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शौर्यपथ दुर्ग। जहां एक ओर इंसान अपने आप में ही मस्त रहता है और दूसरो की तकलीफ से कोई मतलब नहीं रहता ऐसे में आज भी इस दुनिया में कुछ है जो दूसरों के तकलीफों को समझते है और उनके दुख को साझा करते है । ऐसे ही एक घटना दुर्ग स्टेशन में देखने को मिला जहां बिहार के एक मजदूर की स्टेशन में मौत हो गई । मृत शरीर को उनके परिजनों तक पंहुचाने का बीड़ा उठाया कर्मकार मंडल के सन्नी अग्रवाल ने ।
बिहार के बेल्दौर जिले से कमाने खाने निकले मजदूर सम्भू सादा उम्र 32 वर्ष का ट्रेन के सफर के दौरान आकस्मिक निधन हो गया। इधर रेलवे प्रशासन ने रिपोर्ट तैयार कर शव जिला प्रशासन को तो सौप दिया लेकिन जिसका घर का चिराग उजड़ा था उसका अंतिम दर्शन भी परिजनों को नसीब नहीं ही रहा था।
ईश्वर ने सन्नी अग्रवाल को बनाया माध्यम, मजदूर नेता ने समझी एक मजदूर परिवार की पीड़ा
दरअसल, 3 नवम्बर को घटी इस घटना के बाद जब बिहार के बेल्दौर जिले के ग्राम सकरोहर में मृतक शंभु के परिजनों से संपर्क कर घटना की जानकारी दी गयी। जब गरीबी का हवाला देते हुए उन्होंने शव लेकर जाने में असमर्थता जताई। मृतक के दुर्ग में ही अंतिम संस्कार किये जाने में भी दुविधा यही रही कि बिना परिजनों के मौजूदगी में अंतिम संस्कार कैसे किया जाए। पुलिस प्रशासन के इस असमंजस के स्थिति की जानकारी छत्तीसगढ़ शासन में सन्निर्माण कर्मकार मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल को प्राप्त हुई। जिसके पश्च्यात सन्नी ने स्वतः मामले में संज्ञान में लेते हुए वाहन की व्यवस्था की और अपने प्रतिनिधि के तौर पर कांग्रेस नेता अभिषेक बोरकर को दुर्ग मर्चुयरी भेज कर सभी व्यवस्था करवाई। इस दौरान दुर्ग के स्थानीय युवा जनप्रतिनिधि भी मदद को आगे आ चुके थे। जिसमें आकाश मजूमदार एवं अन्य साथियों के साथ मिलकर कुछ पैसे इक्कठे किए थे। वही सन्नी अग्रवाल ने उनका भी आभार जताया और आर्थिक मदद करते हुए ससम्मान शम्भू सादा के शव को उनके गांव भेजा।
इस मामले में चर्चा करते हुए सन्नी अग्रवाल ने कहा कि कल देर रात मुझे इस घटना की जानकारी मिली। संबंधित अधिकारियों के चर्चा कर शव को सुबह बिहार रवाना करने की तैयारी करने कहा और मेरे प्रतिनिधि के तौर पर साथियों को भेजकर निजी खर्च से सभी व्यवस्था करवाई। एक मजदूर परिवार की पीड़ा समझ सकता हूं यह मानवता का काम है ऐसे समय में सभी को आगे आना चाहिए।
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