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दुर्ग / शौर्यपथ / स्वामित्व योजना के तहत भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी पट्टे का वितरण किया जाना है। इस योजना के तहत दुर्ग के सभी ग्रामों में सर्वेक्षण कार्य किया जाएगा। सर्वेक्षण का कार्य अत्याधुनिक ड्रोन कैमरे से किया जा रहा है। इसी के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कवर्धा-कबीरधाम एवं दुर्ग जिले को चयनित किया गया है। जिले में सर्वेक्षण कार्य 22 सितंबर से प्रारंभ किया जा चुका है। आज दुर्ग तहसील में भटगांव, जेवरा एवं खपरी, पाटन तहसील में कापसी एवं कोपेडीह और धमधा तहसील में राजपुर एवं नंदौरी ग्राम में ड्रोन सर्वेक्षण पूर्ण कर लिया गया है। ड्रोन के माध्यम से खींचे गए चित्रों को सर्वे ऑफ इंडिया अपनी भौगोलिक सूचना प्रणाली प्रयोगशाला (जिओग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम लैब) में संसाधित करेगा। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देश में ग्रामीण आबादी के सर्वे के लिए राजस्व और पंचायत एवं ग्रामीण विकास की टीम गठित की गई है, जो कि केंद्रीय टीम की मदद करेगी। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आर.आई., पटवारी और पंचायत की टीमें भी विशेष ड्यूटी के लिए लगाई गई है। योजना का उद्देश्य एक एकीकृत संपत्ति सत्यापन की व्यवस्था बनाना है।
ड्रोन से सर्वे के बाद प्रारूप नक्शा तहसीलदार और पटवारियों को सौंपा जाएगा। वे प्रारूप से अपने रिकॉर्ड का मिलान करेंगे। हर एक मकान व भूमि का रिकॉर्ड मोबाइल एप पर अपलोड होगा।
योजना का क्रियान्वयन - पंचायती राज मंत्रालय, राज्य पंचायती राज विभाग और राज्य राजस्व विभाग की आपसी साझेदारी के साथ ड्रोन सर्वेक्षण टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए, आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन (आबादी क्षेत्र में आवासीय भूमि, आबादी के नजदीक की बसावट और ग्रामीण क्षेत्रों में बाड़ी-बस्ती शामिल हैं) किया जाएगा। संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार देने के लिए हवाई सर्वेक्षण से उच्च गुणवत्ता (हाई रेजोल्यूशन) और सटीक माप वाले मानचित्र मिलेंगे। इन्हीं मानचित्रों या आंकड़ों के आधार पर, ग्रामीण परिवार के स्वामियों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाएंगे।
आबादी सर्वेक्षण से होंगे ये लाभ -आबादी सर्वेक्षण से ग्रामवासियों के लिए ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख प्राप्त होगा, प्रत्येक संपत्ति धारक को उसकी संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र मिलेगा। संपत्तियों पर बैक से ऋण लेना आसान होगा। संपत्तियों के पारिवारिक विभाजन, संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया सुगम होगी। पारिवारिक सम्पत्ति के विवाद कम होंगे। इसी प्रकार ग्राम पंचायतों को संपत्ति शुल्क के रूप में पंचायत को स्थानीय आय के साधन प्राप्त होगा। पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधा होगी। शासकीय एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा एवं रख-रखाव आसान होगा। संपत्ति संबंधित विवादों में कमी आएगी तथा संपत्ति के नामांतरण एवं बटवारा का प्रत्यक्ष अधिकार प्राप्त होगा।
जिला प्रशासन के द्वारा ग्रामवासियों से स्वामित्व योजना के इस सर्वेक्षण में बढ़-चढ़कर भाग लेने एवं सहयोग प्रदान करने की अपील की गई है।
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