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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग शहर में इन दिनों अतिक्रमण सबसे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है . दुर्ग के महापौर का हर कार्य विधायक वोरा की मंशा के अनुरूप हो रहा है . अपने नेता के मंशा के अनुरूप कार्य करना कही से गलत नहीं किन्तु जनता ने जिस भरोसे से कांग्रेस को सत्ता सौपी उस भरोसे को आखिर तार तार क्यों कर रही है निगम की सरकार . आज दुर्ग शहर में जगह जगह लोग बेखौफ हो कर अतिक्रमण कर रहे है . अतिक्रमण के इस खेल में दोनों ही वर्ग शामिल है चाहे रसूखदार हो या गरीब वर्ग बस अंतर इतना है कि अगर गरीब वर्ग अतिक्रमण करता है तो निगम प्रशासन की फौज तुरंत कार्यवाही कर वाह वाही लुटते हुए नजर आती है किन्तु यही अतिक्रमण अगर रसूखदार करे तो निगम प्रशासन और महापौर परिषद् सहित विधायक मौन रह जाते है . शहर में ऐसे अतिक्रमण जिस पर विअक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने सत्ताधारी भाजपा को लगातार घेरा था और निरंकुश प्रशासन , रिमोट कंट्रोल से संचालित सरकार की संज्ञा दी थी किन्तु वर्तमान की सरकार क्या स्वतंत्र हो कर कार्य कर रही है . शहर में विकास की सिर्फ बात हो रही है कही से विकास नजर नहीं आ रहा है विकास सिर्फ जगह जगह पोस्टरों में नजर आ रहा वही दूसरी तरफ अतिक्रमण की भरमार है .
शहर के ऐसे स्थान जहाँ है अतिक्रमण किन्तु प्रशासन है मौन
गौरव पथ जो कभी दुर्ग की शान हुआ करता था आज गौरव पथ के अधिकतर हिस्से अतिक्रमण की चपेट में है
पटेल चौक जैसे व्यस्तम चौक आज सब्जी मार्किट के रूप में विकसित हो रहा है और निगम की बाकलीवाल सरकार मौन है .
इंदिरा मार्केट में व्यापारियों द्वारा बरामदे से आगे सडक तक सामन फैला कर व्यापार किया जा रहा है जिसे कभी रोकने की कोशिश तात्कालिक बाजार प्रभारी दुर्गेश गुप्ता ने की थी जिसे काफी असंतोष झेलना पड़ा आज बाज़ार में व्यापारियों की मनमानी और सरकार मौन .
मोती काम्प्लेक्स का चौक , गुरुद्वारा रोड पर अतिक्रमण , राजेन्द्र पार्क चौक पर अतिक्रमण , बाज़ार प्रभारी ऋषभ जैन के वार्ड में सड़क पर अतिक्रमण कर रेत गिटटी का व्यापर , नए बस स्टैंड के सामने शौचालय के पास पक्का अतिक्रमण कर दूकान संचालित ऐसे कितने अतिक्रमण है जिस पर निगम सरकार मौन है क्या निगम की सरकार व्यापारियों की सरकार है या आम जनता की ?
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