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आस्था /शौर्यपथ /शिवरात्रि हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। भगवान शिव को समर्पित यह त्योहार चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सावन शिवरात्रि पर शंकर जी की पूजा निशिता काल मुहूर्त या फिर रात्रि जागरण कर चार प्रहर करना श्रेष्ठ माना जाता है।
आज सावन की शिवरात्रि है, इस साल की शिवरात्रि बहुत खास है। इस दिन शिव जी का पूजन करने से पूरे सावन की पूजा का फल मिलता है तो आइए हम आपको सावन की शिवरात्रि व्रत की कथा एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें सावन की शिवरात्रि के बारे में खास बातें
शिवरात्रि हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। भगवान शिव को समर्पित यह त्योहार चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सावन शिवरात्रि पर शंकर जी की पूजा निशिता काल मुहूर्त या फिर रात्रि जागरण कर चार प्रहर करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस साल सावन शिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है। पंडितों के अनुसार फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही सावन शिवरात्रि भी फलदायी है। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि भगवान शिव का दिन सोमवार है और सावन उनकी पूजा के लिए अच्छा महीना माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पूरे महीने धरती पर रहते हैं। इसी कारण सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की खास पूजा की जाती है।
कई नामों से जानी जाती है शिवरात्रि
वैसे तो वर्ष भर में शिवरात्रि 12 से 13 बार आती है। यह तिथि पूर्णिमा से एक दिन पहले त्रयोदशी को आती है। इसमें दो शिवरात्रि विशेष है उनमें सावन तथा फाल्गुन शामिल हैं। इस शिवरात्रि को अन्य नामों से बुलाया जाता है जैसे कांवर यात्रा, त्रयोदशी, शिवतरेश, भोला उपवास और महाशिवरात्रि। सावन की शिवरात्रि को खास इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इस दिन कांवर यात्रा सम्पन्न होती है।
शिवरात्रि के दिन ऐसे करें पूजा
सावन की शिवरात्रि को प्रातः उठकर स्नान से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें। मंदिर या शिवालय जाकर शिवलिंग के पास जाकर प्रार्थना करें। विशेष फल की प्राप्ति के लिए चने की दाल का इस्तेमाल करें। ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि पर भगवान शंकर को तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। घर में समृद्धि के लिए धतूरे के फूल या फल का भोग लगा सकते हैं। अब 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेल पत्र, फल-फूल चढ़ाएं।
सावन शिवरात्रि 2023 मुहूर्त
सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि शुरू- 15 जुलाई 2023, रात 08.32
सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि समाप्त- 16 जुलाई 2023, रात 10.08
निशिता काल मुहूर्त- 16 जुलाई 2023, प्रात: 12.07 - प्रात: 12.48
सावन शिवरात्रि व्रत पारण समय
16 जुलाई 2023 को शिवरात्रि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किया जाएगा। इस दिन 05.33 - दोपहर 03.54 मिनट तक शिवरात्रि व्रत खोल सकते हैं।
सावन की शिवरात्रि पूजा में इन सामग्रियों को करें शामिल
पंडितों के अनुसार पूजा में इन सामग्रियों को शामिल करना लाभदायी होगा। गंगाजल, जल, दूध दही, शुद्ध देशी घी, शहद, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, आम्र मंजरी, जौ की बालें, पुष्प, पूजा के बर्तन, कुशासन, मदार पुष्प, पंच मिष्ठान्न, बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, गुलाल, अबीर, भस्म, सफेद चंदन, पंच फल, दक्षिणा, गन्ने का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव जी और मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
सावन शिवरात्रि व्रत की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार वाराणसी के घने जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ निवास करता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार करने के लिए निकल लेकिन उसके हाथ एक भी शिकार न लगा। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद वो जंगल में शिकार की तलाश करता हुआ वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीच एक शिवलिंग स्थापित था। कुछ देर बाद वहां भटकता हुआ हिरनी आई। जैसे ही गुरूद्रुह ने हिरनी को देखा उसने तीर-धनुष तान लिया। लेकिन तीर हिरनी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। ऐसे में गुरुद्रुह ने अंजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा की। जब हिरनी ने देखा तो उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं।
मैं उन्हें सुरक्षित जगह छोड़कर दोबारा आती हूं। कुछ समय बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरूद्रुह ने अनजाने में महादेव की उसी प्रकार से दूसरे पहर की पूजा की। हिरनी की बहन ने भी वही दुहाई देते हुए वापस आने का वादा किया। दोनों हिरनियों को खोजता हुआ वहां तीसरे पहर में हिरन पहुंचा। इस बार ऐसी घटना घटित हुई और शिवरात्रि के तीसरे पहर की भी पूजा शिकारी ने अनजाने में कर ली। हिरन ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया।
तीन पहर बीतने के बाद तीनों हिरन-हिरनी वादे के मुताबिक शिकारी के पास वापस लौट आए। लेकिन इस बीच भूख से कलपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथे पहर की भी पूजा हो गई। चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरूद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।
शिवरात्रि के दिन ऐसे करें अभिषेक
शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर मंदिर जाएं। मंदिर जाते समय जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग सभी को एक ही बर्तन में साथ ले जाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें।
लगाएं शिव को भोग
शिव को गेहूं से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए। शास्त्रों का मानना है कि ऐश्वर्य पाने के लिए शिव को मूंग का भोग लगाया जाना चाहिए। वहीं ये भी कहा जाता है कि मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए शिव को चने की दाल का भोग लगाया जाना चाहिए। शिव को तिल चढ़ाने की भी मान्यता है। कहा जाता है कि शिव को तिल चढ़ाने से पापों का नाश होता है।
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