ट मिलेंगे।
4. अश्वगंधा
अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट स्किन एजिंग के लक्षणों से लड़ने के साथ रिंकल्स, फाइन लाइंस और डार्क स्पोट्स की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में अश्वगंधा को सेहत के साथ त्वचा के लिए भी औषधि माना गया है। यह आपकी त्वचा के मेलेनिन को कंट्रोल करके हाइपरपिगमेंटेशन कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही एक्ने और स्किन इंफेक्शन में भी अश्वगंधा को फायदेमंद माना गया है।
अश्वगंधा का फेस पैक
एक बाउल में एक चम्मच अश्वगंधा का पाउडर लेकर इसमें आधा चम्मच शहद और एक चम्मच एलो वेरा जेल मिक्स करें। अब इसमें जरूरत अनुसार गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। इसे 20 मिनट लगाने के साथ सादे पानी से चेहरा धोएं और असर महसूस करें।

  आस्था /शौर्यपथ /हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है. यह व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित किया जाता है. इस बार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर यानी दिन सोमवार को है. इस दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, भोलेनाथ ) को प्रसन्न करने और जल्द कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखना लाभकारी होता है. भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जिनकी आराधना देवी देवता, असुर, ऋषि, दैत्य सभी करते हैं. यहां जानिए मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत का मुहूर्त और क्या है महत्व.
सोम प्रदोष व्रत का मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को 5 दिसंबर 2022 की सुबह 5:57 पर शुरू होगी. इस पूजा का समापन अगले दिन 6 दिसंबर 2022 को सुबह 6:45 पर होगा.
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
दिसंबर के महीने की 5 तारीख को सोम प्रदोष व्रत रहेगा. इस दिन सच्चे भक्ति भाव से भक्त पूजा पाठ कर व्रत रखते हैं. कहते हैं कि जो भी भक्त इस सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस व्रत में भोलेनाथ की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. इस व्रत को करने से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है और सभी तरह की विपदाओं को भगवान हर लेते हैं. कहते हैं कि धन की कमी को खत्म करने के लिए भी प्रदोष व्रत लाभदायक है. मान्यतानुसार इस व्रत को करने से सभी तरह के रोग दूर हो जाते हैं. इस व्रत को लेकर यह भी मान्यता है कि अविवाहित युवक-युवतियों को प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए. इससे उन्हें योग्य वर वधु की प्राप्ति होती है.
सोम प्रदोष व्रत के पूजा की विधि
     सोम प्रदोष व्रत के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होगा और स्वच्छ कपड़े धारण करने होंगे.
    स्नान करने के बाद एक चौकी रखें. उस पर भगवान शिव और माता पार्वती का चित्र या मूर्ति विधिवत स्थापित करें.
    इसके बाद षोडशोपचार पूजन करें.
    शाम के समय एक बार फिर स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें.
    गाय के दूध, घी, दही शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें.
    इसके बाद शिवलिंग पर चंदन लगाकर मदार, बेलपत्र, भांग, पुष्प अर्पित करें और विधि पूर्वक पूजन करने के बाद आरती करें.
वैवाहिक जीवन को सुखद करने का उपाय है सोम प्रदोष व्रत
अगर सप्तम भाव में पापी ग्रहों जैसे शनि,राहु, मंगल और केतु के कारण आपके दांपत्य जीवन में खटास आ गई है तो यह उपाय आपको जरूर करना चाहिए. 27 गुलाब के लाल फूल चंदन के इत्र के साथ शाम के समय पति पत्नी दोनों मिलकर भोलेनाथ को नमः शिवाय 27 बार बोलकर अर्पण करें. मान्यतानुसार ऐसा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी और आप के सोचे हुए सभी कार्य सिद्ध हो जाएंगे.
 

  टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ / बीजों और सूखे मेवों को खानपान में शामिल करने की सलाह एक्सपर्ट्स हमेशा से देते आए हैं. सूखे मेवों में बादाम   की बात करें तो इसमें मोनोसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स पाए जाते हैं. ये दोनों ही गुड फैट्स होते हैं. इसके अलावा बादाम विटामिन ई और डाइट्री फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत है. लेकिन, बादाम के अनेक फायदों के बीच इसकी तासीर और खाने की मात्रा को लेकर अक्सर लोग उलझन में रहते हैं. कहते हैं ना कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है. इसीलिए बादाम  को भी जरूरत से ज्यादा ना खाया जाए इसपर ध्यान देना जरूरी है. यहां जानिए बादाम से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में.
एक दिन में कितने बादाम खाने चाहिए
 सेहत के लिए लाभकारी बादाम की तासीर गर्म होती है. गर्म तासीर होने के चलते ही बादाम को सीमित मात्रा में ही खाने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा गर्मियों में बादाम की गर्म तासीर को देखते हुए इसे ठंडी चीजों के साथ खाया जाता है. वहीं, सर्दियों में बादाम की गर्म तासीर के चलते इसे खानपान में शामिल किया जाता है. एक दिन में खाने के लिए 50 से 55 ग्राम तक बादाम परफेक्ट होते हैं. यानी मुट्ठीभर बादाम रोजाना खाए जा सकते हैं. इस बात का खास ध्यान रखें कि बादाम का जरूरत से ज्यादा सेवन वजन बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.
बादाम खाने के फायदे
    विटामिन ई से भरपूर बादाम इंफेक्शंस को दूर रखते हैं. रोजाना खाए जाने पर बादाम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने वाले साबित होते हैं.
    बादाम फाइबर का अच्छा स्त्रोत है. इसे मिड मॉर्निंग स्नैक में खाया जा सकता है, सुबह खाया जा सकता है या शाम के समय भी. बादाम खाने पर पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है.
    फाइबर होने के चलते बादाम को डायबिटीज की डाइट में भी शामिल किया जा सकता है. बादाम ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन करने में मददगार है.
    अनसैचुरेटेड फैट्स होने के कारण बादाम खाने पर सेरोटोनिन लेवल इंप्रूव होते हैं और रात में नींद अच्छी आती है.
    बादाम दांतों और हड्डियों के लिए भी अच्छा है क्योंकि इसमें कैल्शियम (Calcium) और विटामिन डी अच्छी मात्रा में पाया जाता है.
    भीगे हुए बादाम (Soaked Almonds) पाचन को बेहतर करते हैं.
    शरीर से टॉक्सिन निकालने के लिए भी बादाम का सेवन किया जा सकता है.

सेहत टिप्स /शौर्यपथ /लोग अपने लंग फंक्शनिंग के बारे में जागरूक हो गए हैं, खासकर महामारी देखने के बाद. और जब हम धूम्रपान से बचने या प्रदूषित वातावरण से दूर रहने जैसी बुनियादी बातों के बारे में जानते हैं, तो और भी बहुत कुछ है जिसके बारे में हमें जानना चाहिए. लंग इंफेक्शन से लड़ने और उन पर हमला करने वाले कई प्रकार के वायरस से निपटने में सक्षम होने के लिए फेफड़ों का मजबूत होना जरूरी है. फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में फूड ऑप्शन्स वास्तव में एक लंबा रास्ता तय कर सकते हैं. न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा ने अपने इंस्टाग्राम पेज 'न्यूट्रिशन बाय लवनीत' के माध्यम से एक हालिया पोस्ट में की फूड्स की लिस्ट दी है जो आपके फेफड़ों के लिए अच्छे हैं.
उन्होंने हैडिंग में लिखा कि "अगर आप अपने फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए स्ट्रैटजी की तलाश कर रहे हैं, तो आपने सामान्य सलाह सुनी होगी: धूम्रपान से बचें (या छोड़ें), अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों से दूर रहें और नियमित रूप से व्यायाम करें. हालांकि, आपको एहसास नहीं हो सकता है कि सही भोजन खाना भी हेल्दी लंग्स के कार्य को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका है."
7 फूड्स हैं जो फेफड़ों के कार्य को बढ़ावा देते हैं
1) काली मिर्च: ये विटामिन सी के सबसे समृद्ध स्रोतों में से हैं. यह एक पानी में घुलनशील पोषक तत्व है जो आपके शरीर में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है. विटामिन सी फेफड़ों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और सूजन कम करता है.
2) हल्दी: यह लोकप्रिय देसी मसाला अक्सर समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जाता है. हल्दी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करती है और इसमें सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं. करक्यूमिन, हल्दी में मुख्य सक्रिय घटक फेफड़ों के कार्य को सपोर्ट करने के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है.
3) अदरक: इस पूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. अदरक लंग डैमेज को कम करने और हाइपरॉक्सिया और सूजन के कारण फेफड़ों को होने वाली गंभीर क्षति से बचाने के लिए कुशल है.
4) जौ: यह फाइबर से भरपूर पौष्टिक साबुत अनाज है. सामान्य तौर पर साबुत अनाज से भरपूर हाई फाइबर वाली डाइट का फेफड़ों के कार्य पर सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है.
5) पत्तेदार सब्जियां: बोक चॉय, पालक और केल सहित ऐसी सब्जियां कैरोटीनॉयड, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और विटामिन का एक समृद्ध स्रोत हैं. इन पोषक तत्वों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं, जो फेफड़ों की सूजन को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं.
6) अखरोट: अखरोट के अन्य स्वास्थ्य लाभों के अलावा उनमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड एक एंटी इंफ्लेमेटरी के रूप में कार्य करता है, संभावित रूप से फेफड़ों की सूजन को कम करता है और आपकी सांस लेने की क्षमता में सुधार करता है.
7) लहसुन: वैसे तो आमतौर पर भारतीय घरों में इस्तेमाल किया जाता है, लहसुन एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों का एक बड़ा स्रोत है जो आपके फेफड़ों को समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है.

 लाइफस्टाइल /शौर्यपथ / गर्मी से सर्दी तक न केवल हमारे जीने का तरीका, कपड़े या खाने की आदतें बदलती हैं बल्कि हमारी त्वचा भी मौसम के हिसाब से बदलती है. नाइट स्किनकेयर रूटीन की बात करें तो ये पूरे दिन से त्वचा को रिपेयर और रिवाइव करने के लिए जरूरी हिस्सा है, सर्दियों में हमारी त्वचा थोड़ी रूखी और बेजान हो जाती है. ठंडी तेज हवाएं और मौसम ही त्वचा के हाइड्रेशन लेवल पर हमला करते हैं और यह त्वचा चमक और लोच को प्रभावित करते हैं. सनस्क्रीन और एक अच्छे अल्ट्रा-हाइड्रेटिंग मॉइस्चराइजर का उपयोग करने के अलावा हमें अपनी रात के स्किनकेयर रूटीन को भी फॉलो करना चाहिए, जिसमें क्लींजिंग, त्वचा को एक्सफोलिएट करने का तरीका और मॉइस्चराइजर शामिल हैं. अगर आप भी त्वचा को ग्लोइंग कैसे बनाएं   जैसे सवालों से परेशान और अपनी त्वचा को युवा और मुलायम बनाए रखना चाहते हैं तो यहां सर्दियों में स्किन की देखभाल करने के कुछ टिप्स बताए गए हैं.
सर्दियों के लिए नाइट स्किनकेयर रूटीन  
1) मिल्क क्लींजर या दूध से चेहरा साफ करें
दूध एक कमाल का क्लींजर है. इसमें लैक्टिक एसिड होता है जो एक अच्छे क्लींजर का काम करता है. आप सोने से पहले मेकअप हटाने और चेहरे को गहराई से साफ करने के लिए मिल्क बेस्ड क्लींजर खरीद सकते हैं. यह न केवल गंदगी और जमी हुई मैल को हटाता है बल्कि त्वचा को कोमल और चमकदार भी बनाता है. इस क्रिया के लिए आप दूध का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. थोड़ा दूध लें और इससे अपना चेहरा धो लें या फिर आप इसमें थोड़ा सा बेसन मिला सकते हैं.
2) स्किन को एक्सफोलिएट करें
सर्दियों में मृत परतदार त्वचा को हटाने के लिए एक्सफोलिएशन भी जरूरी है, लेकिन सर्दियों में और वैकल्पिक दिनों में सौम्य एक्सफोलिएशन करना  रखें. इस स्टेप के लिए आप ओट्स या कॉफी का उपयोग करके इसमें नारियल का तेल या दूध मिलाकर एक सौम्य स्क्रब या होममेड स्क्रब का उपयोग कर सकते हैं.
3) रोजाना अपनी त्वचा की मालिश जरूर करें
रोजाना त्वचा की मालिश जरूर करें, खासकर त्वचा को एक्सफोलिएट करने के बाद. यह आपकी त्वचा को गहराई से कंडीशन करने में मदद करेगा. इस क्रिया के लिए नारियल तेल, आर्गन तेल या रोजहिप तेल का प्रयोग करें. अगर आप कुछ दिनों में तेल नहीं चाहते हैं तो आप एलोवेरा जेल भी ले सकते हैं. कुछ देर तेल या जेल से मसाज करें और गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.
4) एक गहरी कंडीशनिंग क्रीम, जेल या मॉइस्चराइजर चुनें
अगला स्टेप विंटर नाइट स्किन केयर रूटीन में सबसे जरूरी स्टेप में से एक है. सर्दियों में एक अच्छे मॉइश्चराइजर या क्रीम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. त्वचा को नम, कंडीशन्ड, मुलायम, हेल्दी रखने के लिए न केवल अपने चेहरे पर बल्कि अपने हाथों और पैरों पर भी अल्ट्रा-हाइड्रेटिंग मॉइस्चराइज़र जरूर लगाएं.
5) हाइड्रेटिंग फेस मास्क लगाएं
विंटर हाइड्रेटिंग फेस मास्क आपकी त्वचा को का कायाकल्प कर सकता है. आप इस मास्क को हफ्ते में एक या हफ्ते में दो बार लगा सकते हैं. आपको बादाम के तेल की कुछ बूंदों के साथ बारीक मसला हुआ केला, एक बड़ा चम्मच शहद और दही चाहिए. सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएं और मिश्रण को चेहरे पर लगाएं. मिश्रण को सूखने तक रखें और चेहरे को सामान्य या गुनगुने पानी से धो लें. इसके बाद मॉइस्चराइजर जरूर लगाएं. मसाज करने के बाद हमेशा इस स्टेप को फॉलो करें.
ये 5 उपाय कठोर सर्दियों में भी आपकी त्वचा को चमकदार और मुलायम बनाए रखने में आपकी मदद कर सकते हैं. आज से ही इसे शुरू करें और पूरे ठंड के मौसम में त्वचा को नम बनाए रखने के लिए इस रूटीन को बनाए रखें.

  सेहत /शौर्यपथ /आंवला ठंड के मौसम में खूब खाया जाता है. हरे रंग का यह फल स्वाद में खट्टा होता है, इसको लोग कई तरीके से खाते हैं, जैसे- मुरब्बा, लड्डू, चटनी, कैंडी के रूप में. यह आंख की रोशनी, स्किन और बाल की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इसमें विटामिन सी  भरपूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा यह खून को भी साफ करने का काम करता है. लेकिन कुछ बीमारियां है जिसमें आंवले को बिल्कुल नहीं खाना चाहिए नहीं तो सेहत हो जाती है बहुत ज्यादा खराब.
किस बीमारी में नहीं खाया जाता है आंवला
    सर्जरी से पहले- अगर आपकी किसी तरह की सर्जरी होने वाली है तो इसका सेवन 2 हफ्ते पहले से बंद कर देना चाहिए. नहीं तो इससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है.
    किडनी की बीमारी- वहीं, जो किडनी रोग से पीड़ित हैं उन्हें तो इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसको खाने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है. जो किडनी की सेहत के लिए ठीक नहीं है.
    लो ब्लड शुगर- अगर आप निम्न रक्त शर्करा से जूझ रहे हैं तो इसका सेवन ना करें क्योंकि इससे आपके शुगर पर बुरा असर पड़ता है. वहीं, जो लोग एंटी बायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं उन्हें भी इसको खाने से बचना चाहिए.
    सर्दी जुकाम- सर्दी जुकाम  में भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है. जिसके कारण यह बॉडी टेंपरेचर को बिगाड़ देता है. इसका सेवन त्रिफला के रूप में शहद और गरम पानी के साथ करते हैं.
आंवले के फायदे
1- आंवला का सेवन लोग आंख की रोशनी बूस्ट करने और झड़ते और टूटते बालों को रोकने और चेहरे पर चमक लाने के लिए करते हैं. यह विटामिन सी से भरपूर होता है.
2- यूरिन इंफेक्शन  से बचाव के लिए भी आंवले का सेवन किया जाता है यह पेशाब की मात्रा को भी नियंत्रित करता है. वहीं, आंवला अपच की भी समस्या से राहत दिलाता है.
3- खाली पेट आंवला खाने से शरीर अच्छे ढंग से डिटॉक्स हो जाता है. मेटाबॉलिज्म और इम्यून को बूस्ट करता है. यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करता है. आंवले का पानी पीने से वजन भी कंट्रोल होता है.

     सेहत /शौर्यपथ /इन दिनों यूरिक एसिड के मामले बहुत बढ़ रहे हैं. बड़े, बूढ़े जवां सभी इसकी जद में आ रहे हैं. ऐसे में थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है अपने खान-पान को लेकर. तो आज हम कुछ ऐसे फ्रूट्स  के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको अपने आहार में शामिल करके जोड़ों में चिपके यूरिक    को जड़ से खत्म कर सकते हैं. तो देर किस बात की चलिए आपको बताते हैं उन फलों के नाम ताकि आप इस बीमारी में डाइट  में शामिल कर सकें.
यूरिक एसिड में कौन सा फल खाएं
- कीवी  एक ऐसा फल है जिसे आप यूरिक एसिड   में जरूर खाएं. ये ना सिर्फ आपके इम्यून सिस्टम   को मजबूत करता है बल्कि प्लेटलेस्ट्स को भी मेंटेन करता है. यह पोटेशियम, फोलेट, विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर होता है.
- केले को भी यूरिक एसिड में  खाना चाहिए. इसमें प्यूरीन   की मात्रा कम होती है. इससे गाउट का   खतरा कम होता है. इससे ब्लड में यूरिक एसिड  कम करने में मदद मिलती है.
- सेब भी यूरिक एसिड में बहुत कारगर साबित होती है. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण यह यूरिक लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. यह हाई यूरिक एसिड लेवल वाले मरीजों को जरूर खाना चाहिए.
- वहीं, संतरे   को भी यूरिक एसिड में शामिल कर लेना चाहिए. इससे विषाक्त पदार्थ  निकलने में मदद मिलती है. यह पोटेशियम, फोलेट, विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर होता है.
- इसके अलावा चेरी भी नेचुरल एंटी इंफ्लेमेटरी है जो यूरिक एसिड लेवल को कम करने का काम करती है. चेरी भी फाइबर और विटामिन सी   का एक समृद्ध स्त्रोत होता है इसे भी अपनी डाइट में शामिल कर लेना चाहिए.

  आस्था /शौर्यपथ /दुनिया के प्रायः हर धर्म और पंथ में चित्त की एकाग्रता, शांति और सचेतनता के लिए मौन के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। हमारे मनीषियों और ऋषि-मुनियों ने भी कहा है, ‘एक मौन सब दुख हरे।’
जैसे तन के निर्विषीकरण के लिए व्रत और उपवास किया जाता है वैसे ही मन के निर्विषीकरण के लिए मौनव्रत की सलाह दी जाती है। मौन के माध्यम से चित्त की शांति, एकाग्रता और सचेतनता हासिल करने के लिए इसका समय-समय पर निरंतर अभ्यास करना जरूरी है। मौन का अभ्यास शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक कार्य है। आंख मूंद कर, पालथी मार कर बैठ गए और मन में तरह-तरह के घमासान चल रहे हैं, तो सच्चे अर्थों में वह ‘मौन’ का अभ्यास नहीं होता। सही मायनों में मौन वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति काठ की मूरत जैसा हो जाए। तन-मन दोनों को शांत रखना ही सच्चा मौन है।
जैन धर्म में मौन और उपवास की बड़ी प्रधानता है। मौन और उपवास को पूर्णतः समर्पित मौनी एकादशी जैन समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जो मार्गशीर्ष महीने के 11वें दिन मनाया जाता है। इसे मौनी ग्यारस भी कहा जाता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार इस वर्ष 3 दिसंबर, शनिवार को मनाया जाएगा।
जैन धर्म में मौनी एकादशी का महत्व
जैन धर्म के 18वें तीर्थंकर अरहनाथ इसी दिन मोह-माया त्याग कर संन्यासी बने थे। जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर मल्लिनाथ ने भी इसी दिन संसार त्याग कर निर्वाण प्राप्त किया था। जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को भी इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति एकादशी के दिन 11 वर्ष और 11 महीने का तप करने वाले व्यक्ति की पूजा करता है उसे निर्वाण प्राप्त होता है। मौन एकादशी के दिन ही भूत, वर्तमान और भविष्य के तीर्थंकरों के 150 कल्याणक हुए थे।
क्या है पौषध व्रत
इस दिन मुख्य रूप से मौन धारण कर पौषध व्रत रखा जाता है। जैन धर्म में व्रत के बहुत सारे प्रकार हैं। सबसे सर्वोच्च आराधना पौषध व्रत की होती है। जैन धर्म में पौषध उपवास का एक प्रकार होता है, पौषध व्रत दो तरह से किया जाता है, एक होता है दशमां पौषध व्रत जिसमें शुद्ध जल ग्रहण कर सकते हैं और एक होता है ग्यारहवां पौषध व्रत जिसमें जल ग्रहण नही कर सकते। सरल शब्दों में कहें तो ग्यारहवां पौषध व्रत एक श्रावक के लिए एक दिन के साधु जीवन के समान है। इस तरह के पौषध व्रत में एक जैन श्रावक मुनिचर्या के हर नियम यथा अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य, अपरिग्रह, औचार्य आदि का पालन किया जाता है। साथ ही ग्यारहवां पौषध व्रत में अन्न व जल में से कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता।
मौनी एकादशी से संबंधित कथा
एक बार भगवान नेमिनाथ द्वारका आए। जब श्रीकृष्ण को इसका पता चला तो उन्होंने नेमीनाथ जी का खूब आदर-सत्कार किया। उन्होंने भगवान नेमिनाथ से पूछा, ‘हे प्रभु! एक राजा होने के नाते मुझ पर राज्य की बहुत-सी ज़िम्मेदारियों का भार है। ऐसे में मैं अपने धर्म का पालन कैसे करूं? कृपया मुझे इसका उपाय बताएं!’ श्री नेमिनाथ ने कहा, ‘आप मार्गशीर्ष के पूर्वार्ध की एकादशी को पूरी श्रद्धा और आस्था से व्रत व उपासना करें। इससे आपको अत्यधिक पुण्य प्राप्त होगा।’

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