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दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग निगम में नई सरकार को सत्ता संभाली साल भर हो गया इस एक साल में दुर्ग निगम के स्वास्थ्य विभाग में भ्र्ष्टाचार का मामला हमेशा गर्माया रहा । निगम के इतिहास में ये शायद पहला ऐसा साल रहा जब निगम की स्वास्थ्य व्यवस्था में आये दिन उंगली उठती रही शहर के एक स्थानीय समाचार पत्र ने स्वास्थ्य विभाग के घोटालों और स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठाए वही स्वास्थ्य अधिकारी के तानाशाही रवैये पर विपक्ष ही नही सत्ता पक्ष ने भी अपनी नाराजगी जताई । कोरोना काल मे आम जनता से दुर्व्यवहार , सफाई कर्मचारियों के साथ गली गलौच का मामला , शासकीय कर्मचारियों सही प्लेसमेंट कर्मचारियों के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता की खास उपलब्धि रही । कोरोना आपदा काल मे सुरक्षा किट व सेनेटाईज़र का अभाव सफाई कर्मचारियों में साफ दिखी वही शहर के कई स्थानों में गंदगी का आलम आज भी नज़र आ जायेगा । दुर्गेश गुप्ता के कार्यकाल में सिर्फ प्लेसमेंट कर्मचारी ही नही अपितु नियमित कर्मचारियों की एक फ़ौज है जो अपने साथ हुए दुर्व्यवहार से आहत है । इसी का परिणाम रहा कि दुर्ग निगम के प्लेसमेंट कर्मचारियों ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार और मनमाने तरीके से प्लेसमेंट से mlc स्थानांतरण पर जबरदस्त विरोध प्रकट किया व एक दिनी हड़ताल पर गए । कोरोना काल मे अपने स्वास्थ्य की परवाह किये बिना स्तरहीन सुरक्षा उपकरणों के साथ शहर की सफाई व्यवस्था में लगे रहे । निगम के इतिहास में ये भी शायद पहली बार हुआ कि सत्ता पक्ष भी स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता की कार्यप्रणाली से नाराज़ है किंतु इस सब मामले के बाद भी स्वास्थ्य प्रभारी हमीद खोखर का मौन रहना उनकी निष्पक्ष और जनप्रिय छवि के ऊपर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है । आखिर ऐसी क्या वजह है कि स्वास्थ्य अधिकारी के इतने विवादित होने के बाद भी महापौर और स्वास्थ्य प्रभारी मौन है विधायक मौन है ये वही विधायक है जो कुछ साल पहले स्वास्थ्य व्यवस्था की चरमराती स्थिति पर निगम मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर धरने में बैठ गए थे क्या अब स्थिति टेबल के नीचे की सेटिंग व्यवस्था का हिस्सा तो नही हो गई जो अब सभी जनसेवक का तमगा पहनने का दावा करने वाले मौन है । स्वास्थ्य विभाग जिस नालितो की , नालों की , सड़को की सफाई का श्रेय ले रही वह सोंच इनमें से किसी की नही उसमे कोई दो राय नही कि निगम के कर्मचारियों द्वारा इस तरह नाली , नालों और सड़कों की सफाई को चरणबद्ध तरीके से करवाने का जो खाखा तैयार हुआ वह आयुक्त बर्मन की सोंच का परिणाम है जिस कार्य को कोई सोंच नही पाया उसे ज़मीनी रूप से सार्थक कर दिया आयुक्त ने बस साल भर में निगम के स्वास्थ्य विभाग की यही उपलब्धि रही । निगम के सत्ता पक्ष व प्रशासन क्या कभी स्वास्थ्य विभाग के कार्यो की समीक्षा करेगा , क्या सफाई कर्मचारियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को संज्ञान में लेगा ...
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