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- सोलर प्लांट लगाने के लिए 30 हजार से 78 हजार रूपए तक का अनुदान
- योजना से लाभान्वित होने ऑनलाईन कर सकते हैं आवेदन
राजनांदगांव /शौर्यपथ /प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से अपने घर के छत पर ही 300 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली उत्पादन किया जा सकता हैं। इसके लिए उपभोक्ताओं को सस्ते ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध किया जा रहा है। इसके साथ ही अधिकतम 78 हजार रूपए का अनुदान भी किया जाता है। हमारे सौर मंडल में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य है। सौर ऊर्जा को ग्रीन एनर्जी भी कहते हैं, क्योंकि इससे बिजली उत्पादन में प्रदूषण नहीं होता। यदि लोगों के घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाए तो यह बिजली आम जनता को नि:शुल्क मिलेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरू की है। जिसके तहत मार्च 2027 तक देश के एक करोड़ घरों में रूफ टॉप सोलर प्लांट लगवाने का संकल्प लिया गया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ में 5 लाख रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। एक से तीन किलोवॉट तक का सोलर प्लांट लगाने के लिए 30 हजार से 78 हजार रूपए तक का अनुदान दे रही है। तकनीकी रूप से तीन किलोवॉट के सोलर प्लांट में हर माह औसतन 300 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। छत पर उत्पादित पूरी बिजली, यदि आपके घर में उसी माह उपयोग नहीं होती तो वह सीएसपीडीसीएल के ग्रिड में संरक्षित कर आगामी माह के उपयोग हेतु उपलब्ध रहेगी। जिसका फायदा लाभार्थी घरेलू उपभोक्ता को निरंतर प्राप्त होता रहेगा। उपभोक्ता पीएम सूर्यघर योजना के पोर्टल या मोबाइल ऐप में जाकर पंजीयन कराएं और इस योजना के सभी लाभ ले सकते हैं। यह योजना बिजली बिल हाफ नहीं बल्कि बिजली बिल समाप्त कर देगी। यानी आपको 3 किलोवॉट के सोलर प्लांट पर 300 यूनिट बिजली हर माह मुफ्त मिलेगी। आप खुद बिजली के उत्पादक भी हैं और उपभोक्ता भी।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत लाभार्थियों को 78 हजार रूपए तक अनुदान सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। इस योजना से बिजली बिल कम और नवीन रोजगार सृजन होगा तथा अक्षय ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। योजनांतर्गत औसत मासिक विद्युत खपत 0-105 यूनिट के लिए 1-2 किलो वॉट के रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 30 हजार रूपए से 60 हजार रूपए तक का अनुदान दिया जाएगा। औसत मासिक विद्युत खपत 150-300 यूनिट के लिए 2-3 किलो वॉट के रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 60 हजार रूपए से 78 हजार रूपए तक का अनुदान। औसत मासिक विद्युत खपत 300 से अधिक यूनिट के लिए 3 किलो वॉट से अधिक रूफटॉप सोलर प्लांट क्षमता हेतु 78 हजार रूपए तक का अनुदान। ग्रुप हाऊसिंग सोयायटी एवं निवासी कल्याण संघ के लिए 18 हजार रूपए प्रति किलोवाट अनुदान का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से लाभान्वित होने आवेदन करने की प्रक्रिया -
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया 5 स्टेप में की जा सकती है। पहले स्टेप में सबसे पहले पोर्टल 222.श्चद्वह्यह्वह्म्4ड्डद्दद्धड्डह्म्.द्दश1.द्बठ्ठ पर रजिस्टर व पंजीयन कराना होगा। अपने राज्य का चुनाव कर इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, इलेक्ट्रिसिटी कन्ज्यूमर नंबर का चुनाव करना होगा। अपना मोबाईल नंबर और मेल आईडी प्रविष्ट करना होगा। स्टेप-2 में कन्ज्यूमर नंबर और मोबाईल नंबर से लाग-इन कर रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्टेप-3 में अब अपू्रवल के लिए इंतजार करना होगा एवं विद्युत विभाग में पंजीकृत वेंडर से ही सौर संयंत्र लगवायें। स्टेप-4 में एक बार इंस्टालेशन पूरा हो जाने पर प्लांट का विवरण जमा करना होगा और नेट मीटर के लिए ओवदन करना होगा। स्टेप 5 में नेट मीटर की स्थापना और डिस्कॉम द्वारा निरीक्षण के बाद पोर्टल से प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा। स्टेप-6 में कमिशनिंग रिपोर्ट प्राप्त कर, अपना बैंक खाता विवरण तथा निरस्त चेक पोर्टल के माध्यम से जमा करना होगा। इसके बाद तीन दिनों के भीतर आपको सब्सिडी प्राप्त हो जायेगी।
सहकार से समृद्धि के सपने को साकार करने के लिए राज्य की समस्त ग्राम पंचायतों में बहुआयामी सहकारी समितियों के गठन के निर्देश
राज्य में इस साल 1175 दुग्ध, 120 मत्स्य तथा 532 पैक्स के गठन का लक्ष्य
खरीफ 2025 के लिए 7800 करोड़ के ऋण वितरण का लक्ष्य
लगभग 5 लाख किसानों को 2241 करोड़ का ऋण वितरित
मंत्री कश्यप ने की सहकारिता विभाग की समीक्षा
रायपुर/शौर्यपथ / सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने आज महानदी मंत्रालय भवन में सहकारिता विभाग की वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर राज्य में रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति, भण्डारण एवं किसानों को वितरण की स्थिति की गहन समीक्षा की। मंत्री कश्यप ने कहा कि किसानों को सुगमता से रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सहकारी समितियों की है। किसानों की डिमांड को देखते समितियों में नियमित रूप से खाद का भण्डारण एवं वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि किसानों को डीएपी के विकल्प के रूप में अन्य उर्वरकों के उपयोग के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
मंत्री श्री कश्यप ने बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों को खाद के लिए भटकना न पड़े। निजी क्षेत्र की दुकानों में किसी भी तरीके की गड़बड़ी न हो इस पर भी कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए। उन्होंने उर्वरकों को निर्धारित दाम से अधिक मूल्य पर बेचने और कालाबाजारी की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। मंत्री कश्यप ने कहा कि किसानों के हितों का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ सीजन 2025 के लिए सहकारिता के लिए 10.72 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है। इसके विरूद्ध 4.10 लाख मीट्रिक टन का भण्डारण हुआ है, जो कि लक्ष्य का 38.23 प्रतिशत है। किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों का वितरण जारी है। 31 मई की स्थिति में 1.57 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। सहकारी समितियों में वर्तमान में 2.52 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक उपलब्ध है।
मंत्री कश्यप ने अधिकारियों को राज्य में सहकारिता को मजबूत करने और ग्रामीणों, किसानों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में सहकारी समितियों के गठन के निर्देश दिए। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि सहकारिता से समृद्धि के लिए यह जरूरी है। बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में 11650 ग्राम पंचायतें है, जिनमें 2058 पैक्स, 1958 मत्स्य, 1009 दुग्ध तथा 1055 लघु वनोपज सहकारी समितियां पंजीकृत है। राज्य की 8611 सहकारी समिति विहीन ग्राम पंचायतों का चिन्हांकन कर युक्तियुक्त करते हुए 1279 अतिरिक्त ग्राम पंचायतों को आच्छादित किया गया है। इस वर्ष 1175 दुग्ध, 120 मत्स्य तथा 532 पैक्स के गठन का लक्ष्य है।
बैठक में खरीफ वर्ष 2025 के लिए ऋण वितरण की भी गहन समीक्षा की गई। बैठक में जानकारी दी गई कि इस साल 7800 करोड़ रूपए के ऋण वितरण के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 4.90 लाख किसानों को 2441 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया जा चुका है। बैठक में अधिकारियों को 30 जून तक सभी सहकारी समितियों का ऑडिट पूरा कराने के निर्देश दिए है।
बैठक में सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव सी.आर. प्रसन्ना, एमडी मार्कफेड श्रीमती किरण कौशल, संचालक कृषि राहुल देव, अपेक्स एमडी के.एन. काण्डे, अपर आयुक्त श्री हितेश दोषी सहित सभी संभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव में प्राचीन शिव मंदिर परिसर में महालक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह के सदस्यों को कयाकिंग 05 नग नाव प्रदाय किया और संयुक्त वन प्रबंधन समिति भोंगापाल को तमुर्रा नाला में बांस नौका विहार केंद्र के शुभारंभ के लिए सामग्री बांटी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने महिला समूह के अध्यक्ष सुनीता नाग सहित अन्य सदस्यों से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्राचीन शिव मंदिर परिसर भोंगापाल में पीपल के पौधे का रोपण किया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, विधायक सुश्री लता उसेंडी, विधायक नीलकंठ टेकाम, बौद्ध धर्मगुरु भदन्त आर्य नागार्जुन सुरई ससई, अनिल खोब्रागड़े संयोजक बुद्ध महोत्सव और बड़ी संख्या में बौद्ध समाज के अनुयायी, प्रबुद्धजन मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने देवांगन समाज के महाकुंभ में समाज के लोगों को विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सहभागिता की अपील की
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम रायपुर में देवांगन समाज के महाकुंभ को संबोधित करते हुए कहा कि देवांगन समाज मेहनतकश और खुशहाल समाज है। समाज के लोग उन्नत खेती और व्यवसायी के रूप में छत्तीसगढ़ की विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह समाज न केवल खेती और व्यापार में अग्रणी है, बल्कि शिक्षित और संगठित भी है। शिक्षा, सांस्कृतिक, कला, कृषि, व्यापार सभी क्षेत्रों में समाज के लोगो ने अपना वर्चस्व दिखाया है। उन्होंने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास कर रहा है। मोदी की गारंटी मतलब गारंटी का पूरा होना है। सरकार ने पिछले डेढ़ वर्षाे में किये गए वायदों को लगभग पूरा कर दिया गया है। सरकार बनते ही सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में 18 लाख से अधिक आवास की स्वीकृति पर मुहर लगाई गई। छत्तीसगढ़ में नारी सशक्तिकरण के लिए महतारी वंदन के माध्यम से महिलाओं को राशि दी जा रही है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है और सिलाई-कढ़ाई-सब्जी उत्पादन जैसे कार्यों से अपनी आमदनी बढ़ा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजनों की मांगों, शिकायतों और सुझावों के लिए सरकार ने प्रदेशव्यापी सुशासन तिहार का आयोजन किया। इस सुशासन तिहार में सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी जनता के बीच जाकर मांगो, समस्याओं और सुझाव को सुनकर निराकरण किया। सुशासन तिहार में सुदूर वनांचल क्षेत्रो के साथ मैदानी क्षेत्रों में जाकर लोगो से रूबरू होकर योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी ली। सुशासन तिहार में छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों का दौरा किया हूं। योजनाओं की जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग की। जनता जनार्दन से फीडबैक लिया। तीन चरणों में संपन्न सुशासन तिहार में 41 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए है, जिसका निराकरण किया गया है। प्रदेश में सुशासन स्थापित करने में हम कामयाब हुए हैं। सरकार द्वारा राज्य के विकास और सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने भ्रष्टाचार के सभी रास्तो को बंद किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद नामांतरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे आम जनता को राहत मिली है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अधिकतर कार्य ऑनलाइन किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य में लागू उद्योग नीति की सराहना पूरे देश मे हो रहा है। प्रदेश में साढ़े 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। वर्तमान में नवा रायपुर में सेमीकंडक्टर प्लांट के निर्माण का कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। राज्य में उद्योगों की स्थापना के साथ राज्य के युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
कार्यक्रम को उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन, विधायक किरण देव ने भी संबोधित किया। देवांगन समाज के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप देवांगन ने स्वागत उद्बोधन में देवांगन महाकुंभ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में देवांगन महाकुंभ पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर विधायक मोती लाल साहू, पुरन्दर मिश्रा, समाज के पदाधिकारीगण और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने रविवार को बुद्ध जयंती के अवसर पर कोंडागांव जिले के भोंगापाल में भगवान गौतम बुद्ध की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। इस दौरान बोधगया से पधारे बौद्ध साधुवृन्द भंते अश्वजीत महाथेरा, भंते ज्ञानवंश थेरो, भंते शीलवंश थेरो, भंते प्रमोद एवं भंते डीन वियतनाम द्वारा बुद्धम शरणम गछम मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना करवाया गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि भोंगापाल 6 वीं शताब्दी का चैत्य है, जहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है।
इस मौके पर विधायक केशकाल नीलकंठ टेकाम सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के अलावा कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर नुपुर राशि पन्ना, एसपी वाय अक्षय कुमार और अन्य अधिकारी तथा बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी मौजूद थे।
कवर्धा/शौर्यपथ /धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान से कबीरधाम जिले 275 आदिवासी ग्रामों और वहां रहने वाले ग्रामीणों की तकदीर तस्वीर बदलने वाली है। जिले के पंडरिया, बोड़ला, सहसपुर लोहारा और कवर्धा विकासखण्ड के आदिवासी बाहुल्य ग्रामो में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत आगामी 15 जून से 30 जून तक जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आदिमजाति विकास विभाग, पँचायत ग्रामीण विकास विभाग, जनपद, सहित अन्य विभागों के अधिकारियों की साझा बैठक लेकर 15 जून से शुरू होने वाले इस अभियान की तैयारियों की समीक्षा की। कलेक्टर श्री वर्मा ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि यह अभियान राज्य तथा केंद्र सरकार की प्राथमिकता में शामिल है,पूरी संवेदनशीलता के साथ चिन्हाकित ग्राम पंचायतों में शिविर का आयोजन करें और शासकीय योजनाओं से वंचित परिवारों तथा ग्रामीणों को इस अभियान के माध्यम से लाभ दिलाए।
कलेक्टर ने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास और वहां निवासरत अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ 2 अक्टूबर 2024 को किया गया। यह अभियान पीएम-जनमन योजना की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसके अंतर्गत 17 मंत्रालयों द्वारा संचालित 25 गतिविधियों को समन्वित रूप से आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में लागू किया जा रहा है। इसी कड़ी में कबीरधाम जिले के 275 आदिवासी बहुल ग्रामों में आगामी 15 जून से 30 जून 2025 तक व्यापक स्तर पर जागरूकता एवं संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जहां विभिन्न योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को मौके पर ही प्रदान किया जाएगा।
जिले के अंतर्गत विकासखंड बोड़ला के 226, पंडरिया के 41, स.लोहारा के 07 एवं कवर्धा के 01 ग्राम इस अभियान में शामिल किए गए हैं। इन शिविरों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवारों और सदस्यों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, जनधन खाता, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, वृद्धावस्था, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन योजनाओं का लाभ मिलेगा। साथ ही मनरेगा, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, मुद्रा ऋण जैसी रोजगारोन्मुखी योजनाएं तथा पीएम मातृवंदना योजना के अंतर्गत भी पंजीयन की सुविधा दी जाएगी। शिविरों में संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों की उपस्थिति में मौके पर ही पंजीयन, दस्तावेजीकरण और सत्यापन की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
यह अभियान केवल तात्कालिक सुविधाओं के वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके अंतर्गत आगामी पांच वर्षों की दीर्घकालिक योजना के तहत इन ग्रामों को पूर्ण रूप से संतृप्त किया जाना है। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान, गांवों में सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का उन्नयन, कौशल विकास केंद्रों की स्थापना तथा स्थानीय युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण की व्यवस्था सम्मिलित है। धरती आबा अभियान के माध्यम से शासन की मंशा है कि आदिवासी ग्राम केवल सुविधाजनक ही नहीं, बल्कि सशक्त, आत्मनिर्भर और अवसरों से परिपूर्ण बनें।
सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास कबीरधाम श्री स्वर्णिम शुक्ला ने बताया कि सभी विभागों को परस्पर समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे शिविरों के माध्यम से योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक हितग्राहियों तक पहुंचाया जा सके।
धरती आबा अभियान में 275 ग्राम होंगे लाभान्वित
कबीरधाम जिले में धरती आबा अभियान के तहत आगामी 15 जून से 30 जून तक जागरूकता एवं संतृप्ति शिविर आयोजन शुरू होने जा रहा है।। इस अभियान एवं योजना में 17 मंत्रालयों की 25 योजनाओं को शामिल किया गया है। उस योजना भारत और राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। जिसमे जिले के बोड़ला के 226, पंडरिया के 41, सहसपुर लोहारा के 7, कवर्धा का 1 ग्राम शामिल है। इस अभियान एवं शिविर के माध्यम से आधार, राशन, आयुष्मान, किसान सम्मान निधि, बीमा, पेंशन, रोजगार, मातृवंदना जैसी योजनाएं शामिल है, इन योजनाओं से वंचित परिवार, व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा। आगामी 5 वर्षों में पक्के मकान, सड़क, बिजली, पानी, मोबाइल स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास के कार्य शामिल है।
जिले में 264 ओ.आर.टी. कॉर्नर स्थापित
महासमुन्द/शौर्यपथ /आगामी मानसून सीजन को ध्यान में रखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. कुदेशिया ने सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को संभावित मौसमी बीमारियों एवं आपदा प्रबंधन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे सतर्कता एवं सावधानी बरतें ताकि उल्टी-दस्त, मलेरिया, पीलिया व अन्य संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहा जा सके। समय पर रोकथाम नहीं होने की स्थिति में ये बीमारियाँ गंभीर रूप ले सकती हैं। जिले के सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मितानिनों (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता)और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु जनजागरूकता और उपचार संबंधी कार्यों में लगी हुई हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनसामान्य के लिए मौसमी बीमारी से बचाव के लिए सुझाव एवं सावधानियाँ बताई गई है जिसमें खाद्य एवं पेय पदार्थों को ढँक कर रखें। बासी, सड़े-गले फल या भोजन का सेवन न करें, ताजा भोजन ही ग्रहण करें। दस्त होने पर ओ.आर.एस. (जीवन रक्षक घोल) का नियमित सेवन करें। पीने के लिए पानी को उबालकर या क्लोरीन की गोली डालकर उपयोग करें। भोजन से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोएँ और स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रारंभिक लक्षण पर 104 आरोग्य सेवा केंद्र या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
दस्त या डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं की स्थिति में घरेलू उपचार के रूप में नारियल पानी, नमकीन लस्सी, नींबू पानी (शिकंजी), चावल का मांड, हल्की चाय और दाल का पानी जैसे तरल पदार्थों का सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करने में सहायक होता है। ये तरल पदार्थ न केवल शरीर को हाइड्रेट रखते हैं, बल्कि आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति में भी मदद करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने जिले में कुल 264 ओ.आर.टी. कॉर्नर की स्थापना की है, जिसमें 227 उप स्वास्थ्य केंद्र, 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 05 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 01 अर्बन पीएचसी, 01 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शामिल हैं। इन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
मितानिनों की दवा पेटियों में ओ.आर.एस., जिंक, पेरासिटामोल जैसी आवश्यक दवाइयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई हैं। जिले में वर्तमान में 65,102 ओ.आर.एस. पैकेट एवं 1,64,300 जिंक टैबलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। स्वास्थ्य विभाग महासमुन्द द्वारा सभी नागरिकों से अपील की गई है कि मानसून के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या में तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें एवं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाएँ।
महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्य करने वाले ग्रामीण परिवारों ने पेश की मिसाल
ग्रामीणों की भागीदारी से मोर गांव मोर पानी महा अभियान बन रहा जन आंदोलन
कवर्धा/शौर्यपथ /आगामी वर्षा ऋतु में जल संरक्षण कर भू-जल स्तर में वृद्धि करने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को जागरूक करने का कार्य कबीरधाम जिले में जोर-शोर से चल रहा है। इसी कड़ी में आज मोर गांव मोर पानी महा अभियान अंतर्गत जिले के ग्रामीण अंचलों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत रोजगार करने वाले 52 हजार 8 सौ से अधिक ग्रामीणों ने एक साथ जल संरक्षण की शपथ लेकर सभी के लिए मिसाल पेश की। तालाब निर्माण कार्य, डबरी निर्माण कार्य, तालाब गहरीकरण कार्य, अमृत सरोवर निर्माण, पशु शेड निर्माण, नाला पुनरूद्धार कार्य एवं प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास निर्माण जैसे अनेक कार्यों में लगे सदस्यों ने यह शपथ ली। निर्माण कार्य में लगे ग्रामीणों को मैदानी कर्मचारियों तकनीकी सहायक एवं ग्राम रोजगार सहायक द्वारा भू-जल स्तर में वृद्धि करने के विषय में जानकारी दी गई, जल संरक्षण नहीं होने से गांव में इसके दुष्परिणाम पर विस्तार से बात की गई। ग्रामीणों को प्रेरित किया गया कि वह अपने घरों के साथ खेतो में वृक्षारोपण करें। परंपरागत स्रोतों के माध्यम से बरसात के पानी को रोक तथा समाज के सभी वर्गों को जागृत करने के लिए ग्रामीण आगे आकर अपना योगदान दे। ग्रामीणों ने शपथ लेकर संकल्प लिया कि वह मोर गांव मोर पानी महा अभियान का हिस्सा बनकर अपने पृथ्वी को हरा भरा रखने में पूरा योगदान करेंगे।
पानी बचाने एवं सहजने के लिए हो रहे प्रयासों पर एक नजर में..
* कबीरधाम जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत भवन के बाहर गत वर्ष के एवं वर्तमान के भू-जल स्तर को दर्ज किया गया है। इससे अपने गांव के घटते जल स्तर पर ग्रामीणों को सीधे जानकारी मिल रही है।
* जिले के वनांचल क्षेत्र से लेकर मैदानी ग्राम पंचायतो तक बड़ी मात्रा में दीवार लेखन कर पानी के महत्व को बताया जा रहा है।
*पानी रोकने के लिए विभिन्न नारो के साथ गांव के अंदर रैलियां की जा रही है। सभी सार्वजनिक जल स्रोतों के स्थलों पर श्रमदान से स्वच्छता का कार्य हो रहा है।
* बड़ी संख्या में निर्माण कार्य मे लगे ग्रामीणों को घटते जल स्तर से होती परेशानियां एवं जल संरक्षण करने के विभिन्न स्थानीय उपायों पर जानकारी दी जा रही है।
*अनावश्यक एवं व्यर्थ बहने वाले पानी को रोकने के संबंध में विशेष प्रयास करने के लिए ग्रामीणों से आह्वान किया जा रहा है।
कलेक्टर कबीरधाम श्री गोपाल वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि इस वर्षा ऋतु जल संरक्षण का अभियान जन आंदोलन का रूप ले सके। समाज के प्रत्येक व्यक्तियों की भागीदारी से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि सभी शासकीय कार्यों में लगे लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह स्थानीय उपाय कर जल संरक्षण करें। शासन की योजनाओं से पानी को रोकने वाले विभिन्न संरचनाओं का निर्माण तीव्र गति से कराया जा रहा है जिससे कि वर्षा प्रारंभ होते ही इसमें जल संरक्षण हो सके और भू-जल स्तर में वृद्धि करने में मदद मिल सके।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कबीरधाम श्री अजय कुमार त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं केंद्र सरकार द्वारा संचालित आकाक्षी विकासखंड कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण के कार्य जिले में हो रहे हैं। मोर गांव मोर पानी महा अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने आज महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 391 ग्राम पंचायतों में चल रहे 3849 कार्यो में लगे 52 हजार 8 सौ से अधिक ग्रामीणों ने एक साथ जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया है।
4 दिवसीय प्रशिक्षण से जल संरक्षण के लिए बनेगी विशेष रणनीति
कबीरधाम जिले के सभी 471 ग्राम पंचायतो के सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, आवास मित्र, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान की स्व सहायता समूह की दीदीयो ग्राम संगठन के सदस्य जनपद प्रतिनिधियों सहित विभिन्न विभागों के मैदानी कर्मचारियों का प्रशिक्षण आज से प्रारंभ हो रहा है।16 क्लस्टर में आयोजित होने वाले 4 दिवसीय प्रशिक्षण में स्थानीय स्तर पर पानी रोकने के विभिन्न उपायों पर जानकारी दिया जाएगा। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य गांव में रहने वाले स्थानीय व्यक्तियों को भू-जल स्तर एवं जल संरक्षण के महत्व को बताना है। तथा इनके माध्यम से अन्य ग्रामीणों को इस कार्य के लिए प्रेरित कर इस अभियान से जोड़कर इसे सफल बनाना है।
गौरेला पेंड्रा मरवाही/शौर्यपथ / जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जनपद प्राथमिक शाला भर्रापारा पेण्ड्रा ब्रिटिश काल से संचालित एक ऐतिहासिक विद्यालय है। इसी परिसर में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला भी संचालित है। राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के तहत इन दोनो विद्यालयों का एकीकरण किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इनके ऐतिहासिक स्थिति को बनाए रखने के निर्देशों का यथावत पालन करते हुए और इस स्कूल से जुड़ी सामान्यजन की आस्था को बरकरार रखा गया है। दोनों शालाओं के समायोजन के पश्चात यह शाला अपने पुरातन नाम से ही जाना जाएगा।
गौरतलब है कि शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने की पहल के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि जहां जरूरत है वहां शिक्षक उपलब्ध हों और बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिल सकें। युक्तियुक्तकरण का मतलब है स्कूलों और शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह से सुधारना कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के नहीं रहे।
चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रीय समाज का है गौरवशाली अतीत, छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने में सामाजिक संस्थाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका - मुख्यमंत्री साय
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रीय समाज का अतीत गौरवशाली रहा है। समाज में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे प्रतापी शासक हुए, वहीं सरदार वल्लभभाई पटेल जैसी महान विभूतियाँ हुईं, जिन्होंने देशी रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रीय समाज न केवल परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक है, बल्कि यह समाज छत्तीसगढ़ के विकास का आधार स्तंभ भी है। छत्तीसगढ़ को नई दिशा और विकसित राज्य बनाने में इस समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री श्री साय आज दुर्ग जिले के ग्राम कोलिहापुरी में आयोजित चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रीय समाज के केन्द्रीय महाधिवेशन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा तथा विधायक श्री अजय चन्द्राकर, गजेन्द्र यादव एवं ललित चन्द्राकर विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में चन्द्रनाहू कुर्मी क्षत्रीय समाज के अधिकांश लोग मूल रूप से किसान हैं और व्यापक स्तर पर कृषि कार्य से जुड़े हैं। प्रदेश सरकार किसान भाइयों के चेहरों पर हमेशा खुशी देखना चाहती है। सरकार लगातार किसान भाइयों की बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। इस समय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में 29 मई से 12 जून 2025 तक चल रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों को किसानों से सीधे जोड़ना और नई कृषि तकनीकों, सरकारी योजनाओं तथा सफल कृषि मॉडलों की जानकारी देना है। कृषि वैज्ञानिकों के 100 समूह छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में किसानों से संवाद कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक किसानों को ऑर्गेनिक खेती, खाद और ‘सॉयल हेल्थ कार्ड’ के सही उपयोग के बारे में जागरूक कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ का हर किसान तकनीकी रूप से सक्षम हो और उनकी आय में वृद्धि हो।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रदेश में खेती-किसानी तभी मजबूत होगी जब किसान भाइयों को उनकी उपज की सही कीमत मिलेगी। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विधानसभा चुनाव के समय गारंटी दी थी कि प्रदेश में सरकार बनने पर किसानों को दो साल का बकाया बोनस दिया जाएगा। इसे पूरा करते हुए हमने किसानों के खातों में सरकार बनते ही राशि अंतरित की। मोदी जी की गारंटी के अनुरूप छत्तीसगढ़ में किसानों से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की जा रही है। बीते खरीफ सीजन में राज्य में 149 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का नया रिकॉर्ड बना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी उपज की पूरी कीमत मिल रही है। धान खरीदी के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं, जिससे प्रदेश में खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। प्रदेश में सिंचाई के संसाधनों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन को भी प्राथमिकता दी जा रही है। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गरीब परिवारों को दो-दो दुधारू पशु दिए जाएंगे, जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को सौंपी गई है। किसानों को दूध बेचने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए दुग्ध एकत्र करने के लिए भी व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में मिलेट्स (कोदो, कुटकी और रागी) की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोसेसिंग संयंत्र की स्थापना की जा रही है। यह अनाज पहले गरीबों का भोजन माना जाता था, लेकिन अब यह पोषणयुक्त होने के कारण उच्च वर्ग में भी लोकप्रिय हो रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमने नई औद्योगिक नीति बनाई है, जिसमें प्रदेश की जरूरत के हिसाब से उद्योग की स्थापना के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। हमारी सरकार का संकल्प है – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। इसी भावना से हम समाज के हर वर्ग के लिए योजनाएँ बना रहे हैं और उन्हें कार्यरूप में परिणत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों, महिलाओं, बुजुर्गों और समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएँ लागू की गई हैं। महतारी वंदना योजना के तहत 70 लाख से अधिक महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इससे महिलाएँ आत्मनिर्भर बन रही हैं और सिलाई, कढ़ाई, सब्ज़ी उत्पादन जैसे कार्यों से अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं। मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना को एक बार फिर शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामलला दर्शन योजना के तहत अब तक 22,000 से अधिक श्रद्धालु लाभान्वित हो चुके हैं। उन्होंने अवगत कराया कि सुशासन तिहार में छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों का दौरा किया। योजनाओं की जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग की और जनता जनार्दन से फीडबैक लिया। तीन चरणों में संपन्न सुशासन तिहार में 40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनका निराकरण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता और डिजिटल व्यवस्था की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद नामांतरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे आम जनता को राहत मिली है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अधिकांश कार्य ऑनलाइन किए जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन और समाज को बेहतर बनाने का जरिया है। प्रदेश में आईआईटी, आईआईआईटी, लॉ यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख संस्थान स्थापित किए गए हैं। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सरकार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने और उन्हें समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाने का कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कुर्मी समाज की सराहना करते हुए कहा कि यह समाज उन्नत कृषक और व्यापारी समाज है, जो छत्तीसगढ़ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह समाज न केवल खेती और व्यापार में अग्रणी है, बल्कि शिक्षित और संगठित भी है। उन्होंने आग्रह किया कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में सभी सामाजिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई समाज मजबूत होता है तो उससे पूरा राष्ट्र मजबूत होता है। शिक्षा, सेवा और जागरूकता से ही समाज और राष्ट्र का सशक्त निर्माण संभव है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने कहा कि समाज को जोड़कर सही मार्ग दिखाने वालों का समाज में हमेशा सम्मान होता है। आज समाज की नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम को विधायक श्री अजय चन्द्राकर, श्री ललित चन्द्राकर और बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री चन्द्रहास चन्द्राकर ने भी संबोधित किया। चन्द्रनाहू क्षत्रीय कुर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री विनोद चन्द्राकर ने स्वागत उद्बोधन में केन्द्रीय महाधिवेशन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर चन्द्रनाहू क्षत्रीय कुर्मी समाज के पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।