August 23, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ जनता की खुशहाली और समृद्धि की कामना

    रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने जापान पहुंचने के बाद सबसे पहले जापान की राजधानी टोक्यो में स्थित ऐतिहासिक असाकुसा मंदिर के दर्शन किए। टोक्यो का यह सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर शांति और सामर्थ्य का प्रतीक माना जाता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ जनता की खुशहाली, समृद्धि और निरंतर प्रगति की कामना की। उन्होंने कहा कि यह मंदिर मानवता को शांति और शक्ति का संदेश देता है और यही भाव छत्तीसगढ़ की जनता की आकांक्षाओं में भी झलकता है।
  उल्लेखनीय है कि भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO), भारत सरकार के आमंत्रण पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर है। इस ग्लोबल आउटरीच मिशन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को वैश्विक निवेश मानचित्र पर स्थापित करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसरों को तलाशना है।

 विदेशी उत्पादों को नकारें, स्वदेशी अपनाएं-उप मुख्यमंत्री अरुण साव 

     दुर्ग / शौर्यपथ / प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव आज दुर्ग जिले के नया बस स्टैंड पहुँचे, जहाँ उन्होंने स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री साव ने कोका-कोला और पेप्सी जैसी विदेशी पेय सामग्रियों को प्रतीकात्मक रूप से नाली में बहाकर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान देश के आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पहचान को जागृत करने का माध्यम है। उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि भारत को विश्व गुरु और सोने की चिड़िया हमारे संस्कारों और स्वभाव के कारण कहा जाता है। स्वदेशी केवल उत्पादों का चयन नहीं, बल्कि हमारी आत्मा से जुड़ा विषय है। हम हजारों वर्षों से दुनिया को शिक्षा, आयुर्वेद, विज्ञान और संस्कृति देते आए हैं। यही हमारे संस्कार हैं। उन्होंने ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के विचार की महत्ता बताते हुए कहा कि आज भी दुनिया को यदि कोई देश अपना परिवार मानता है, तो वह केवल भारत है।
  उप मुख्यमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत की शक्ति और सामर्थ्य का प्रमाण है। आज भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि वहां का हर नागरिक आत्मसम्मान के साथ खड़ा हो सकता है, तो भारत जैसे विशाल देश को भी स्वदेशी अपनाकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए। श्री साव ने कहा कि जब हमारे सैनिक सीमा पर माइनस डिग्री तापमान में देश की रक्षा कर रहे हैं, तो हमें भी अपने घरों में विदेशी वस्तुओं को प्रवेश न देकर देश की आंतरिक सुरक्षा में योगदान देना चाहिए। हमारे खान-पान, रहन-सहन पर विदेशी वस्तुओं ने मानसिक आक्रमण कर दिया है, जिसे हमें पहचानने की आवश्यकता है। उन्होंने दीपावली पर स्थानीय कुम्हारों के बनाए दीयों और गणेश की मूर्तियों को प्राथमिकता देने की अपील की और कहा कि स्थानीय कलाकारों से खरीदी गई वस्तुएं न केवल हमारी संस्कृति को जीवित रखेंगी, बल्कि उनके परिवारों का भरण-पोषण भी करेंगी।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन की भूमिका को याद किया और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी आंदोलन की बड़ी भूमिका रही। आज भी यही भावना देश को सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बना सकती है। तन स्वदेशी, मन स्वदेशी, संस्कार स्वदेशी इन्हीं विचारों के साथ आगे बढ़ने को कहा। कार्यक्रम में विधायक ललित चंद्राकर, पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू,  जितेन्द्र वर्मा,  सुरेन्द्र कौशिक सहित स्वदेशी सुरक्षा स्वावलंबन के संयोजक जगदीप पटेल व दिनेश पटेल सहित व्यापारीगण, स्थानीय जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे। 

   छत्तीसगढ़ / शौर्यपथ / भारतीय रेलवे के इतिहास में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में महज 144 दिनों में 100 मिलियन टन माल लदान कर SECR ने अब तक की सबसे तेज़ "सेंचुरी" दर्ज की है। इससे पहले यह रिकॉर्ड वर्ष 2021-22 में 188 दिनों, 2022-23 में 175 दिनों, 2023-24 में 164 दिनों तथा 2024-25 में 151 दिनों में पूरा हुआ था।
यह उपलब्धि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं, कोयला आधारित पावर प्लांट्स, इस्पात उद्योगों और विभिन्न कारखानों को सतत व निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए हासिल की गई है। इस अवधि में पिछले वर्ष की तुलना में 4.57 मिलियन टन (4.79%) की वृद्धि दर्ज की गई है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में 22 अगस्त तक दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे भारतीय रेलवे में दूसरे सबसे अधिक प्रारंभिक माल लदान के साथ कुल माल लदान में 15.83% का योगदान दे रहा है।
विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि
पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कोयले के लदान में 5.98%, इस्पात संयंत्रों हेतु कच्चे माल में 12.10%, पिग आयरन व तैयार स्टील में 7.56%, सीमेंट में 1.13%, खाद्यान्न में 4.78% तथा खनिज तेल में 23.17% वृद्धि हुई है। वहीं, बॉटल्ड ऑक्सीजन गैस (BOG) लदान में 17.58% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मंडलों का प्रदर्शन
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत बिलासपुर मंडल ने 4.58%, नागपुर मंडल ने 19.23% और रायपुर मंडल ने 0.24% वृद्धि दर्ज की है। विशेष रूप से, बिलासपुर मंडल ने 74.25 मिलियन टन माल लदान कर भारतीय रेलवे के सभी डिवीजनों में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
राजस्व में भी नई ऊँचाई
माल लदान की इस उपलब्धि के साथ ही SECR ने 28 जुलाई 2025 को मात्र 119 दिनों में ₹10,000 करोड़ का माल भाड़ा राजस्व अर्जित किया। यह सफलता पिछले वर्ष की तुलना में 7 दिन पहले हासिल हुई।
संतुलित संचालन और यात्री सुविधा
यह उपलब्धि माल लदान के साथ-साथ यात्री परिवहन को निर्बाध बनाए रखते हुए हासिल की गई है। लाइन दोहरीकरण, तीसरी-चौथी लाइन निर्माण, विद्युतीकरण और यार्ड सुधार जैसे आधारभूत संरचना विकास कार्यों ने इस सफलता को मजबूत आधार प्रदान किया है।
यात्रियों की सुविधा के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे समय-समय पर त्यौहारों व विशेष अवसरों पर स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है। हाल ही में रथयात्रा, श्रावण मास और रक्षाबंधन पर विशेष ट्रेनें चलाने के बाद अब तीज व दुर्गा पूजा पर्व पर भी पूजा स्पेशल ट्रेनें संचालित की जाएंगी।
सेवाओं में निरंतर सुधार
SECR ने सेवाओं को सुलभ बनाने, त्वरित निर्णय लेने, प्रतिस्पर्धी दरों पर सेवा उपलब्ध कराने और सेवा गुणवत्ता में सुधार जैसे प्रयासों से यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रेलवे ने साफ किया है कि भविष्य में भी वह यात्रियों की सुविधा, औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति और भारतीय रेल के राजस्व में सतत योगदान के लिए इसी तरह अग्रसर रहेगा।

सिर्फ रेलवे संरेखण से 150 मीटर के भीतर आने वाले खसरों पर जारी रहेगा प्रतिबंध

          दुर्ग / शौर्यपथ / कलेक्टर अभिजीत सिंह ने खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेल परियोजना के लिए दुर्ग जिले के प्रभावित 23 गांवों में भू-अर्जन संबंधी प्रतिबंध में आंशिक छूट देने के निर्देश दिए है। ज्ञात हो कि खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा परियोजना नई रेलवे लाइन में पाटन अनुभाग के ग्राम ठकुराईनटोला, बठेना, देमार अरसनारा, नवागांव, देवादा, सांतरा, मानिकचौरी, बोहारडीह, फेकारी, धौराभाठा तथा दुर्ग अनुभाग के ग्राम घुघसीडीह, खोपली, बोरीगारका, पुरई, कोकड़ी, कोड़िया, भानपुरी, चंदखुरी, कोनारी, चंगोरी, बिरेझर, थनौद इस प्रकार कुल 23 ग्राम सम्मिलित है। पूर्व आदेश के अनुसार इन गांवों की सभी भूमियों पर खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी। जिसे अब आंशिक छूट देने का निर्णय लिया गया है।
   उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे, बिलासपुर के उप मुख्य अभियंता/निर्माण द्वारा नई सूची उपलब्ध कराई गई है। जिसके अनुसार अब केवल उन खसरों पर प्रतिबंध जारी रहेगा जो रेलवे संरेखण से 150 मीटर की परिधि के अंतर्गत आते हैं। रेलवे द्वारा प्रस्तुत सूची में शामिल खसरों को छोड़कर, शेष सभी भूमियों पर लगा प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। उक्त आदेश तत्काल प्रभावशील हो गया है।
आंशिक रूप से प्रतिबंधित क्षेत्र में ग्राम करगाडीह और पाउवारा भी शामिल
   कलेक्टर सिंह ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2024 के तहत उक्त 23 ग्रामों के अलावा ये दुर्ग अनुभाग के दो नए गांव करगाडीह और पाउवारा में भूमि अंतरण, खाता विभाजन एवं व्यपवर्तन को आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया है। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे, बिलासपुर द्वारा दी गई नई सूची के आधार पर उक्त गांवों को भी अब परियोजना में शामिल किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और बिचौलियों को मुनाफा कमाने से रोकने के लिए दोनों गांवों में रेलवे ट्रैक के 150 मीटर के दायरे में आने वाली निजी जमीनों/खसरों पर तत्काल प्रभाव से खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई है। जिन व्यक्तियों की जमीन/खसरा इस प्रतिबंध से प्रभावित हुई है, वे अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इन आवेदनों पर रेलवे विभाग से राय लेने के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरोप लगाया है कि सरकार की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में आयुष्मान योजना ठप होने की स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को पिछले 17 माह से भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते अस्पतालों ने गरीबों का इलाज बंद करने की अंतिम चेतावनी सरकार को दे दी है।
  दीपक बैज ने कहा— “यदि निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों का इलाज बंद कर देंगे तो हजारों जरूरतमंद लोग संकट में आ जाएंगे। कई गंभीर बीमारियों का इलाज केवल निजी अस्पतालों में ही संभव है, जबकि सरकारी अस्पतालों पर पहले से ही भारी दबाव है।”

कांग्रेस शासन में स्वास्थ्य ढांचे को किया गया था मजबूत
  बैज ने दावा किया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को 2018 की तुलना में ढाई गुना बेहतर किया था।
जिला अस्पतालों को मल्टी स्पेशलिटी सेंटर में बदला गया था।
ब्लॉक स्तर पर भर्ती सुविधा विकसित की गई।
डायलिसिस व क्रिटिकल केयर यूनिट शुरू किए गए।
25 लाख तक की मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना लागू की गई।
4000 से अधिक डॉक्टर, नर्स और तकनीकी स्टाफ की नियमित भर्ती की गई।
हाट बाजार क्लिनिक, मोहल्ला क्लीनिक, दाई दीदी क्लिनिक, हमर अस्पताल और हमर लैब जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए।
भाजपा शासन में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल – बैज
  बैज ने कहा कि भाजपा सरकार के आने के बाद महज़ 11 महीनों में ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराकर रह गई है। मेकाहारा से लेकर उपस्वास्थ्य केंद्र तक की स्थिति भगवान भरोसे है। मलेरिया, पीलिया और डायरिया जैसी बीमारियों से रोज मौतें हो रही हैं। सुकमा के गोगुंडा गांव में 15 दिनों में 10 आदिवासियों की मलेरिया से मौत हो गई। मलेरिया संक्रमण दर 8 गुना बढ़ चुकी है। हमर अस्पताल, हाट बाजार क्लिनिक और मोहल्ला क्लिनिक जैसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम ठप हो चुके हैं।
त्वरित निर्णय की मांग
  दीपक बैज ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल निजी अस्पतालों का बकाया भुगतान नहीं किया तो आयुष्मान योजना के तहत इलाज पूरी तरह बंद हो जाएगा और गरीब जनता को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

आदि कर्मयोगी अभियान की तैयारियों की समीक्षा

राजनांदगांव / शौर्यपथ / भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय अंचलों तक सरकारी योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से "आदि कर्मयोगी अभियान" शुरू किया जा रहा है। इस संबंध में आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी कलेक्टरों से तैयारियों की समीक्षा की।
  राजनांदगांव जिले से कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री सुरूचि सिंह कलेक्टोरेट स्थित एनआरसी कक्ष से बैठक में जुड़े।
सेवा, समर्पण और सुशासन पर फोकस
   प्रमुख सचिव श्री बोरा ने बताया कि यह अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर से गांधी जयंती 2 अक्टूबर तक सेवा पर्व के रूप में संचालित होगा। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सशक्त करना, उनकी नेतृत्व क्षमता बढ़ाना और ग्राम स्तर पर शासकीय सेवाओं की प्रदायगी को मजबूत बनाना है।
  ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री हृदेश कुमार ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि केन्द्र सरकार को राज्य से बड़ी उम्मीदें हैं। अभियान का लक्ष्य "जनजातीय ग्राम विजन 2030" तैयार करना है, जो विकसित भारत मिशन 2047 की तर्ज पर जनजातीय गांवों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
जिले में 105 ग्राम पंचायतों में सेवा केंद्र
  कलेक्टर डॉ. भुरे ने बताया कि जिले की 105 आदिवासी बहुल ग्राम पंचायतों में "आदि सेवा केंद्र" स्थापित किए जाएंगे। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए युवाओं को "आदि साथी" के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।
  जिले में पंचायत, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य, पीएचई, वन और शिक्षा विभाग के 7 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। ये मास्टर ट्रेनर्स सितंबर के पहले सप्ताह में प्रत्येक ब्लॉक से 5 ब्लॉक मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे।
अन्य प्रमुख पहल
  जिले में केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) और धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान भी संचालित किए जा रहे हैं। इनके तहत चयनित ग्रामों में
आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज बनाए जा रहे हैं।
  प्रधानमंत्री आवास, पेयजल, बिजली और सड़क जैसी 17 विभागीय योजनाओं के तहत सामुदायिक विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इन 105 ग्रामों में छुरिया ब्लॉक के 67, डोंगरगढ़ के 28, डोंगरगांव के 8 और राजनांदगांव के 2 गांव शामिल हैं।
तीन स्तरों पर लागू होगा अभियान
  अभियान को आदि कर्मयोगी, आदि सहयोगी और आदि साथी—तीन स्तरों पर लागू किया जाएगा।
आदि कर्मयोगी : राज्य से ग्राम स्तर तक के सरकारी अधिकारी व कर्मचारी।
आदि सहयोगी : युवा नेतृत्वकर्ता, शिक्षक, डॉक्टर, समाजसेवी आदि।
आदि साथी : स्वयं सहायता समूह के सदस्य, जनजातीय नेतृत्वकर्ता, स्वयंसेवक एवं सांस्कृतिक प्रतिनिधि।
लक्ष्य – आत्मनिर्भर और सशक्त जनजातीय गांव
  "आदि कर्मयोगी अभियान" का दीर्घकालिक लक्ष्य 2030 तक जनजातीय गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी सुविधाओं और आजीविका के अवसरों का विस्तार कर गांवों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना शामिल है। 

रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास और वैश्विक निवेश को नई दिशा देने के उद्देश्य से प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 10 दिवसीय विदेश यात्रा पर आज जापान और दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हुए। मुख्यमंत्री के पदभार संभालने के 18 माह बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है, जिसे प्रदेश के विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जापान के ओसाका में आयोजित वर्ल्ड एक्सपो में शामिल होंगे तथा वहां इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इन क्षेत्रों में जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही देश वैश्विक स्तर पर अग्रणी हैं और छत्तीसगढ़ में इन क्षेत्रों में उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
   पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत अब तक करीब 6.30 लाख करोड़ रुपये के एमओयू (MoU) हो चुके हैं। इनमें से कई परियोजनाओं पर काम भी प्रारंभ हो चुका है और शेष को भी शीघ्र गति दी जाएगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन निवेश प्रस्तावों के जरिए प्रदेश में न केवल औद्योगिक ढांचा मजबूत होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा –
"छत्तीसगढ़ में अपार संभावनाएं हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हम राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाएंगे। हमारी कोशिश है कि यहां के संसाधनों और क्षमता को उद्योगों के माध्यम से विकास का मजबूत आधार बनाया जाए।"
प्रदेश सरकार की नई औद्योगिक नीति निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल प्रदान कर रही है, जिसके चलते देश-विदेश की प्रमुख कंपनियां छत्तीसगढ़ की ओर आकर्षित हो रही हैं। मुख्यमंत्री की इस यात्रा से प्रदेश और एशियाई औद्योगिक महाशक्तियों—जापान व दक्षिण कोरिया—के बीच आर्थिक सहयोग और निवेश की नई राह खुलने की संभावना प्रबल हो गई है।
  छत्तीसगढ़, जो अब तक अपनी खनिज संपदा और कृषि उत्पादन के लिए देशभर में प्रसिद्ध रहा है, अब उच्च तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और वैश्विक औद्योगिक साझेदारी का नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह विदेश यात्रा निश्चित ही प्रदेश के औद्योगिक एवं आर्थिक भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

20 अगस्त को तीन नए चेहरों ने ली शपथ, विभाग भी आवंटित — पूर्व CM बोले, कांग्रेस सरकार को नहीं मिली थी अनुमति, अब भाजपा ने कैसे कर लिया विस्तार?

रायपुर। शौर्यपथ ।
   छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमाती दिख रही है। प्रदेश में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री के साथ कुल 14 मंत्रियों की सरकार अब सत्ता संचालन कर रही है। 20 अगस्त को शपथ ग्रहण के साथ ही तीन नए चेहरों – दुर्ग से गजेंद्र यादव, आरंग से गुरु खुशवंत सिंह एवं सरगुजा संभाग से राजेश अग्रवाल – को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और देर शाम इन्हें विभाग भी आवंटित कर दिए गए।
लेकिन, इस विस्तार के तुरंत बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “मौजूदा मंत्रिमंडल अवैधानिक है।” बघेल के मुताबिक, कांग्रेस सरकार ने 2018 से ही 14 मंत्री शामिल करने की कोशिशें की थीं और इस विषय को न केवल विधानसभा में उठाया गया बल्कि केंद्र को भी प्रस्ताव भेजा गया था, मगर तत्कालीन केंद्र शासन ने अनुमति नहीं दी।
   अब सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा सरकार ने किस आधार पर 14 मंत्रियों का मंत्रिमंडल गठित किया और क्या इसे केंद्र की औपचारिक मंजूरी मिली है?
"हरियाणा मॉडल" की तर्ज पर छत्तीसगढ़
   सूत्र बताते हैं कि राज्य में "हरियाणा मॉडल" अपनाते हुए 14 सदस्यों की कैबिनेट बनाई गई है। लेकिन पूर्व CM के आरोपों ने यह बहस शुरू कर दी है कि क्या इस मॉडल को प्रदेश में लागू करने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की गई है, या फिर यह सिर्फ़ राजनीतिक प्रयोग है?
सियासी गर्माहट और आने वाले सवाल
   भूपेश बघेल के बयान के बाद से कांग्रेस हमलावर है और भाजपा को इस पर स्पष्टीकरण देना होगा कि आखिर अब जो संख्या बढ़ाई गई, उसकी संवैधानिक वैधता क्या है। प्रदेश की सियासत में अब चर्चाओं का नया दौर शुरू हो गया है—“क्या राज्य सरकार ने केंद्र की मंजूरी लेकर ही यह कदम उठाया है या फिर यह निर्णय सिर्फ़ राजनीतिक दबाव और दिखावे के तहत लिया गया?”
आगे की राजनीतिक दिशा
  एक तरफ भाजपा सरकार अपने नए मंत्रियों के साथ प्रशासनिक गति पकड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस “ग़ैरक़ानूनी मंत्रिमंडल” के मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई की रणनीति बना रहा है। आने वाले दिनों में इस मसले पर न केवल विधानसभा में तेज़ हलचल देखने को मिलेगी, बल्कि प्रदेश की जनता भी सरकार और विपक्ष दोनों की राजनीतिक चालों पर कड़ी नज़र बनाए रखेगी।
? यह खबर राजनीतिक निहितार्थों से भरपूर है और सीधे तौर पर जनता के विश्वास बनाम संवैधानिक वैधता की बहस खड़ी करती है।

दुर्ग शहर की अव्यवस्था से जनता निराश, अतिक्रमण और गंदगी ने बढ़ाई परेशानी; कैबिनेट मंत्री बने गजेंद्र यादव से विकास की नई गाथा लिखने की आस

दुर्ग / शौर्यपथ / नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी श्रीमती अलका बाघमार ने शहरवासियों से अतिक्रमण मुक्त दुर्ग, स्वच्छ और व्यवस्थित बाजार, भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई जैसी कई बड़ी घोषणाएँ की थीं। इन वादों पर भरोसा जताते हुए दुर्ग की जनता ने मतदान के माध्यम से उन्हें महापौर के रूप में चुना। लेकिन महज़ कुछ महीनों के कार्यकाल में ही नगर सरकार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है।
  शहर के मुख्य मार्गों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा, जवाहर नगर से सुराना कॉलेज तक फैली गंदगी और कचरे के ढेर, सड़कों के किनारे अवैध अतिक्रमण, जगह-जगह बुझी पड़ी स्ट्रीट लाइटें और थोड़ी-सी बारिश में ही पूरे शहर का जलभराव जैसी समस्याओं ने जनता को निराश किया है। दो महीने तक चले 'महासफाई अभियानÓ का परिणाम भी कुछ घंटों की बारिश में ही धुल गया।
  इन हालातों ने न केवल महापौर की कार्यशैली पर बल्कि महापौर चयन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। जनता का मानना है कि जिस प्रत्याशी को उन्होंने सांसद के प्रभाव से चुना, वही अब अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पा रही हैं।
जनता की आवाज़
  व्यापारीयो का कहना है – "बाजार क्षेत्र में हर दिन ट्रैफिक जाम और गंदगी से जूझना पड़ता है। हम उम्मीद कर रहे थे कि महापौर बनने के बाद कुछ सुधार होगा, परंतु हालात जस के तस हैं।"
  स्थानीय निवासियों ने कहा – "महज कुछ घंटों की बारिश में ही पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जनता पूछ रही है कि आखिर सफाई और नालों की देखरेख का जिम्मा किसका है?"

सुराना कॉलेज के छात्र बोले – "हमारे कॉलेज के सामने कचरे के ढेर और आवारा मवेशियों की समस्या महीनों से बनी हुई है। प्रशासन और नगर निगम दोनों ही सिर्फ आश्वासन देते हैं।"

अब नजरें टिकी हैं मंत्री गजेंद्र यादव पर
 ऐसे में अब उम्मीद की किरण दिख रही है दुर्ग शहर के विधायक गजेंद्र यादव से, जिन्हें हाल ही में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यह संयोग स्वर्गीय हेमचंद यादव के बाद पहली बार आया है जब दुर्ग शहर विधानसभा का कोई विधायक मंत्री पद से सुशोभित हुआ है।
  जनता को विश्वास है कि गजेंद्र यादव के मंत्री बनने से शहर के विकास की नई गाथा लिखी जाएगी। बड़े पद के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है और अब नागरिकों की अपेक्षा है कि मंत्री गजेंद्र यादव गुटबाजी और राजनीतिक खींचतान से ऊपर उठकर दुर्ग के लिए ठोस कार्य करेंगे।

दुर्ग की जनता चाहती है कि—
सड़कों और नालों की तत्काल मरम्मत हो,
अतिक्रमण पर कड़ी कार्रवाई की जाए,
स्वच्छता और प्रकाश व्यवस्था को प्राथमिकता मिले,
और जिला मुख्यालय के रूप में दुर्ग का विकास पूरे प्रदेश में मिसाल बने।
  आज दुर्ग की जनता जिस अव्यवस्था और उपेक्षा से गुजर रही है, उससे निकलने का रास्ता केवल मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और संवेदनशील नेतृत्व ही दिखा सकता है। ऐसे में शहरवासियों की निगाहें एक बार फिर अपने विधायक और अब मंत्री बने गजेंद्र यादव पर टिकी हैं कि वे दुर्ग की तकदीर बदलने की दिशा में निर्णायक कदम उठाएँ।

?? विश्लेषण बॉक्स

राजनीतिक समीकरण:दुर्ग महापौर चुनाव में विजय बघेल की भूमिका ने भाजपा की स्थानीय राजनीति में हलचल मचाई थी। महापौर पर सवाल खड़े होने से उनकी साख भी प्रभावित हो रही है। गजेंद्र यादव की सक्रियता अब भाजपा के भीतर संतुलन साधने में अहम साबित हो सकती है।

मुख्य चुनौतियाँ:
नगरीय निकाय में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर अंकुश लगाना
सफाई व्यवस्था और जलभराव की स्थायी समस्या का समाधान
शहर में अवैध अतिक्रमण और यातायात अव्यवस्था पर सख्त कार्रवाई
जनता की उम्मीदों को जल्द ठोस कामों में बदलना

संभावनाएँ:यदि गजेंद्र यादव अपने मंत्री पद का प्रभाव शहर के विकास में दिखा पाते हैं तो वे न केवल दुर्ग बल्कि प्रदेश स्तर पर भी एक मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकते हैं। वहीं, यदि अव्यवस्था जस की तस रही तो इसका सीधा राजनीतिक असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।

राज्य में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा यह अभियान

रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ में “आदि कर्मयोगी अभियान” 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक चलाया जाएगा। छत्तीसगढ़ सहित देशभर के अनेक राज्यों में संचालित हो रहे इस अभियान का उद्देश्य जनजातीय अंचलों में सेवा, समर्पण और सुशासन की भावना के साथ शासकीय योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि आदि कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत जनजातीय परिवारों को मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित किया जाना है, अतः इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इस अभियान के अंतर्गत राज्य के 28 जिलों, 128 विकासखंडों और 6,650 आदिवासी बहुल ग्रामों को शामिल किया गया है। अभियान के संचालन हेतु ग्राम स्तर पर 1,33,000 से अधिक कैडर (एनजीओ, स्वयंसेवी, पंचायत प्रतिनिधि, युवा एवं सेवाभावी संगठन) तैयार किए जाएंगे। ये कैडर आवास, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन तथा ग्राम विकास की योजना निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  अभियान के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर चरणबद्ध रूप से आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक चयनित ग्राम में “आदि सेवा केंद्र” की स्थापना की जाएगी, जो शासकीय सेवाओं की प्रदायगी और जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने का केंद्र बनेगा। पूरे अभियान के दौरान ‘आदि सेवा केंद्र’ के माध्यम से ‘सेवा पर्व’ और ‘आदि कर्मयोगी सेवा अभियान’ का संचालन किया जाएगा। इस कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
  आदिम जाति विकास तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग द्वारा निर्धारित विस्तृत दिशा-निर्देशों के अनुसार जिलों में एनजीओ, सीएसओ तथा स्थानीय वालंटियर्स का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही ग्रामों के “ट्राइबल विलेज विजन 2030” का निर्माण भी किया जाएगा। इस दौरान शिकायत निवारण शिविर, जनजागरूकता अभियान तथा “आदिवासी सेवा दिवस” का आयोजन किया जाएगा।

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