August 04, 2025
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सेहत /शौर्यपथ / सांस लेना जीवन का आधार है इसके बावजूद हम फेफड़ों की हिफाजत के लिए सजग नहीं। हम लंग्स की वजह से सांस लेते हैं और ये सही तरीके से काम करते रहें इसके लिए कोई एफर्ट नहीं करते। कोरोना वायरस लंग्स डैमेज कर रहा है। ऐसे में डॉक्टर्स ब्रीदिंग एक्सरसाइज और प्राणायाम की सलाह दे रहे हैं। अगर अभी तक आपने इस पर ध्यान नहीं दिया है तो अब ब्रीदिंग एक्सरसाइज करके फेफड़ों को मजबूत बनाने की कोशिश कर सकते हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज से सिर्फ फेफड़े मजबूत ही नहीं होते बल्कि स्ट्रेस भी कम होता है। कई तरीके वजन और फैट कम करने में भी कारगर होते हैं। यहां जानते हैं घर पर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के आसान तरीके...
उम्र के साथ घटती हैं फेफड़ों की क्षमता
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, फेफड़ों की काम करने की क्षमता घटने लगती है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि 20 साल की उम्र से हमारे लंग्स की कैपेसिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है। अगर आपको सांस से जुड़ी समस्याएं हैं जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज तो फेफड़ों की कार्य क्षमता और तेजी से घटती है। कोरोना वायरस लंग्स डैमेज कर रहा है और ऑक्सीजन कम होने पर कई लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में घबराएं नहीं और सजग रहें। आप घर पर ही कुछ ब्रीदिंग एक्सर्साइज करना शुरू कर सकते हैं।
पहला तरीका
किसी सपोर्ट के साथ सीधे बैठ जाएं या पीठ के बल लेट जाएं। एक हाथ छाती पर रखें और दूसरा पेट पर। नाक से सांस लें। सांस लेते वक्त ध्यान रखें कि आपका पेट बाहर की ओर आए और छाती वैसी ही रहे। सांस धीरे-धीरे 2 सेकेंड तक बाहर छोड़ें। इस दौराना आपका पेट अंदर की ओर जाना चाहिए। रिपीट करें।
दूसरा तरीका
ऊपर बताई गई पोजिशन में ही बैठें। नाक से धीरे-धीरे सांस लें। मुंह से धीरे-धीरे सांस बाहर निकालें। ध्यान रहे इस दौरान होंठ से पाउट बनाएं या सीटी बजाने की मुद्रा में हों। आपको सांस लेने में जितना वक्त लगा था, सांस छोड़ने में लगभग दोगुना वक्त लगाएं। रिपीट करें। दिन में 3 बार ऐसा कर सकते हैं।
अनुलोम विलोम
क्रॉस लेग पोजीशन में बैठ जाएं। बाएं नॉस्ट्रिल (नथुने) से सांस लें। इस दौरान दांए नॉस्ट्रिल को अंगूठे से बंद रखें। इस क्रिया को अनुलोम कहते हैं। अब दाएं नॉस्ट्रिल से सांस छोड़ें और बाएं को बंद रखें। इसको विलोम कहते हैं। अब फिर से दाएं नॉस्ट्रिल से सांस लें और प्रक्रिया जारी रखें। ध्यान रखें अंदर सांस लेने और छोड़ने का अनुपात 1:2 होगा।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज के ये भी हैं फायदे
-ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से स्ट्रेस कम होता है
-आप रिलैक्स होते हैं
-एकाग्रता बढ़ती है
-एनर्जी लेवल बढ़ता है
-नींद अच्छी आती है
कम होता है बॉडी फैट
PubMed Central में छपी जापान की एक स्टडी के मुताबिक, जिन लोगों ने 'Senobi' ब्रीदिंग टेक्नीक को 1 महीने तक फॉलो किया उनका बॉडी फैट कम हुआ। इस प्रक्रिया में हाथ उठाकर गहरी सांस लेना होता है और ऐसा करते वक्त पीछे की ओर झुकना होता है।

सेहत /शौर्यपथ / धूप में जाने से अगर आपकी त्वचा झुलस गई है या ग्लो चला गया है, तो इसके लिए आपको कोई महंगी क्रीम लेने की जरूरत नहीं है। आप नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करके भी स्किन टैनिंग से मुक्ति पा सकते हैं। वहीं, सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि टैनिंग क्यों होती है? आइए, जानते हैं कैसे पाएं टेनिंग से मुक्ति-
स्किन कैसे होती है टैन
टैनिंग, फोटोडैमेज के खिलाफ बॉडी की नेचुरल सुरक्षा है, जो कि यूवी (UV) रेडिएशन से क्रिएट होता है। वहीं मेलेनिन एक प्राकृतिक पिगमेंट है, जो हमारी बॉडी द्वारा बनाया जाता है और हमें हमारी स्किन का रंग प्रदान करता है। मेलानिन शरीर को प्राकृतिक एसपीएफ (जो आप सनस्क्रीन पर भी देखते हैं) देता है, यही वजह है कि इसे बॉडी सुरक्षा कवच के तौर पर बनाती है। वहीं, सनस्क्रीन से त्वचा को एसपीएफ मिलता है और यह यूवी (UV) किरणों के खिलाफ शरीर को अधिक मेलेनिन उत्पन्न करने के लिए आपके मेलानोसाइट्स को एक्टिव करने में मदद करता है।
कारगर उपाय-
टमाटर
टमाटर को मैश कर लें और इस पेस्ट को चेहरे पर अच्छे से लगाएं। इसें 15 मिनट तक ऐसे ही लगे रहने दें और फिर पानी से धो लें। इस तरीके को हफ्ते में दो बार दोहराएं। ये स्किन से टैनिंग को दूर कर उसे ब्राइटर और ग्लोइंग बनाएंगा।
बेसन
थोड़े से बेसन में चुटकी भर हल्दी मिला लें। एक बर्तन लें और उसमें तीन छोटे चम्मच बेसन, एक चम्मच ओलिव ऑयल और नींबू का रस मिलाएं। इसमें चुटकी भर हल्दी भी मिला लें। इन सब को अच्छे से मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। इसे 15 मिनट तक लगा रहने दें और फिर कम गर्म पानी से धो लें। ऐसा हफ्ते में दो बार करें।
शहद
एक छोटे चम्मच शहद में दो चम्मच दही मिलाएं। इन्हें अच्छे से मिलाकर चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। अब कम गर्म पानी से चेहरा धो लें। बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा रोजाना करें।
एलोवेरा जेल
सोने से पहले एलोवेरा को स्किन पर जरूर लगाएं। इसकी पतली लेयर को चेहरे पर लाएं और अगली सुबह धोएं। बेहतर रिजल्ट के लिए ऐसा रोजाना करें।
खीरा
खीरे को अच्छे से ब्लैंड कर लें और इसके जूस को दूध में मिला लें। इसके पेस्ट को चेहरे और हाथों पर लगाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें और धो लें। ऐसा दिन में दो बार करें और जल्द ही बेहतर रिजल्ट पाएं।

आज रामनवमी पर ऐसे करें हवन, नोट कर लें पूजन सामग्री, विधि और हवन का शुभ समय  

नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की इस आसान विधि से करें पूजा, जानें माता रानी का भोग, शुभ रंग और पूजा मंत्र
आस्था /शौर्यपथ / चैत्र नवरात्रि 2021 का आज आखिरी दिन है। नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह 8 सिद्धियां हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-
नवरात्रि की नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। सर्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद माता के मंत्रो का जाप कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए। यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है। ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।
मां सिद्धिदात्री का ऐसा है स्वरूप-
मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं।
नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ रंग-
नवरात्रि की नवमी तिथि को बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।
नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन अति उत्तम-
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करना अति उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं।
मां सिद्धिदात्री का भोग-
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र-
सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
आज रामनवमी पर ऐसे करें हवन, नोट कर लें पूजन सामग्री, विधि और हवन का शुभ समय
इस साल राम नवमी 21 अप्रैल को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामनवमी के दिन ही भगवान राम ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने के साथ हवन भी किया जाता है। कहते हैं कि रामनवमी के दिन हवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जानिए रामनवमी पर हवन-पूजन का शुभ मुहूर्त, हवन सामग्री और विधि-
राम नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, 21 अप्रैल को रामनवमी देर रात 12 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी। जो कि 22 अप्रैल की सुबह 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी।
पूजा मुहूर्त- 21 अप्रैल के दिन सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर एक बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
पूजा की कुल अवधि- 2 घंटे 36 मिनट।
हवन सामग्री-
रामनवमी पर हवन सामग्री में नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना चाहिए।
हवन विधि-
राम नवमी के दिन व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड का निर्माण कर करना चाहिए। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। हवन समाप्त होने के बाद भगवान राम और माता सीता की आरती उतारनी चाहिए।

सेहत / शौर्यपथ / भोजन में नमक और शक्कर की अधिकता को कम करके आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रख सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वस्थ वयस्कों को दिए गए दिशानिर्देशों में यह सलाह दी है। पारंपरिक रूप से भारत में यूरोप-अमेरिका के मुकाबले ज्यादा नमक व चीनी का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए हमें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वैश्विक निकाय के मुताबिक, ये दोनों खाद्य पदार्थ हमारे श्वसन तंत्र की सेहत के लिए खतरनाक साबित होते हैं।
अनप्रोसेज्ड भोजन को प्राथमिकता-
डब्लूएचओ के मुताबिक, दैनिक भोजन में हमें अनप्रोसेस्ड फूड या ऐसे खाद्य पदार्थ को प्राथमिकता देनी चाहिए जो ताजा पकाया गया हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रोसेस्ड फूड केमिकल युक्त होता है और इसे पहले से बनाकर रख दिया जाता है। इस तरह के भोजन का उपयोग लंबे समय तक संरक्षित रखने के बाद किया जाता है। लंबे समय तक खराब होने से बचाए रखने के लिए इनमें ऐसी सामग्री का इस्तेमाल होता है जो केमिकल से भरपूर होती हैं। इस तरह के खाद्य से दिल की बीमारी का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं दिल के मरीजों के कोरोना संक्रमित होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
ऐसा भोजन करें-
डब्लूएचओ के मुताबिक, अपने भोजन में ताजे फलों व हरी सब्जियों को शामिल करें। जिससे आपके शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व विटामिन, खनिज, फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट मिल सकें। शाम के समय हल्की भूख लगने पर कच्ची सब्जियां और ताजे फल खाएं। डिब्बाबंद फल या सब्जियां ऐसे खरीदें, जिनमें नमक और शक्कर ज्यादा न हो।
काढ़ा बीमार न कर दे-
पहली लहर में बहुत से लोग घरेलू नुस्खों और जड़ी बूटियों का बहुत अधिक सेवन करने के कारण बीमार पड़े। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मौसम के हिसाब से किया जाने वाला भोजन ही सबसे पोषणयुक्त होता है और यही हमारी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें। येल यूनिवर्सिटी की इम्युनोलॉजिस्ट अकिको इवासाकी का कहना है कि कई तरह की जड़ीबूटी व काढ़े का उपयोग लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करते हैं पर समस्या यह है कि इस तरह के कई दावों का कोई प्रमाणिक आधार नहीं है।
व्रत-रोजा रखते हुए ये सावधानी बरतें-
रमजान का महीना चल रहा है और कई लोग साप्ताहिक व्रत भी रखते हैं। सप्ताह में एक दिन व्रत रखने के बारे में वैज्ञानिक मानते हैं कि इससे पाचन तंत्र को लाभ होता है और शरीर के टॉक्सिक बाहर निकल पाते हैं। पर इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि व्रत वाला भोजन ज्यादा तैलीय न हो क्योंकि इससे आपको व्रत रखने का कोई शारीरिक लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी ओर, रोजा रखने वाले लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि सहरी व इफ्तार के वक्त उन्हें पोषणयुक्त भोजन ही करना है, ज्यादा पानी वाले फल खाएं ताकि रोजे के दौरान शरीर में पानी की भारी कमी न हो जाए।
खूब पानी पियें-
गर्मी शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में अपने शरीर में पानी की मात्रा को घटने न दें। पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार न करें क्योंकि प्यास का अहसास तब जाकर होता है जब शरीर में पानी की कमी हो चुकी होती है, वैसी स्थिति न आने दें।
मानसिक सेहत पर भी ध्यान-
पिछले एक साल से जारी हालात से परेशान लोगों को अपनी मानसिक सेहत पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को हर वक्त कोरोना के बारे में जानने से बचना चाहिए क्योंकि इससे तनाव बढ़ता है। समाचार देखने का एक समय नियत करें, हर वक्त मरीजों-मौतों के आंकड़े घबराहट पैदा करेंगे। रोज 20 मिनट ध्यान लगाना लाभदायक होगा।

व्रत त्यौहार / शौर्यपथ / नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी के दिन दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि माता रानी को दूध से बने व्यंजन सर्वाधिक प्रिय है। यही वजह है कि कुछ लोग नवरात्र के दौरान अष्टमी और नवमी के दिन घर पर खीर जरूर बनाते हैं। यूं तो खीर बनाने के कई तरीके होते हैं। लेकिन आज मां दुर्गा के महागौरी रूप को भोग लगाने के लिए आपको बताते हैं कैसे बनाई जाती है काजू-मखाने की खीर।

काजू मखाने की खीर बनाने के लिए सामग्री :
1 लीटर दूध
1 कप मखाने
1 छोटा चम्मच घी
1 छोटा चम्मच चिरौंजी
10 काजू
10 बादाम
1 चम्मच इलायची पाउडर
¼ कप चीनी

काजू मखाने की खीर बनाने की विधि :
सबसे पहले काजू और बादाम महीन-महीन काटकर अलग रख लें।
मखानों को महीन-महीन काट लें और फिर मिक्सी में दरदरा पीस लें।
अब एक भारी तली के पैन में घी गरम करें और उसमें मखानों को 1 मिनट के लिए भून लें।
अब मखानों में दूध डालकर पहले उबाल के बाद आंच को धीमा कर दें।
दूध को तब तक पकने दें जब तक कि मखाने पूरी तरह से गल जाएं।
5-7 मिनट के गैप में खीर को चलाते रहें ताकि वो तली में लगने ना पाए।
अब कटे हुए मेवे और चीनी को खीर में डालकर अच्छी तरह मिलाएं और 5 मिनट बाद इलायची पाडउर डालकर गैस बंद कर दें।

सेहत / शौर्यपथ / लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह कई आवश्यक कार्य करता है, जिसमें प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और पित्त के उत्पादन से लेकर विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट का उत्पादन करना भी शामिल हैं।
इसके अलावा यह शराब, दवाओं और अन्य विषाक्त पदार्थों को भी तोड़ता है। स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने लिवर को ठीक रखना महत्वपूर्ण है।
हमारा शरीर हर बीमारी से पहले या कोई खराबी आने पर कई संकेतों को दर्शाता है। ऐसे ही, अगर लिवर में कुछ खराबी है, तो इसे पहचानने के कई संकेत हो सकते हैं जैसे -
भूख न लगना
वज़न घटना
कमजोरी
पेट में दर्द और सूजन
थकान
आंखों का पीलापन
ऐसे में अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए इन फूड्स को अपनाएं:
ऑक्सीडेटिव डैमेज रोके चुकंदर:
चुकंदर का रस लिवर को ऑक्सीडेटिव डैमेज और सूजन से बचाने में मदद करता है और इसके प्राकृतिक डेटोक्स एंजाइमों को बढ़ाता है। चुकंदर का रस नाइट्रेट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स का एक स्रोत है, जिसे बीटैलेंस कहा जाता है। यह हृदय स्वास्थ्य में भी वृद्धि करता है।
लिवर स्वस्थ रखे अखरोट:
अखरोट ओमेगा - 3 फैटी एसिड्स में बहुत समृद्ध होते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार जो लोग फैटी लिवर डिजीज से पीडित हैं, उन्हें ओमेगा - 3 युक्त खाद्य पदार्थ अपने आहार में ज़रूर शामिल करने चाहिए। इसे खाने से लिवर के फंक्शन इम्प्रूव होते हैं।
बेरी और क्रैनबेरी:
ब्लूबेरी और क्रैनबेरी दोनों में एंथोसायनिन, एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिवर के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। इसके साथ ही एनसीबीआई के अनुसार 21 दिनों तक इन फलों का सेवन करने से लीवर को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, ब्लूबेरी इम्यून सेल और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाने में मदद करते हैं।
हरी-पत्तेदार सब्जियां फैट को कम करें :
हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से लिवर के आस पास फैट जमा नहीं होता है। पालक, ब्रोकोली, स्प्राउट्स और केल जैसी सब्जियां हर अंग से फैट लॉस करने में मदद करती हैं। इसलिए, हरी सब्जियों को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
इन्फ्लेमेशन दूर करे मछली :
ओमेगा -3 फैटी एसिड में सैल्मन, सार्डिन, ट्यूना और ट्राउट जैसी मछलियां उच्च हैं। ओमेगा -3 फैटी एसिड लिवर वसा के स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और सूजन को कम करता है।
लिवर एंजाइम सुधारे चाय और कॉफी :
मॉडरेशन में चाय और कॉफी पीने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। ये दोनों ही लिवर के एंजाइम को सुधारती हैं, जिससे फैट कम होता है, खाना आसानी से पचता है, और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी आती है। ये सभी आगे चलकर लिवर में समस्याओं का कारण बनते हैं। इसलिए, ग्रीन टी और ब्लैक कॉफी का सेवन किया जा सकता है।

आस्था /शौर्यपथ /नवरात्र अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। आठवें दिन महागौरी की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन भगवान शिव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्य: फलदायिनी है। नवरात्र की अष्टमी तिथि को विशेष महत्व रखती है क्योंकि कई लोग इस दिन कन्या पूजन कर अपना व्रत खोलते हैं। आइए जानते हैं कि मां महागौरी के बारे में विशेष बातेंज्
इस तरह मां का नाम पड़ा महागौरी
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। देवी पार्वती को मात्र 8 वर्ष की उम्र में अपने पूर्वजन्म की घटनाओं का आभास हो गया है और तब से ही उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। अपनी तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर तप करना आरंभ कर दिया। तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उनका नाम महागौरी पड़ा। इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
कल्याणकारी हैं मां महागौरी
माता की तपस्या की प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने के लिए कहा। जिस समय मां पार्वती स्नान करने गईं तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। गौरी रूप में मां अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको समस्याओं से मुक्त करती हैं। जो व्यक्ति किन्हीं कारणों से नौ दिन तक उपवास नहीं रख पाते हैं, उनके लिए नवरात्र में प्रतिपदा और अष्टमी तिथि को व्रत रखने का विधान है। इससे नौ दिन व्रत रखने के समान फल मिलता है।
ऐसा है मां का स्वरूप
देवीभागवत पुराण के अनुसार, महागौरी वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात सफेद हैं और इनके वस्त्र व आभूषण भी सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है। मां के दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है
और नीचे वाला हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के बाएं हाथ के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण इन्हें शिवा भी कहा जाता है। मां के नीचे वाला हाथ अपने भक्तों को अभय देता हुआ वरमुद्रा में है। माता का यह रूप शांत मुद्रा में ही दृष्टिगत है। इनकी पूजा करने से सभी पापों का नष्ट होता है।
भोग में मां को चढ़ाएं यह चीज
नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां को नारियल का भोग लगाने की पंरपरा है। भोग लगाने के बाद नारियल को या तो ब्राह्मण को दे दें अन्यथा प्रशाद रूप में वितरण कर दें। जो भक्त आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। महागौरी को गायन और संगती अतिप्रिय है। भक्तों को पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूथकर रखा जा सकता हैं, इसलिए नवरात्र की अष्टमी को गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है।
मां का ध्यान मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभू?तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
पूजा करने से होती है सौभाग्य की प्राप्ति
जो भक्त इस दिन कन्या पूजन करते हैं, वह माता को हलवा व चना के प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इस दिन कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को धुलाकर मंत्र द्वारा पंचोपचार पूजन करना चाहिए। रोली-तिलक लगाकर और कलावा बांधकर सभी कन्याओं को हलाव, पूरी, सब्जी और चने का प्रशाद परोसें। इसके बाद उनसे आशीर्वाद लें और समाथ्र्यनुसार कोई भेंट व दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां का यह रूप मोक्षदायी है इसलिए इनकी आराधना करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

दुर्ग / शौर्यपथ / उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की कवायद अब मिशन मोड पर प्रारंभ हो गयी है। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के राज्य गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा लगातार इस संबंध में बैठक एवं कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है। इसी तारतम्य में दुर्ग संभाग के 62 शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं आंतरिक गुणवत्ता एवं आश्वासन प्रकोष्ठ के संयोजकों की ऑनलाईन समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव धनंजय देवांगन एवं आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा ने बैठक में दिशा-निर्देश दिए।
उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय अपर संचालक डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दुर्ग संभाग में 62 शासकीय महाविद्यालयों में 34 महाविद्यालय का नैक से मूल्यांकन होना है जिसके लिए तैयारी प्रारंभ कर दी गयी है। क्षेत्रीय कार्यालय एवं विश्वविद्यालय द्वारा भी इस दिशा में कार्यशालाएं आयोजित की गयी है जिससे नैक मूल्यांकन की नई गाईडलाईन के अनुसार महाविद्यालयों का मूल्यांकन हो सके एवं बेहतर ग्रेड मिले।
बैठक के प्रारंभ में राज्य गुणवत्ता प्रकोष्ठ के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. जी. घनश्याम ने विस्तार से नैक मूल्यांकन और उसकी नई गाईड लाईन की चर्चा करते हुए इसके 7 महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला तथा बैठक का विश्लेषणात्मक संचालन किया।
बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव धनंजय देवांगन ने कहा कि नैक मूल्यांकन का कार्य मिशन मोड पर किया जाना है। उनहोनें कहा कि यद्यपि यह समय कठिन है पर इसी समय क्षमता एवं प्रयत्न ज्यादा होना चाहिए। हमें गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करना है। प्राचार्यों को निर्देशित करते हुए कहा कि नैक के सभी बिन्दुओं पर आधारित वर्कचार्ट बना कर कार्य करें। संकल्प शक्ति बढ़ाए तभी हम लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
ऑनलाईन अध्यापन व्यवस्था को हम आगे भी एक विकल्प के रूप में उपयोग करते रहेंगे। उन्होनें सभी से टीकाकरण करवाने तथा इसके लिए प्रोत्साहित करने को कहा। समीक्षा बैठक में उच्च शिक्षा आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा ने कहा कि प्रदेश में उच्च शक्षा के क्षेत्र में दुर्ग संभाग अग्रणी रहा है। नैक मूल्यांकन में जिस तरह दुर्ग एवं कबीरधाम जिले ने सक्रियता दिखाई है उसी तरह अन्य जिले में तैयारी करें। उन्होनें अतिथि व्याख्याताओं के अध्यापन कार्य एवं कार्यकुशलता की प्रसंशा करते हुए कहा कि अध्यापन के साथ ही उनका सहयोग नैक मूल्यांकन एवं महाविद्यालय के विकास में लिया जाना चाहिए। श्रीमती वर्मा ने महाविद्यालय की विभिन्न समस्याओं पर भी निर्देश दिए तथा नैक मूल्यांकन हेतु अन्य महाविद्यालय के अंग्रेजी के प्राध्यापकों का सहयोग लेने तथा निरंतर मॉनिटिरिंग करने का निर्देश दिया।
बैठक के प्रारंभ में हाल ही में कोरोना से दिवंगत हुए साथियों को 2 मिनट की मौन श्रद्धांजली अर्पित की गयी। संभाग के अग्रणी महाविद्यालय कवर्धा से डॉ. बी.एस. चौहान, राजनांदगांव से डॉ. बी.एन. मेश्राम, बेमेतरा से निर्मल, बालोद से एल.के. गवेल, दुर्ग से डॉ. जगजीत कौर ने जिले के महाविद्यालयों के नैक मूल्यांकन पर जानकारी प्रस्तुत की। इसके पश्चात् सिलसिलेवार प्रत्येक महाविद्यालय के प्राचार्य एवं आई.क्यू.ए.सी. समन्वयकों ने जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने प्रदेश के महाविद्यालयों के नैक मूल्यांकन पर त्वरित एवं ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही करने का निर्देश दिए है। बैठक के अंत में राज्य गुणवत्ता प्रकोष्ठ के डॉ.जी.ए. घनश्याम ने आभार प्रदर्शित किया।

आस्था / शौर्यपथ / आज नवरात्रि का सातवां दिन यानि महा सप्तमी है. नवरात्रि के सातवें दिन महा सप्?तमी को मां दुर्गा के सातवें स्?वरूप कालरात्रि की पूजा का विधान है. शक्ति का यह रूप शत्रु और दुष्?टों का संहार करने वाला है. मान्?यता है कि मां कालरात्रि ही वह देवी हैं जिन्होंने मधु कैटभ जैसे असुर का वध किया था. कहते हैं कि महा सप्?तमी के दिन पूरे विधि-विधान से कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को किसी भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता. इस बार महा सप्?तमी 23 अक्?टूबर को है.
मां कालरात्रि का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयंकर है. देवी कालरात्रि का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है. मां कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली होती हैं. इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काले रंग का है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है. इनका वर्ण अंधकार की भांति कालिमा लिए हुए है. देवी कालरात्रि का रंग काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है.
भक्?तों के लिए अत्?यंत शुभ है मां का ये रूप
शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है. इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं, जिनमें से बिजली की तरह किरणें प्रज्वलित हो रही हैं. इनके बाल खुले और बिखरे हुए हैं जो की हवा में लहरा रहे हैं. गले में विद्युत की चमक वाली माला है. इनकी नाक से आग की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं. बाईं भुजा में मां ने तलवार और खड्ग धारण की है. शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि गधे पर विराजमान हैं.
मां कालरात्रि का पसंदीदा रंग और भोग
नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को सपमर्पित है. कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए महासप्?तमी के दिन उन्?हें इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है. मान्?यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्?न होती हैं और सभी विपदाओं का नाश करती हैं. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है.
महा सप्?तमी पूजा की विधि
दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व है. इस दिन से पूजा पंडालों में भक्तजनों के लिए देवी मां के द्वार खुल जाते हैं. महा सप्?तमी के दिन कालरात्रि की पूजा इस प्रकार करें:
- पूजा शुरू करने के लिए मां कालरात्रि के परिवार के सदस्यों, नवग्रहों, दशदिक्पाल को प्रार्थना कर आमंत्रित कर लें.
- सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें.
- अब हाथों में फूल लेकर कालरात्रि को प्रणाम कर उनके मंत्र का ध्यान किया जाता है. मंत्र है- "देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया, निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विपादाधातु शुभानि सा न:".
- पूजा के बाद कालरात्रि मां को गुड़ का भोग लगाना चाहिए.
- भोग लगाने के बाद दान करें और एक थाली ब्राह्मण के लिए भी निकाल कर रखनी चाहिए.
तंत्र साधना के लिए महत्?वपूर्ण है सप्?तमी
सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है लेकिन रात में पूजा का विशेष विधान है. सप्तमी की रात्रि सिद्धियों की रात भी कही जाती है. दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले लोगों के लिए बेहद महत्?वपूर्ण है. इस दिन तंत्र साधना करने वाले साधक आधी रात में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं. इस दिन मां की आंखें खुलती हैं. कुंडलिनी जागरण के लिए जो साधक साधना में लगे होते हैं महा सप्?तमी के दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं. देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए.
देवी कालरात्रि का ध्यान
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघो?ध्र्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥
देवी कालरात्रि के मंत्र
या देवी सर्वभू?तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
देवी कालरात्रि के स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
देवी कालरात्रि के कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥

शौर्यपथ / गर्मियों में खुली हवा के लिए बालकनी में बैठना उस समय दूभर हो जाता है, जब शाम को कान के पास भिन-भिन करते मच्छर आपको अपना शिकार बनाने लगते हैं। मच्छरों के काटने से न सिर्फ खुजली होती है बल्कि शरीर पर लाल निशान भी पड़ जाते हैं। यह निशान देखने में बहुत बुरे लगते हैं और इनसे पीछा छुड़ाने में व्यक्ति को हफ्तों का समय लग जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं मच्छर के काटने से शरीर पर पड़ने वाले लाल निशान को हटाने में आखिर कौन से उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
सेब का सिरका
सेब का सिरका स्किन और हेयर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही वजन घटाने के लिए भी सेब का सिरका पानी में मिलाकर पिया जाता है। आपके चेहरे पर अगर मच्छर काटने से निशान पड़ जाएं, तो आप तीन चम्मच पानी में आधा चम्मच सेब का सिरका मिलाकर लगा लें। निशान गायब हो जाएंगे।
नींबू का छिलका
अगर मच्छर के काटने से चकत्ते बन गए हैं तो उस जगह पर नींबू का छिलका लगाएं। इससे आपके चकत्ते के निशान गायब हो जाएंगे। खुजली भी नहीं होगी।
प्याज का टुकड़ा
मच्छर के काटने से बनने वाले चकत्ते के निशान पर प्याज का टुकड़ा लगाएं। इससे निशान दूर हो जाएंगे और खुजली भी खत्म हो जाएंगी।
बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडे में पानी मिलाकर पहले से ही घोल बना लें। जब भी मच्छर काटें तो काटे वाले स्थान पर लगा लें। इससे चकत्ते के निशान दूर हो जाएंगे और खुजली भी कम हो जाएंगी।
एलोवेरा जेल
आपकी स्किन पर मच्छर काटने की परेशानी को दूर करेगा। साथ ही स्किन पर ठंडकता भी प्रदान करेगा। अगर मच्छर काटने के स्थान से खून निकल रहा है, तो यह उसे भी ठीक कर देगा और स्किन पर जलन और खुजली की परेशानी को दूर करेगा।

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