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5 ग्राम पंचायतों में चयनित तालाबों में होगा झींगा पालन,ग्रामीणों को मिलेगा आजीविका का नया स्रोत
रायपुर/शौर्यपथ /प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता से समृद्ध छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला अब कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर अग्रसर है। परंपरागत खेती से आगे बढ़ते हुए सुकमा के किसान अब मछली पालन के साथ-साथ झींगा पालन को भी अपनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, सुकमा के सहयोग से जिले के किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वे आधुनिक और लाभकारी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
कलेक्टर के मार्गदर्शन में समन्वित कृषि प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मछली पालन विशेषज्ञ डॉ. संजय सिंह राठौर एवं मत्स्य विभाग के अधिकारी श्री डी.एल. कश्यप के नेतृत्व में सुकमा विकासखंड की पांच ग्राम पंचायतों कृ भेलवापाल, झापरा, गोंगला, मूर्तोंडा एवं गादीरास कृ के तहत आने वाले 40 तालाबों का गहन निरीक्षण किया गया। इन तालाबों को झींगा पालन के लिए उपयुक्त पाया गया है। निकट भविष्य में कृषि विज्ञान केंद्र की मत्स्य इकाई, विशेषज्ञों की निगरानी और जिला मत्स्य विभाग के समन्वय से इन तालाबों में झींगा पालन की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। यह पहल न केवल जिले में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।
झींगा: पोषण और आमदनी का समृद्ध स्रोत
झींगा एक सर्वाहारी मीठे जल का जलीय जीव है, जो ब्रीडिंग के समय थोड़े खारे पानी की ओर प्रवास करता है। यह प्राकृतिक रूप से जल में मौजूद सूक्ष्म जीवों, कीटों और जैविक अवशेषों का सेवन करता है। झींगा प्रोटीन और आवश्यक वसा का उत्तम स्रोत है। इसके नियमित सेवन से न केवल मस्तिष्क का तीव्र विकास होता है, बल्कि यह हृदय स्वास्थ्य और कुपोषण निवारण में भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
किसानों को होगा व्यापक लाभ
झींगा पालन से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में तीव्र और अधिक आमदनी होने की संभावना है। इसके साथ ही यह स्व रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगा, जिससे युवा वर्ग भी खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित होगा। उल्लेखनीय है कि यह योजना सुकमा जिले में ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। जिला प्रशासन, कृषि विज्ञान केंद्र और मत्स्य विभाग के संयुक्त प्रयास से सुकमा अब झींगा पालन के क्षेत्र में राज्य का अग्रणी जिला बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
रायपुर/शौर्यपथ/विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह की अध्यक्षता में विधानसभा के समिति कक्ष में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप, वित्त मंत्री ओ पी चौधरी, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, विधायक अजय चंद्राकर, विधायक धर्मजीत सिंह सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
"शासन के निर्देशों की अवहेलना करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई, गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं"
लोक निर्माण विभाग करेगा 8000 करोड़ से अधिक के कार्य, सभी पुलों की होगी मासिक निगरानी
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने आज निर्माण भवन, नवा रायपुर से आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य भर के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि राज्य की सभी सड़कों और पुलों को दिसंबर 2025 तक गड्ढामुक्त किया जाए।
श्री साव ने बैठक में कार्यों की धीमी प्रगति और मरम्मत की गुणवत्ता पर नाराजगी जाहिर की और अधिकारियों को चेतावनी दी कि शासन के निर्देशों की अवहेलना करने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने परफॉर्मेंस गारंटी के अंतर्गत सड़कों की मरम्मत की अद्यतन स्थिति की जानकारी भी ली।
उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि वर्षा ऋतु में अतिवृष्टि से अवरुद्ध मार्गों को सुचारु बनाए रखने हेतु निगरानी और बचाव कार्यों की योजना को सक्रिय किया जाए। उन्होंने सभी सड़कों व पुल-पुलियों की नियमित निगरानी और गुणवत्तापूर्ण, टिकाऊ मरम्मत पर जोर दिया।
? प्रमुख बिंदु:
8000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्माण कार्य होंगे इस वर्ष।
सभी कार्यों की डीपीआर शीघ्र भेजने के निर्देश।
प्रशासकीय स्वीकृति वाले कार्य अविलंब शुरू किए जाएं।
15 अगस्त तक सड़क सुरक्षा संबंधी कार्यों की मंजूरी पूरी करें।
खनन के कारण पुलों को नुकसान न हो, इसके लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय करें।
भू-अर्जन के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश।
सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि बरसात के बाद कार्यों की पूरी तैयारी रखें, और सड़क सुरक्षा व नवीनीकरण योजना (Renewal Plan) को प्राथमिकता दें। उन्होंने बताया कि 60 करोड़ रुपये का विशेष बजट सड़क सुरक्षा के लिए निर्धारित किया गया है।
यह बैठक छत्तीसगढ़ शासन के सुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है, जो सीधे तौर पर प्रदेश की आधारभूत संरचना को मजबूत करने की मंशा को दर्शाती है।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। योजना के अंतर्गत जशपुर जिले के दुलदुला विकासखंड के ग्राम चरईडाड़ निवासी श्रीमती जीनत परवीन, वर्ष 2019 से बैंक सखी के रूप में कार्य कर रही हैं।
श्रीमती जीनत परवीन बताती हैं कि योजना से जुडऩे से पहले वे एक साधारण गृहिणी थीं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तहत जब उन्हें बैंक सखी के रूप में कार्य करने का अवसर मिला, तो उन्होंने इसे पूरी लगन और निष्ठा से अपनाया। आज वे छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से जुड़ी बैंकिंग सेवाएं अपने गाँव और आसपास के ग्रामीणों तक पहुँचा रही हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को खाता खोलने, पैसा जमा-निकासी, आधार लिंक, सामाजिक सुरक्षा पेंशन भुगतान और अन्य बैंकिंग सेवाओं में सहायता प्रदान कर रही हैं। उनकी मासिक बैंकिंग लेनदेन की राशि 35 से 40 लाख तक पहुँचती है, जिससे उन्हें नियमित रूप से अच्छा कमीशन के रूप में अच्छी राशि प्राप्त हो जाती है। यह सेवा न केवल उनके लिए रोजग़ार का साधन बनी, बल्कि आत्मनिर्भरता और सामाजिक पहचान का माध्यम भी बनी है।
श्रीमती जीनत परवीन बताती है कि इस आमदनी से उन्होंने अपने कई सपने पूरे किए हैं। वर्ष 2022 में उन्होंने अपने लिए एक स्कूटी भी खरीदी, जिससे अब वह आसानी से ग्रामीण क्षेत्र में सेवा प्रदान कर रही हैं। वे बताती है कि बैंक सखी बनने के बाद जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है और अब वे अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी भी निभा रही हैं।
मुख्यमंत्री साय अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में हुए शामिल
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज राजधानी रायपुर में आयोजित अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ (चतुः संप्रदाय), मुंबई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम के ननिहाल और माता कौशल्या की पावन भूमि छत्तीसगढ़ में वैष्णव ब्राह्मण समाज का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। इस समाज की विभूतियों ने छत्तीसगढ़ में दानशीलता की अद्भुत मिसालें स्थापित की हैं। विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में वैष्णव ब्राह्मण समाज का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले समाज के प्रतिभावान व्यक्तियों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री साय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज ने सनातन धर्म को सशक्त बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। यह समाज केवल पुरोहित कर्म से ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन में भी सक्रिय रहा है। दानशीलता की महान परंपरा का परिचय देते हुए इस समाज ने कभी राजपाट तक दान कर दिए। राजनांदगांव की वैष्णव ब्राह्मण रियासत इसका अनुपम उदाहरण है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डेढ़ वर्ष के भीतर हमने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अधिकांश गारंटियों को अमल में लाकर पूर्ण किया है। छत्तीसगढ़, प्रभु श्रीराम का ननिहाल रहा है और उन्होंने अपने वनवास का लंबा समय यहीं व्यतीत किया था। हमारी सरकार ने रामलला दर्शन योजना शुरू की है, जिसके तहत अब तक 22 हजार से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के दर्शन कर चुके हैं। मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को भी पुनः प्रारंभ किया गया है, जिसके अंतर्गत 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक अपनी आस्था के अनुसार तीर्थ स्थलों का दर्शन कर सकेंगे। दिव्यांगजनों, विधवाओं और परित्यक्ताओं के लिए इस योजना में अधिकतम आयु सीमा नहीं रखी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का संकल्प लिया गया है। उसी दिशा में हमें विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में अग्रसर होना है। इस कार्य में वैष्णव ब्राह्मण समाज की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समाज संगठित रहकर निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होगा।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज एक दूरदर्शी और कल्पनाशील समाज है। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव से विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने इस समाज के ऐतिहासिक योगदान को निकटता से देखा है। उच्च शिक्षा, रेलवे, उद्योग और पेयजल व्यवस्था के विकास में राजनांदगांव के राजपरिवार ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। महंत दिग्विजय दास जी ने महाविद्यालय के लिए अपना महल दान किया, रेलवे के लिए विशाल भूमि दी, और बीएनसी कॉटन मिल की स्थापना की, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला। महंत घासीदास जी ने व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए नि:शुल्क भूमि देने की घोषणा की थी।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने संबोधन में कहा कि वैष्णव ब्राह्मण समाज सनातन धर्म की ध्वजवाहक है। इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के आयोजन से समाज और अधिक एकजुट होकर आगे बढ़ेगा।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पी. एल. बैरागी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लाल जे. के. वैष्णव, प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश दास वैष्णव, विजय कुमार दास, राघवेंद्र दास वैष्णव, डॉ. सौरभ निर्वाणी, श्रीमती अंजना देवी वैष्णव, रजनीश वैष्णव सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल की कड़ी निगरानी में परीक्षा आयोजन, नकल प्रकरण में पुलिस द्वारा वैधानिक कार्यवाही जारी
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल, रायपुर द्वारा आयोजित उप अभियंता (सिविल) एवं उप अभियंता (विद्युत/यांत्रिकी) भर्ती परीक्षा के अंतर्गत परीक्षा केन्द्र क्र. 1309 - शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सरकंडा, बिलासपुर (छ.ग.) में एक गंभीर नकल प्रकरण प्रकाश में आया। कक्ष क्रमांक 07 में परीक्षार्थी रोल नंबर 13091014 - कु. अन्नु सूर्या, पिता - कलेश्वर राम द्वारा संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पर त्वरित संज्ञान लेते हुए परीक्षा कक्ष में तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान उक्त परीक्षार्थी के अंतःवस्त्र में हिडन कैमरा व कान से माइक्रो स्पीकर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण छिपाकर रखे गए पाए गए, जिन्हें तत्काल जब्त किया गया।
परीक्षा केन्द्र परिसर के बाहर नकल में सहायता करने हेतु उपस्थित कु. अनुराधा बाई के पास से वॉकी-टॉकी, टैबलेट, ब्लूटूथ डिवाइस और मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नकल करने का प्रयास था।
प्रशासन द्वारा नियमानुसार तत्काल नकल प्रकरण तैयार कर छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) को प्रेषित कर दिया गया है। साथ ही, थाना सरकंडा पुलिस को सूचित कर एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। संबंधित व्यक्तियों पर उचित कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
व्यावसायिक परीक्षा मंडल एवं जिला प्रशासन द्वारा इस पूरे प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। परीक्षा की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु ऐसी घटनाओं पर "जीरो टॉलरेंस नीति" अपनाई गई है। भविष्य में भी किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
रायपुर /शौर्यपथ संवाददाता /
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शनिवार को राजधानी रायपुर में विभिन्न शासकीय एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर दिनभर अत्यंत व्यस्त नजर आयेंगे । उनकी दिनचर्या में शासन, संगठन, और जनप्रतिनिधियों से जुड़े अहम मुद्दों पर संवाद, समीक्षा और निर्णय शामिल रहेगे।
मुख्यमंत्री दोपहर 1:30 बजे अपने सिविल लाइन स्थित निवास से कार्यक्रमों की श्रृंखला के लिए रवाना हुए।
? मुख्यमंत्री की आज की प्रमुख गतिविधियाँ इस प्रकार :
01:40 PM – होटल बेबीलोन इंटरनेशनल, जीई रोड, रायपुर पहुंचकर राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक - छत्तीसगढ़ क्षेत्र का शुभारंभ एवं संबोधन
02:30 PM – कार्यसमिति बैठक में भागीदारी जारी
02:40 PM – होटल से प्रस्थान कर सिविल लाइन स्थित निवास आगमन
06:30 PM – नवीन मुख्यमंत्री निवास, अटल नगर रायपुर पहुंचना
07:00 PM – विधायक दल की बैठक
09:00 PM – आराम और आतिथ्य
09:30 PM – नवीन मुख्यमंत्री निवास से प्रस्थान कर सिविल लाइन निवास आगमन
10:00 PM – रात्रि विश्राम
?️ राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व:
राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास कार्यों, संगठन की मजबूती, और जनकल्याण की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के विषय में चर्चा । वहीं विधायक दल की बैठक में आगामी रणनीतियों और जमीनी कार्यों पर चर्चा की संभावना ।
मुख्यमंत्री साय के आज के कार्यक्रमों से यह संदेश स्पष्ट जाता है कि उनकी सरकार और संगठन दोनों स्तरों पर गति, संवाद और संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं।
शौर्यपथ संवाददाता/रायपुर/
रायपुर नगर निगम क्षेत्र के प्रमुख स्थलों में से एक पचपेड़ी नाका का नाम बदलने की अधिसूचना जारी होते ही पूरे शहर में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उबाल देखने को मिला। जहां एक ओर नगर निगम की ओर से नाम परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संगठनों, राजनीतिक दलों और आम नागरिकों ने कड़ा विरोध जताया।
नगर निगम की अधिसूचना ने मचाई हलचल
नगर निगम रायपुर ने बीते दिनों एक अधिसूचना जारी कर पचपेड़ी नाका का नाम बदलने के प्रस्ताव पर आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित किए थे। इस अधिसूचना ने स्थानीय समाज और संगठनों को चौंका दिया, क्योंकि पचपेड़ी नाका रायपुर की ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहचान का केंद्र रहा है।
विरोध में उतरीं ये संस्थाएँ और संगठन:
छत्तीसगढ़ जोहार पार्टी: इस संगठन ने सबसे पहले खुलकर विरोध किया। उनका कहना था कि यह कदम “आदिवासी सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ़ है।” पार्टी ने महापौर को ज्ञापन सौंपते हुए नाम परिवर्तन को "सांस्कृतिक आक्रोश" से जोड़ा। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, प्रबुद्ध नागरिक मंच, संस्कृति बचाओ मोर्चा, लोक साहित्य समिति जैसे कई संगठनों ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर विरोध जताया।
सोशल मीडिया पर विरोध:
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #SavePachpediNaka ट्रेंड करता रहा। युवाओं और छात्रों ने भी इस पर वीडियो बनाकर विरोध जताया।
महापौर मीनल चौबे का पलटवार बयान
स्थिति बिगड़ती देख रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे ने मीडिया में स्पष्ट कहा: “पचपेड़ी नाका का नाम बदलने का कोई निर्णय निगम स्तर पर नहीं लिया गया है। यह मात्र एक विभागीय प्रक्रिया थी।”हालाँकि, विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि अधिसूचना जारी हुई थी, तो महापौर की जानकारी में कैसे नहीं थी? वे इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया यू-टर्न मानते हैं।
समर्थन करने वालों की भी मौजूदगी
इस बीच कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने नाम परिवर्तन का समर्थन भी किया.इनका मानना था कि पचपेड़ी नाका का नाम किसी महान व्यक्ति या आधुनिक प्रतीक पर आधारित होना चाहिए। रायपुर शहर में कई पुराने स्थानों के नाम बदले गए हैं — यह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है।हालांकि इस पक्ष को बहुमत का समर्थन नहीं मिल पाया।
पचपेड़ी नाका: सिर्फ एक चौराहा नहीं, पहचान का प्रतीक
पचपेड़ी नाका, रायपुर का एक ऐतिहासिक द्वार है जहाँ से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र का जुड़ाव होता है। यह न केवल ट्रैफिक हब है, बल्कि आदिवासी संस्कृति, धार्मिक मेलों, व्यापार और स्थानीय बोली के आदान-प्रदान का केंद्र रहा है।
फिलहाल, नगर निगम ने नाम परिवर्तन प्रक्रिया को रोक दिया है। जन सुनवाई या प्रस्ताव की समीक्षा के लिए कोई नई तिथि घोषित नहीं की गई है। विरोध करने वाले संगठनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने की चेतावनी दी है, यदि भविष्य में इस तरह की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई।
निष्कर्ष:पचपेड़ी नाका नाम बदलने का विवाद केवल नाम परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय अस्मिता, सांस्कृतिक विरासत और राजनीतिक पारदर्शिता के बड़े सवाल खड़े करता है। रायपुर के नागरिकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी किसी भी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी और सहमति आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ ने शिक्षा के क्षेत्र में हासिल किया नया मुकाम:नई शिक्षा नीति से बदली तस्वीर, छत्तीसगढ़ में स्थानीय भाषाओं में मिल रही शिक्षा
मुख्यमंत्री ने पीएसवाय उत्कृष्टता सम्मान समारोह में प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को किया सम्मानित
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित पीएसवाय उत्कृष्टता सम्मान समारोह में विभिन्न विधाओं के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्कूलों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सभी सम्मानित शिक्षकों, विद्यार्थियों और संस्थाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र सेवा का मार्ग है। शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है, और यही किसी भी राष्ट्र की प्रगति की नींव होती है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफलता का मूल आधार शिक्षा ही है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ अब अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और बीते वर्षों में राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। जहां पहले प्रदेश में केवल एक मेडिकल कॉलेज था, आज वहां 15 से अधिक मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। साथ ही, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान भी राज्य में कार्यरत हैं। गांव-गांव में स्कूल खोले गए हैं, और बच्चों की आवश्यकताओं के अनुरूप महाविद्यालयों की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि हमारे समय में कई गांवों के बच्चों के लिए केवल एक स्कूल होता था। मुझे याद है कि मैंने पांचवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दूसरे गांव में दी थी, क्योंकि हमारे गांव में परीक्षा केंद्र नहीं था। आज छत्तीसगढ़ में छात्रों के लिए असीम अवसर मौजूद हैं और प्रत्येक बच्चे को इन अवसरों का लाभ उठाकर अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की दिशा में निरंतर अग्रसर है, और इसी संकल्प को लेकर हम विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में भी तेज़ गति से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश ने वैश्विक स्तर पर सम्मान प्राप्त किया है और भारत पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।
श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में देश में लागू की गई नई शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ में शिक्षा अब स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध हो रही है। बस्तर जैसे क्षेत्रों में अब स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई करवाई जा रही है, और प्रदेश में मेडिकल की शिक्षा भी हिंदी में दी जा रही है।
रायपुर सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने संस्था द्वारा सम्मानित प्रतिभावान छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में इन बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में हमारे युवाओं का योगदान निर्णायक सिद्ध होगा।
विधायक श्री धरमलाल कौशिक ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संस्था का उद्देश्य न केवल प्रतिभाशाली छात्रों को सम्मानित करना है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही प्रतिभाओं को भी एक मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न भाषाओं में पारंगत बनाने की दिशा में ठोस कार्य प्रारंभ हो चुका है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की भी सराहना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को भी सम्मानित किया। इस दौरान वरिष्ठ चित्रकार श्री राज सैनी ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को एक विशेष उपहार के रूप में उनके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ की पेंटिंग भेंट की।
कार्यक्रम में पीएसवाय के प्रेसिडेंट डॉ. एस.के. मिश्रा, सलाहकार श्री महेंद्र गुप्ता, सीईओ श्रीमती शुभ्रा शुक्ला, सहित अनेक प्रबुद्धजन, शिक्षाविद्, गणमान्य अतिथि, एवं स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।